टक्कर से फ़क कर तक-7 (Takkar se fuck kar tak-7)

पिछला भाग पढ़े:- टक्कर से फ़क कर तक-6

राजन समझ गए कि मैं उनके लंड से चुदने के लिए बेताब हो चुकी थी। राजन ने ऊपर खिसक कर अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रखा। जैसे ही उनका लंड मैंने महसूस किया, तो मेरी चूत तिलमिलाने लगी। एक तो मेरी चूत तड़प रही थी कि राजन का लंड उसे चोदे। पर साथ में मेरी जान हथेली में आ गयी कि मेरा क्या हाल होगा जब यह लंड मेरी चूत में घुसेगा। पर यह मुसीबत तो मैंने ही अपने सर पर ली थी। मुझे उस लंड से चुदवाना तो था ही।

मैंने राजन का लंड मेरे हाथ में लिया। मैंने मेरी चूत पर रख कर मेरे भगवान को याद किया। मैं जानती थी कि मेरी चूत फटने वाली थी। इसमें कोई शक नहीं था। पर चुदवाये बगैर मैं राजन को छोड़ने वाली भी तो नहीं थी। मैंने मेरी चूत की पंखुड़ियों को अलग किया और मेरी चूत के छिद्र को उजागर किया। राजन ने मेरी चूत के छिद्र को देख कर एक हलकी सी सीटी बजायी और बोले, “रोमा, तुम्हारी चूत को एक-दम पिंकी-पिंकी है यार। गजब की सुन्दर चूत है तुम्हारी डिअर।”

जब मैंने राजन के मुंह से मेरी चूत की तारीफ सुनी तो तब तक मैंने जो औपचारिकता का ढोंग पाल रखा था, वह निकाल फेंका। मैंने हल्का मुस्कुराते हुए कहा, “पिंकी तो ठीक है पर उस पिंकी में यह तुम्हारा घोड़े के लंड जैसा लंड घुसेगा कैसे उसके अंदर? कुछ क्रीम या आयल लगाओ यार वरना कहीं मेरी यह चूत फट फटा गयी और खून निकलते हुए मैं यहीं ढेर हो कर मर मरा गयी, तो तुम्हें मेरे मरने पर जिंदगी भर जेल की हवा ना खानी पड़े। ज़रा सम्हाल कर चोदना यार।”

राजन ने उस शाम पहली बार मेरे मुंह से चूत, लंड, चोदना वगैरह स्पष्ट शब्द सुने। राजन ने शायद ध्यान भी नहीं दिया या क्या, पर वह मेरी बात सुन कर सावधान जरूर हो गए। राजन उठ कर बाथरूम गए, और शायद शैम्पू या कोई और बोतल में कुछ आयल जैसा चिकना प्रवाही ले आये जिसको उन्होंने अपने लंड पर और मेरी चूत में उंगली डाल कर बहुत बढ़िया तरीके से लगाया। मैंने मेरी चूत में वह आयल और उसके कारण काफी चिकनाहट महसूस की। मुझे तसल्ली हुई कि हो सकता है कुछ दर्द तो होगा। पर मैं कैसे भी राजन के लंड से ज़िंदा रहते हुए चुदवा जरूर पाउंगी।

राजन ने भी मुझे दिलासा देते हुए कहा, “मैं तुमसे तुम्हारा फ़ोन नंबर लूंगा। तुम तसल्ली रखो कि मैं तुम्हें बिल्कुल मरने नहीं दूंगा। मुझे जेल नहीं जाना और आगे कई बार जब मैं यहां आता रहूंगा तब मुझे तुम्हें और भी चोदना है। इसे आखरी बार मत समझना। तो अभी धीरे-धीरे ही डालूंगा। तुम बिल्कुल निश्चिन्त रहो। थोड़ा दर्द शुरू में हो सकता है, पर उससे अधिक तुम्हें कुछ नहीं होगा।”

यह कह कर राजन ने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के प्रवेश द्वार पर दाखिल किया। मैंने एक राहत की सांस ली जब मैंने महसूस किया कि राजन का लंड मेरी चूत में दाखिल हो चुका था। शायद वह मेरी चूत में एक चौथाई तक घुस चुका था। मुझे जरुर कुछ दर्द हुआ, पर शायद वह मेरे अंदाजे से बहुत कम था। मुझे कहां पता था कि राजन ने तो तब सिर्फ अपने लंड का टोपा ही मेरी चूत में डाला था। मेरी गांड के तले राजन ने एक तकिया लगा रखा था, जिसके कारण मैं राजन के नीचे लेटी हुई राजन के बाहर रहे लंड के कुछ हिस्से को थोड़ा बहुत देख पा रही थी।

हालांकि मेरी मुट्ठी में भी राजन के लंड का एक हिस्सा मैंने पकड़ रखा था। पर जब राजन ने मुझे शांत देखा तो अपने लंड को धीरे से एक और धक्का मारा,‌ और शायद उस समय लंड का एक चोथाई हिस्सा मेरी चूत में घुसा दिया। मैं दर्द के मारे चीख उठी। उसी समय पुष्पा दीदी की किलकारी भरी आवाज, “क्या बात है भाई? तुमने तो मेरी बात को बड़ी सीरियसली ले लिया यार! मेरा इंतजार भी नहीं किया तुमने यार।

यह तो उस रिसेप्शनिष्ट का भला हो कि उसने स्विमिंग पूल आ कर मुझे एक फर वाला सूती रॉब पकड़ा दिया, जिसे पहन कर मैं यहां पहुंच गयी। वरना तुम दोनों यहां ऐसे चिपक गए हो कि अगर मैं वहां राजन का इंतजार करती तो इंतजार करते हुए बूढी हो जाती।”

राजन ने चौंक कर पीछे देखा और उनके चेहरे के भौंचक्के और कुछ निराशा के भाव से मैं समझ गयी कि उन्हें शायद पछतावा हो रहा था कि उन्होंने अंदर आते हुए कमरे का दरवाजा क्यों लॉक नहीं किया। मैंने एक हाथ उठा कर राजन के गालों को दबाते हुए कहा, “कोई चिंता मत करो। मैं पुष्पा दीदी के सामने कई बार चुद चुकी हूं। बल्कि उन्होंने ही मुझे कई बार चुदवाया है। आज हम दोनों को इस तरह से मिलाना भी दीदी की ही चाल थी, और शायद मुझे पूल में गिराना भी दीदी की ही चाल थी।

आप से टकराने के बाद जब हम अंदर किटी पार्टी में गए, तब दीदी ने ही मुझ पर दबाव डाला कि हमें तुम्हें दुबारा स्विंमिंगपूल जाकर मिलना चाहिए। दीदी को पूरी उम्मीद की जो अभी हो रहा है, वह जरूर होगा, और यह हो उसके लिए दीदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।” राजन मेरी बात सुन कर कुछ आश्वश्त हुए।

दीदी जब मेरे करीब आयी और पलंग के पास अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी होकर राजन का लंड मेरी चूत में कुछ घुसा हुआ देख कर मुस्कुरायी और मेरी नाक को पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोली, “राजन से चुदते हुए तुम बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही हो। पर एक बात ध्यान रहे। तुम इस मामले में स्वार्थी मत होना। यार राजन का इतना प्यारा और तगड़ा लंड मुझे भी लेना है। तुम अकेली उसे मत खा जाना। मेरे लिए भी बाकी रखना।”

फिर राजन की और देख कर दीदी बोली, “राजन आप मेरे लिए भी कुछ बचा कर रखना यार। बाकी मैं और कुछ नहीं कहूंगी। मेरी सहेली है ही इतनी सेक्सी कि अगर तुम उसे चोदते हुए पूरे खाली हो भी गए, और मेरे लिए कुछ नहीं रख पाए, तो मैं तुम्हें दोष नहीं दूंगी। यह साली रोमा है ही ऐसी चुदास, कि अच्छे-अच्छों के सारे रस को अपनी चूत में चूस लेती है। किसी और के लिए कुछ भी नहीं छोड़ती।

मेरे पति को अपनी चूत से इसने ऐसे चूसा कि बेचारे रोमा को चोदने के दो दिन बाद तक मुझे चोदने का जोश ही नहीं जोड़ पाए। खैर अभी मैं बाथरूम में जाकर शॉवर में नहा कर वापस आती हूं। तब तक तुम मेरी सहेली को ऐसे चोदो, ऐसे चोदो कि वह आपके लंड की दीवानी हो जाए।“

मैंने दीदी की और मुस्कुरा कर देखा, फिर राजन की आँखों में आँखें डाल कर शरारत भरे लहजे में बोली, “राजन, तुम दीदी को देख कर यह मत सोचना कि उनकी उम्र हो गयी तो यह क्या चुदवायेगी। अरे मुझ से भले ही दस साल बड़ी है, पर चुदवाने में वह मुझसे बहुत ज्यादा सक्षम और चपल है। मुझसे वह मीलों आगे है। तुम पहले मुझे चोदो, फिर दीदी को चोदना। क्योंकि अगर दीदी को पहले तुमने चोदा तो तुम कहीं मुझे भूल ही ना जाओ। आज तुम्हारी चुदाई की क्षमता का पूरा परिक्षण होने वाला है।”

राजन ने अपना लंड थोड़ा मेरी चूत में और घुसेड़ते हुए मुझे बातों में उलझा कर रखते हुए कहा, “अक्सर मुझ से चुदवाते हुए मेरी सारी महिला दोस्त मेरे लंड की साइज़ के कारण डरती हैं। मेरी बीवी मुझसे चुदवाने से पहले सौ शर्तें रखती है। वह तो मुझे साफ़-साफ़ कहती है कि अगर मैं सिर्फ मेरे लंड का टोपा तक ही डालूंगा तभी वह मुझसे चुदवायेगी, वरना नहीं। पर मुझे लगता है कि आज मुझे भी कोई बराबरी का मिला है। तुम दोनों फ़िक्र ना करो, आज तुम भी कहोगे कि तुम्हें भी तुम्हारी बराबरी का कोई मिला है।”

पुष्पा दीदी नंगे राजन के पीछे जा कर फर्श पर ही खड़ी-खड़ी मेरी चूत में होले-होले लंड घुसेड़ने की कोशिश में लगे राजन की गांड के गालों को अपनी दोनों हथेलियों से सहलाते हुए बोली, “यार तुम्हारा बदन ऐसा कसा हुआ और कसरती है कि आज तो रोमा को और मुझे भी पहले कभी नहीं आया ऐसा मजा ही आ जाएगा। डालो अब रोमा की चूत में अपना लंड। बहुत ज्यादा रहम मत करो मेरी सहेली पर। वह तुम्हारा लंड भी ले लेगी।

थोड़ा दर्द होगा तो सह लेगी, पर मजा भी तो आएगा उसे! उसकी चूत तो देखो, कितना पानी छोड़ रही है यार! आज मैं तुम्हें एक वचन देती हूं। यह मेरी सखी और मैं, तुम्हारा लंड ले भी लेंगे और तुम्हें यह भी अहसास दिलाएंगे कि तुम भी कहोगे कि मिली थी दो महिलायें जो तुम्हारे मुकाबले की थी।”

दीदी की बात सुन कर मेरे तो तोते ही उड़ने लगे। मैं मन ही मन दीदी को गालियां निकालने लगी। यह दीदी मुझे मरवाने पर तुली थी क्या? अगर राजन ने दीदी की बात सुन कर मेरी चूत में कहीं बेरहमी से अपना लंड घुसेड़ दिया तो मेरी तो शामत ही आ जायेगी। मैंने डरते हुए दीदी को तो कुछ नहीं कहा पर राजन से बोली, “दीदी की बातों पर ध्यान मत देना। समभाल कर डालना प्लीज। मुझे इतनी जल्दी नहीं मरना यार!”

राजन ने झुक कर मेरे होंठों को शिद्दत से चूमते हुए मेरी चिंता का जवाब देते हुए कहा, “अरे रोमा डार्लिंग! तुम क्यों इतनी परेशान हो रही हो? दीदी जो कुछ भी कहे, मैं हूं ना? मुझे तुम्हें सालों साल तक चोदते रहना है। मैं कोई जल्दी में नहीं हूं। तुम जितना कहोगी मैं उतना ही अंदर डालूंगा।”

पुष्पा दीदी हमें चुदाई करते हुए छोड़ कर बाथरूम में नहाने चली गयी। राजन ने अपना लंड दो इंच और मेरी चूत के अंदर घुसेड़ा और दर्द के मारे मैं फिर से चीख उठी। मैं राजन के नीचे लेटी हुई सिर्फ अंदाज ही लगा रही थी, पर मुझे ठीक से पता नहीं चल पा रहा था कि सही में कितना हिस्सा अंदर गया, और कितना बाकी था।

जो मैं देख पा रही थी उससे यहीं पता चल रहा था कि तब भी राजन के लंड का काफी बड़ा हिस्सा चूत में नहीं जा पाया था। मैंने अपनी आँखें बंद कर दी। अब मुझे महसूस ही करना था। देख कर बेकार में घबराने से कोई फायदा नहीं था। जो होना था वह तो होगा ही यह सोच कर मैंने मेरा ध्यान मेरी चूत के अंदर लगाया, जिससे मैं राजन के लंड को मेरी चूत में अच्छे से महसूस कर सकूं और उससे दिया गया दर्द और उत्तेजना को पूरी तरह अनुभव कर सकूं।

पुष्पा दीदी कुछ ही देर में शॉवर में नहा कर सारे कपड़े निकाल कर बिल्कुल नंगी अपना बदन तौलिये से पोंछ कर, वापस मेरी बगल में पलंग पर चढ़ कर, अपनी टाँगों को फैला कर, अपनी चूत के दर्शन कराती हुई घुटनों के बल आ बैठी। वह बड़े प्यार से राजन को अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर घुसेड़ते और बाहर निकालते हुए देखने लगी। मैं दीदी को देख कर हल्के से मुस्कुरायी। राजन से चुदवाते हुए मैं अपना हाथ लम्बा कर दीदी की चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगी।

आखिर यही एक स्त्री का सौभाग्य है कि वह चुदाई के माध्यम से ना सिर्फ अपने पुरुष की कामवासना की पूर्ति कर सकती है, पर अपना सुख जो उसे उसकी जननेन्द्रिय में पुरुष के शिश्न से पैदा हो रहे घर्षण से मिलता है, उसका भली-भांति अनुभव कर उसका आनंद उठा सकती है।

मैंने तय किया कि कुछ भी हो जाए मैं राजन के लंड की मार चुप-चाप सह लूंगी पर चीखूंगी नहीं। अपने दाँतों को भींचते हुए मैंने राजन से कहा, “डालो यार अब जाने दो। जो होगा देखा जाएगा।”

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