Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 44
सुनीलजी की बात से सेहमी हुई सुनीता बिना कुछ बोले सुनीलजी के एक के बाद एक धक्के झेलती रही। सुनीलजी ने सुनीता की टांगें अपने कंधे पर रखी हुई थी।
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सुनीलजी की बात से सेहमी हुई सुनीता बिना कुछ बोले सुनीलजी के एक के बाद एक धक्के झेलती रही। सुनीलजी ने सुनीता की टांगें अपने कंधे पर रखी हुई थी।
दोस्तों पुजा को शादी में मस्ती करने का बहुत शौक था, वो किसी भी बात को बहुत गंभीरता से ले-लेती थी. मगर एक शादी मे कैसे उसकी चुदाई हुई सुनिये उसी की जुबानी..
सुनीता ने अपने पति को झाड़ तो दिया पर उनकी बातें सुनकर वह बहुत गरम हो गयी थी। उसकी चूत में से रस चू ने लगा था। पर वह जस्सूजी से तो चुदवा नहीं सकती थी!
दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। सुनील ज्योति और जस्सूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जस्सूजी ने ज्योति के कानों में कुछ कहा।
सुनीता को याद आया की जस्सूजी ने अपनी पत्नी ज्योति को भी यह शब्द कहे थे। सुनीता सोच रही थी की इन शब्दों में कितनी सच्चाई थी।
जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जस्सूजी का स्थान सभा के मंच पर था।
कर्नल साहब (जस्सूजी) ने काफी समय पहले ही कैंप के मैनेजमेंट से दो कमरों का एक बड़ा फ्लैट टाइप सुईट बुक करा दिया था। जिसमे वो सब रुकने वाले थे।
जान बचाने की छटपटाहट के मारे सुनीता ने जस्सूजी के लण्ड को कस के पकड़ा और उसे पकड़ कर खुद को ऊपर आने की लिए खिंच कर हिलाने लगी।
कई बार सुनीता को बड़ा अफ़सोस होता था की उसने तैरना नहीं सीखा था। काफी समय से सुनीता के मन में यह एक प्रबल इच्छा थी की वह तैरना सीखे।
इस एपिसोड में पढ़िए कैसे ज्योति और सुनील के दो जिस्म एक हो गए, और उन दोनों ने इस सम्मलेन का खूब आनंद उठा या नहीं? इसके लिए पढ़िए और जानिए!
इस कहानी में आप पढेगे के कैसे मैंने क्रॉस ड्रेसिंग करते हुए शॉपिंग कि। ओर कैसे हमने पार्टीज में एन्जॉय किआ और नए नए लोडे अपनी गांड में लिए!
अपने आपको सम्हालते हुए ज्योति ने इधर उधर देखा। वह दोनों वाटर फॉल के दूसरी और जा चुके थे। वहाँ एक छोटा सा ताल था और चारों और पहाड़ ही पहाड़ थे।
ज्योतिजी और सुनीलजी झरने में कूद पड़े और तैरते हुए वाटर फॉल के निचे पहुँच कर उंचाइसे गिरते हुए पानी की बौछारों से भीगने लगे!
सुनील और जस्सूजी मर्दों को कपडे बदलने के रूम में चले गए। पर झरने के पास पहुँचते ही सुनीता जनाना कपडे बदलने के कमरे के बाहर रूक गयी और कुछ असमंजस में पड़ गयी।
जम्मू स्टेशन से कैंप की और टैक्सी चला कर ले जाते हुए पुरे रास्ते में सुनील को ऐसा लगा जैसे टैक्सी ड्राइवर “शोले” फिल्म की “धन्नो” की तरह बोले ही जा रहा था।
सुनीलजी उम्मीद कर रहे थे की उनकी पत्नी सुनीता उनके आने का इंतजार कर रही होगी। उन्होंने कम्बल मे आते ही सुनीता को अपनी बाहों में लिया और उसे चुम्बन करने लगे।
नीतू ने जब इशारा किया की कर्नल साहब सुनीलजी की बीबी सुनीताजी की चुदाई कर चुके थे और उसके कुछ देर बाद उसी वक्त सुनीताजी अपने पति से चुद रही थी!
नीतू की चूत यह सोच कर इतनी गीली हो रही थी की उसके लिए अब और इंतजार करना नामुमकिन सा लग रहा था। तभी उसे अचानक कुछ हलचल महसूस हुई।
सुनीता के पति सुनील ने उससे से वचन जो लिया था की दिन में ना सही पर रात को जरूर वह सुनीता को खाने मतलब सुनीता की लेने (मतलब सुनीता को चोदने) जरूर आएंगे।
दोनों जवाँ बदन एक दूसरे की कामवासना में झुलस रहे थे। नीतू कुमार के मुंह की लार चूस चूस कर अपने मुंह में लेती रही। और दोनों की जुबाने आपस में टकराने लगी!