साक्षी भाभी की गांड ने बुझाई मेरे लंड की प्यास (Sakshi bhabhi ki gaand ne bujhayi mere lund ki pyaas)

मेरा नाम गौरव है,‌ और मैं 25 साल का एक जवान लौंडा हूं। मैं अब तक कई लड़कियों और औरतों को पेल चुका हूं। जिनमें से कुछ लड़कियां जो अब तक मेरी गर्लफ्रैंड रही हैं, और बाकी कुछ शादी-शुदा भाभियां और आंटियां शामिल हैं।

मुझे औरतों की चूत मारने से ज़्यादा मज़ा उनकी गांड का बैंड बजाने में आता है।इसलिए मैं हमेशा शादी-शुदा औरतों को सेट करने की फिराक में रहता हूं। क्योंकि शादी-शुदा औरतें गांड देने में ज़्यादा नखरें नहीं करती। लड़कियों के बहुत नखरे रहते हैं। पर ऐसा नहीं हैं कि मैंने लड़कियों की गांड नहीं मारी। मैं कई लड़कियों की गांड लेने में भी कामयाब रहा हूं। खैर वो सब कहानियां मैं आपको फिर कभी सुनाऊंगा। अभी इस कहानी पर आता हूं।

ये कहानी करीब 2 साल पहले की है। उस वक्त मैं 23 साल का था। तब जो मेरी गर्लफ्रैंड थी, वो गांड नहीं दे रही थी। मैं बहुत कोशिश कर चुका था। उसकी चूत तो मैं पेल ही रहा था, पर मुझे किसी की गांड मारने की भी चुल मची हुई थी। उस वक्त जो 2-3 औरतें मेरे कांटेक्ट में थी, उनसे भी मीटिंग का नहीं बन पा रहा था। किसी का पति घर में था, तो किसी को कुछ और काम थे। अब मैं एक नई गांड की तलाश में था।

तभी एक दिन घर में मम्मी ने बताया कि अगले हफ्ते मामा के लड़की की शादी थी। तो मुझे 2-3 दिन पहले बुला लिया था, काम वगैरह देखने के लिए। मैंने भी सोचा कि गांड तो मिल नहीं रही, कम से कम वहां काम में बिजी रहूंगा, तो मन तो शांत रहेगा।

तो मैंने मम्मी को बोला: 2-3 दिन पहले क्या, मैं कल ही निकल जाता हूं।

तो मम्मी ने भी जाने को बोल दिया। मैं अगले दिन सुबह ही निकल गया, और दोपहर को वहां पहुंच गया। अब शादी वाले घर में तो बहुत से काम होते हैं। तो वहां जाके मैं भी कामों में लग गया। दिन निकल गया। अगले दिन सुबह 10 बजे के आस-पड़ोस की औरतें इकट्ठी हुई। हमारे यहां गांव में रिवाज होता है। शादी से पहले कुछ दिन औरतें हर दिन 1-2 घंटो के लिए संगीत गाती हैं।

करीब 15-20 औरतें इकट्ठी हुई थी। कुछ जवान थी। उनकी गांड देख कर मन फिर गांड पेलने का कर रहा था। मन कर रहा था कि किसी को पकड़ कर पेल ही दूं। तभी मेरी नजर एक 30-32 साल की भाभी पर पड़ी। उफ्फ, क्या सेक्सी थी। मैं मन ही मन उसको पेलने की सोचने लगा।

मैंने अपने मामा के छोटे लड़के अमन से उसके बारे में पूछा। वो मेरे ही बराबर का था। हम दोनों में अक्सर ऐसी बातें हो जाती थी। तो उसने बताया कि ये साक्षी भाभी हैं।

तो मेरे मुंह से निकल गया: यार क्या माल है। काश मिल जाए।

तो उसने सामने जो बोला वो सुन कर तो मेरा दिल ही खुश हो गया।

उसने बोला: तू कोशिश करे तो मिल भी सकती हैं। हम तो पड़ोस में रहते हैं इसलिए हमें नहीं देती। बाकी कई लोगों से सुना है कि इसका चक्कर है कई मर्दों के साथ। इसका पति तो बाहर रहता है, कभी-कभी ही घर आता है। तो ये दूसरे मर्दों से ही काम चला रही है।

उसके बाद मैं उसको ताड़ने लगा।बीच-बीच में हमारी नज़रें भी मिल गई। पर मैं बिना डरे घूरता रहा। फिर जब सब औरतें घर चली गई, तो वो भी उनके साथ निकल गई। ऐसे ही दोपहर हो गई। डेढ़ बजे थे। बाजार से कुछ सामान लाना था। अमन को कुछ और काम था, इसलिए मुझे जाने को बोल दिया। बाजार वहां से करीब 6-7 किमी दूर था।

अमन ने बाइक निकाली। उसको गांव में ही थोड़ा आगे तक जाना था, तो उसने बोला-

अमन: मैं ही आगे तक चला कर ले चलता हूं, आगे से तू ले जाना।

अब मेरी किस्मत ऐसी चमकी जिसकी मुझे भी उम्मीद नहीं थी। थोड़ा सा आगे चलने पर वही भाभी बाज़ार जाने के लिए बस का इंतजार कर रही थी।

अमन ने बाइक रोक कर उससे पूछ लिया: भाभी आप बाजार जा रहे हो?

तो उसने हां बोला।

अमन ने कहा: तो आप गौरव के साथ चले जाओ। ये भी कुछ सामान लेने के लिए जा रहा है। तो आपको आने में भी जल्दी हो जाएगी। मैं तो यहीं आगे तक जा रहा हूं। मैं चल कर चला जाऊंगा।

अमन बाइक से उतर गया। फिर साक्षी भाभी मेरे पीछे बाइक में बैठ गई। उफ्फ्फ.. अभी से मेरा लंड टाइट हुए जा रहा था। किस्मत मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं इस मौक़े को गवाना नहीं चाहता था।

थोड़ा सा आगे चलने पर मैंने उससे बातें करनी शुरू की। हालांकि मुझे पता था, फिर भी मैंने उसका नाम पूछा और थोड़ी नॉर्मल बातें की। अब वो भी कंफर्टेबल हो गई।

तो उसने बोला: वैसे देखते हुए थोड़ी पलकें भी झपका लेनी चाहिए।

मैं तुरंत बोल पड़ा: भाभी क्या करूं, आप हो ही इतनी सेक्सी।

तो वो थोड़ा सा मुस्कुरा पड़ी। अब मुझे मेरी मंजिल सामने दिख रही थी। मैंने हिम्मत करके उसको साफ-साफ बोल दिया-

मैं: भाभी आपकी गांड पे दिल आ गया है। एक बार दे दो।

उसने जवाब में कुछ नहीं कहा, ना ही गुस्सा हुई। वो कुछ नहीं बोल रही थी, तो मैंने झटके से ब्रेक लगा कर बाइक रोक दी। उसके बूब्स झटके से मेरी पीठ में दब गए। उसके मुंह से आह की आवाज निकल पड़ी।

तब जाकर वो बोली: बाइक क्यों रोक दी (हंसते हुए)? यहां मारोगे क्या?

मैं: आप तैयार हो तो कहीं भी।

भाभी: रात को चुपके से घर आ जाना। और हां, अभी बाजार से चॉकलेट फ्लेवर के कॉण्डम जरूर ले लेना।

आस-पास कोई नहीं आ रहा था, तो मैंने पीछे घूम के भाभी के बूब्स दबाने के साथ लिप्स पे एक जोरदार किस भी कर दी।

फिर बाजार पहुंचने तक भाभी के साथ बहुत सी सेक्सी-सेक्सी बातें की। फिर सामान और भाभी के लिए उनकी पसंद के कॉण्डम लिए। भाभी ने भी अपना सामान लिया और फिर हम घर आ गए। घर आते हुए सुनसान रास्ते में एक बार फिर भाभी के लिप्स चूसे। फिर भाभी का नम्बर लेकर उनको उनके घर के पास छोड़ कर आ गया।

अब मैं बस रात का ही वेट कर रहा था। रात करीब 10 बजे सब के सोने के बाद मैं अमन को बोल कर भाभी के घर के लिए निकल पड़ा। तो जाते-जाते अमन बोला-

अमन: यार आज तो तू जन्नत की सैर करेगा।

तो मैंने बोला: कोई नहीं, मुझे कर लेने दे, फिर तुझे भी करवा दूंगा।

फिर मैं निकल गया।

भाभी के घर के पीछे पहुंच कर मैंने भाभी को कॉल किया तो उन्होंने कहा –

भाभी: चुपके से, बिना आवाज किये छत वाले कमरे पे आ जाओ।

मैं अंधेरे में दबे पांव ऊपर चढ़ गया। फिर मैंने फोन पर ही भाभी को दरवाजा खोलने को बोला। तो फिर एक कमरे का दरवाजा खुला। अंदर भी लाइट नहीं जल रही थी। मैं झट से अंदर घुस गया। फिर भाभी ने दरवाजा बंद करके कमरे की लाइट जला दी।

उफ्फ क्या सेक्सी लग रही थी भाभी। उन्होंने लाल रंग की नाइटी पहन रखी थी। होंठों पर हल्की लाल रंग की लिपस्टिक थी। मैंने टाइम वेस्ट किये बिना सीधा भाभी को दबोच लिया और खड़े-खड़े ही उनके लिप्स चूसने लगा।

भाभी भी मेरे इंतजार में पहले से गर्म थी। उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया। हम 2-3 मिनट ऐसे ही खड़े-खड़े किसिंग करते रहे। फिर मैं वैसे ही चूसते हुए उनको बेड के करीब लेकर गया और बेड पर लिटा के चूसने लगा।

फिर मैंने उनकी नाइटी उतार दी। उफ्फ्फ… उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहन रखा था। नाइटी उतारते ही वह बिल्कुल नंगी हो गई। उनके दो बड़े-बड़े तरबूज जैसे बूब्स मेरी आंखों के सामने आ गए। मैं उन पर टूट पड़ा। करीब 5 मिनट तक मैंने उनके बूब्स खूब दबाए और चूसे। फिर मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया।

आने के बाद हम दोनों ने जरा भी बात नहीं की थी। सीधे ही काम पर लग गए थे। अब जाकर मैंने भाभी को लंड चूसने को बोला।

तो भाभी बोली: मैं ऐसे नहीं चुसूंगी, पहले कॉण्डम पहनो। मैं बिना कॉण्डम नहीं चूसती।

अब मुझे समझ आया कि भाभी ने स्पेशल चॉकलेट फ्लेवर वाला कॉण्डम क्यों मंगवाया था। मैंने फटाफट अपनी पेंट की पॉकेट में से कॉण्डम का पैकेट निकाला और एक कॉण्डम भाभी को पकड़ा दिया। भाभी ने खुद ही फटाफट कॉण्डम मेरे लंड पर पहनाया और फिर लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

ये कॉण्डम के साथ लंड चुसवाने का मेरा पहना अनुभव था। मुझे ठीक ही लग रहा था। हालांकि उतना मज़ा तो नहीं आ रहा था जितना बिना कॉण्डम के लंड चुसवाने में आता है। पर ना चूसने से अच्छा ही था ये। भाभी 2 मिनट ही कॉण्डम की सारी चॉकलेट चाट गई। अब भाभी लंड लेने के लिए तैयार थी।

वैसे मुझे तो गांड मार कर अपनी इतने दिनों की प्यास बुझानी थी, पर इससे पहले भाभी की चूत को शांत करना भी जरूरी था। तो मैं भाभी को लिटा कर उनके ऊपर आ गया।

मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर रखा। चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मेरा लंड बड़ी ही आसानी से भाभी की चूत में समा गया। फिर मैं भाभी को चोदने लगा। उनकी चूत कुछ खास टाइट नहीं थी। और टाइट होगी भी कैसे? आखिर साक्षी भाभी एक 6 साल की लड़की की मां थी। और ना जाने अब तक कितने ही मर्दों के लौड़े भी अपनी चूत में ले चुकी थी।

मैं लगातार भाभी को पेलता रहा। 5-6 मिनट में ही भाभी झड़ गई। फिर मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में किया और पीछे से चूत में लंड पेल दिया। 7-8 मिनट बाद मैं भी झड़ गया। भाभी भी अब तक दूसरी बार झड़ चुकी थी।

फिर मैंने लंड निकाल कर कॉण्डम उतारा और लंड को कपड़े से साफ किया। अब मैं भाभी की चूचियों के साथ खेलने लगा। अब मुझे भाभी की गांड पेलनी थी, तो मैंने भाभी को कहा कि भाभी अब गांड में डालूंगा। तो भाभी ने कहा ठीक है, पर पहले थोड़ी वैसलीन लगा लेना।

भाभी भी पक्की खिलाड़ी थी। पहले भी गांड में लौड़े ले चुकी थी। 8-10 मिनट में मेरा लंड तैयार हो गया। भाभी ने मुझे वैसलीन दी। भाभी को डॉगी स्टाइल में करके मैंने वैसलीन लगा कर एक साथ दो उंगलियां भाभी की गांड में डाल दी। भाभी के मुंह से केवल एक हल्की सी सिसकारी ही निकली। मैंने अच्छे से भाभी की गांड चिकनी कर दी। फिर कॉण्डम चढ़ा कर लंड भाभी की गांड में टिका दिया।

अब मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर पेलना शुरू किया। लंड बिना रुकावट के अंदर घुस रहा था। भाभी ने आह-आह करते हुए पूरा लंड गांड में ले लिया। मैंने भाभी को बोला –

मैं: वाह भाभी! आपकी गांड में तो बड़ी ही आसानी से घुस गया। मुझे तो बिल्कुल भी मेहनत नहीं करनी पड़ी।

तो भाभी हंसते हुए बोली: तो तूने क्या सोचा? तू अकेला ही थोड़ी है इस दुनिया में। तेरे अलावा और भी बहुत गांड के शौकीन हैं।

फिर मैं भाभी की गांड पेलने में बिजी हो गया। मैंने लगातार 10 मिनट तक उसी पोजीशन में भाभी की गांड चोदी। फिर मैं लंड निकाल कर बेड पर लेट गया और भाभी को लंड पे बैठने को बोला। भाभी लंड गांड में लेकर बैठ गई और ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी। फिर करीब 5-7 मिनट बाद ऐसे ही चोदते-चोदते मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।

इसके बाद मैंने 2 बार और भाभी की चूत और गांड मारी। फिर करीब रात के ढाई बजे मैं वहां से वापस आ गया। भाभी को चोद कर सच में बहुत मज़ा आया।

इसके बाद मैं शादी के बाद तक जब तक मामा के घर रहा, मैंने साक्षी भाभी को पेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और भाभी को अमन से भी चुदवा दिया।

मैंने और अमन ने कैसे साक्षी भाभी को एक साथ पेला, वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा। आज भी मैं जब मामा के घर जाता हूं तो भाभी को चोदने का कोई ना कोई जुगाड़ बिठा ही लेता हूं।

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