कहानी मेरे परिवार में हुए संभोग की-9

This story is part of the KAHANI MERE PARIWAR MEIN HUE SAMBHOG KI series

    पिछले भाग में आपने देखा कि चाची और मेरे बीच कैसे अनबन हुई थी। मैं घर आ गया और मां को बे मन से चोदा। नहां कर बाहर आया, तब चाची मां से कुछ बात कर रही थी

    अब आगे…

    चाची मां से बाते कर रही थी। मैं नहां कर उनके सामने आया तो मेरी ओर देख कर चाची मां से कहने लगी-

    चाची: दीदी आपने पिछले जन्म में कोई पुण्य का काम किया होगा, जिसके कारण आपको ऐसा बेटा मिला।

    मैं चुप चाप खड़ा रहा।

    चाची: कितना ख्याल रखता है आपका, और कितना आपको खुश रखता है। काश ऐसा मेरा भी बेटा होता।

    चाची मेरे और मां के बारे में जान बूझ कर मेरी ओर टोंट मारने के कारण ऐसा बोली। मां को मैं चोद कर खुश रखता था, इसलिए वो भी मन ही मन में खुश थी। मां ने चाची से बोला-

    मां: हां मेरा बेटा करोड़ों में एक है। मेरी बहुत परवाह करता है। मेरी खुशियों का ख्याल रखता है, और मुझे बहुत प्यार करता है।

    चाची: हां सही बोला आपने, काश मेरा भी ऐसा बेटा होता।

    मां: अरे ये तू ऐसा क्यों बोलती है? चीकू तेरा बेटा नहीं है क्या? भले ही वो मेरी कोख से जन्मा है, पर तेरे सगे बेटे जैसा है।

    चाची: तो मेरे इस बेटे से बोलो ना कि आज मुझे शॉपिंग कराने मार्केट ले जाए।

    मां: पूछती क्यों है? ले जा सीधे।

    चाची: ये चलेगा?

    मां: बोला ना पूछ मत, सीधे लेजा।

    चाची मेरी ओर देख के बोली-

    चाची: मेरा बेटा जाएगा अपनी छोटी मां के साथ?

    मैं: हां ठीक है, चलूंगा।

    चाची: ठीक है, फिर तू तैयार हो। मैं भी आती हूं।

    मैं घर पर तैयार होकर बैठा था। चाची तैयार होकर आई। वो टाइट सूट पहन कर आई जिससे उसकी गांड और दूध मेरी आंखों के सामने उभर कर आने लगे।

    उसने स्लीवलेस सिल्वर कुर्ता और येलो टाइट लेगिंग्स पहना था। वो सच में हॉट और सेक्सी लग रही थी।

    चाची: चले।

    मैं: हां।

    हम बाइक से जाने लगे, और मैं चुप था।

    चाची: आज तूने मेरी तारीफ नहीं की?

    मैं: हां, बहुत अच्छे लग रहे हो।

    चाची: बे मन की तारीफ मुझे पसंद नहीं, तू रहने दे। वैसे भी अब मैं कहां हॉट दिखूंगी तेरे को।

    मैं: ऐसी कोई बात नहीं है।

    मैं क्या बोलूं, क्या ना बोलूं लग रहा था। क्यूंकी कुछ भी बोलता, तो उसका वो दूसरा मतलब समझती। उससे अच्छा कुछ ना बोलो वही ठीक था समझ कर चुप रहा।

    कुछ देर बात हम मार्केट पहुंच गए। हमने मार्केट से थोड़ी बहुत सब्जी ली। चाची मेरे सामने बेधड़क अब खीरा ले रही थी, और मेरी ओर देख के ऐंठ रही थी।

    मैं: हां लेलो-लेलो बड़े-बड़े खीरे लेलो। वैसे भी वो खाने के काम तो आने वाले नहीं है। जितना मर्जी लेना है लेलो।

    चाची: मेरी मर्जी मैं खीरा खाऊं या कहीं डालू, तुझे क्या?

    मैं: हां मुझे क्या।

    हमने मार्केट से सब्जी ली, और हम माल चले गए। चाची को ड्रेस लेना था इसलिए। माल पहुंच कर चाची एक बड़े से वेस्टर्न वियर शॉप में गई

    चाची: चल मेरे लिए कुछ पसंद करते है।

    मैंने दूर खड़ा होकर उनको कपड़े लेने के लिए छोड़ दिया। चाची वहां के काम करने वाले से मेरी ओर इशारा करते हुए बोली-

    चाची: उसे अंदर आने को कहना।

    फिर मैं अंदर गया।

    चाची: बताओ ये नाइट ड्रेस कैसे लगेगी मुझपे?

    मैं: अच्छी लगेगी, जो लेना है लेलो।

    चाची: तुम अपनी बताओ, मुझमें क्या अच्छा लगेगा।

    मैंने शो केस में टंगे ब्लैक ट्रांसपेरेंट नाइट सूट को ओर इशारा किया। वो सब को देख कर चुप हो गई, और अपने पैर से मेरे अंगूठे को जोर से दबा दिया।

    शॉप के ओनर ने कहां: सर आपकी वाइफ बहुत सुंदर है। वो जो भी पहनेगी उनपे अच्छा लगेगा।

    चाची मेरी ओर देख कर हस पड़ी। चाची ने वही ड्रेस लिया, और चेंज करने के लिए जाने वाली थी

    ओनर: सर आप भी चले जाइए। आपकी वाइफ को देख कर बताना, कैसा लगा उन पर ये ड्रेस।

    मैं खुश हुआ, पर ना कहने लगा। इतने में चाची बोली ऐंठ कर हस्ते हुए-

    चाची: चलो ना, आप भी।

    मैं (शौक होके): नहीं, आप अकेले देख लो।

    शॉप ओनर: सर चले जाइए ना, हमारे चेंजिंग रूम बड़े और प्राइवेट है। यहां कोई दिक्कत नहीं है।

    मैं मजे ले रहा था अंदर ही अंदर।

    चाची: चलो अब चलो भी।

    ये करके मेरा हाथ पकड़ के चेंजिंग रूम में ले गई। चाची ने अपना सूट ऊपर से नीचे पूरा उतार दिया था, और वो अधनंगी खड़ी थी। मैंने उसको ऐसा पहली बार देखा

    था, और वो बहुत सेक्सी लग रही थी।

    उनके वो बड़े-बड़े बूब्स और फूली हुई गांड, हाए क्या नजारा था। मन तो कर रहा था पकड़ कर वहीं दबोच लूं। पर ऐसे करना सही नहीं समझा। क्यूंकि वो खुद भड़की हुई रहती थी मेरे लिए।चाची अपने कपड़े उतारे लगी, और मैंने शर्म के मारे मुंह घुमा लिया, और आईने की तरफ से देखने लगा।

    चाची: आईने से क्या देख रहे हो? जब मैं तुम्हारे सामने खुद खड़ी हूं।

    मैं: मैं आपको नहीं देख रहा हूं। आप कपड़े बदल लो, मुझे शर्म आती है।

    चाची: खीरा डालते हुए मजे से देख सकते हो, और कपड़े चेंज करते देखने में शर्म आ रही है। वाह रे मेरे बेटे!

    मैं: ऐसी बात नहीं है।

    चाची: मैंने तुझे कुछ करने से मना किया है, मुझे देखने से नहीं। अब देख ले कैसी दिख रही हूं।

    मैं घूम कर चाची की ओर मुड़ गया, और ऊपर से नीचे तक उनके चूचों और जांघों को घूरने लगा। उनकी चूत का शेप वाकई में काफी सुंदर था। चाची ने नाइटी पहनी, और बोली-

    चाची: बता कैसी लग रही हूं मैं?

    मैं बोल पड़ा: हॉट और सेक्सी लग रही हो। चाचा ऐसे देख कर खुद को समभाल नहीं पाएंगे।

    चाची: जैसे तू नहीं समभाल पा रहा, वैसे है ना?

    मैं: हां।

    चाची ने औध का परफ्यूम लगाया था, और उनके पसीने की महक दोनों मिल कर मेरा लंड खड़े करने में तुले हुए थे। मेरा लंड फौलाद जैसा खड़ा हो गया था उनको ऐसे देख कर। वो हूर की अप्सरा लग रही थी। चाची ने मेरा खड़ा लंड देख लिया और बोली-

    चाची: अभी तो कुछ हुआ भी नहीं, और तेरा हथियार उठ पड़ा है(हसने लगी)

    मैं: चलो हो गया। अब जल्दी करो वरना वो लोग क्या सोचेंगे?

    चाची: क्या सोचेंगे? उन्होंने तो हमको पति-पत्नी समझ लिया है, और क्या सोचना इसमें?

    मैं: फिर भी, अब चलो मैं बाहर जा रहा हूं।

    चाची मुझसे हस्ते हुए बोली: आप भी कुछ लेलो जी।

    शॉप का ओनर भी बोलने लगा: हां सर मैडम बोल रही है तो उनकी खुशी के लिए तो लेलो।

    मैं चुप रहा और

    हमने पैसे दिए ड्रेस के लिए और बिल देकर वहां से निकल गए।

    मुझे लग रहा था चाची जान बूझ कर ये सब मुझे जलाने के लिए कर रही थी। क्योंकि हमारे यहां खुद कपड़ों की दुकान थी। फिर भी वो वहां नहीं गई।

    मैं: आपने यही जगह क्यों चुनी ड्रेस के लिए? जबकि हमारे यहां कपड़ों की दुकान है।

    चाची: वहां तुझे मेरा पति थोड़े समझते।

    मैं: क्या मतलब?

    चाची: कुछ नहीं, और तुझे तो बड़ा मजा आ रहा था, जब वो तुझे मेरा पति समझ रहे थे।

    मैं: सब कुछ जल्दी-जल्दी हुआ। मैं बोल नहीं पाया, और आपकी ड्रेस जो मैंने पसंद की थी, तो उनके सामने आपको चाची बोलता तो कैसा लगता उनको?

    चाची: ठीक किया, वैसे सुन!

    मैं: हां बोलो।

    चाची: बड़े दिनों से मैं कही घूमने नहीं गई। तू घुमाएगा अपनी चाची को?

    मैं: ये ठीक रहेगा क्या? यहां किसी ने देख लिया हमारे पहचान वाले ने, तो क्या सोचेंगे?

    चाची: तुझे मेरा बेटा और मुझे तेरी चाची इसमें क्या सोचना?

    मैं: यहां कौन सी अच्छी जगह है घूमने के लिए, मैं नहीं जानता?

    चाची: चल पार्क चलते है।

    मैं: और ये कौन बोल रहा है?

    चाची: तेरी चाची ना की तेरी गर्लफ्रेंड, समझा?

    हम लोग पार्क में चले गए, और वहां जाकर चेयर में साथ बैठ गए। पार्क में तो आप सब जानते ही हों की कौन लोग आते है। वो पार्क पूरे कपल से भरा पड़ा था।

    मैं: यहां सभी लोग कपल है, मुझे ठीक नहीं लग रहा ऐसे आपके साथ।

    चाची: तो भूल जा थोड़ी देर के लिए, कि मैं तेरी चाची हूं। फिर तो अजीब नहीं लगेगा ना?

    मैं: ठीक है फिर।

    हम आपस में बाते करने लगे। तभी वहां झाड़ी के पास कुछ हिल रहा था। मैं ये देख के समझ गया वहां पक्का कोई किसी की ले रहा था। और मैं मुस्कुराने लगा। चाची भी समझ गई थी ये बात।

    मैं: अब चले आपका मन भर गया हो तो? क्योंकि यहां तो कुछ और ही चल रहा है जिससे आपको प्रॉब्लम है।

    चाची: मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ऐसे किसी को देखने में।

    मोबाइल में तो देखते ही है। अब यहां भी देख लेते है।

    मैं: तो क्या आप वो सब मोबाइल में भी देखते हो?

    चाची: हां, कभी-कभी, क्यों क्या प्रॉब्लम है इसमें?

    मैं: आपकी मर्ज़ी।

    चाची: वैसे तेरी और मां की सेक्स लाइफ कैसी चल रही है?

    मैं बुरा मान कर चुप हो गया।

    चाची: इसमें बुरा क्या मानना? जब तुझे और मुझे पता है कि तुम उनकी लेते हों, तो अब छोड़ो वो सब। क्यूंकि अभी तू और मैं कपल है, चाची-भतीजा नहीं।

    मैं: फिर भी ये सुन कर अच्छा नहीं लगता।

    चाची: अच्छा बेटा, एक दूसरे को चोद कर अच्छा लगता है, और सुनने में बेकार। वाह रे तेरी शर्म?

    मैं: अब हो गया ना चाची। उसी बात को क्यों दोहराना बार-बार?

    चाची: अच्छा ठीक है, मैं कैसी लगती हूं तुझे?

    मैं: ये आप पूछ रहे हो, जिसको ये सब पता है।

    चाची: बता देगा तो तेरा क्या जाने वाला है?

    मैं: आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हां ये बात अलग है कि मैं आपको उन सब नजरों से भी देखता हूं, पर सच में तुम बहुत हॉट और सेक्सी हो। तुम जब छोटे कपड़ो में आती हो, तो मैं और मेरा सामान सातवें आसमान में चला जाता है। मन करता है कि तुम्हारी गोद में लेट जाऊ, और तुम्हे निहारता रहूं।

    चाची: और क्या लगता है?

    अब वो मेरे पास आकर सट गई, और मेरा हाथ पकड़ लिया।

    मैं: और मुझे लगता है कि मैं कभी तुम्हारे गाल में हाथ फिराऊं, तो कभी तुम्हारी जुल्फों के साथ खेलूं। तो कभी लगता है तुम्हे देखते हुए बस तुम्हारी खुशबू को महसूस करूं।

    चाची: तुझे मूड बनाना तो बड़ा अच्छा आता है। कहां से सीखा?

    मैं: आपको देख कर ये बाते निकल जाती है।

    चाची: हां, और भी कुछ निकल जाता है।

    मैं: ये तो आपको मालूम ही है।

    चाची: अब चल हमें चलना चाहिए। शाम हो रहीं है, और ये तारीफ तू फिर किसी दिन कर लेना।

    हम वहां से निकल गए, और थोड़ी देर बाद घर पहुंच गए।

    मां बाहर ही खड़ी थी जब हम पहुंचे।

    मां: बड़ी देर कर दी आने में तुम लोगों ने?

    चाची: हां, हमने शॉपिंग की, मार्केट गए, नाश्ता किया, और घूम रहें थे। इसके चाचा तो ले जाते नहीं, सोचा इसके साथ घूम लूं।

    मां: ठीक किया।

    मैं गाड़ी अंदर करने गया, तो मां ने चाची को बोला: आज इसके पापा और चाचा ग्वालियर चले गए।

    चाची: अचानक कैसे? ना कोई खबर ना कोई फोन?

    मां: अरे हां रे, वो उनको अचानक ही वहां से काल आई कि कपड़ों का नया स्टॉक आया है, तो उसे सिलेक्ट करने चले गए है। और वो रात तक वापस आ जायेंगे।

    चाची: अच्छा दीदी?

    मां: तुम लोग आज नीचे ही खाना खा लेना। अब दो लोगों के लिए क्या ही खाना बनाएगी।

    चाची: चलो आज मतलब फुरसत मिलेगी थोड़ा काम से।

    वो दोनों बाते करते हुए हस रहे थे।

    मैं गाड़ी अंदर करके आया, और उनके पास गया

    मैं: क्या बात है, बड़े हसी ठहाके चल रहे है यहां तो?

    मां: कुछ नहीं बेटा, मैं बस तेरी चाची को बता रही थी कि तेरे चाचा और पापा ग्वालियर गए हैं। तो हमारे यहां खाना करके बोल रही हूं।

    मैं: वो लोग कब गए, वो भी बिना बताए?

    मां: थोड़ी देर पहले ही गए है वो लोग। रात तक वापस आ जायेंगे।

    मैं: ठीक है।

    हम अंदर चले गए। मां और चाची किचन में खाना बना रही थी। मेरी दोनों बहने अपने रूम में फोन चला रही थी, और मैं बोर हों रहा था। मैं अकेला क्या करता करके बाहर घूमने चला गया और

    सीधे खाने के टाइम पर आया। मैं घर पहुंचा तो मां ने सबके लिए खाना निकाला, और हम साथ में खाना खा रहे थे।

    मां: वैसे तूने नई ड्रेस ली राधिका, और मुझे दिखायी नहीं।

    चाची मेरी ओर देख कर: वो आपको मैं खाने के बाद दिखाऊंगी दीदी, वैसे बहुत अच्छी ड्रेस है। पसंद करने वाला भी बड़ा रोमांटिक मिजाज का था।

    मां: किसने पसंद किया राधिका?

    चाची: मैं बनाने वाले की पसंद के बारे में बोल रही हूं दीदी।

    मां: अच्छा?

    सबने अपना खाना खत्म किया। मां चाची को हमारे घर रुकने को बोली।

    मां: आज यही रुक जाओ तुम दोनों, प्रियंका अनीता के साथ और तू मेरे साथ सो जाना।

    चाची: रुक जाती दीदी, पर इसके चाचा रात में आएंगे तो मुझे जाना पड़ेगा।

    मां: तो क्या हुआ, वो आए तो चले जाना।‌रुक जा यहां, बहुत दिनों बाद तो हमको साथ में रुकने का मौका मिल रहा है।

    चाची: ठीक है, अब आप इतना कह रहे हो तो आपकी बात को टाल भी नहीं सकती मैं।

    चाची मान गई, वो और प्रियंका दोनों रात में रुक गई। सबने खाना खाया, और दोनों बहने अपने रूम में चली गयी सोने। मैं अपने रूम में चला गया। मां और चाची दोनों बर्तन साफ करके और अपना काम करके रूम में चली गई।

    मैं अपने रूम में बोर हो रहा था, और रात में मां को चोदने का इंतजार कर रहा था। पर कैसे, आज तो चाची भी रुकी थी।

    अब भले वो हमारे बारे में जानती थी, पर मैं मां कैसे उनके सामने चोद सकता था? और मां उसको छोड़ कर मेरे पास कैसे आएगी ये समझ नहीं आ रहा था।

    कुछ देर बाद मां और चाची की आवाजें आई। मैंने उनके दरवाजे के बाहर खड़ा होकर देखा, तो चाची अपना नाईट ड्रेस उनको पहन कर दिखा रही थी।

    मां: बहुत अच्छी लग रही है तू और तेरी ड्रेस। तेरा ही बढ़िया है राधिका। हम तो ऐसे घर पर नहीं पहन सकते।

    चाची: कभी-कभी आप भी पहन लिया करो, ज्येट्ठ जी देख कर खुश हों जाएंगे।

    मां: मैं थोड़ा ठीक ठाक पहन लेती हूं। पर इतना नहीं पहन पाती, और ऊपर से घर में जवान बेटा है, तो इतना नहीं बन पाता।

    मां बाते तो ऐसे कर रही थी जवान बेटा है करके, जैसे हम दोनों के बीच कुछ नहीं होता।

    चाची: सुंदर दिखने का अधिकार सबको है दीदी।

    मां: बात तो सही है, पर मेरे लिए ये सारी और थोड़ा बहुत सॉफ्ट नाइट ड्रेस ही ठीक है।

    उनको पता नहीं था मैं बाहर से उनको बाते करता सुन रहा था।

    मां: वैसे प्रीतम के तो होश ही उड़ जाते होंगे तुझे ऐसा देख कर?

    चाची: होश तो उड़ जाते है पर कर कुछ ज्यादा नहीं पाते।

    मां: क्यों?

    चाची: वो मेरे साथ ज्यादा देर तक रुक नहीं पाते, और अपना करके सो जाते है। जिससे मैं हमेशा अधूरी ही रह जाती हूं।

    मां: ज्यादा देर तो तेरे जेठ भी नहीं टिकते। पर थोड़ी देर कर लेते है, फिर मुझे अपने हाथ से ही काम चलाना पड़ता है।

    चाची: दोनों का हाल एक जैसा ही है दीदी।

    मां: हां।

    चाची: क्या आपने लड़की-लड़की के सेक्स के बारे में सुना है?

    मां: नहीं रे, ऐसा भी करते है?

    चाची: हां, एक दूसरे की प्यास मिटाने के लिए वो ऐसा करते है। मैने ऐसा फोन में देखा है।

    मां: हे भगवान!

    चाची: वैसे आप चाहो तो हम भी साथ में कर सकते है।

    वैसे भी आज मौका अच्छा है, हम साथ सोएंगे।

    मां: मुझे ठीक नहीं लगेगा राधिका।

    चाची: एक बार कोशिश करो ना, शायद अच्छा लगे आपको।

    मां: ठीक है, पर हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं ना?

    चाची: क्या गलत? किसी को मालूम ही नहीं चलेगा।

    मां: फिर भी।

    चाची: जाने दो ऐसी बातों को। आज रात आपकी और मेरी है।

    ऐसा बोल कर चाची ने मां को जोर से पकड़ लिया, और मां को किस करने लगी। मां थोड़ा हिचकिचा रहीं थी, पर हल्का-हल्का बहकने लगी थी। चाची ने चेहरे को पकड़ा, और उनके होठों में किस्स करने लगी। मैं बाहर अभागे की तरह खड़ा होकर उनको ये सब करते देख रहा था, और अपना लंड हिला रहा था।

    चाची ने मां के ब्लाउस का हुक खोला, और उनकी ब्रा को उतार कर उनको चूसने लगी। मां सिसकारियां भरने लगी

    आह आह की। चाची ने उनको चूमते हुए बिस्तर में ढकेल दिया, और उनके ऊपर चढ़ गई। वो मां को जकड़े हुए थी।

    मां भी अब मजा लेने लगी थी। फिर चाची ने अपना नाईट ड्रेस उतारा, और पूरी नंगी हुई, और मां की साड़ी उतार दी।

    चाची मां को बाहों में जकड़ कर उनको चूमे जा रही थी। मां की पैंटी को ऊपर से उनकी चूत को चूमे जा रही थी।

    मैं तो ये सब देख कर ही हैरान था, कि ये सब क्या हो रहा था घर में। अब वो दोनों नंगे होकर लेट गए। चाची उनकी चूत में उंगली डाल कर सहला रही थी, और अपनी जीभ से उनकी सुर्ख चूत को चाटे जा रही थी।

    मां ने उसको अपनी ओर ऊपर खींचा, और मां ने चाची को जोरो से चूमना शुरू किया।

    अंदर अंधेरा था, और उन्होंने लाइट बंद की हुई थी। इसलिए अंदर का नजारा मुझे उतने अच्छे से नहीं दिख रहा था। मां ने चाची को 69 पोज में आने को कहां। वो मान गई, और एक-दूसरे की चूत को चाटने लगी। वो बड़े मदहोश होकर इस काम को अंजाम दे रहे थे।

    थोड़ी देर में मां उठी, और मेरी ओर आ रही थी। मैं भाग कर अपने रूम में आया, तांकि उनको पता ना चले।

    वो अंदर किचन में गई, और वहां फ्रिज से खीरा निकाला और अपने रूम चली गई।

    उन्होंने आधा खीरा अपनी चूत में डाला और चाची को लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गई।

    आधा खीरा चाची की चूत में डाला, और चाची को चोदने लगी। दोनों देवरानी-जेठानी एक-दूसरे को चोद कर आहें भर रहे थे। कभी मां चाची को चोदती, तो कभी चाची मां को चोद रही थी।

    चाची: कैसा लग रहा है मीनाक्षी?

    मां: बहुत राहत महसूस कर रही हूं राधिका।

    चाची: तू तो बड़ी चालू चीज निकली रे मीनाक्षी।

    मां: तू भी कोई कम नहीं है साली।

    वो एक-दूसरे को जोरों से चोदे जा रहे थे, और मजे ले रहे थे। चाची मां के बूब्स को काटे जा रही थी, और मां की जोर के चीख निकल गई। इतने में चाची ने अपने होंठ मां के होंठ में रख कर शांत कराया।

    आवाज जोर से आने के कारण प्रियंका और अनीता दोनो जाग गए। उनकी आहट सुन कर मैं अपने रूम की ओर भागा। थोड़ी देर बाद मैंने हल्के से झांक कर देखा, तो‌ अनीता और मां चाची और मां की चूदाई देख कर आनंद ले रहे थे।

    इधर थोड़ी देर बाद वो भी एक-दूसरे के साथ शुरू होने लगी। अनीता ने प्रियंका की लोवर के अंदर हाथ डाला, और प्रियंका ने अनीता के। अब वो दोनों भी इसका मजा लेने लगी थी। प्रियंका और अनीता एक-दूसरे की चूत में हाथ डाल कर एक दूसरे की वासना की प्यास मिटा रहें थे।

    मुझे घर का ये हाल देख कर चक्कर आने लगा।

    कि मेरे घर में ये कौन सी काम वासना चल रही थी करके। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। इतने में मैं अपने रूम के पास आया, और जोर से आलमारी में हाथ बजाया।

    वो दोनों ये सुन कर अपने रूम की ओर हड़बड़ा कर भागे।

    इतने में मैंने आवाज लगा दी, जिससे अंदर भी मां और चाची हड़बड़ा कर शांत हो गए। मैं किचन में गया और पानी पीके हाल में जीरो लाइट जला कर बैठ गया। अब मां और चाची फुसफुसाहट से बात कर रही थी।

    मां: लगता है चीकू उठ गया है।

    चाची: अब क्या करें?

    मां: उसे जाने दे पहले, वरना वो देख कर हमारी खटिया खड़ी कर देगा।

    इधर मैं हाल में बैठा रहा उनको रोकने के लिए।

    चाची: ये हाल में क्यों बैठा है? अन्दर क्यों नहीं जा रहा है?

    मां: रुक, मैं जाकर देखूं

    चाची: पर आप ऐसे जाओगे तो उसे शक नहीं हो जाएगा? रहने दो आप मत जाओ।

    मां: रुक ना मैं कपड़े पहन कर जाती हूं।

    चाची: उसको शक तो नहीं हो गया है?

    मां: वो तो अभी उठा है, रुकना मैं आती हूं।

    मां मेरी ओर आने लगी। जल्दी-जल्दी में उन्होंने चाची की नाइट ड्रेस पहन ली, और वो भूल गई वो बाहर आई थी।

    मैंने उनको घूर कर गुस्से से देखा, और उनकी हवा टाईट हो गई। फिर वो डर के बोलने लगी। उन्होंने बोला मेरे पास आकर-

    अब आगे की कहानी अगले पार्ट में।

    मुझे मेल करके बताए कि कैसा लगा आपको ये भाग?

    और कमेंट में बताए की आगे क्या होने वाला है।

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