Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 20

This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series

    राहुल ने ऑफिस के केबिन में ही मेरे मजे लूट लिए थे और हम पकडे जाने से बाल बाल बच गए थे। इस चक्कर में मेरी पैंटी उसके केबिन में रह गयी जो मुझे चाहिए थी, मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।

    मैं: “मेरे कपड़े यहाँ रह गए थे”

    राहुल: “कौन से कपड़े?”

    मुझे पता था वो जानबूझ कर अनजान बन मेरे मुँह से सुनना चाहता था। मैं वापिस जाने लगी तो उसने आवाज लगा कर रोका। मैंने मुड़ कर देखा वो अपने हाथ में मेरी पैंटी पकड़ हिला रहा था।

    राहुल: “ये चाहिए तुम्हे?”

    मैंने आगे आकर अपना हाथ बढ़ाया, पर उसने अपना हाथ पीछे खिंच लिया।

    राहुल: “इसे मैं तुम्हे पहनाउंगा ”

    मै: “नहीं चाहिए, तुम्ही पहन लो”

    राहुल: “अच्छा ये लो। पर इसे हाथ में लेकर बाहर कैसे जाओगी? किसी ने देख लिया तो ! पहनना तो यहाँ मेरे सामने ही पड़ेगा।”

    बात तो उसकी भी सही थी। ऑफिस के अंदर तो पर्स लेकर नहीं घूम सकती। मुझे उसके सामने ही वो पैंटी पहननी थी। मैंने उससे वो पैंटी ली और उसकी तरफ पीठ कर मैंने पैंटी पांवो में डाल ऊपर खिंच ली और बड़ी सावधानी से बिना अपने ज्यादा अंग दिखाए वो पहन ली।

    राहुल: “थोड़ा थोड़ा करने से मजा नहीं आया, पूरा करना हैं ढंग से”

    मैं: “आगे से मैं ऑफिस में तुम्हारे पास भी नहीं आउंगी, पकड़े जाते तो आज?”

    राहुल: “यहाँ नहीं करेंगे तो कहा करेंगे?”

    मैं: “क्या करना हैं तुम्हे?”

    राहुल: “चार काम करने हैं। पहला, तुम्हारे ऊपर और नीचे के होंठो का जी भर कर रस चूसना हैं। दूसरा, तुम्हारे मम्मे देखने हैं और चूसने हैं। तीसरा, तुम्हारे मम्मो को अपने हाथो से दूध दुहना हैं। चौथा, सामने से तुम्हारी चूत के दर्शन कर पूरा चोदना हैं”

    मैं: “सैंड्रा का शुक्र मनाओ कि तुम मेरे कपड़े खोल पाए और कल पीछे से कुछ कर पाए। बाकि के ये चारो काम तुम सपने में ही करना”

    राहुल: “ये चारो काम आज रात को ही होंगे पार्टी के बाद । तुम आज रात मेरे साथ मेरे फार्म हाउस पर ही रुकने वाली हो। अपने घर पर बोल कर आना कि सुबह आओगी”

    मैं: “ऐसा कुछ नहीं होने वाला हैं”

    राहुल: “और पांचवा काम तुम करने वाली हो, मैं तुम्हारा नीचे का रस लूंगा तो तुम भी तो मेरा रस चुसोगी”

    मैं: “मैं भी देखती हु, कैसे होता हैं ”

    मैं अब बाहर अपनी सीट पर आ गयी। मगर मन में यही चल रहा था कि क्या वो मेरे साथ सच में ये सब करने वाला हैं। पर मैं क्यों उसके साथ रात को रहूंगी। इतने लोगो के बीच तो वो हाथ लगा नहीं पायेगा। शाम को पार्टी के चक्कर में सब लोग ऑफिस से जल्दी निकल गए घर जाकर तैयार होने के लिए।

    घर आकर मैं भी तैयार होने लगी। आज राहुल मेरे कपड़े देख भड़क ना जाये इसलिए मैंने जो ब्लाउज पहना वो पीठ से पूरा बंद था। कोहनियो तक आस्तीन थी और चाइनीज कॉलर था। मैंने अपनी नारंगी रंग की साड़ी लपेट दी। पुरे कपड़े पहनने के बावजूद मैं अपने कर्व तो नहीं छुपा सकती थी। बिना अंगप्रदर्शन किये हुए भी मेरे सीने और गांड के उभार मेरी तरफ किसी को भी आकर्षित करने को काफी थे।

    राहुल ने पार्टी स्थल तक पहुंचने की व्यवस्था कर दी थी।

    आज सब लोग बिना फेमिली के आये थे तो वहा पर माहौल बिलकुल ही अलग था। ऑफिस की सारी कुंवारी लड़कियों सहित शादीशुदा लड़किया भी छोटे कपड़े और स्किन दिखाऊ साड़ी पहन आयी थी। शायद पिछली बार पार्टी में मैंने जो कपड़े पहने थे उससे प्रेरणा ली थी।

    पुरुष स्टाफ की तो चांदी हो गयी थी। आज उनको रोकने वाले उनके पति और पत्निया भी नही थी, सब अपने अरमान पुरे कर सकते थे। अपने पसंद के साथियो के साथ सब चिपक कर डांस कर रहे थे। मुझे पुरे कपड़ो में देख सबको थोड़ा आश्चर्य भी हुआ।

    राहुल ने पास आकर मेरे साथ डांस करने को बोला पर मैं पहले ही सोच कर आयी थी उसको ज्यादा पास आने का मौका नहीं देना वरना वो अपनी चारो गन्दी ख्वाहिशे पूरी ना कर सके। मेरे मना करने पर भी वो मुस्कुराता रहा।

    अब वो दूसरी लड़कियों के साथ बारी बारी से डांस करने लगा। वो उनसे कुछ ज्यादा ही चिपक रहा था, उसका हाथ लगातार लड़कियों की कमर और पीठ पर था। वो लड़किया भी जैसे इसी का इंतजार कर रही थी। उनको तो जैसे प्रमोशन का शॉर्टकट मिल गया था।

    राहुल के हाथ कभी कभार कमर से खिसक कर लड़कियों की गांड पर भी आ गए थे। जब भी वो एक दूसरे के कान में कुछ बोलने के लिये पास आते तो उनके मम्मे राहुल के सीने से दब भी रहे थे ।

    एक शादी शुदा औरत तो राहुल के साथ कुछ ज्यादा ही चिपक गयी थी, उसकी कमर के नीचे का हिस्सा आगे से राहुल से पूरा चिपक गया था। मैं ना जाने क्यों वो सब नहीं देख पा रही थी। मुझे वो सब देख जलन हो रही थी।

    वो सब मिलकर मुझसे राहुल को दूर कर रही थी या मैंने खुद ही राहुल से दुरी बना उन्हें मौका दे दिया था। मुझे अहसास हुआ शायद मैं राहुल से शायद प्यार करने लगी थी। पर राहुल के मन में मेरे लिए क्या हैं, अगर कुछ होता तो वो इस तरह दूसरी लड़कियों के साथ इस तरह चिपक कर डांस नहीं करता।

    एक चालीस साल के सहकर्मी ने मेरे साथ डांस करने का प्रस्ताव रखा और मैंने मान भी लिया, पहला मौका था जब मैंने राहुल के अलावा ऑफिस में किसी के साथ डांस का करना स्वीकार्य किया था। उसको तो जैसे खजाना हाथ लग गया।

    बाकि के युवक आश्चर्य करने लगे, उन जैसे अच्छे दिखने वाले लड़को को छोड़ मैंने अपने से ज्यादा उम्र वाले को डांस पार्टनर चुना। मैंने कपड़े पुरे पहन रखे थे फिर भी साड़ी के ऊपर से ही वो मेरी कमर को पकड़े था। मैं उससे थोड़ी दुरी बनाये हुए थी ताकि मेरे सीने का उभार उससे ना छुए।

    इन सब के बीच मेरी नजरे बराबर राहुल पर थी कि वो क्या कर रहा हैं। बीच में एक दो बार वो अपनी अलग अलग डांस पार्टनर के साथ हॉल से बाहर भी गया था, शायद उनके अंगो को अच्छे से छूने के लिए अकेले में ले गया हो। वो लड़किया तो उसे चूमने भी देगी।

    सब लोग अब हॉल से निकल कर बाहर बरामदे में लगे डिनर के लिए आ गए। राहुल अभी भी अपनी गोपियों के बीच में ही था और हंस हंस कर जैसे मुझे जलाते हुए मजे ले रहा था।

    खाना हो जाने के बाद सभी लोग बाहर गार्डन में ही आपस में बातें कर रहे थे। शायद राहुल सही था, मैं ही जलन में पागल हो गयी थी। कैटरर अपने सामन समेट कर जा रहा था। कुछ लोग जा चुके थे और कुछ जाने की तैयारी में थे।

    राहुल एक साड़ी वाली लड़की को लेकर वापिस अंदर गया। मुझे दाल में काला लगा, मैं थोड़ी देर बाद अंदर गयी। वो दोनों सामने से बाहर ही रहे थे। राहुल ने उस युवती को बाहर जाने दिया और मेरे लिए वही रुक गया।

    राहुल: “तुम मेरा पीछा कर रही हो?”

    मैं: “मुझे सब पता हैं तुम आज पार्टी में क्या कर रहे थे, सबसे बड़ा चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। मुझे तो लगा तुम्हे सिर्फ मुझ में रूही दिखाई देती हैं। पहले मुझे रात को यहाँ रुकने को बोल रहे थे, मैंने मना किया तो अभी जो गयी हैं उसको रात को रोकने वाले हो। ”

    राहुल: “तुम्हारे अलावा इन सब की कैब मैं बुला चूका हूँ । तुम कहो तो तुम्हारी कैब भी मंगवा लेता हु। एक तरफ मेरा बैडरूम हैं, दूसरी तरफ बाहर जाने का रास्ता। तुम्हारी इच्छा हैं, तुम कहाँ जाना चाहती हो। मैं बाहर सब लोगो को विदा करने जा रहा हूँ”

    शायद राहुल सही था, मैं ही जलन में पागल हो गयी थी। राहुल हाल से बाहर जाने लगा और मैं बैडरूम की तरफ मुड़ी तभी उसकी आवाज आयी।

    राहुल: “मुझे मेरे चारो काम करने दोगी तो ही अंदर जाना ”

    मैं उसके चारो काम याद कर बहुत शरमाई और भाग कर बैडरूम में चली गयी। अंदर जाकर मैंने अपना मेकअप ठीक किया और अच्छे से देख लिया सब ठीक हैं । परफ्यूम लगा लिया और माउथ स्प्रे कर दिया। फिर याद आया पति को तो बोला ही नहीं कि रात को यही रुकने वाली हूँ।

    मैंने अपना मोबाइल निकाला जो कल दोपहर से जोसफ के डर से स्विच ऑफ था । मैंने फ़ोन स्विच ऑन किया और अशोक को फ़ोन लगा कर झूठ बता दिया कि आज हम सब ऑफिस वाले यही रुकने वाले हैं, मैं अगली सुबह आ जाउंगी।

    इस बीच मेरे फ़ोन पर पांच छह पेंडिंग मैसेज डिलीवर हुए। फ़ोन काट कर मैंने नोटिफिकेशन देखे एक मैसेज जोसफ का था, कोई मीडिया भेजा था। कही ये मेरे और उसके बीच उस दिन हुई चुदाई का वीडियो तो नहीं। मेरी तो मैसेज खोलने की हिम्मत ही नहीं। वैसे भी राहुल ने बोला था कि सैंड्रा सब संभाल लेगी।

    मैं सोच ही रही थी कि राहुल बैडरूम में आया और दरवाजा बंद कर लिया। उसके हाथ में एक थर्मस था जो उसने टेबल पर रख दिया। मैं फ़ोन पर्स में रख बेड से उठकर खड़ी हो नजरे नीची कर ली। मेरे यहाँ रुकने का मतलब मेरी उसके साथ आज सुहागरात होने वाली थी।

    उसने मेरे पास आकर मुझे पीठ से पकड़ कर अपने सीने से चिपका लिया। फिर उसने पीछे हटते हुए मेरी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और अपनी तरफ खिंच लिया। कंधे पर लगी पिन से साड़ी अटक गयी, मैंने वो पिन निकाल दी और उसने साड़ी मेरे सीने से अलग कर दी और मेरा ब्लाउज और उसके अंदर के उभार दिखने लगे।

    मैने पटली पर लगी पिन भी खोल दी। उसने मेरे पेटीकोट में ऊपर से हाथ डाल मेरी साड़ी की पटली को पेटीकोट से बाहर कर दिया। फिर उसने साड़ी खींचना जारी रखा और मैं गोल गोल घूमने लगी। धीर धीरे मेरी साड़ी मेरे पेटीकोट से उतरने लगी।

    जब साड़ी पूरी उसके हाथ में आ गयी तब मैं रुकी। मैं अब पेटीकोट और ब्लॉउज में शर्माए खड़ी थी। उसने मुझे खुद अपना ब्रा निकालने को बोला। मैंने उसकी तरफ पीठ कर ली और ब्लाउज के आगे के सारे हुक खोल दिए।

    फिर पीठ पर ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर ब्रा का हुक खोल दिया। मैंने ब्लाउज पहने हुए ही अंदर हाथ डाल ब्रा को निकाल दिया. उसने मुझे उसकी तरफ मुड़ने को बोला और मैंने आगे से खुले ब्लाउज को हाथ से पकड़ कर बंद रखा और उसकी तरफ मुड़ गयी।

    उसने मुझे बिस्तर पर लेटने को बोला मैं अपने ब्लाउज को पकड़े बंद रख लेट गयी। वो थर्मस लेकर आया और खोल कर उसमे से एक आइस क्यूब निकाल लिया। उसमे से पानी टपक रहा था। उसने मेरे होंठो के ऊपर आइस क्यूब पकडे रखकर दो तीन ठंडी बूंदें गिराई। मेरा मुँह अपने आप ही खुल गया।

    उसने अब वो आइस क्यूब मेरी ठुड्डी से लेकर गले तक प्यार से फिराई । मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी और मेरे पुरे शरीर में हलचल सी हुई और मैंने अपने हाथ ब्लाउज से हटा लिए और नीचे बिस्तर को कस कर पकड़ लिया।

    मेरा ब्लाउज अभी भी मेरे मम्मे ढके हुए थे पर खुले ब्लाउज में दोनों मम्मो के बीच की थोड़ी वादियां दिखने लगी। वो अब आइस क्यूब मेरे पेट पर नाभी के आसपास लगाने लगा। मेरा बदन अब लगातार फड़क रहा था।

    मेरी चूत अब थोड़ी गीली हो चुकी थी। उसने अब नया आइस क्यूब निकाला जिस पर लगा पानी टपक रहा था और उसने मेरे ब्लाउज का एक हिस्सा मेरे मम्मे से हटा दिया और आइस क्यूब रगड़ने लगा। उसने पहली बार मेरे मम्मे देखे थे और मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो चुके थे।

    मैं अपने सीने को ऊपर उठाये अपने आप को नियंत्रित रखने का प्रयास कर रही थी। मेरे मम्मे पुरे फूल कर निप्पल तन गए थे। उसने दूसरी तरफ से भी ब्लाउज को हटा दूसरा मम्मा बाहर कर दिया। मैं अब भी तेज तेज साँसे ले तड़प रही थी।

    उसने आइस क्यूब अपने मुँह में लिया और मेरे मम्मो पर मलने लगा। मैं मुँह खोल बुरी तरह से आहें भर रही थी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ा। मैं बिस्तर पर हाथ फैलाये पड़ी थी और मेरे मम्मे खुले पड़े थे। मैंने उन्हें ढकने का प्रयास नहीं किया, वैसे भी वो अब सब देख चूका था।

    उसने मेरे ऊपर सर लाते हुए मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूसना शुरू कर दिया। मैं भी उसके होंठो को चूसते हुए आनंद लेने लगी। उसकी एक के बाद एक ख्वाहिशे पूरी होती जा रही थी और मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं थी।

    क्या राहुल अपनी सारी ख्वाहिशे पूरी सकेगा? पढ़ते रहिये…

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