पिछला भाग पढ़े:- टक्कर से फ़क कर तक-7
दीदी ने भी मेरी बात को जैसे समर्थन करते हुए कहा, “राजन, मेरी सहेली को अब यह तुम्हारे तगड़े लंड से चुदना ही है। उस पर रहम करने की कोई जरूरत नहीं। तुम चिंता मत करो। यह सब दर्द सह लेगी और ले लेगी तुम्हारा लंड भी। अब तुम शुरू हो जाओ, और चोदो रोमा को।”
मैंने कहते तो कह दिया पर मैं उम्मीद यही कर रही थी कि मेरी बात कहीं राजन गंभीरता से ना ले और अपना लंड धीरे-धीरे ही मेरी चूत में डाले। और हुआ भी यहीं। राजन ने मेरी और दीदी की बात पर बिल्कुल ध्यान ना देते हुए अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसे टेढ़ा-मेढ़ा करते हुए एक हल्का सा धक्का दे कर अपना लंड कुछ और मेरी चूत में घुसेड़ा। इस बार मुझे और भी दर्द हुआ, पर मैं चुप रही।
राजन ने समझा कि उसके लंड ने चूत में ठीक जगह बना ली थी। यह सोच कर राजन ने अपना लंड एक बड़ा धक्का मार कर और ज्यादा घुसेड़ा। इस बार दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया, और ना चाहते हुए भी मैं चीख पड़ी।
पर फौरन मैंने राजन का हाथ थाम कर उस से माफ़ी मांगते हुए कहा, “सॉरी राजन! दर्द तो हो रहा है पर मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है। अब मुझे धीरे-धीरे चोदना शुरू करो यार।”
राजन समझ गए कि मुझे बहुत दर्द हो रहा था, क्यूंकि मैंने मेरी आँखें सख्त भींच कर बंद कर दी थी, मेरे होंठ भी मैंने कस कर बंद कर रखे थे, और मेरे कपाल पर पसीना बह रहा था। पर साथ में मैं राजन से अच्छे से चुदना भी चाह रही थी। राजन जानते थे कि स्त्रियां सहनशीलता की मूरत होती हैं। उन्हें तो कई स्त्रियों का अनुभव था। मैंने अब सब राजन पर ही छोड़ रखा था। राजन बार बार उनके लंड पर वह आयल लगा रहे थे, तांकि उनका लंड आसानी से मेरी चूत में घुस पाए, और मुझे कम से कम दर्द हो।
राजन ने धीरे-धीरे होले-होले मुझे चोदना शुरू किया। मुझे बहुत ज्यादा दर्द तो हो रहा था, पर साथ में यह भी सच था कि दर्द की जगह मुझे राजन का लंड मेरे अंदर तक महसूस हो रहा था। मुझे एक अजीब सा दर्द भरा नशा महसूस हो रहा था। मुझे चुदवाते देख पुष्पा दीदी मेरे सामने आ कर खड़ी हो गयी।
पुष्पा दीदी मुझे चुदवाते देख कर हमेशा बड़ी उन्मादित हो जाती थी। उन्हें खुद चुदवाने से ज्यादा मुझे चुदवाते देख कर आनंद आता था। उनके पति और देवर से भी उन्होंने मुझे चुदवाया था और उन दोनों से मेरी चुदाई देख कर के ही दीदी बड़ी उत्तेजित हो जाती थी।
दीदी ने एक बार मेरे कपाल पर से पसीना पोंछते हुए मुझे सांत्वना देते हुए प्यार से माथे पर हाथ फिराते हुए पूछा, “बेबी, बहुत दर्द हो रहा है क्या?”
राजन के एक के बाद एक धक्के से मेरा पूरा बदन हिल रहा था। राजन का लंड तब तक काफी हद तक मेरी चूत में जा चुका था। उसके लंड का जबरदस्त अहसास मुझे चूत में अनुभव हो रहा था। दर्द और उत्तेजना के मारे मैं पागल हो रही थी।
राजन की चुदाई की मार सहन करते हुए ऊपर से नीचे तक हिलते हुए मैंने दीदी की और देख कर चेहरे पर कुछ हसी लाने की कोशिश करते हुए कहा, “दीदी, दर्द तो बहुत हो रहा है, पर एक अद्भुत सा आनंद मुझे महसूस हो रहा है। वह मैं आपको बता नहीं सकती। राजन ने जब पहली बार अपना लंड ताकत से टेढ़ा-मेढ़ा करके जैसे तैसे मेरी चूत के कुछ अंदर घुसेड़ा, तब तो मैंने सोचा कि मैं मर जाने वाली ही थी।
अब जब मुझे चोदते हुए वह आगे बढ़ता हुआ मेरी चूत की पूरी सुरंग में मेरी बच्चेदानी तक घुसने की कोशिश करता है, तो मेरी पूरी चूत की सुरंग भी खिच कर अंदर चली जाती है। इस के कारण मुझे काफी तीखा दर्द होता है। मेरे रोकने पर भी मेरी चीख निकल जाती है। मैं सिसकारियां मारने लगती हूँ। जब राजन का लंड मेरी चूत में घुस कर अंदर तक पहुंच जाता है तब मेरी चूत की सुरंग को ऐसे भर देता है जैसे वह मेरे बदन का ही हिस्सा हो। तब इतना संतोष और सुकून मिलता है कि मैं क्या बताऊँ?
मुझे यह एहसास होता है जैसे मैं राजन के लंड की ही नहीं उनके पूरे बदन की मालकिन हूँ, और मेरा पूरा बदन उनका है। मुझे लगता है जैसे यह लंड मेरी चूत में ही टिका रहे। जैसे चुदाई करते हुए कुत्ता और कुतिया एक दूसरे से चिपक जाते हैं ऐसे हम भी चिपके रहें। अलग ही ना हों।
मजा तब आता है जब राजन उनका लंड वापस खींचते हैं। उस समय जो मेरी चूत की त्वचा उनके लंड को खिसकने से कुछ हद तक खुद भी लंड के साथ खिच जाती है। उस समय जो आल्हादक उत्तेजना के साथ जो नशे वाला आनंद मिलता है, उसका वर्णन असंभव है। आज तक मेरी कभी भी इतनी गजब की उन्मादक चुदाई नहीं हुई।
राजन चुदाई में निष्णात लगते हैं। उनका लंड मेरी चूत को ना सिर्फ पूरी भर देता है और बल्कि पूरा फुला देता है। मुझे लगता है कि वह अंदर घुसा है तो बाहर ही ना निकले। पर जब निकलता है तो भी गजब का नशा और उत्तेजना को पैदा करता है।”
राजन मुझे मेरे ऊपर सवार हो कर चोदते हुए बार-बार मुझे बड़े प्यार भरी नजर से देखते थे। उनकी नजर में इतना घना प्यार देख कर मेरी चूत पानी-पानी हो जाती थी। मैं राजन की ऐसी प्यार भरी निगाहें देख कर हल्का सा मुस्कुरा देती, तो राजन नीचे झुक कर एक हाथ से मेरे स्तनों को पिचकाते हुए मुझे मेरे होंठों पर ऐसा प्यार भरा चुम्बन करते कि मैं राजन से चुदवाने के लिए अपने आप को बड़ा ही भाग्यशाली समझती।
मैं भी मेरा हाथ राजन की पीठ पर या उनकी गांड के गालों पर रख कर जब वह चूमने के लिए झुकते, तब मैं उनके बदन को मेरे बदन से कस कर सटा कर और चिपका कर रखने के लिए जोर से दबाती। जब राजन अपने बदन से मुझे चोदने के लिए जब तगड़ा धक्का मारते, तब मैं मेरी गांड और कमर ऊपर उठा कर राजन के लंड को और मेरी चूत में और घुसे ऐसा संकेत राजन को देती रहती थी। राजन मुझे चोदते हुए बार-बार मुझे कभी स्तनों को चूम कर, तो कभी मेरी गर्दन को, कभी मेरे कपाल को तो कभी मेरे होंठों को इतना प्यार करते थे, जितना मेरे पति ने भी कभी मुझे चोदते हुए नहीं किया।
पुष्पा दीदी ने पलंग के ऊपर चढ़ कर खुद घुटनों के बल बैठ कर राजन का सर अपनी बाहों में लिया, और उनकी आँखों में आँखें डाल कर उनकी नाक से अपनी नाक रगड़ कर बोली, “मेरी सहेली को इतने अच्छे से प्यार से चोदने के लिए शुक्रिया। मुझे मेरी सहेली को चुदती देख कर बड़ा ही सुकून मिलता है। मुझे लगता है जैसे मैं खुद चुदवा रही हूँ। इस तरह मुझे कोई दर्द नहीं होता पर बहुत आनंद मिलता है।”
राजन ने दीदी के होंठों से होंठ मिला कर दीदी का मुंह चूमते हुए कहा, “तुम दोनों सहेलियों का प्यार गजब का है। अक्सर दो औरतें एक दूसरे से ईर्ष्या में ही जलती रहती हैं। अगर एक चुदवाती है तो दूसरी उसकी निंदा करती है। पर आप रोमा की चुदाई देख कर खुश होती हो।”
मैंने महसूस किया कि राजन यह ध्यान रखते थे कि मुझे चोदते हुए उनका पूरा लंड मेरी चूत में नहीं घुसे। राजन यह समझते थे कि अगर उन्होंने उनका इतना बड़ा, लंबा, और मोटा लंड मेरी चूत में जबरदस्ती पूरा ही जैसे-तैसे कर घुसेड़ने की कोशिश की, तो अंदर तक पहुँचने पर मेरी बच्चेदानी को नुक्सान हो सकता था। मैं राजन की इस प्यार भरी सावधानी के लिए उनकी ऋणी थी।
उन्होंने मुझे चोदते हुए यह ध्यान रखा कि मुझे कोई शारीरिक नुक्सान ना हो। हालांकि मैं चाहती थी कि राजन मुझे ताकत से एक-दम बुरी तरह से चोदे। उसके लिए मैं बार-बार उनको उकसा भी रही थी। पर वह नादान नहीं थे, वह अनुभवी थे। उन्होंने कितनी ही महिलाओं को चोदा था। अपने लंड की ताकत वह जानते थे।
राजन मेरे ऊपर सवार हो कर मुझे एक के बाद एक धक्का पेल कर मेरी चूत में अपने तगड़े लंड से चोदते हुए दीदी के मुंह को भी चूम रहे थे। मेरे दोनों स्तनों पर राजन ने कब्जा कर रखा था। मेरे स्तन पूरी गोलाई में सख्ती से फुले हुए थे, और मेरे राजन के नीचे लेटे रहने पर भी पूरे उठे हुए थे।
दीदी भी मेरे एक स्तन से राजन का हाथ हटा कर उस को पकड़ कर जैसे कोई पुरुष उसे मसलता और रगड़ता है वैसे इधर-उधर मरोड़ने लगी। मेरी स्तनों की निप्पलों को अपनी उंगलियों में पिचकाते हुए कभी राजन को तो कभी मुझे देखते हुए दीदी मुस्कुराती हुई मेरी राजन से हो रही तगड़ी चुदाई देख रही थी।
राजन के चुम्बन से फारिग हो कर दीदी ने मुस्कुराते हुए राजन के सवाल के जवाब में बड़ी ही सहजता पूर्वक कहा, “मैं और रोमा भले ही सगी बहनें ना हों पर हम सगी बहनों से ज्यादा हैं। मैं बहुत ज्यादा चुदक्कड़ स्त्री हूँ। मुझे चुदाई कराये बगैर चैन नहीं पड़ता।
भगवान ने मुझे कुछ ऐसे ही बनाया है। जब मैं पहली बार रोमा से कहीं कोई पार्टी में मिली तो थोड़ी सी बात-चीत में ही मैं भांप गयी कि यह तो अपनी वाली है। मतलब यह भी मेरी तरह चुदक्कड़ है। तब से हमारी अच्छी जमती है। कोई अच्छा तगड़ा मर्द कभी ना मिला तो मौक़ा मिलने पर हम एक-दूसरे से लिपट कर हमारी भूख शांत करने की कोशिश करते हैं।”
दीदी ने झुक कर मेरे स्तन को मुंह में ले कर चूसने की कोशिश की। पर राजन के एक के बाद एक धक्के से मैं इतनी ऊपर-नीचे हिल रही थी कि दीदी के लिए अपने मुंह को मेरे स्तनों पर टिकाये रखना मुमकिन नहीं था। दीदी ने फिर घूम कर अपने दो घुटनों को मोड़ कर उन पर उभड़क बैठ कर अपनी चूत मेरे मुंह पर टिकाने की कोशिश की जिससे मैं उसे चूस पाऊं। पर वहां भी राजन के धक्कों के पेलने के कारण मैं दीदी की चूत चूस नहीं पायी।
दीदी ने तब राजन को अपना लंड मेरी चूत में ही रखते हुए मुझे चोदने से थोड़ी देर के लिए रोका। फिर अपनी चूत मेरे मुंह पर रख कर मुझे अपनी चूत में से रिस रहे अपने स्त्री रस का आस्वादन कराया।
दीदी भी राजन की चुदाई से बहुत ज्यादा कामातुर लग रही थी। उनकी चूत में से भी मेरी चूत की ही तरह रस बह रहा था। मैं दीदी के काम रस चाटने की बड़ी शौक़ीन थी। मेरी जीभ को दीदी की चूत को कुरेदते हुए मैं भी दीदी के स्त्री रस को कुछ देर चाटती रही। पर मेरी चूत राजन के तगड़े लंड से चुदने में कोई रुकावट बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। दीदी ने मेरी चुदाई ज्यादा देर ना रोकते हुए थोड़ी देर अपनी चूत चटवा कर हट गयी, ताकि राजन के लंड मेरी ठुकाई फिर से शुरू हो।
राजन का इतना मोटा और लंबा तगड़ा लंड पहले के मुकाबले तब थोड़ी और आसानी से मेरी चूत को चोद रहा था। हालांकि राजन अपना पूरा लंड मेरी चूत में नहीं घुसेड़ रहे थे। वह मुझे ऐसे चोद रहे थे जिससे उनके लंड का थोड़ा हिस्सा चूत के बाहर रहे।
राजन के नीचे लेटे हुए मैं यह महसूस कर रही थी कि राजन अपना लंड मेरी चूत में पेलते हुए थोड़ा पीछे हट कर अपने लंड को मेरी चूत में धकेलते थे, ताकि वह पूरा अंदर ना चला जाए और मेरी बच्चे दानी को नुक्सान ना पहुंचाए। उनके ऐसे एहतियात बरतने पर भी मुझे चोदते हुए मेरी बच्चेदानी पर उनका बहुत लम्बा और मोटा लंड काफी जोरदार टक्कर मार रहा था।
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