Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 16

This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series

    जोसफ ने मुझे अच्छी तरह से चोद कर रख दिया था। इस जबरदस्त चुदाई को देख कर सैंड्रा अपने गाउन को ऊपर उठाये अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी।

    सामने जैक खड़ा था, उसके शार्ट में उसका लंड खड़ा हो चूका था । वो तुरंत बाथरूम की तरफ गया। मेरे झड़ते ही जोसफ ने भी धक्का मारना बंद कर दिया था। मैं उसके ऊपर से उतरी तो देखा उसके काले लंड पर दूध की नदिया बह रही थी।

    सैंड्रा: “जोसफ, मुझे पता हैं तुम्हारा नहीं हुआ हैं। ”

    जोसफ: “कोई बात नहीं, मैं ठीक हूँ, जितना मजा आया ।”

    सैंड्रा: “मेरा कल का बदला बाकी हैं, जोसफ तुम प्रतिमा की गांड मारो, तुम्हारा भी हो जायेगा और मेरा कल का बदला भी। ”

    मैं भी चाहती थी उसका पूरा हो उसने मुझ पर इतनी मेहनत जो की थी पर अपनी गांड में उसका मोटा लंड लेना मतलब मौत को दावत देना था। मैं अपने कपड़े पहनने के लिए उठाने लगी। पर सैंड्रा ने आगे आकर मुझे पकड़ा और जोसफ को मुझे सोफे पर उल्टा लेटाने को कहा।

    जोसफ ने वैसा ही किया, शायद उसको भी पूरा करना था। मैं उनको दुहाई देते मना ही करती रह गयी।

    जोसफ ने मुझे उल्टा लेटा दिया। सैंड्रा ने आकर मेरी गांड़ के दोनों गालो को पकड़ दरार को चौड़ा कर जगह बनाई और जोसफ ने अपने लंड की टोपी को मेरे गांड के छेद के बाहर रखा। मैंने सोचा आज तो मेरी गांड फटने वाली हैं। यहाँ से सीधा अस्पताल जाना पड़ेगा टाँके लगवाने के लिए।

    मैं: “सैंड्रा ये गलत हैं”

    सैंड्रा : “ये तुम्हे कल सोचना चाहिए था, जब मुझे पकड़ कर राहुल का साथ दिया था। ”

    मैं सैंड्रा को समझाती रही, जिस तरह वो कल मुझसे मिन्नतें कर रही थी आज मैं कर रही थी। मैंने राहुल की वजह से ही सैंड्रा को पकड़ा था, राहुल ने ही मुझे इस दर्दनाक गांड चुदाई की मुसीबत में फंसाया था ।

    जोसफ: “छोड़ दो इसे, तुमने भी एक बार कोशिश की थी मेरा लंड अपनी गांड में लेने की याद हैं, बहुत दर्द होगा इसको। ”

    सैंड्रा : “तुम ज्यादा मत सोचो, और डालो। ”

    जोसफ ने अब अपना लंड मेरी गांड के छेद से छुआ दिया और मैं एकदम शांत हो गयी, मैंने सोच लिया अब मेरा कुछ नहीं हो सकता था। उसने अपने लंड की टोपी मेरी चौड़ी हो चुकी गांड के अंदर डाल दी। मेरी एक आह निकली, और उसने थोड़ा जोर लगा के बड़ी मुश्किल से अपने लंड की मोटाई वाला भाग आधा एक इंच और अंदर डाला और मेरी दर्द के मारे चीखे निकलने लगी।

    मुझे तो सांस लेने में तकलीफ होने लगी और मुँह उठा कर खुला का खुला ही रह गया। मेरी भी रोने जैसी हालत थी। जो मैंने कल किया आज मैं भुगत रही थी। मेरी हालत पर तरस खा जोसफ ने अपना लंड थोड़ा बाहर खिंच कर सिर्फ टोपी वाला मोटा हिस्सा ही अंदर रखा और लंड की टोपी को ही मेरी गांड में अंदर बाहर कर चोदने लगा।

    सैंड्रा उसको बोलती रही कि वो और अंदर लंड डाले, पर उसने अब मना कर दिया। पहली बार उसने अपनी मालकिन को मना किया था।

    सैंड्रा अब मेरे से कहने लगी।

    सैंड्रा: “मैंने लंड अपनी गांड में पूरा लिया था, अब तुम्हे भी लेना ही पड़ेगा। ”

    मैं: “पर जोसफ और राहुल के लंड के साइज में अंतर तो देखो।”

    सैंड्रा : “लेना तो पड़ेगा ही, जोसफ का ना सही राहुल का। बोलो किसका लोगी?”

    इस बार अगर मैंने जोसफ चुना तो वो इसी वक़्त मेरी गांड फाड़ देगा, इसलिए मैंने बचने के लिए जवाब दे दिया।

    मैं: “मैं राहुल का ले लुंगी।”

    तभी जैक अपना काम ख़त्म करके बाथरुम से बाहर आया। उसे मेरी चीखे तो सुनाई दी होगी।

    सैंड्रा : “फिर से कहो क्या कहा ?”

    वो मुझे जैक के सामने कबूल करवाना चाहती थी।

    मैं: “मैं राहुल का ले लुंगी।”

    सैंड्रा : “क्या लोगी, जोर से पूरा वाक्य बोलो।”

    मैं: “मैं अपनी गांड में राहुल का लंड लुंगी। ”

    सैंड्रा ने मुझे छोड़ दिया, जोसफ अभी भी अपने लंड की टोपी को मेरी गांड मे हिला रहा था और उसके मुँह से ऐसी आवाज आ रही थी जैसे अभी उल्टी करने वाला हो। ऊहब्ब्ब ऊहब्ब्ब ऊहब्ब्ब और एक जोर की दहाड़ के साथ उसने एक इंच लंड और मेरी गांड में डाल दिया . इधर मेरी चीख निकली और उधर उसने अपना पानी मेरी गांड में खाली कर झड़ गया।

    उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और मेरी गांड ने जैसे काफी देर के बाद सांस ली। मेरी गांड अब फफक फफक कर धड़क रही थी। मेरे हाथ पैर भी कांप रहे थे। मैं थोड़ी देर लेटे रही और अपना संतुलन वापिस लाने लगी। मैं अब खड़ी हुई, सामने जैक को देखा, वो शरमा कर अपने कमरे में चला गया। मैं पूरी थक के चूर थी।

    जोसफ बाथरूम से साफ़ होकर बाहर आया और मैं उठी और कपड़े उठा कर बाथरूम में साफ़ होने गयी। मैं थोड़ी देर अंदर ही बैठ गयी और आराम करने लगी। नहा धो कर पुरे तीस मिनट बाद अपने कपड़े पहनते हुए मैंने सोचा इतना बुरा भी नहीं था। उस गांड चुदाई का थोड़ा हिस्सा छोड़कर बाकी का जितना दर्दनाक सोचा था उससे काफी ज्यादा सुखद था।

    मैं अब बाहर आयी तो देखा राहुल वहा मौजूद था। उसे देख मेरे चेहरे पर एक ख़ुशी आ गयी। मुझे देखते ही वो मेरे पास आया और मेरी तबियत पूछने लगा। मैंने उसको बताया कि मैं ठीक हूँ । वो मेरी ही चिंता कर रहा था और मुझे लेने ही आया था। वो अब मुझे लेकर जाने लगा तो सैंड्रा ने मुझको याद दिलाया।

    सैंड्रा : “प्रतिमा तुम्हे अपनी गांड चुदवाना हैं। चलो आ जाओ। ”

    राहुल: “ये क्या बोल रही हो?”

    सैंड्रा : “पूछो इसको। बताओ प्रतिमा।”

    मैं अपना सर झुकाये खड़ी हो गयी। मैंने उस वक्त बचने के लिए बोल दिया था, सोचा था ये बाद में भूल जाएगी। मगर राहुल तो यहाँ आ गया।

    सैंड्रा: “राहुल कल अगर प्रतिमा ने तुम्हारा साथ नहीं दिया होता तो तुम मेरी गांड नहीं मार पाते। प्रतिमा को भी अपनी गांड मरवानी पड़ेगी। मुझे जो दर्द मिला उसका बदला दर्द से ही होगा। ”

    राहुल:”पर मैंने तुमको छोड़ दिया था, इस वादे के साथ कि तुम प्रतिमा से बदला नहीं लोगी”

    सैंड्रा : “बहुत देर से छोड़ा था, तुमने जितनी देर कल मेरी गांड मारी थी उतनी देर तो इसको भी मरवानी पड़ेगी।”

    मैं: “मुझे अभी थोड़ा दर्द हैं”

    राहुल; “प्रतिमा तुम्हे ये करने की जरुरत नहीं। सैंड्रा तुम्हारा असली काम हो चूका हैं, जैक वाला। अब क्या प्रॉब्लम हैं तुमको। छोड़ दो बेचारी को। ”

    सैंड्रा : “मुझको भी बेचारी बनाया था। ये तो करना पड़ेगा वरना तुम दोनों की अब तक की मेहनत पानी में जाएगी। सोच लो। ”

    राहुल: “डील को लेकर बहुत ब्लैकमेल कर लिया, नहीं चाहिए डील। चलो प्रतिमा। ”

    मैंने अपनी इज्जत लुटा दी बाकी लोगो की ख़ुशी के लिए और अब मिलेगा क्या कुछ नहीं, मतलब मेरा सारा त्याग तो व्यर्थ जायेगा। एक बार करवाया हैं, एक बार और करवा लुंगी। राहुल ने मुझे बाहर चलने को कहा और हम वहा से जाने लगे।

    सैंड्रा पीछे से चिल्लाई “प्रतिमा ने तुमको चुना हैं अपनी गांड मरवाने के लिए। कल दोपहर में तुम्हारे ऑफिस आउंगी, मेरे सामने उसकी गांड चुदाई करना या उसका वीडियो दिखा देना तो डील साइन हो जाएगी।”

    बाहर लाकर उसने मुझे अपनी कार में बैठाया और कहा कि वो मुझे घर पर छोड़ देगा । कार में वो मुझसे बातें करने लगा।

    राहुल :”तुम चिंता मर करो, डील को भूल जाते हैं, फिर से दो साल मेहनत कर लेंगे। ”

    मैं: “मुझे अपने लिए फैसला लेना होता तो कब का मना कर दिया होता। मैं ये नहीं चाहती कि मेरी वजह से इतने लोगो का करियर और ज़िंदगी खराब हो।”

    मैं अब चिंता में पड़ गयी, ये कैसी नयी मुसीबत मौल ले ली मैंने। राहुल के सामने शर्मिंदा ना होना पड़े इसलिए जोसफ को चुना था, और अब राहुल के साथ भी चुदवाना पड़ेगा।

    राहुल : “तुम दूसरे लोगो का कितना सोचती हो। तुम्हे त्याग करना पड़ा, मुझे अच्छा नहीं लग रहा हैं। ”

    मैं: “मुसीबत भी तो मेरी वजह से ही आयी थी न। ”

    राहुल: “अपने आप को दोष मत दो।”

    मैं: “राहुल मैंने सोच लिया हैं, इतना त्याग किया हैं, मैं एक बार और कर लुंगी। इतना आगे आकर पीछे नहीं हटना मुझे। ”

    राहुल: “तुम स्योर हो? कल तुमने मेरी बजाय जोसफ को चुना था। कोई तो कारण रहा होगा। ”

    मैं: “तुम्हारे साथ एक बार ये सब करवाउंगी तो फिर हमेशा ऑफिस में तुम्हारा सामना कैसे करूंगी । यही सोच कर जोसफ को चुना था। ”

    राहुल: “तो ये फैसला आखिरी हैं ?”

    मैं: “हां, मुझे तुम पर पूरा यकीन हैं। थैंक यू, इन दिनों में तुमने मेरा बहुत साथ दिया और ध्यान रखा।”

    राहुल: “तुम वाकई बहुत महान हो। तुम्हारी तबियत कैसी ही? तुम कह रही थी थोड़ा दर्द हैं। ”

    मैं: “नहीं, ऐसे ही कह रही थी, सैंड्रा को टालने के लिए। ”

    राहुल: “तो फिर कब करना हैं। सैंड्रा के सामने कल ऑफिस में या पहले ही करके वीडियो सबूत दिखाना हैं।”

    मैं: “आज नहीं, कल। वीडियो सबूत मैं अपने मोबाइल में ही रखूंगी।”

    राहुल: “अवश्य, जैसी तुम्हारी मर्जी।”

    राहुल: “तो फिर तुम्हारे घर या मेरे फार्म हाउस पर।”

    मैं: “जैसा तुम्हे ठीक लगे।”

    राहुल: “कल तुम्हारे कपड़े मेरे फार्म हाउस पर रह गए थे। मैंने धुलवा दिए हैं। कल वही चलते हैं, अपने कपड़े भी ले लेना और एक रिक्वेस्ट हैं”

    मैं: “क्या?”

    राहुल :”तुम्हे फार्म हाउस पर जो ड्रेस दी थी रूही की, वो पहन कर आना, मुझे अच्छा लगेगा।”

    मैं: “ठीक हैं, और कुछ?”

    राहुल: “कल सुबह मैं तुम्हे लेने तुम्हारे घर आऊंगा। तुम तैयार रहना। सीधा फार्म हाउस जायेंगे और काम होते ही वापिस ऑफिस आ जायेंगे। कल सैंड्रा डील को फाइनल कर देगी। ”

    मेरा घर आ गया और मैंने राहुल से विदा ली। घर पर आकर मैं अपने आप को एक गुनहगार महसूस कर रही थी। मैंने अपनी शपथ तोड़ कर एक गैर मर्द के साथ संबंध बनाये थे। और मेरी शपथ कल दूसरी बार टूटने वाली थी जब मैं राहुल के साथ भी करुँगी। पर सान्तवना थी कि ये सब दुसरो के भले के लिए था ।

    हालांकि जोसफ का मोटा लंड लेने के बाद भी ज्यादा कुछ दर्द नहीं था । मैंने दर्द निवारक दवाई ले ली दोपहर और फिर रात को। सामान्यतया दर्द सुबह उठने पर ही महसूस होता हैं तो ये एहतियात जरुरी थी।

    अगली सुबह एक दर्द के साथ मेरी नींद खुली, मेरी गांड और चूत में हलकी सी टीस उठ रही थी। दर्द से मेरे दोनों छेद लपक झपक कर रहे थे।

    मैंने उठ कर अपने काम निपटा कर पहले नाश्ता किया ताकि फिर से दर्द निवारक दवा ले सकू और इस दर्द से थोड़ी राहत मिले। मुझे आज उसी छेद में राहुल का लंड भी लेना था तो अपने आप को तैयार रखना था।

    मैंने राहुल की दी हुई ड्रेस पहन ली। वो एक नीले रंग की फ्रॉक ड्रेस थी और उस पर सफ़ेद छोटे फूल बने थे। कमर से ऊपर वो बदन से चिपकी सी थी और कमर के नीचे हल्की ढीली थी और घुटनो तक आती थी। मैंने मेकअप करना शुरू कर दिया था, राहुल कभी भी आता होगा। धीरे धीरे दवा ने असर दिखाना शुरू कर दिया था और अब वो टीस थोड़ी हल्की पड़ गयी थी।

    थोड़े इंतजार के बाद राहुल आ गया था, मुझे देख एक बार फिर ताकता ही रह गया। उसने ऑफिस के कपड़े ही पहन रखे थे क्यों कि फार्म हॉउस से सीधा हमें ऑफिस ही जाना था, जहा सैंड्रा आने वाली थी।

    पुरे रास्ते बार बार वो मुझे ही देख कर मुस्कुरा रहा था और और उसे देख मैं भी हल्का शर्म से मुस्कुरा देती। हम दोनों को ही पता था हम क्या करने जा रहे हैं। दोनों की ही इच्छा तो नहीं थी पर फिर भी जो काम करना था उससे एक दूसरे के प्रति वासना उमड़ना तो स्वाभाविक था। मुझे तो हल्का दर्द भी था तो मुझे कुछ ज्यादा ही नियंत्रण में रहना था।

    हम दोनों अब उसके फार्म हाउस पर पहुंचे। हॉल में आने के बाद वो मुझे सीधा उस बालकनी में ले गया जहा पार्टी वाली रात उसने मुझे चूमने की कोशिश की थी और हम पहली बार अन्तरंग हुए थे। हालांकि तब मैंने बहुत नियंत्रित किया था और बच गयी थी।

    बालकनी में पहुंच कर वो मेरे सामने खड़ा हो गया और मुस्कराहट के साथ मेरी दोनों हथेलिया अपनी हथेली में ली और अपने अंगूठे से मेरी उंगलियों को सहलाते मुझे देखता रहा। मुझे समझ नहीं आया क्या कर रहा हैं। मैंने बस मुस्कुरा कर जवाब दिया। वो एक कदम और करीब आया और अपना सर थोड़ा सा तिरछा करते हुए अपने होंठ मेरे होंठो के करीब ले आया।

    मेरी उसके करीब आते ही मेरी और उसकी मुस्कान गायब हो गयी। दोनों के होंठ बंद थे और एक बार तो मुझे कुछ सुझा ही नहीं मैं क्या करुं। तब तक उसके बंद होंठ मेरे बंद होंठो को हल्का सा छू गए। मेरे पुरे बदन में एक सिहरन सी उठी। उसने हल्का सा होंठ पीछे कर अपने होंठ थोड़े खोले और मेरे होंठ भी स्वतः ही खुल गए।

    उसके होंठ एक बार फिर आगे बड़े और मेरे ऊपर के होंठ को छू अपने अंदर दबाने ही वाले थे कि मेरी गांड में उठे एक दर्द ने मुझे जगा दिया और मैं एकदम से पीछे हट गयी। उसके होंठ खुले के खुले रह गए।

    मैं: “नहीं राहुल, ये ठीक नहीं।”

    राहुल: “मैं इतना बुरा हु ! जैक को चूमा वो ठीक, पर मैं उसके जितना काबिल नहीं?”

    मैं: “तुम गलत सोच रहे हो, तुम अच्छे इंसान हो मुझे पसंद हो, पर तुम मेरे बॉस हो। मैं बॉस के साथ कोई संबंध नहीं बना सकती। मुझे तुम्हारा सामना रोज ऑफिस में करना पड़ेगा। एक तरफ ऐसा रिलेशन दूसरी तरफ ऑफिस का, मैं दोनों हैंडल नहीं कर पाऊँगी। वैसे भी मैं शादीशुदा हु, मैं किसी और के साथ लंबा रिलेशन नहीं रखना चाहती।”

    राहुल: “आई एम् सॉरी। तुम्हारे जैक के साथ रिश्ते को लेकर मैं इमोशनल हो गया था। थोड़ी जलन भी थी।”

    मैं: “मैं किसी के साथ दिल नहीं लगाना चाहती, जैक के साथ लगाया था उसके परिणाम सामने हैं। अब और गलती नहीं करनी हैं। आज मेरी आखिरी गलती होगी। हम जिस काम के लिए आये हैं वो कर लेते हैं और फिर अपनी अपनी राह पकड़ लेते हैं, पहले की तरह।”

    राहुल: “ठीक हैं मेरे बैडरूम में चलते हैं।”

    अपने बॉस के साथ मेरी पहली चुदाई कैसी होगी वो अगले भाग में पढ़े।

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