संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-20 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-20)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-19

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

मौसी जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, उनका बदन काले बेबी डॉल नाइटी में लिपटा हुआ था। हल्के पारदर्शी कपड़े से उनकी दूध सी गोरी चमड़ी झलक रही थी। ऊपर की तरफ़ गहरे कट से उनके गोल-गोल बूब्स आधे बाहर थे, बीच की दरार गहरी खाई की तरह भरी हुई चमक रही थी।

पतली डोरी उनकी गर्दन के पीछे बंधी थी, जिससे उनके कंधे और उभरी हुई पीठ और भी ज्यादा निखर रहे थे। नाइटी की झीनी परत नीचे तक जाते-जाते उनकी चिकनी जाँघों को खुला छोड़ रही थी। चलते हुए हर बार नाइटी सरक कर उनकी गोल-मटोल गांड का घेरा दिखा देती थी।

अंदर उन्होंने ब्रा-पैंटी तक नहीं पहनी थी, जिससे कपड़े के आर-पार गुलाबी निप्पल और झाँकती हुई चूत की लाइन साफ़ नज़र आ रही थी। उनके गीले बाल कंधों पर लटक रहे थे और जिस्म से नहाने की भीनी खुशबू फैल रही थी। होंठ लाल लिपस्टिक से चमक रहे थे, और आँखों में ऐसी शरारती प्यास थी कि कोई भी मर्द उनका ये रूप देख अपनी नज़रें हटा ही नहीं सकता था।

मौसी का ये हुस्न बस एक इशारा कर रहा था, कि ये नाइटी सिर्फ़ देखने के लिए नहीं, बल्कि फाड़ देने के लिए पहनी हुई थी।

मौसी देखने में किसी पूरी पॉर्न MILF से कम नहीं लग रही थी। उनका स्लिम-फिट फिगर, सी-कट कमर और पीछे को निकली हुई मोटी गांड बस लंड को खड़ा करने के लिए काफी थी। उन्हें इस हाल में कोई भी कमजोर लड़का देख ले, तो बिना छुए ही पेंट में झड़ जाए।

मौसी आइने के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहार रही थी। काली बेबी डॉल नाइटी से बाहर झाँकते उनके बूब्स और नीचे झलकती जाँघें जैसे खुद उन्हें ही मदहोश कर रही थी। उन्होंने अपनी जुल्फें सँवारते हुए होंठों पर हल्की मुस्कान डाली और फिर अपने ही होंठों को होंठों से रगड़कर चाटा। इसके बाद एक कातिलाना नज़र गेट की ओर फेंकी, जैसे अब वो आरिफ का बेसब्री से इंतजार कर रही हो।

कुछ ही पल बाद गेट खुलने की आहट होती है। मौसी फौरन पलट कर उसी तरफ देखती हैं। आरिफ अंदर आता है और उसे देखते ही मौसी के चेहरे पर शरारती मुस्कान जम जाती है। उधर आरिफ मौसी को इस हुस्न भरे रूप में देख कर वहीं थम सा जाता है। दोनों की आँखें टकराती हैं और कुछ पलों तक एक-दूसरे में खो जाती हैं।

जैसे ही आरिफ कमरे का गेट लॉक करता है, उसका सब्र टूट जाता है। वो झपट कर मौसी की तरफ बढ़ता है। मौसी भी जैसे इसी लम्हे का इंतजार कर रही थी। वो आरिफ से चिपकते ही अपने होंठ उसके होंठों पर रख देती है।

अब दोनों के होंठ बेतहाशा एक-दूसरे को चूसने लगते हैं। आरिफ के हाथ सीधे मौसी की नंगी गांड तक पहुँच चुके थे, वो उसकी मुलायम फाँकों को दबाते-खोलते फिरा रहा था। मौसी उसके गले और पीठ पर अपने नाखून गड़ाती हुई और भी करीब खींच रही थी। उनकी साँसें तेज़ और गर्म हो चुकी थी।

आरिफ का लंड उसके पजामे में तड़प रहा था और मौसी ने शरारत से एक हाथ नीचे सरका कर पजामे के ऊपर से ही उसे मसलना शुरू कर दिया। आरिफ की कराहें उनके होंठों में ही घुल रही थी। दोनों की वासना अब किसी भी पल उफान मार कर फट पड़ने वाली थी।

मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मौसी इतनी गर्म मिज़ाज औरत होंगी। मेरे दिमाग में बार-बार यही सवाल गूँज रहा था, क्या ये सब सिर्फ़ एक तगड़े मूसल लंड का कमाल था, या माँ और मौसी जैसे जिस्मों में वैसे ही ज़्यादा आग भरी होती है? मेरा मन तरह-तरह की गंदी बातें सोचते हुए और भी गरम हो रहा था।

करीब दस मिनट तक आरिफ लगातार मौसी के होंठ चूसता रहा। दोनों की ज़ुबानें पागलों की तरह एक-दूसरे में फँसी हुई थी। फिर आखिरकार आरिफ ने होंठ अलग किए और हाँफते हुए बोला: डार्लिंग… इस तरह की गर्मा-गर्म एंट्री मेरी लाइफ़ में पहले कभी नहीं हुई।

मौसी शरारती मुस्कान के साथ बोली: अगर तुम थोड़ी देर और लगाते… तो शायद मैं खुद तुम्हें ढूँढते-ढूँढते बाहर चली आती।

आरिफ ने दोनों हाथ मौसी की गांड पर कसकर रख दिए और दबाते हुए बोला: उसमें तो मुझे और मज़ा आता बेबी। पूरा रिसॉर्ट हमारा है, जहाँ मर्ज़ी तुम्हें नंगा कर सकता हूँ।

मौसी उसकी आँखों में देखते हुए होंठ चाट कर बोली: लेकिन फ़िलहाल… हमें यहीं कमरे में करना चाहिए। इन चार दीवारों के बीच मेरी सिसकारियाँ सिर्फ़ तुम ही सुनो। मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे अलावा कोई और मेरे जिस्म को देखे।

मौसी को ये कहाँ पता था कि इन चार दीवारों के बीच मैं भी छुपा हुआ था। उनकी सिर्फ़ सिसकारियाँ ही नहीं, उनका हर इंच सुलगता जिस्म देखने वाला भी मैं ही था।

मौसी ने आरिफ का कुर्ता उतारते ही उसे ऊपर से पूरा नंगा कर दिया। मेरे होश उड़ गए। आरिफ की साइजदार बॉडी अब तक कपड़ों के अंदर छुपी हुई थी। उसकी चौड़ी, गोरी और कड़क छाती, सख़्त उठी हुई सिसक पेक, और मांसल बाज़ू… सब देख कर मैं समझ गया कि औरतें क्यों उस पर मरती होंगी। मजबूती और कट्स में तो आरिफ, जुनैद से भी कहीं आगे था।

मौसी कुछ पल के लिए वहीं खड़ी उसकी बॉडी को निहारती रह गई। उनकी आँखें आरिफ के हर कट, हर मांसपेशी पर घूम रही थी। फिर धीरे-धीरे पास आकर उन्होंने अपनी कोमल, गीली होंठों से उसकी छाती पर किस्स की बौछार कर दी। हर किस्स के साथ आरिफ का लंड पजामे के अंदर ही जोर से फड़क रहा था, मानो बाहर निकलने को मचल रहा हो।

फिर अचानक मौसी की नज़र उसके तड़पते मूसल पर अटक गई। उन्होंने होंठों को अपने ही होंठों से दबाते हुए शरारती आवाज़ में कहा: आरिफ जी… आपका ये मूसल मेरे होंठों का रस पीने के लिए बेक़रार है। इसे तो अब आज़ाद करना ही पड़ेगा।

आरिफ ने होंठ चाटते हुए मुस्कुरा कर जवाब दिया: जान… सिर्फ़ होंठों का ही नहीं, तेरी चूत का भी ये प्यासा है।

इतना कह कर आरिफ चार कदम पीछे हट कर बेड के किनारे आ खड़ा हुआ। मौसी उसकी आँखों में झाँकते हुए झुक गई और उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया। आरिफ बैठ गया, अपनी टाँगे चौड़ी कर ली। मौसी घुटनों के बल उसके बीच में आकर बैठ गई और पजामा खींच कर पैरों से उतार फेंका।

अब सामने सिर्फ़ उसका लंड खड़ा था। मोटा, गोरा, और इतना ज़्यादा आकर्षक कि मैं छुप कर भी खुद को रोक नहीं पा रहा था। मौसी हल्के हाथों से उसे मुठियाने लगी, उनकी आँखें सीधे आरिफ की आँखों में टिकी हुई थी। आरिफ ने अपने हाथ से मौसी की खुली जुल्फें चेहरे से साइड की और उन्हें और भी दीवाना कर दिया।

आरिफ का लंड देख कर मुझे वही बात याद आ गई जो मौसी ने एक बार मम्मी से कही थी। वाकई… आरिफ का मूसल किसी घोड़े जैसा था। उसकी गोरी चमड़ी, और ऊपर से छतरी जैसी मोटी, उभरी हुई सुपारी। जुनैद के लंड के मुकाबले ये सिर्फ़ मोटा ही नहीं, बल्कि औरत के लिए चुंबक जैसा खिंचाव वाला था।

मौसी ने अपने गुलाबी होंठ हल्के से खोले और धीरे से उन्हें आरिफ के मोटे लंड के अगले सिरे पर रख दिया। उनके गर्म होंठ जैसे ही उसके सुपारे को छुए, आरिफ की सांसें तेज़ हो गई। मौसी ने होंठों को और चौड़ा किया और धीरे-धीरे पूरा मोटा, छतरी जैसा सुपारा अपने मुँह के अंदर भर लिया।

आरिफ का मोटा सिरा उनके होंठों को इतना खींच रहा था कि उनके गाल फूल गए। फिर मौसी ने अपना सिर हल्के-हल्के आगे–पीछे हिलाना शुरू किया। हर बार जब उनका मुँह आरिफ के गोरे लंड पर चढ़ता-उतरता, उनका गीला लार का रस उसके चारों ओर फैल जाता।

उनकी जीभ सुपारे के चारों ओर लगातार घूम रही थी, कभी टिप पर चाटती, कभी पूरे घेरे को सहलाती। साथ में उनका हाथ भी लंड की जड़ को कस कर मुठिया रहा था। वो सच में किसी पॉर्नस्टार जैसी तड़प और भूख के साथ उसे चूस रही थी।

आरिफ ने उनकी खुली जुल्फों में हाथ फेरा और हांफते हुए बोला: आह… जान, तुम तो कमाल चूसती हो… उफ़्फ्फ… तुम सच में अद्भुत हो।

मौसी उनकी आँखों में देखते हुए और भी दीवानी हो गई। वो लंड को कभी धीरे-धीरे लॉलिपॉप की तरह चूसती, तो कभी तेज़-तेज़ अपने गले तक उतार लेती। उनका यह अदांज इतना गंदा और सेक्सी था कि सिर्फ़ आरिफ ही नहीं, मैं भी छुपकर कांप रहा था।

करीब दस मिनट की नॉन-स्टॉप चुसाई के बाद आरिफ का गोरा मूसल चमचमा उठा था, उसकी मोटा टोपा लाल हो चुकी थी और पूरा लंड मौसी की लार से भीग कर चिकना हो गया था।

अब मौसी धीरे से खड़ी हुई और आरिफ की बाहों में समा गई। आरिफ ने उन्हें कस कर सीने से लगाया और पीछे से उनकी नाइटी की डोरी खोल दी। डोरी ढीली पड़ते ही उनकी पूरी पीठ नंगी हो गई और नाइटी सरक कर कमर पर आ रुकी।

आरिफ की आँखें जैसे ही मौसी के उभार पर पड़ी, उसने होंठों पर जीभ फेरी और झुक कर उनके रसीले, बड़े-बड़े बूब्स को बारी-बारी से पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया। मौसी सिसकियों में कराह उठी और दोनों हाथ उसकी गर्दन में डाल कर अपने उभार और भी मुँह की तरफ दबाने लगी।

आरिफ कभी चूसता, कभी निचोड़ता, और मौसी हर बार उसके सिर को कस कर अपनी छाती पर दबा देती। कुछ ही पल में उनकी नाइटी पूरी तरह उतर गई और वो नंगी होकर बेड पर चढ़ गई।

उन्होंने अपनी आँखों से आरिफ को खींचते हुए एक उँगली से इशारा किया: आओ… अब मैं तुम्हें अपने पूरे जिस्म का स्वाद चखाती हूँ।

मौसी की रसीली चूत देखते ही मेरा लंड हिलोरे मारने लगा। उनकी पूरी क्लीन शेव पिंकी चूत ऐसे चमक रही थी जैसे अभी-अभी फूल की कली खिली हो। मोटे-मोटे गीले होंठों के बीच हल्के गुलाबी रंग की पंखुड़ियां बाहर झांक रही थी। बीच की लंबी दरार नीचे जाकर उनकी टाइट गांड के छेद से मिल रही थी।

आरिफ धीरे से उनके करीब आया और दोनों टाँगें चौड़ी करके फैला दी। फिर अपना मोटा मूसल उनकी भीगी दरार पर रख कर हल्के-हल्के रगड़ने लगा। मौसी ने होंठ दाँतों में दबा कर एक कातिल मुस्कान दी और उसकी आँखों में खो गई।

जैसे ही आरिफ ने अपना गरम टोपा उनकी चूत के मुहाने पर दबाया, मौसी की आँखें ऊपर की तरफ घूम गई और वो लंबी सिसकारी लेकर कराह उठी: आहहह्ह्ह्ह… उफ़्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़्फ़… आरिफ्फ्फ़… रुक जाओ… उंम्म्म… आईईईई…

लेकिन आरिफ का जोश थमने वाला नहीं था। उसने उनकी टाँगों को और फैलाया और एक हल्के झटके में अपना आधा मोटा लंड चूत में उतार दिया।

मौसी ने चीखते हुए दोनों हाथ बेड की चादर में गड़ा दिए: आआआईईईईईईईई… ओह्ह्ह्ह… आरिफ्फ़्फ़… मेरी चूत अभी इतनी बड़ी नहीं हुई… तुम्हारा ये घोड़े जैसा लंड तो मैं पहली बार ले रही हूँ… आह्ह्ह… प्लीज़… धीरे करो…

उनकी साँसें हाँफ रही थी, आँखें भीग गई थी, मगर जिस्म का हर रोम रोम उस मोटे मूसल की चोट से काँप रहा था। आरिफ ने कस कर उनकी कमर थामी और धीरे-धीरे अपने लंड को चूत में आगे-पीछे सरकाने लगा। हर धक्का उनकी भीगी दरार को और खींच रहा था।

वो उनके कान में झुक कर गरम सांस छोड़ते हुए बोला: जान… आज से तेरी चूत सिर्फ़ मेरे लंड की आदत डालेगी। धीरे-धीरे दर्द ख़त्म होगा और तेरे अंदर तड़प बस जाएगी… मेरी हर धड़कन के साथ।

आरिफ अपने आधे लंड को ही अंदर-बाहर करता हुआ मौसी की चुदाई में डूबा था। हर धक्का उनकी भीगी दरार को थोड़ा-थोड़ा और खोल रहा था। मौसी दर्द से कराह रही थी, लेकिन कब उनका गीला रस उस मोटे लंड को फिसला कर पूरा अंदर तक निगल गया, उन्हें खुद भी पता नहीं चला।

अब उनकी चीखें बद्दुआ जैसी दर्द भरी आवाज़ से बदल कर मस्त सिसकारियों में ढल चुकी थी। वो दोनों टाँगें पेट तक मोड़ कर पूरी फैलाए लेटी थी और हर झटके के साथ अपने जिस्म को आरिफ की मस्ती में सौंप रही थी।

मौसी के होंठ काँप रहे थे, आँखें बंद होकर उलटने लगी और वो बेसुध होकर कराह रही थी: आहह्ह्ह… उफ़्फ्फ्फ़्फ़… हम्म्म्म्म… म्म्म्म… हाँ आह आह… आरिफ़्फ़्फ़… मजा ही आ गया… इस तरह की चुदाई तो किसी ने कभी नहीं दी मुझे… तुम्हारी ताक़त ने तो मुझे इस मूसल का गुलाम बना दिया है… उफ़्फ़्फ़्फ़… आईईईई…

वो कराहते-कराहते हाँफ उठी, फिर होंठ काटते हुए बोली: अब समझ में आता है क्यों मेरी बहन सविता जुनैद की चुदाई से पागल रहती है… ये मूसल तो चूत को जकड़ कर सीधा बच्चेदानी तक धँस जाता है… उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़…

आरिफ ने मुस्कुरा कर मौसी को पकड़ कर घोड़ी की तरह पलटा। वो बिस्तर पर घुटनों के बल झुकी और उनकी गोल, उभरी हुई गांड उसकी आँखों के सामने उभर आई।

मैंने दूर से देखा, क्या जबरदस्त गांड थी! एक-दम टाइट गोलाई, जिस पर अगर हल्की थपकी पड़े तो पूरी गांड का गोला थरथराने लगे। उनका पिछवाड़ा किसी फिल्मी हसीना से कम नहीं था। गांड का छेद हल्का फैला हुआ, डार्क ब्राउन रंग लिए, जैसे कोई खुला फूल सजा हो।

आरिफ ने बिना वक्त गँवाए अपना मूसल फिर से उनकी चूत पर सैट किया और एक ही जोरदार धक्का मारा। पूरा मोटा लंड एक बार में ही चीरता हुआ उनकी भीगी दरार से सरक कर गहरे अंदर घुस गया।

मौसी चीख उठी, उनके हाथ पलंग की चादर में जकड़ गए: आआआह्ह्ह्ह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़… जालिम! घोड़े की तरह ठोक दिया लंड एक ही बार में… सीधा बच्चेदानी तक जा लगा… आह्ह्ह्ह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़… आज तो सच में मर्द घोड़े की घोड़ी बन गई मैं… उह्ह्ह्ह्ह… आआआह्ह्ह्ह…

उनकी चीखों और सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था, और आरिफ़ एक-दम जानवर की तरह उनके अंदर अपना लंड ठोक रहा था। आरिफ अब और भी तेज़ धक्के मारने लगा। हर बार जब उसका मूसल मौसी की गहराई तक घुसता, उनकी बड़ी गांड की गुदगुदी थरथराहट से पूरा बेड हिल उठता।

मौसी हांफते हुए अपनी सांस रोक-रोक कर सिसकारी भर रही थी: आहहह… उफ्फ्फ्फ आरिफ… इतना गहरा… हाय मम्म्म… मेरी चूत तो फट जाएगी… उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ…

उनकी भीगी चूत अब हर धक्के पर छप-छप की आवाज़ कर रही थी। आरिफ की जांघ जैसे ही उनके कूल्हों से टकराती, मौसी का पूरा बदन कांप उठता।

कुछ ही देर में मौसी ने अपनी कमर और भी ऊपर उठा कर आरिफ का पूरा मूसल निगल लिया और चीखते हुए बोली: आहहह… मैं झड़ गई… उफ्फ्फ्फ… निकाल मत… ऐसे ही ठोकते रहो…

उनका बदन ढीला पड़ गया और वो हांफते हुए बेड पर लुढ़क गई। लेकिन आरिफ अब तक एक बार भी नहीं झड़ा था। उसने तुरंत मौसी को पलट कर सीधा किया और उनकी टांगें उठा कर अपनी कमर पर टिका दी। मौसी की आँखों में उस वक्त अजीब सा संतोष और पिघलती हुई प्यास थी। उन्होंने होंठ भींच कर खुद को समर्पित कर दिया।

“आरिफ… तू तो मुझे मार ही डालेगा आज… उफ्फ्फ्फ्फ्फ…,” मौसी ने उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कराह कर कहा।

आरिफ ने उनकी आँखों में देखते हुए लगातार जोरदार धक्के मारे। हर धक्के पर मौसी का सीना ऊपर उछल रहा था, उनकी गर्दन पीछे झुक चुकी थी।

आरिफ ने दांत भींचते हुए कहा: मौसी… आज मैं तुझे पूरा भर दूँगा…

कुछ ही देर में उसने एक गहरी कराह भरी और अपना मूसल पूरी तरह उनकी चूत में गाड़ कर वहीं थम गया। गरम गाढ़ा वीर्य मौसी की गहराइयों में भरने लगा। मौसी की आंखें बंद हो चुकी थी और वो उसकी पीठ को कस कर पकड़ कर होंठ चूमने लगी।

धीरे-धीरे वीर्य उनकी चूत से बह कर बाहर आने लगा। मौसी ने हाथ बढ़ा कर उंगली से वीर्य उठाया, होंठों तक ले जाकर चाटते हुए मुस्कराई: हम्म्म… तेरे रस का स्वाद ही अलग है आरिफ…

कुछ देर आराम के बाद मौसी खुद उसके कान में फुसफुसाई: अबकी बार मेरी गांड मार… आज मुझे पूरा मर्द घोड़ा चाहिए।

रात भर आरिफ ने दो बार मौसी की गांड फाड़ी, और मैं बाहर से सब कुछ देखता-सुनता अपनी ही आग में जलता रहा। मैं मानो कसम खा चुका था… उस रात मैं भी दो-दो बार झड़ चुका था, बिना छुए बस उनकी कराहों और थरथराती गांड को देख कर।

तो दोस्तों इससे आगे क्या हुआ, वो आपको मैं अगले भाग में बताऊंगा। उम्मीद है ये चुदाई से भरी ट्रिप अब तक आपके लंड को गरम कर चुकी होगी। कहानी कैसी लगी? अपना विचार और अपनी गीली-गर्म बातें मुझे लिख भेजो [email protected] पर।

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