Drishyam, ek chudai ki kahani-33

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

    अर्जुन ने प्रीति के नाम से आईडी बना दी थी और रमेश को चैट करने के लिए आमंत्रण भेज दिया था। अर्जुन के मेल भेजने के चंद मिनटों में ही रमेश का जवाब आया, “हाय!” अर्जुन ने तब अपनी पत्नी आरती से कहा, “अब आगे तुम रमेश से बात करो। जैसा तुम्हें ठीक लगे चैट करो। यह ध्यान रहे की तुम प्रीती हो आरती नहीं।”

    आरती ने भी जवाब में लिखा, “हाय”

    रमेश, “हाय प्रीति कैसी हो?”

    आरती, “ठीक हूँ, आप?”

    रमेश, “मैं ठीक हूँ। प्रीति तुम्हें मेरा आईडी कहाँ से मिला?”

    आरती, “मैंने नेट पर चैट करने वालों की लिस्ट में आपका यह अजीब सा आईडी देखा। मैं पहली बार चैट कर रही हूँ। मुझे पता नहीं चैट कैसे करते हैं। मेरे पति मुझे चैट करने के लिए उकसाते रहते हैं। तो सोचा की देखते हैं। सबसे पहले मैंने आपका यह अजीब सा आईडी देखा तो चैट करने के लिए आमंत्रण भेज दिया।”

    रमेश, “ठीक है। बोलिये आप क्या जानना चाहती हैं?”

    आरती, “मैं आपके बारे में जानना चाहती हूँ। आपका नाम क्या है? आप ने ऐसा अजीब सा आईडी क्यों बनवाया है? आप की उम्र क्या है? आप की आईडी से जाहिर है की आप मर्द हैं। तो आप अपने बारे में बताइये।”

    इसके बाद रमेश ने आरती को प्रीति समझ कर वही सब बताया जो उस ने अर्जुन को आरती समझ कर कर बताया था।

    रमेश ने आरती को एक बात और बताई जो आरती के दिल के पार हो गयी। रमेश ने आरती को कहा, “देखो प्रीति, मैं आप से झूठ नहीं बोलूंगा। मेरी आरती नाम की एक लड़की से चैट हो रही है। मैं उसे पसंद करने लगा हूँ। या यूँ कहो की मैं उसे प्यार करने लगा हूँ। मुझे आपसे चैट करने में कोई आपत्ति नहीं है। पर मैं यह सच भी आपके सामने रखना चाहता हूँ।”

    रमेश की इस बात से आरती समझ गयी की रमेश जो भी बात कर रहा था सब सच कह रहा था। आरती के मन में रमेश के लिए एक अजीब से सम्मान का भाव हुआ। कुछ हद तक आरती अपने आप को कुछ छोटा महसूस करने लगी, क्यों की आरती रमेश को सच के तराजू में तोलना चाहती थी और रमेश तो पहली परीक्षा में ही पास हो गया। रमेश के बारे में आरती को और जानने की जिज्ञासा हुई।

    आरती (प्रीती के स्वाँग में) ने पूछा, “हालांकि मैं भी यह स्वष्ट कर दूँ की मैं कोई ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ जो मर्दों से सेक्स के बारे में आम चैट करे या आगे बढे। मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ और मुझे वास्तव में पर पुरुष से ऐसा कुछ करना अच्छा नहीं लगता। मेरे पति बार बार मुझे आग्रह करते हैं की मैं भी मर्दों से खुल कर चैट करूँ। यह आईडी उन्होंने ने ही बनाकर दी है मुझे। तो मैं कुछ हद तक मजबूरी में चैट कर रही हूँ। पर आप से बातें कर मुझे अच्छा लग रहा है।”

    रमेश ने कहा, “जब तुम चैट करने लगी ही हो तो यह अच्छा रहेगा अगर तुम मुझ से खुल कर बात करो। हम हमारे जीवन में समाज के सामने कई मुखौटों के पीछे अपना असली रूप छुपाये रहते हैं। मैं शुरूआत में जब तक तुम्हें यह तसल्ली ना हो की मैं वाकई में विश्वास के पात्र हूँ या नहीं तब तक मुझे अपना असली नाम, पता मत बताना। पर हाँ अपने मन की बात को मत छुपाना और वह मुखौटा हटा कर बात करना।”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “ठीक है। मुझे मंजूर है। मैं आपको अपने मन की बात बताउंगी। पर आप भी अपने मन की बात मत छुपाना।”

    रमेश, “ठीक है।”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “आप मुझसे करीब पंद्रह साल बड़े हैं। तो आप तो मेरे अंकल जैसे ही हैं। तो क्या मैं आपको अंकल कह कर बुला सकती हूँ?”

    रमेश, “वैसे तो हम दोस्त हैं, पर मुझे तुम अंकल कहोगे तो कोई ख़ास आपत्ति नहीं।”

    रमेश, “प्रीती एक बात पूछूं? क्या मैं तुमसे खुल्लमखुला बात कर सकता हूँ? तुम बुरा तो नहीं मानोगी?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “हाँ अंकल कीजिये खुल्लमखुला बात। बुरा नहीं मानूंगी, पूछो।”

    रमेश, “प्रीती तुमने कभी किसी से चुदवाया है?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “हाँ, मैं तो शादीशुदा हूँ ना? पति से किया है। होता है। हफ्ते में दो तीन बार तो हो ही जाता है।”

    रमेश, “तुम्हारे पति कैसा चोदते हैं?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अच्छे से करते हैं। काफी मजबूत हैं वह। जवान भी हैं, तो ठीक है। मैं खुश हूँ।”

    रमेश, “क्या तुम्हारा मन नहीं करता की कोई और मर्द तुम्हें चोदे?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अंकल क्या बात करते हैं जी? पता नहीं। ऐसा कभी सोचा नहीं।”

    रमेश, “तो सोचो ना? तुमने पति के अलावा किसी और मर्द से चुदवाया है?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “नहीं अभी तक तो नहीं। जब कॉलेज में पढ़ती थी तब एक रिश्तेदारी में ममेरे भाई ने कोशिश की थी , पर पकडे गए थे। कुछ हुआ नहीं।”

    रमेश, “इसका मतलब तुम आगे चलके चुदवा सकती हो?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “मैंने ऐसा तो नहीं कहा। शायद नहीं। आगे क्या होगा, क्या पता?”

    रमेश, “तुम्हारे पति का लण्ड कैसा है?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “कैसा हो सकता है? जैसा सब का होता है, वैसा ही है।”

    रमेश, “सब का एक बराबर नहीं होता। मेरा कहने का मतलब है, कितना लंबा है, कितना मोटा है?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अंकल कभी नापा नहीं। पर काफी बड़ा है। जब करते हैं तब अच्छा लगता है।”

    रमेश, “अच्छा? तुमने किसी और का लण्ड देखा है?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “हाँ, वीडियो में देखें हैं। वह तो बहुत बड़े और मोटे होते हैं। पर वह सब तो नकली होते हैं ना?”

    रमेश, “नहीं ऐसा नहीं है। मेरा लण्ड देखोगी?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “क्या बात करते हैं अंकल? नहीं। नहीं देखूंगी।”

    रमेश, “अरे एक बार तो देख लो। मेरी कसम। तुमने वैसे ही कई लण्ड नेट पर देखे हैं। एक और लण्ड सही। प्लीज?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अरे, देख कर मैं क्या करुँगी? अंकल कहीं आपकी नियत मुझ पर ऐसी वैसी तो नहीं ना? आप तो कह रहे थे की आप किसी और लड़की से प्यार करते हैं?”

    रमेश, “देखो प्रीती, यह सही है की मैं किसी और लड़की से प्यार करने लगा हूँ। पर वह एक तरफ़ा प्यार है। दुसरा मुझे तुमसे कुछ नहीं करना। सिर्फ देख तो लो?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “ठीक है, पर मैं कुछ नहीं दिखाउंगी आपको अंकल। यह उम्मीद मत रखना। मंजूर है तो बोलो, वरना अभी मैं कनेक्शन कट करती हूँ।”

    रमेश, “अरे नहीं, कट मत करना। अगर तुम मना करती हो तो मैं तुमसे नहीं कहूंगा की तुम अपना कुछ दिखाओ, ओके? प्रॉमिस। पर मेरा लण्ड तो देखो। तुम्हारा यह जो भ्रम है की मर्दों का लण्ड इतना बड़ा नहीं होता वह टूट जाएगा।”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “ठीक है। दिखाओ।”

    रमेश ने अपने लण्ड का छोटा सा वीडियो बनाया और हाथ से हिलाते हुए “प्रीती, प्रीती” ऐसा बोलते हुए अपना बड़ा मोटा तगड़ा लण्ड दिखाया।”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अरे बापरे! इतना बड़ा है आपका? तो आंटी की तो शामत ही आ जाती होगी?”

    रमेश, “और नहीं तो क्या, तुम सोचती थी मैं झूठ बोल रहा था? मैं इसी लिए तुम्हारा नाम बारबार लेता था ताकि तुम्हें यह यकीन हो जाए की वह मैं ही हूँ, कोई और नहीं।”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “अच्छा? अंकल आपका तो खासा मोटा है। मेरे पति का इतना बड़ा तो नहीं है।”

    रमेश, “बड़े लण्ड से चुदवाने का मन नहीं होता कभी?”

    आरती (प्रीती के स्वाँग में), “कैसी बातें करते हैं अंकल? मैं शादीशुदा हूँ। यह सब देखना तक ठीक है। पर आगे नहीं बढ़ सकती। ”

    इस बातचीत के बाद आरती की बात रमेश से ज्यादा तर औपचारिक ही रही। आरती हालांकि प्रीती के नाम से बात करती थी पर आरती ने भी रमेश को अपने जीवन की सारी बातें, अपना नाम और अपना और अपने पति का असली परिचय छुपाकर सही सही बतायीं।

    उधर अर्जुन रमेश से ज्यादा बात नहीं कर पाता था क्यों की रमेश अर्जुन को आरती मान कर अपने मन की बातें बताने लगा था और काफी भावुक हो जाता था जो अर्जुन को बड़ा ही बुरा लगता था क्यों की आखिर में तो वह रमेश को आरती का स्वाँग रचा कर धोखा ही दे रहा था। एक दिन तंग आ कर अर्जुन ने रमेश से कहा की वह आरती नहीं अर्जुन है।

    रमेश ने जब यह सूना तो उसे बहुत ही गहरा सदमा लगा। उसने अर्जुन से चैट करना बंद कर दिया। अर्जुन ने बार बार रमेश को मेसेज किया की वह पछता रहा था। माफ़ी मांग रहा था। पर रमेश ने कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया। यह सिलसिला करीब एक साल तक चलता रहा। पता नहीं क्यों, पर रमेश ने प्रीती से भी चैट करना बंद कर दिया।

    आरती पर तो इसका कोई ख़ास असर नहीं पड़ा, पर अर्जुन दुखी हो गया। उसे बड़ा अफ़सोस हो रहा था की उसने एक सरल इंसान को धोखा दिया। दूसरे यह भी था की अर्जुन के मन में रमेश के प्रति और भी सम्मान पैदा हुआ।

    अर्जुन के दिमाग में यह बात आयी की समय आ गया था की रमेश से आरती का परिचय करा दिया जाए। काफी सोचने के बाद अर्जुन ने रमेश को एक मैसेज भेजा, “रमेशजी, मैंने आपसे पहले भी माफ़ी मांगी है, पर आपने कोई जवाब नहीं दिया। पर अब मैं आपसे सच कहता हूँ की आरती मेरी पत्नी है। मैं उसको आपसे चुदवाना चाहता हूँ। आपकी आईडी जो आपने “अपनी बीबी को चुदवाओ” नाम से बनायी है उसे देख कर मैं आकर्षित हुआ था। मुझे भी मेरी बीबी चुदवानी थी…

    इसी लिए मैंने आप से कांटेक्ट किया था। मैं आपसे और कुछ भी चालबाजी नहीं करूंगा और आरती से आपको मिलवाऊंगा। वैसे आप आरती से “प्रीती” के नाम से आईडी थी चैट कर चुके हो। वह प्रीती नहीं आरती ही है। मैंने उसे कहा की अब अब वह आपसे आरती के नामसे ही चैट करे। बोलिये अब क्या आपने हमें माफ़ कर दिया? क्या आप आगे हम से चैट करेंगे?”

    अर्जुन को उसी शाम रमेश का जवाब आया, “अर्जुन भाई, मैं आपके कारनामों से बहुत दुखी हुआ हूँ। अभी तक मैंने आपके मेसेजेस का कोई जवाब नहीं दिया क्यूंकि मैंने आप से आरती समझ कर सच्चे दिल से अपनी इतनी सारी निजी बातें बतायी पर आपने मेरे साथ ऐसी धोखे बाजी की…

    पर चूँकि अब आप भी सच्चे दिल से कह रहे हो की आप को अफ़सोस हो रहा है इस लिए मैं आप को माफ़ करने के लिए तैयार हूँ। पर मेरी एक शर्त है। अगर आप आरती को वाकई में मुझ से चुदवाना चाहते हो फिर मैं और आरती जो चैट करेंगे उसमें आप बिच में नहीं आओगे। मैं आपका सम्मान करता हूँ और आपको कोई भी हानि नहीं पहुंचाऊंगा…

    मैं भी घरेलु इंसान हूँ। मेरे बच्चे हैं, माँ बाप हैं। बस पत्नी नहीं है। मैं तो आरती के साथ शादी करने के लिए भी तैयार हो गया था हालांकि उस टाइम मुझे पता नहीं था की मैं आरती से नहीं उसके हस्बैंड से चैट कर रहा हूं। मुझे पता ही नहीं की आरती शादीशुदा है। अब जब आप तैयार हो तो मैं विश्वास दिलाता हूँ की आरती को मैं अपनी पत्नी समझ कर उसका सम्मान करूंगा और पत्नी समझ कर ही चोदुँगा।”

    अर्जुन ने रमेश के मेसेज के जवाब में फ़ौरन लिखा, “मुझे आपकी शर्त मंजूर है। पर एक दिक्कत है। मेरे कहने पर आरती पराये मर्द से चैट करने के लिए तो तैयार हुई है पर मेरी लाखों कोशिशों और मिन्नतों के बावजूद मेरी पत्नी अभी किसी भी गैर मर्द से चुदवाने के लिए तैयार नहीं है। उसे कैसे तैयार करूँ यह मेरी समझ से बाहर है।”

    पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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