पिछला भाग पढ़े:- दीदी का देवर-5
मेरा नाम रिया पंडित है। मैं अभी 22 साल की हूं, और BA फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही हूं। पिछली कहानी में आप पढ़ चुके हैं कि किस तरह दीदी के देवर ने मेरी मम्मी की चुदाई बाथरूम में ही कर दी, और उसके बाद मेरी मम्मी को पछतावा होने लगा, और वह शावर के नीचे ही बैठ कर रोने लगी। अब आगे-
शाम को पूरा परिवार बैठ कर साथ में खाना खा रहे थे। लेकिन मम्मी थोड़ी उदास लग रही थी। वह विजय से अपनी आंखें नहीं मिला रही थी। वह हमसे नज़रे चुराते हुए खाना सब को खिला कर खुद भी खा ली और बाद में सोने चली गई।
सुबह मैं जब उठी तब देखी की मम्मी भाई और पापा को नाश्ता खिला रही थी, और मुझे बोली कि जाकर फ्रेश हो जाओ और बैठ कर नाश्ता कर ले। मैं भी जाकर फ्रेश हुई, और नाश्ता कर ली। जब नाश्ता कर रही थी तभी भाई और पापा अपने काम के लिए निकल गए। मैं भी नाश्ता करके अपने रूम में जाने लगी।
तभी विजय आया और नाश्ते के लिए बैठा। मम्मी उससे नज़रें चुराती हुई नाश्ता परोसने लगी, और वह परोस कर जाने को हुई तभी विजय ने मम्मी का हाथ पकड़ लिया और बोला-
विजय: मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई सासू मां, कि आप मुझसे नज़रे ही नहीं मिला पा रही हैं? क्या हम दोनों ने कोई पाप कर दिया है?
मम्मी की आंखों में आंसू आ गए। विजय ने मम्मी को अपनी बाहों में भर लिया, और उनके चेहरे को अपने हथेलियां में लेकर उनके आंसू को पूछ लिया। फिर उनके माथे को किस्स करते हुए बोला-
विजय: आप इतना पछतावा मत करो। हमने कोई पाप नहीं किया है। हम दोनों के बीच प्यार था, जो उमड़ कर बाहर आ गया, और आगे भी आएगा। तो क्या आप इसी तरह तड़पती रहोगी?
और यह बोलते हुए विजय ने मम्मी के होंठों पर अपने होंठ रख दिये, और मम्मी के होंठों पर छोटा सा किस्स कर दिया, और फिर अलग हो गया? मम्मी वहां से किचन में चली आई, और अपना काम करने लगी। विजय अपने गेस्ट रूम में जा कर आराम करने लगा। मैं भी अपने कमरे में थी, परंतु मेरी नज़र हमेशा मम्मी पर रहती थी, कि वह इतनी उदास क्यों थी?
फिर कुछ देर बाद मम्मी गेस्ट रूम में गई। मैं भी उनके पीछे-पीछे गई, और जाकर ताक-झांक करने लगी। मम्मी गेस्ट रूम में जाते ही उसका दरवाजा बंद की, और विजय के पास जाकर बैठ गई। विजय उन्हें एक टक देख रहा था।
मम्मी: हमने जो कुछ भी किया वह बहुत गलत है। हमारे बीच यह सब नहीं हो सकता। हमारे बीच उम्र का एक बहुत बड़ा फासला है। तुम्हें अपनी उम्र के लड़कियों के साथ मस्ती करनी चाहिए। मैं तुम्हारी उम्र से बहुत बड़ी हूं।
विजय उनकी बातों को सुनता रहा, और उनकी आंखों में देखता रहा। पर कोई जवाब ना दिया। मम्मी फिर से बोलने लगी-
मम्मी: विजय मैं तुमसे बात कर रही हूं। तुम्हें वह सब भूलना होगा, जो कुछ भी हमारे बीच हुआ।
फिर विजय मम्मी के चेहरे को अपनी हथेलियां में लेकर पड़े प्यार से उन्हें बोलने लगा-
विजय: क्या फर्क पड़ता है सासू मां। हम वैसे भी शादी नहीं कर रहे हैं। और हमने थोड़े मजे कर लिए तो कौन से पाप कर लिए? और क्या फर्क पड़ता है उम्र क्या है? मजे के लिए कोई उम्र नहीं होती। किसी भी उम्र में कभी भी किसी के साथ किया जा सकता है, और वैसे भी हमने जो कुछ भी किया वह सीक्रेट है, और हमारे बीच ही रहेगा। फिर आप क्यों डर रही हो?
यह कहते हुए विजय ने मम्मी के होंठों पर होंठ रख दिए। मम्मी को भी उसकी बातें बहुत बड़ी और गहरी लगी, और वह बिना विरोध के उसके होंठों को चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद विजय मम्मी को चूसते हुए उनके पूरे बदन को सहलाने लगा। मम्मी को भी अब अच्छा लगने लगा था। वह अपनी आंखें बंद करके उसके बालों को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसके होंठों को चूस रही थी।
फिर विजय ने मम्मी के होंठों को छोड़ा, और उनके माथे को चूमते हुए बोला: हमारे बीच मजा हमेशा ही ऐसे बना रहेगा। आप अभी जाओ, और आराम करो।
मम्मी को तो जैसा झटका सा लगा। वह चाहती थी कि पूरी संतुष्टि मिले, पर विजय को इस तरह मना करने से वह कुछ ना कह सकी, और वहां से उठ कर चली गई। उसके बाद विजय अब मम्मी को छूता नहीं था, बस उनके साथ बातें करता था। वह भी अच्छी-अच्छी। मम्मी अब उसके टच के लिए तड़प रही थी। वह बार-बार उसकी ओर देखती, उसकी आंखों में देखती, उसे भड़काने की कोशिश करती, कि वह उन्हें बाहों में पकड़ ले। पर विजय कुछ नहीं कर रहा था।
इसी तरह मम्मी के दो-तीन दिन बीत गए, और विजय को अब घर जाने भी था। उसने मम्मी से इजाजत मांगी कि वह कल घर जाना चाहता था। तो मम्मी भी उसे बोल दी की ठीक है, कल घर चले जाना। मम्मी बहुत उदास लग रही थी। विजय से वह गले लगना चाहती थी, पर विजय उनसे सटता ही नहीं था। वह बातें तो करता था, पर ऐसा दिखाने की कोशिश करता कि वह उनसे प्यार करता था, पर जबरदस्ती नहीं।
फिर दोपहर को बारिश आई। मैं अपने कमरे में थी। तब मम्मी कपड़े उठाने के लिए छत पर गई। बहुत घनघोर काले-काले बदल घिर आए थे। मम्मी ने जल्दी-जल्दी कपड़ों को उठा कर, नीचे लाकर फेंकने लगी। तभी विजय उठा और जाकर उनकी मदद करने लगा। उसने सारे कपड़े उठा लिए। कुछ एक कपड़े बचे थे। जब मम्मी उसे उठाने लगी, तब तक भीग गई थी। विजय भी उनके मदद करने के चक्कर में भीग गया। जब मम्मी भाग कर सीड़ियों के पास आने लगी, तभी विजय से वह टकरा गई, और आज कई दिनों बाद मम्मी विजय के बाहों में थी।
मम्मी बरसात में भीगते हुए विजय की आंखों में देख रही थी, और विजय भी मम्मी की आंखों में देख रहा था। थोड़ी देर बाद मम्मी ने खुद विजय के होंठों पर होंठ रख दिए, और दोनों में चुम्मा-चाटी शुरु हो गयी।
मम्मी आज भूखी शेरनी की तरह विजय को अपनी बाहों में पकड़े उसके होंठों को चूस रही थी। विजय भी बरसात में भीगते हुए मम्मी के चेहरे की हर बूंद को अपने होठों से पी रहा था। वो मम्मी के पूरे बदन को चूमने लगा। मम्मी मछली की तरह तड़प रही थी। विजय ने मम्मी को फर्श पर लिटा दिया। ऊपर से बारिश हो रही थी, और मम्मी बेचारी तड़प रही थी, और विजय मम्मी के पेट के हर हिस्से को चूम रहा था। वो मम्मी की चूचियों को दबा रहा था, और उनके नितंबों को दबाते हुए मम्मी की मुलायम जांघों को मसल रहा था।
इसी तरह मम्मी के हर हिस्से को चूमते हुए मम्मी को बारिश में ही गोद में उठाया, और उन्हें अंदर रूम में लाने लगा। मम्मी और विजय दोनों बाथरूम में आए, और अपने-अपने कपड़े निकाल कर नंगे हो गए। मम्मी को नंगा देख कर विजय से रहा ना गया। वह मम्मी की दोनों चूचियों को चूसने लगा, और बुर में उंगली करना शुरू कर दिया। मम्मी तड़पने लगी।
इसी तरह मम्मी के चूचियों को चूसने के बाद उसकी बुर को चूसा, और फिर दोनों गेस्ट रूम में नंगे ही चले गए। वहां मम्मी को बिस्तर पर लिटा कर उनकी टांगों के बीच में आ गया विजय, और अपने लंड को मम्मी की बुर पर रख कर बड़े प्यार से चुदाई करना शुरू कर दिया।
विजय मम्मी के बुर को चोदते हुए उनके होंठों को चूस रहा था, और दोनों चूचियों को दबा रहा था। ऐसे ही कुछ देर चोदा, और उसके बाद मम्मी को उल्टी लिटा दिया, और पीछे से उनकी बुर में धक्के मारना शुरू कर दिया, और कान के पास चूमने लगा। मम्मी बेचारी तड़पती हुई बेडशीट को अपनी मुट्ठी में भर ली थी।
विजय अब जोर-जोर से मम्मी की बुर को छोड़ रहा था, और मम्मी बेचारी आहें भर रही थी।
फिर विजय ने मम्मी को सीधा लिटाया, और उनकी एक टांग को अपनी कंधे पर रख कर बुर में लंड डाल दिया, और चोदने लगा। वो उनकी दोनों चूचियों को मसलने लगा। मम्मी बेचारी अपने होंठ अपने दांतों से काटने लगी।
थोड़ी देर ऐसे ही चुदाई के बाद फिर से मम्मी को उसने सीधा लिटाया, और उनकी टांगों के बीच में अपना लंड डाल कर उनके ऊपर लेट गया। फिर उन्हें बाहों में पकड़ कर जोर-जोर से चोदने लगा। मम्मी अपनी टांगों को उसकी कमर में लपेट ली थी, और चुदाई करवा रही थी।
इसी तरह जोर-जोर से दीदी के देवर ने मम्मी की बुर की चुदाई कर दी, और चुदाई करते हुए उनकी बुर में ही झड़ कर उन पर लेट गया। फिर उनके होंठों को चूसते हुए उनके बालों को सहलाने लगा। इसी तरह उस दिन दीदी के देवर ने मम्मी को दो बार और चोदा, और उसके बाद मम्मी बेचारी थक गई थी, तो शाम को खाना भी मैं ही बनाई, और सब को खिला-पिला कर सोने चली गई। मम्मी भी उस दिन थकी हुई थी, तो जल्दी सोने चली गई पापा के साथ।
उस रात जब मैं सो रही थी तब विजय मेरे कमरे में आया, और रात भर मेरी चुदाई की। उसके बाद सुबह में सबसे मिलने के बाद अपने घर के लिए निकल गया।