पड़ोसन बनी दुल्हन-20

This story is part of the Padosan bani dulhan series

    मैंने सुषमा की गाँड़ पर अपनी हथेली फिराते हुए उसकी गाँड़ के गालों को दबाकर उनसे खेलते हुए उसकी गांड के बिच की दरार में उंगली डाली। सुषमा की गाँड़ सेठी साहब कई बार मार चुके होंगे। इसके कारण वह उतनी टाइट नहीं थी जितनी की टीना की थी। सुषमा ने पीछे मुड़कर देखा और बोली, “उसमें डालोगे क्या? उसको छोडो यार आगे डालो। मैं बेसब्री से इंतजार कर रही हूँ।”

    मैंने बिना बोले पीछे से मेरा लण्ड सुषमाकी चूत की पंखुड़ियों में सेट किया। सुषमा ने फिर एक बार पीछे मुड़कर देखा और और अपनी उँगलियों को बारबार अपने मुंह में डाल कर अपनी लार से मेरे लण्ड को और अपनी चूत की पंखुड़ियों को चिकना किया। फिर थोड़ा पीछे हट कर मेरे लण्ड को अपनी चूत पर थोड़ा दबाव डलवा कर मुझे मेरे लण्ड को उसकी चूत में अंदर घुसाने का संकेत दिया।

    मेरा लण्ड तो तना हुआ सुषमा की चूत में घुसने के लिए बेताब था ही। मैंने एक जोरदार धक्का मार कर मेरा लण्ड सुषमा की चूत में घुसेड़ दिया। शायद चिकनाहट कम थी या सुषमा की चूत मेरे लण्ड को अंदर लेने के लिए तैयार नहीं थी, पर सुषमा के मुंह से दर्द के मारे हलकी सी चीख निकल पड़ी।

    मैं थम गया। सुषमा ने अपनी गाँड़ से पीछे की और धक्का मार कर मुझे निर्देश दिया की मैं बिना रुके सुषमा की चुदाई जारी रखूं। मैंने मेरी रानी की आज्ञा का पालन करते हुए पीछे से सुषमा की चूतमें मेरे लण्ड को पेलना शुरू किया।

    मैं यहां यह कुबूल करता हूँ की मुझे मेरी प्रेमिका को पिछसे चोदना बहुत पसंद है। जब मैं चोदते हुए मेरी प्रेमिका की सुन्दर नशीली गाँड़ देखता हूँ तो मुझ में और जोश भर जाता है। और एक नशीला दृश्य होता है माशूका की चूँचियों का झूल कर चुदवाते हुए हिंडोले की तरह झूलते हुए देखना। जो चूँचियाँ सख्ती से गुरुत्वाकर्षाण के नियम को तोड़कर भी अपना आकार बना कर रखती हैं, वह पीछे से चुदवाते हुए सख्त तेज तगड़े धक्के पेलने के कारण लटकते हुए हिंडोले की तरह झूलने लगतीं हैं। उनको पीछे से पकड़ कर दबाना, मसलना, उनकी निप्पलों को जोर से पिचकाने का मजा ही कुछ और है।

    खूबसूरत परी जैसी सुषमा की चूत में बिना थके मैं मेरा लण्ड काफी देर तक पेलता रहा। शायद सुषमा भी बहुत ज्यादा एन्जॉय कर रही होगी, क्यूंकि कई बार बिच में ही चुदवाते हुए वह झड़ रही थी। जब वह झड़ती थी तब उसके मुंह से हलकी सी सिसकारी या “उँह….” जैसी आवाज निकल जाती थी। अगर मैं थम जाता तो सुषमा मुझे चुदाई जारी रखने के लिए कहती।

    चोदते हुए मुझे सुषमा की चूत में लण्ड अंदर बाहर होते हुए देख बड़ी ही अजीब सी फीलिंग होती थी। मैं ऐसी खूबसूरत औरत को चोदने का मौक़ा पाकर अपने आप को बड़ा ही भाग्यशाली समझ रहा था। सुषमा एक बड़ी ही संवेदनशील प्रेमिका थी। सेठी साहब बड़े भाग्यशाली थे की उन्हें ऐसी खूबसूरत, समझदार और संवेदनशील बीबी मिली।

    जो भी पति मेरी कहानी पढ़ रहे हैं उनको अनुरोध है की अपनी बीबी को भी दूसरे मर्दों से चुदवाने का मौका दें, बल्कि उनको दूसरे मन पसंद मर्दों से चुदवाने के लिए प्रोत्साहित करें। कई बार बीबियाँ किसी दूसरे से चुदवाने के लिए मना कर देतीं हैं। इससे निराश मत होइए। अपनी कोशिश जारी रखिये। जब पत्नी को यह यकीन हो जाएगा की वाकई में आपको आपत्ति नहीं है और आपको जलन नहीं होगी तो बीबियाँ भी मान सकती हैं।

    साथ में मेरा पत्नियों से भी अनुरोध है की अगर आपके पति आपको दूसरे मर्दों से चुदवाने के लिए कहते हैं तो आप इनसे लड़ाई झगड़ा ना करें। अक्सर जो पति अपनी पत्नियों से प्यार करते हैं वह अपनी पत्नी को कैसे ज्यादा से ज्यादा सुःख दे सकें उसकी चिंता में रहते हैं। वह चाहते हैं की उनकी पत्नी भी बाहर के दूसरे मर्द से चुदवा कर उसकी जो उत्तेजना और आनंद है उसे अनुभव करें। जो युगल इस तरह एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं वह वाकई में बड़े सुखी होते हैं।

    कई बार पति चाहते हैं की उनकी पत्नी किसी और मर्द से उनके सामने ही चुदवाये। इस बात में भी पत्नियों को आश्चर्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अक्सर जो पति पत्नियों को बेतहाशा प्यार करते हैं वह ऐसा करना चाहते हैं। पत्नी और पति दोनों मिलकर साथ में बैठ तय करें की पत्नी किस से इस तरह चुदवाये।

    पत्नियों को भी चाहिए की पति को भी किसी दूसरी औरत को चोदने की इजाजत दे।जो पति अपनी पत्नियों को दूसरे मर्द से अपने सामने चुदवाना चाहते हैं उन्हें नामर्द समझने की गलती ना करें। वह पति चाहते हैं की उनकी पत्नी दूसरे मर्दों से चुदवाते हुए जो आनंद और जो उत्तेजना महसूस करती है उसमें वह भी भागिदार बनें और पत्नी की ख़ुशी से वह भी खुश हों।

    सुषमा को चोदते हुए कई बार मेर मन किया की एक बार तो मैं मेरा लण्ड सुषमा की इतनी खूबसूरत गाँड़ में पेलकर देखूं तो सही की कैसा फील होता है। पता नहीं कैसे पर सुषमा को इसकी भनक लगी होगी, क्यूंकि मुझसे चुदवाते हुए एक बार मौक़ा मिलते ही सुषमा ने पीछे मुड़कर मेरी और देख कर कहा, “मेरी गाँड़ मारने का मन तो नहीं कर रहा? मैं जरूर मौक़ा दूंगी। पर मैं चाहती हूँ की पहले आप अपना सारा माल मेरे गर्भाशय में डालकर मुझे गर्भवती बनादो। इसके बाद आप को जो करना है करो। मैं नहीं रोकूंगी।”

    सुषमा की मजबूरी और उसके मन की वेदना मैं समझने लगा था। अक्सर हम मर्द स्त्रियों के मन के भाव नहीं समझ पाते हैं। ज्यादातर स्त्रियों में या यूँ कहिये की लगभग सारी स्त्रियों में ही भगवान ने माँ का जो भाव स्थापित किया है जिसके कारण यह सारी दुनिया चल रही है, वह अद्भुत है। सबसे पहले माँ बनने का और माँ बनने के बाद अपने बच्चे की जी जान से रक्षा और लालन पालन करने का जो भाव है वह मात्र स्त्रियां ही महसूस कर सकती हैं।

    सुषमा को पीछे से चोदते हुए मैं बहुत ज्यादा देर टिक नहीं पाया। हालांकि मैं अपने आप को झड़ने से रोक सकता था। पर सुषमा की वीर्य को पाने की प्रबल इच्छा देख मैंने अपने आप को नहीं रोका। दूसरे सुषमा की इतनी सेक्सी गाँड़ देख कर ही मेरे लण्ड में पता नहीं क्या हो जाता था।

    मेरी चुदाई के कारण सुषमा तो कई बार झड़ी, पर मैं टिका रहा था। आखिर में करीब दस या पंद्रह मिनट चोदने के बाद मैं झड़ने के कगार पर पहुंचा तब मैं सुषमा की खूबसूरत गाँड़ के गालों को जोर से दबाते हुए बोला, “सुषमा मैं झड़ने वाला हूँ। मैं तुम्हार अंदर मेरा सारा माल छोड़ता हूँ।”

    यह कह कर मैंने उस रात दूसरी बार सुषमा की चूत में मेरे वीर्य का गरमागरम फव्वारा छोड़ा। मैं सुषमा की चूँचियाँ दोनों हाथों में पकड़ कर सुषमा की चूत में पीछे से लण्ड डाले हुए वैसे ही खड़ा रहा जब तक मेरे वीर्य की आखिरी बून्द सुषमा की चूतमें ना चली जाए। सुषमा भी वैसे ही घोड़ी बनकर मेरे वीर्य को स्वीकार करके शायद अपने इष्ट को प्रार्थना कर रही होगी की वह मेरे वीर्य से गर्भवती हो।

    कुछ समय के पश्चात मैं और सुषमा थकान से त्रस्त हो कर पलंग पर लुढ़क पड़े। सुषमा काफी थकी हुई थी। नंगे बदन पर कपड़ा भी ढकने की उसमें ताकत नहीं थी। मैंने सुषमा को पलंग पर ठीक से सुलाया और मैं सुषमा से लिपट कर उसकी गोरी गाँड़ से मेरा ढीला पड़ा हुआ लण्ड सटा कर सो गया।

    पता नहीं कितने बजे होंगे। खिड़की के घने परदे के पीछे से सूरज की किरणों का आभास हो रहा था। उसी समय मेरे फ़ोन पर मैसेज आने का नोटिफिकेशन सूना। मैंने व्हाट्सप्प खोला तो टीना का डराने वाला मैसेज आया हुआ था जिसे पढ़कर मेरे पाँव तले से जमीन खिसक गयी।

    टीना ने लिखा था। “प्यारे राज, मैं जानती हूँ इस समय शायद तुम बिजी होंगे या थके हुए होंगे। (टीना भी जानती थी की उसके निकलते ही मैं सुषमा को पकड़ लूंगा, नहीं छोडूंगा) पता नहीं कैसे मेरी भाभी को हमारे राज़ का अंदेशा हो गया है।

    कल रात को भाभी ने मुझे मुन्ने को सुलाकर सेठी साहब के कमरे में जाने के लिए बारबार आग्रह किया और कहा की मैं बेशक पूरी रात सेठी साहब के साथ रहूं और खूब एन्जॉय करूँ। बल्कि मैं जब आनाकानी कर रही थी तब उन्होंने मुझे धक्के मार कर भेजा और कहा की अगर मैं नहीं गयी तो वह खुद रातभर सेठी साहब के साथ सोयेगी, तो मेरे भाई को भी पता चल जाएगा। मैं बहुत डरी हुई हूँ की कहीं भाई को पता चल गया तो मेरी मट्टी पलित हो जायेगी।”

    मैं मैसेज पढ़ कर कुछ देर सुन्न सा सोचता रहा फिर मैंने टीना को मैसेज किया, “डार्लिंग, चिंता मत करो। चिंता करने से कुछ नहीं होगा। तुम इस समय काफी थकी हुई होगी। चिंता की कोई बात नहीं है। अभी तुम कुछ देर विश्राम करो। सुबह उठ कर शान्ति से रोज की तरह ही वर्तन करना। देखो भाभी क्या कहती है। घबड़ाने की कोई जरुरत नहीं। मुझे लगता है भाभी सिर्फ हमारी परिस्थिति का मजा ले रही है। वह भाई को यह सब नहीं कहेगी। तुम निश्चिन्त रह कर सब काम सामान्य तरीके से करो। जैसे ही कुछ विशेष बात हो मुझे मैसेज करना या बात करना।”

    सुषमा पलंग पर गहरी नींद सो रही थी। मैं उठा और तैयार होने लगा। सुबह दूधवाला, अखबार वाला, कामवाली यह सब आने लगते हैं। अगर उन्होंने सेठी साहब की अनुपस्थिति में मुझे इस घर में देख लिया तो मेरी कहानी सारी कॉलोनी में फ़ैल जायेगी। मैंने सुषमा को उठा कर कपडे पहन कर फिर सोने को कहा। मने कहा की कहीं दूध वाला, कामवाली बगैरह आ ना जाएँ।

    सुषमा ने कहा की उसने कामवाली को तीन दिन की छुट्टी दे रखी थी, दूध सुषमा ने पिछले दिन ही ले रखा था। अखबार वाला तो बाहर अखबार डालकर चला जाता था, तो उसे कोई चिंता नहीं थी। यह कह कर जब वह सोने लगी तो मैंने उसे कहा की मैंने यह सब इंतजाम नहीं किया था सो मुझे जाना पड़ेगा। यह कह कर मैं अपने फ्लैट में जा पहुंचा और टीना के मेसेज या फ़ोन का इंतजार करने लगा।

    लगभग पूरी रात जागने के बाद भी टीना का मेसेज पढ़ कर मेरी नींद हवा हो चुकी थी। मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था। पर सुबह दूध वाला, काम वाली सब के आते जाते रहने के कारण मैं टीना से बात नहीं कर पाया। मैंने करीब साढ़े आठ टीना को फ़ोन मिलाया। पर फ़ोन टीना ने नहीं टीना की भाभी अंजू ने उठाया।

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