जेठ जी ने प्यार से चोद दिया (Jeth Ji Ne Pyar Se Chod Diya)

हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीता है। मेरी उम्र 28 साल है। मेरा रंग गोरा, फिगर 34-28-32 है। मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं, और मेरे दो बच्चे हैं। मेरे पति एक बिजनेसमैन है, और बिजनेस के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते हैं।

हमारे घर में मेरे सास-ससुर और एक जेठ भी है। जेठानी जी को मैं दीदी कहती थी। जेठ जी उम्र 40 साल होगी। उनके दो बेटे है जो 18 और 20 साल के है। यह कहानी 2 साल पहले की है, और मेरी और मेरे जेठ जी की है। मेरे पति काम के सिलसिले से बाहर ही रहते थे। जेठ जी घर पर रह कर खेती-बाड़ी का काम देखते थे। मैं अपने जेठ और ससुर के सामने हमेशा घुंघट में ही रहती थी।

1 दिन की बात है। मैं नहा कर अपने कमरे में जा रही थी, कि तभी जेठ जी घर के अंदर आ गए, और उन्होंने मुझे तौलिये मे देख लिया। मेरी छाती और नीचे जांघ के अलावा सब गोरा-गोरा नज़र आ रहा था।

उस दिन पहली बार हम दोनों आमने-सामने हुए थे। जेठ जी मुझे देख कर एक निगाह से देखते ही रह गए।

जेठ जी मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे उन्होंने कभी औरत देखी ही ना हो। जेठ जी की आंखों में मेरे लिए प्यार साफ नज़र आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि अभी इन्हें छूट दे दूं तो यह मुझे नहीं छोड़ेंगे।

मैं उनके सामने अपना सर नीचे करके खड़ी हो गई। तब उन्हें एहसास हुआ और वह साइड में चले गए। फिर मैं अपने कमरे में भाग गई।

उसे दिन सास ससुर और जेठानी जी भी खेतों पर गए हुए थे। घर पर मैं अकेली थी, बच्चे सब पढ़ने गए हुए थे। तभी जेठ जी ने मुझे आवाज लगाते हुए कहा कि, “खाना निकाल दो बहू, खेतों पर ले जाना है।” उन्होंने कहा कि वहां पर खेतों में बहुत काम था, इसलिए जेठानी और मेरी सास घर नहीं आ सकी। उनका खाना भी वहीं भेजना था।

फिर मैं पीली साड़ी पहन कर तैयार हुई और जेठ जी को खाना खिलाने चली गई। मैं घूंघट निकाल कर जेठ जी को खाना खिला रही थी।

तभी जेठ जी ने कहा: अभी तो घर पर कोई नहीं है बहू। यदि तुम चाहो तो मेरे सामने बिना घूंघट के भी रह सकती हो।

मुझे भी घूंघट में थोड़ा अजीब लग रहा था इसलिए मैंने भी घूंघट हटा ली। परंतु जेठ जी की नज़र तो मेरी चेहरों से हट ही नहीं रही थी। ऐसा लग रहा था कि वह अभी मुझे खा जाएंगे।

थोड़ी देर बाद मैं उन्हें खाना खिलाई, और खाना पैक कर दी खेतों पर ले जाने के लिए। फिर वह खाना लेकर चले गए, और मैं अकेली घर पर रह गई। शाम को सभी लोग घर पर आए। मैं और जेठानी जी खाना बनाया, और सभी लोगों को खिला कर सोने के लिए जाने लगी।

दीदी जी ने मुझे कहा: तुम थोड़ा किचेन रूम को साफ कर देना, और फिर सोने चले जाना। मुझे आज थोड़ा जल्दी सोने जाना है।

मैं समझ गई कि दीदी जी क्यों जल्दी जाने वाली थी। आज जेठ जी उनका पानी निकलने वाले थे। मैं मुस्कुराई, तब दीदी जी ने कहा-

दीदी: ऐसे हसो मत, आज पता नहीं वो क्या देख लिये है कि खेतो में से ही मुझे परेशान कर रहे है।

मैं सब समझ रही थी। फिर दीदी चली गयी। सारे बच्चे एक साथ सास-ससुर के साथ सोते है। दीदी और जेठ जी अपने कमरे में सोने चले गये। फिर मैं भी अपने कमरे मे चली गयी।

ऐसे ही कितने दिनों तक चला, जब दीदी पहले ही मुझे बोल कर अपने रूम में चली जाती थी, और उसके बाद जेठ जी उनकी जम की लेते थे।

मैं इस बात पर थोड़ा हंस देती, तब दीदी तुनक कर बोलती: ज्यादा हसो मत। आने दो मेरे देवर को। फिर वो भी तुम्हारी रोज रात को लेगा (और हम दोनों हसने लगे)।

एक रात की बात है लगभग 11:00 बज रहे थे, कि तभी लाइन कट गया। हम सभी अपने-अपने कमरे से बाहर आए। गर्मी का दिन था, और बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी उस दिन। काफी देर हुई जब लाइन नहीं आया, तब हमने बाहर ही सोने का प्लान बनाया।

सास-ससुर और बच्चे बाहर खाट डाल कर सोने चले गए। दीदी और जेठ जी आंगन में ही अपनी खाट डाल कर सोने लगे। मैं ऊपर के कमरे में चली गई, जहां पर बड़ी-बड़ी खिड़कियां थी। मैं कमरे में जाकर अकेली सो गई।

आधी रात को मेरे पेट पर कुछ चलता हुआ महसूस हुआ। मैंने हाथ से उसे हटाया और फिर सो गई। कि तभी फिर मुझे मेरे कमर पर कुछ चलता हुआ महसूस हुआ। मैं इस बार हटाने की कोशिश की, पर नहीं हटा। ऐसा लगा जैसे यह किसी का हाथ हो।

मेरी नींद तुरंत खुल गई। मैं जैसे ही पलट कर देखी, तो मैं बहुत चकित रह गई। मेरे बगल में मेरे जेठ जी लेटे हुए थे। मैं डर गई। तभी मेरे जेठ जी ने मेरे मुंह को बंद किया और बोले कि बहू जरा शांत रहो।

जेठ जी: बहु देखो, कई दिन से छोटे घर नहीं आया है। मैं जानता हूं तुम भी बहुत प्यासी हो। इसलिए मैं तुम्हारे पास आया हूं। तुम शोर मत करो, बस मेरा साथ दो। तुम्हें बहुत मजा आएगा।

मैं बहुत डर गई थी। जेठ जी हट्टे-कट्टे पहलवान थे। वह मेरे से बिल्कुल चिपके हुए थे। उनकी छाती में मेरी चूचियां दबी हुई थी। उनकी गर्म सांस मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी। वह कभी मेरे गर्दन को चूमते, तो कभी अपने दूसरे हाथ से मेरी नाभि को मसलते। थोड़ी देर बाद जब मैं उन्हें हटाने की कोशिश बंद कर दी, तब उन्होंने हाथ को हटाया, और मेरे गाल को चूमने लगे।

मैं: जेठ जी यह सब ठीक नहीं है। मैं अपने पति को क्या मुंह दिखलाऊंगी? आप प्लीज मेरे साथ यह सब ना करो।

जेठ जी: अरे बहु तुम चिंता क्यों करती हो? किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। तुम बस मेरा साथ दो।

मैं: जेठ जी यदि दीदी को पता चलेगा, तो क्या होगा? वह क्या सोचेंगे। वह तो मुझे ही दोषी ठहराएंगे?

जेठ जी: बहु तुम चिंता मत करो। सब नीचे सो रहे हैं। उन्हें लगेगा कि मैं बाहर टहलने गया हूं, और मैंने तुम्हारे कमरे का दरवाजा बंद किया हुआ है। तुम जरा भी टेंशन मत लो।

फिर वो मेरे गाल को चूमते हुए मेरे होंठ के रस को पीने लगे। मैं उनकी मजबूत हाथों के बीच में फंसी हुई थी, और तनिक भी हिल नहीं पा रही थी। वह लगातार मेरी होठों को चूम रहे थे। उनकी भारी भरकम देह मेरे अंदर भी गर्मी जगा दी थी। मैं भी अपनी आंखों को बंद कर उनके होंठ चुसाई का मजा लेने लगी थी।

जेठ जी मेरे होंठ को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़े, और फिर गर्दन के हर हिस्से को अच्छे से चूम रहे थे। मैं अपनी आंखों को बंद करके उनके बालों को सहला रही थी।

फिर जेठ जी मेरे शरीर से हटे, और मेरे माथे को चूम कर मेरी साड़ी को खोलने लगे। मैंने भी अपनी साड़ी उतारने में उनकी हेल्प की, और फिर मैं पेटिकोट और ब्लाउज पर हो गई। जेठ जी से मेरा गोरा पेट देख कर रहा ना गया। वो झट से मुझे लिटा कर, मेरी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगे।

मैं आंखों को बंद कर उनके बालों को जोर-जोर से सहला रही थी। मेरे मुंह से अब सिसकियां निकल रही थी। मैं उउउफ्फ्फ्फ़ आआआह्ह कर रही थी। जेठ जी मेरी नाभि को चाटते हुए पेट के हर हिस्से को चूमने लगे। फिर वह नीचे की ओर बढ़े, और मेरे पेटीकोट को अपने दांतों से खोल दिया।

उन्होंने पेटिकोट को सरका कर नीचे कर दिया, और फिर जेठ जी मेरी पैंटी के ऊपर से ही बुर को चाटने लगे। मैं उनको मदहोशी में मारे जा रही थी। उनके बालों को कस-कस के सहला रही थी। मेरी बुर का पानी पैंटी के ऊपर तक रिस रहा था, और जेठ जी बड़े प्यार से जीभ लगा कर चाट रहे थे। मैं अपनी आंखों को बंद कर अपने दोनों हाथों से बेडशीट को खींच रही थी, और टांगे फैला कर अपने जेठ जी को से बुर चटवा रही थी।

जेठ जी अपने हाथों को आगे ले जाकर मेरी दोनों चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही जोर-जोर से मसल रहे थे। मैं अपनी आंखों को बंद कर आआह्ह्ह्ह उउउउफ्फ्फ़ कर रही थी। तभी जेठ जी मेरे ऊपर आये और मुझे अपने ऊपर ले लिया। वो मेरे ब्लाउज को खोल कर मेरी दोनों चूचियों को हवा में लहराने लगे।

मैं जेठ जी पर बैठी हुई थी। मैं उनकी छाती को चूमने लगी, और उनके निपल्स को अपने दांतों से कट रही थी। जेठ जी मेरे बालों को सहला रहे थे, और मेरी दोनों चूचियों को मसल रहे थे।

जेठ जी: आअह्ह बहू, कितनी मस्त है तुम्हारी यह गोल मटोल चूचियां। कितनी मुलायम है छूने में।‌ मुझे स्वर्ग का अनुभव हो रहा है।

जेठ जी मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसल रहे थे। उनके मजबूत हाथों में मेरी चूचियां फसी हुई थी। मैं जेठ जी की कभी छाती चूमती, तो कभी उनकी गर्दन, और कभी उनके होंठों का रस पीती। जेठ जी ने मुझे फिर से नीचे लिटाया, और मेरी पैंटी को खींच कर निकाल दिया। मैं अब जेठ जी के सामने पूरी तरह नंगी थी। उनकी आंखों में साफ चमक दिख रही थी।

मेरे नंगे बदन को देख कर उन्होंने मेरे पैरों को फैलाया, और अपने सर को मेरी बुर पर लगा कर जीभ से चाटने लगे। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर पहुंच गई थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थी, और अपने दोनों हाथों से बेडशीट को भींच लिया था।
आअह्ह्ह उउउउफ्फ्फ्फ़ हाये मर गयी उऊम्म्म्म्न।

जेठ जी लगातार मेरी बुर को चाट रहे थे। मेरी बुर पानी-पानी हो रही थी। फिर जेठ जी खड़े हुए और अपने कपड़े को पूरी तरह निकाल दिया और उनका लहराता हुआ मोटा सा बड़ा सा लंड मेरे सामने आ गया। मैं तो पूरी तरह शर्मा गई थी। फिर वो अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए मेरे मुंह के पास लेकर आए और बोले-

जेठ जी: लो बहू अब यह तुम्हारा है। इसे अपने मुंह में डाल कर इसको धन्य कर दो।

मैं उसे अपने हाथों में पकड़ी। वह इतना बड़ा था कि मेरे हाथों में नहीं आ रहा था। मैं उसे अपने जीभ से चाट रही थी। वह मेरे मुंह में भी नहीं आ पा रहा था। किसी तरह बड़ा मुंह खोल कर उसे आधा लेने की कोशिश कर रही थी, पर जेठ जी अंदर-बाहर करने लगे, और मेरे मुंह को चोदने लगे।

जेठ जी ने इतनी रफ्तार में मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया, कि मेरी तो सांसे ही रुकने लगी। जैसे ही उन्होंने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला, मेरी खांसी आ गई। उनका लंड मेरी थूक से पूरी तरह गीला हो चुका था, और मेरी बुर पानी छोड़ छोड़ कर गीली हो चुकी थी।

उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और अपने लंड को मेरे बुर पर पीछे से सेट करके धक्का दे दिया। मैं तो आगे की तरफ जा गिरी। फिर उन्होंने मुझे संभाला और मेरे दोनों कंधों को पकड़ के अपने लंड को मेरे बुर पर सेट करके धीरे-धीरे अंदर प्रवेश करने लगे। मेरी तो जैसे जान ही निकल रही थी‌। मैंने अपनी आंखें भींच कर बंद कर ली थी।

मेरी आंखों से आंसू निकल गये। फिर धीरे-धीरे उन्होंने धक्के मारने शुरु किये, और फिर मजा आने लगा। मैं अपनी बुर में कई दिन बाद लंड लेकर मजा ले रही थी। आआह्ह्ह उउउउफ्फ्फ़ यह चुदाई अनोखी थी। मेरी बुर रस छोड़ रही थी। उनके धक्कों से मेरी दोनों चूचियां हिल रही थी।

जेठ जी पीछे से मेरी बालों को खींच कर मेरी बुर में लगातार धक्के मार रहे थे, और मैं अपनी आंखें बंद करके कुतिया बनी हुई चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी। मेरी बुर लगातार रस छोड़ रही थी। फिर उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ कर मेरे बुर में धक्का मारने लगे। आअह्ह्ह्ह गजब का मजा आ रहा था।

जेठ जी ने झट से अपने लंड को पीछे खींचा। फिर मुझे लिटा दिया नीचे, और मेरी दोनों टांगों को फैला कर, मेरी टांगों के बीच में आकर अपने लंड को मेरी बुर में डाल दिया और एक ही झटके में पूरा डाल कर मेरे ऊपर लेट मेरे होंठों को चूसने लगे, और फिर से धक्के मारने शुरू कर दिये।

मैं अपनी आंखों को बंद करके उनके आनंद में खोई हुई थी। मैं भी उनके होंठों के रस चुसाई का आनंद ले रही थी, और उनके कभी बाल सहलाती, तो कभी उनकी पीठ सहला रही थी। जेठ जी ताबड़तोड़ धक्के लगा रहे थे। मेरी चूचियां उनके छाती से दबी हुई थी, और जेठ जी मेरे पूरे चेहरे को चूम रहे थे, तो कभी अपनी जीभ से चाट रहे थे।

जेठ जी: आअह्ह्ह बहू, क्या रसीली तुम्हारी बुर है। आज तो चोद कर मजा ही आ गया। यह लो मेरी धक्कों की बरसात। मैं तुम्हारी बुर को आज पूरी तरह से अपने लंड के पानी से भर दूंगा। बहू मैं आने वाला हूं, यह लो।

यह कहते हुए जेठ जी ने मेरी बुर में ही अपने गर्म पानी का लावा पेल दिया। मैं तो जैसे धन्य ही हो गई। वह अपने शरीर का पूरा भार मेरे शरीर को देते हुए मेरे बुर में अपनी पिचकारी मारने लगे, और मेरे होंठों के रस को चूसने लगे।

हम दोनों थक चुके थे, और काफी तेज-तेज सांस ले रहे थे। थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर जेठ जी उठे और अपने कपड़े पहनने लगे। मैं भी अपने कपड़े पहनने लगी और अपनी साड़ी को ठीक करने लगी।

आज की चुदाई इतनी मस्त थी कि मैं कभी भूल नहीं सकती। पर जेठ जी को देख कर मुझे बहुत शर्म आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि मैं शर्म में डूब जाऊंगी। तुरंत ही मैंने साड़ी पहनी, और एक बड़ी सी घूंघट निकाल ली।

जेठ जी यह देख कर मुस्कुराए और मुझे अपनी बाहों में खींचते हुए मेरे घूंघट को हटा दिया, और मेरे होंठ पर एक जोरदार चुम्मा ले लिया। फिर जेठ जी मुरे एक दो और चुम्मे लेकर वहां से अपने आंगन में सोने चले गए, और मैं भी अपने कमरे में चुप-चाप एक-दम मदहोश होकर सो गई।

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