हिंदी चुदाई कहानी अब आगे-
आरिफ अपने हाथों में एक बड़ी मोमबत्ती लिए खड़ा था, जिसे जला कर शायद वो कमरे को रोमांटिक बनाने वाला था।
मम्मी बदली हुई बेड की चादर और कमरे में महकते परफ्यूम की खुशबू को महसूस करती हैं। आगे बढ़ते हुए चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए बोली: “आरिफ जी, ये सब किस लिए? आपके हाथों में ये कैंडल?”
आरिफ: “कैंडल नाइट के लिए हैं। मैं अपने रिसॉर्ट पर खास मेहमानों को ही ये रूम सर्विस देता हूं। आप शायद आज की रात यहीं रुकेंगी, तो मैंने सोचा आपका थोड़ा मूड बदल दिया जाए। वैसे भी कविता ने मुझे आपका ख्याल रखने के लिए कहा था।”
मम्मी शर्माते हुए: “थैंक्यू आरिफ जी इस सब के लिए। अब नहाने के बाद काफी हल्का और ताज़ा महसूस हो रहा है।”
मम्मी अपने बालों से टॉवल खोलते हुए मिरर की तरफ बढ़ती हैं। आरिफ कैंडल को बेड के साइड टेबल पर रख कर अपने कदम कमरे से बाहर निकलने के लिए बढ़ाता है।
मम्मी मिरर के सामने खड़ी बालों को सुलझाते हुए आरिफ को जाता देख बोली: “आरिफ जी, आप कहां जा रहे हैं?”
आरिफ मुड़ कर मिरर की तरफ देखते हुए: “वो, मैं अब दूसरे कमरे जा रहा हूं ताकि आप यहां आराम से सो सकें।”
मम्मी आरिफ की तरफ एक शरारती मुस्कान के साथ देखते हुए: “मैं अकेले में काफी डर महसूस करती हूं। आरिफ जी, आप यहां रहेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा।”
आरिफ चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए बोला: “ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे। मैं सोफे पर अपनी रात गुजार सकता हूं।”
मम्मी हल्की स्माइल के साथ शर्माते हुए मिरर में खुद को संवारने लगती हैं। आरिफ सोफे पर बैठा मम्मी को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था।
मैं मन ही मन कहा, “साला आरिफ कितना चालाक है। मां ने अभी एक मर्द से अपना शारीरिक संबंध ठीक से बनाया भी नहीं और ये उन्हें अपने जाल में फसाने लगा था।”
मम्मी अपने होंठों पर हल्की डार्क रेड लिपस्टिक लगा कर उसे मिरर में देख होंठों को होंठों से रगड़ कर सेट कर रही थी। आरिफ उन्हें ऐसा करते बड़े गौर से देख रहा था।
आरिफ मम्मी की उभरी हुई गांड और चिकनी टांगों से अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहा था। मम्मी पीछे मुड़ कर जब देखती हैं कि आरिफ उन्हें ही देख रहा है, तो उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान उतर आती है।
आरिफ उन्हें देख हल्की स्माइल करते हुए: “आपकी सुंदरता बेमिसाल है, इस खूबसूरत जिस्म का मालिक बना जुनैद पर सूट नहीं करता है! अब उसकी वजह से ये ट्रिप इस तरह खत्म होगा, मुझे पता नहीं था।”
मम्मी आरिफ के साथ सोफे पर बैठते हुए: “आरिफ जी, मुझे भी दुख है कि हमारा ट्रिप यहीं खत्म हो रहा है। अब राहुल से रुकने के लिए मैं और बहाना भी नहीं कर सकती हूं।”
आरिफ मम्मी की आंखों में देखते हुए बड़े उदास मन से बोला: “मुझे दुख रहेगा कि मैं आपके लिए कुछ खास नहीं कर पाया।”
मम्मी आरिफ के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए: “ओहो आरिफ जी, कैंपिंग पर जाना वो मेरे लिए खास ही था। घर जाने के बाद मैं ये सब बहुत याद करने वाली हूं।”
आरिफ मम्मी की आंखों में डूबते हुए: “वो कैंप पर आपका थैंक्स मेरे लिए काफी यादगार रहेगा।”
मम्मी शर्माते हुए: “ओह, वो तो बस छोटा सा थैंक्स था!”
आरिफ अपने होंठों को मम्मी के होंठों के करीब लाकर, अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखते हुए बोला: “मेरे लिए वो बहुत खास वक्त था, यही खास पल है जो बस मैंने तुम्हारे साथ बिताया था।”
मम्मी उसकी आंखों की गहराई में डूबते हुए, अपने बदन को आरिफ के नज़दीक लाकर बड़े कामुक लहजे में बोली: “आरिफ जी, मुझे महसूस करो… मैं अभी यहीं आपके पास हूं।”
मम्मी की जांघों पर आरिफ का हाथ उन्हें गर्म और उत्तेजित कर रहा था। उनकी लंबी-लंबी सांसें भरने से चूचियां उभर कर आरिफ की मजबूत छाती से टकरा रही थी। दोनों एक-दूसरे की आंखों में खोए हुए थे। आरिफ का मूसल पजामे में अपनी हरकतें करना शुरू कर चुका था। मम्मी के होंठों पर एक प्यास उमड़ उठी थी, जो आरिफ के होंठों के बीच जाकर चूस जाने को तैयार हो चुकी थी।
आरिफ मम्मी की गर्माहट को अब समझ चुका था कि वो अब उसके जाल में फँस चुकी थी। आरिफ ने मम्मी की नंगी जाँघों पर रखा हुआ हाथ उनकी चूत के और नज़दीक रख दिया। मम्मी अपनी आँखें बंद कर लेती हैं, जिसे देख कर आरिफ समझ जाता है कि अब उसका रास्ता साफ हो गया था।
आरिफ बिना देरी किए अपने होंठों को मम्मी के होंठों पर रख देता है। मम्मी अपने नर्म और कोमल होंठों पर आरिफ के गर्म होंठ पाते ही सिसक उठती हैं। मम्मी अपने हाथों को आगे बढ़ा कर आरिफ की पीठ को जकड़ लेती हैं। आरिफ मम्मी के होंठों का रस बड़े विस्तार से चूस रहा था। उसकी यह अदा मम्मी को और पिघला रही थी, वो अब आरिफ की बाहों में कसमसाने लगी थी।
मम्मी का जिस्म अब एक नए मर्द की गर्मी पाकर ऐसे छटपटा रहा था, जैसे गर्म तवे पर पानी की बूंदें गिर जाने के बाद छटपटा कर धुआं हो जाती हैं।
मैं देखकर हैरान हो गया कि मेरी माँ इतनी जल्दी आरिफ के हवाले कैसे हो रही थी। मुझे जुनैद से मम्मी का जिस्मानी रिश्ता खत्म होने का इंतज़ार था। यहाँ मेरी माँ आरिफ के आगे अपनी टाँगें फैलाने को तैयार हो रही थी।
आरिफ मम्मी के होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उनकी जांघों से हटा कर उनके बूब्स पर रख देता है। मम्मी आरिफ का हाथ अपने बूब्स पर महसूस करते ही अपने जिस्म में सिहर उठती हैं।
मम्मी अपनी आँखें खोल कर आरिफ के होंठों को जबरदस्त तरीके से चूसती हैं। आरिफ मम्मी की नाइटी की स्ट्रैप्स कंधों से नीचे कर उनके दोनों बूब्स आज़ाद कर देता है।
मम्मी के दोनों गोल, उभरे हुए, चमकदार बूब्स आरिफ की कातिल नज़रों को अपनी तरफ खींच रहे थे। आरिफ मम्मी के होंठों को चूसते हुए अपने एक हाथ से उनके निपल्स मसल रहा था। आरिफ का ऐसा करना मम्मी को और चरमोत्कर्ष तक ले जा रहा था।
मम्मी आरिफ के होंठों से अपने होंठ अलग कर हाँफते हुए बोली: “आरिफ जी, आप मुझसे यही चाहते थे ना? मैंने आपकी आँखों में कई बार महसूस किया था।”
आरिफ: “हाँ, जुनैद के साथ तुम्हें देख कर मुझे जलन होती थी।”
मम्मी आरिफ की आँखों में देख उसके होंठों पर अचानक एक जोरदार किस्स कर देती हैं। फिर उसके ऊपर सवार होकर अपने बूब्स आरिफ के मुँह पर रगड़ते हुए गहरी-गहरी साँसें लेती हैं। आरिफ सोफे के सिरहाने सिर टिकाए मम्मी की दोनों टांगों के बीच बैठा था। उसके हाथ मम्मी की कमर को सहलाते हुए उनकी नाइटी को ऊपर खिसका रहे थे।
मम्मी की नाइटी उनकी कमर में अटक जाती है। उनकी रसभरी, चिकनी, कोमल गांड रेड ट्रांसपेरेंट नेट वाले कपड़े की पेंटी में अब तक कैद थी। आरिफ मम्मी की दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था। चूचियों के हर कोने पर आरिफ अपने दाँतों की हल्की चुभन से मम्मी को और कामुक किए जा रहा था।
मम्मी अपने बालों को नोचते हुए बोली: “आह… आह… ह्ह्ह… स्स्स्स… उफ़्फ्फ़… आईईईई! आरिफ जी, आपकी ये अदा मुझे कामुक कर रही है… उफ़्फ्फ़! हम ठीक तो कर रहे हैं? मैं आपके साथ हूँ, ये जुनैद को…”
आरिफ मम्मी की चूचियों से मुँह हटाते हुए बोला: “ओहो सविता, तुम अभी उस नौकर के बारे में सोच रही हो? तुम जैसी खूबसूरत हसीना मेरे जैसे कामयाब मर्द की बाँहों में अच्छी लगती हो।”
मम्मी आरिफ के होंठों को चूस कर बोली: “माफ करना आरिफ जी, आप दोनों दोस्त हैं, इसलिए मुझे सोचना पड़ा! उफ्फ्फ्फ आईईई… वैसे आप उस नौकर से ज़्यादा हॉटनेस वाले मर्द हैं।”
मम्मी उसकी गोद में बैठी हुई अपनी गांड उसके मूसल पर रगड़ कर उसे उकसा रही थी, उसका मूसल पजामे के अंदर कैद अपनी आज़ादी की गुहार लगा रहा था। उसका गठीला मोटा मूसलदार लंड अब माँ की गांड की फांकों में गहरी चुभन कर रहा था, उस चुभन से माँ चरम सुख की सीमा के नज़दीक जा रही थी।
मम्मी आरिफ की गोद से उतर कर ज़मीन पर खड़ी हुई। फिर होंठों पर एक कातिल मुस्कान लिए, उन्होंने अपने हाथ आगे बढ़ाकर आरिफ का कुर्ता उतार फेंका। आरिफ की मज़बूत छाती और गठीले बदन को देखकर मम्मी ने धीमे से कहा — “उफ़्फ़… आरिफ जी, आपके ये सिक्सपैक बदन को अकेले में देखने के लिए मैं कब से तड़प रही थी।”
मम्मी ज़मीन पर घुटनों के बल बैठती हैं, फिर उसके पजामे की डोरी खोल कर मूसलधार लंड को आज़ाद करती हैं। उसे अपनी कोमल मुट्ठी में लेते हुए बोली: “आपकी तरह आपका मूसल भी काफ़ी फ़ौलादी है। आप उस दिन नदी किनारे इसे जानबूझकर नहीं छुपा रहे थे ना… ताकि मैं देख सकूं?”
आरिफ मम्मी के खुले बालों को चेहरे से साइड करते हुए बोला: “जान, बस तुम्हें पाने के लिए…”
मम्मी शर्माते हुए बोली: “आरिफ जी, दीदी से आपकी इतनी तारीफ़ें सुनी थी कि मेरा भी मन हुआ… आपका मूसल देखने का। उफ़्फ़्फ़… आपका सुपाड़ा तो कमाल का है…”
मम्मी आरिफ की तरफ मुस्कुराते हुए लंड को ध्यान से देख रही थी। उसके आकार और मोटाई को अपने कोमल हाथों की मुट्ठी में नाप रही थी। आरिफ का लंड मम्मी के हाथों में धीरे-धीरे और मोटा, लंबा होता जा रहा था। मम्मी उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा अपने हाथ की कलाई से लगाते हुए आरिफ की ओर शरमा रही थी।
मम्मी आरिफ को एक कातिल मुस्कान देते हुए लंड के सुपाड़े को हल्के से चूमती हैं, फिर अपनी जीभ को हल्का-सा बाहर निकालकर लंड के निचले हिस्से से लेकर सुपाड़े तक जीभ फेरती हैं।
मम्मी की इस अदा से आरिफ अपनी आँखें बंद कर लेता है, फिर एक गहरी साँस अंदर लेकर बाहर छोड़ते हुए कहता है: “आह उफ्फ… सविता, तुम बहुत हॉट हो! काश मेरी पहली मुलाकात तुमसे हुई होती!”
मम्मी इस तरीके से दो बार करती हैं, उसके लंड के चारों तरफ अपनी गीली जीभ फेरते हुए उसके मूसल का स्वाद ले रही थी। फिर मम्मी आरिफ की तरफ देखती हैं, जो अपनी आँखें बंद किए मीठे एहसास को महसूस कर रहा था। मम्मी उसके सुपाड़े को अपने होंठों के बीच जकड़ कर उसका एहसास दुगना कर रही थी, होंठों को टाइट करते हुए वो लंड को धीरे-धीरे मुँह के और अंदर तक ले रही थी।
आरिफ मम्मी के बालों में अपना हाथ फेरते हुए मीठे एहसास का पूरा मज़ा ले रहा था। उसकी हल्की और भारी “आह… उफ्फ…” की आवाज़ों से लग रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा था। मम्मी के मुँह की गर्मी उसके लंड को एक अलग जन दे रही थी। मम्मी अपने होंठों को टाइट करके सिर को ऊपर-नीचे करते हुए लंड चूस रही थी।
मम्मी कुछ देर में ही उसके लंड को अपने थूक से चिकना और चमकदार कर देती हैं। फिर उसके गोरे अंडों को मुँह में लेकर उन्हें एक अलग मज़ा देती हैं।
फिर माँ चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी होती हैं और अपनी पैंटी को उतार कर नाइटी को भी उतार फेंकती हैं। आरिफ को तीखी मुस्कान करते हुए उसे बिस्तर पर आने का इशारा करती हैं। मम्मी बिस्तर के पास जाकर किनारे पर लेट जाती हैं, फिर अपनी टांगों को अपने पेट की तरफ मोड़कर आरिफ को चूत की तरफ इशारा करती हैं। आरिफ मम्मी के इस अंदाज़ पर मुस्कुरा जाता है कि एक हसीन उसे अपनी चूत चाटने को बोल रही थी। आरिफ उनके करीब जाता है, फिर उनकी टांगों को फैलाकर सीधा अपनी जीभ उनकी गर्म और रस से चिपचिपी चूत पर धर देता है।
आरिफ चूत के दाने को मुंह बाहर के, उसे अंदर ही अंदर अपनी जीभ से रगड़ रहा था। मम्मी आरिफ के ऐसा करने पर हल्का-हल्का कराह रही थी।
मम्मी आरिफ के सिर को अपनी चूत में ऐसे दबा रही थी, जैसे वो उसका सिर उसमें घुसाना चाहती हों। मम्मी कराहते हुए सिसकारियाँ भरने लगी, अपनी तेज़ साँसों को सँभालते हुए बोली: “उफ्फ्फ्फ आईईईई… आरिफ जी, और करो, काटो मेरे दाने को… उफ्फ्फ्फ, प्लीज़ रुकना मत… ओह्ह… आह्ह…”
आरिफ अचानक अपना मुँह चूत से हटा कर खड़ा हो जाता है। मम्मी उसे गुस्से में देखते हुए बोली: “आरिफ जी, आप रुके क्यों? मैं तो झड़ने वाली थी!”
आरिफ अपने मूसल को मुठियाते हुए बोला: “जान, मेरा मूसल लंड तुम्हारे रस को चखना चाहता है।”
मम्मी मुस्कराते हुए बोली: “ओह, प्लीज़ जल्दी डालो मेरे अंदर अपना ये फौलादी मूसल…”
आरिफ लंड को चूत के मुहाने पर रख कर मम्मी को एक स्माइल करता है। मम्मी जवाब में अपनी टाँगें और फैला लेती हैं। फिर आरिफ हल्के धक्के में अपना मूसल मम्मी की चूत में उतार देता है। मम्मी के अंदर लंड जाते ही उन्हें जैसे तीखी मिर्ची लगने का असर होता है, जिससे वो अपनी मुट्ठियों में चादर समेट लेती हैं। वो अपनी आँखें आरिफ से मिलाते हुए एक लंबी चीख मारती हैं।
आरिफ उनके दर्द की परवाह ना करते हुए एक धक्का और मारता है, जिससे उसका पूरा मूसलदार लंड मम्मी की बच्चेदानी से जा टकराता है। पूरा लंड जाते ही माँ की एक ज़ोरदार चीख निकल जाती है, वो दर्द से कसमसा रही थी।
आरिफ अपने धक्कों की गति को तेज़ करता है, ताकि उन्हें दर्द का आनंद मज़े में मिल सके। मम्मी थोड़ी देर में ही सिसकियाँ भरने लगती हैं, वो आरिफ को अपने ऊपर बुला लेती हैं। फिर आरिफ मम्मी के ऊपर चढ़ कर उन्हें किस्स करते हुए अपने तेज़ धक्कों से चोदता है।
थोड़ी देर में मम्मी झड़ जाती हैं, पर आरिफ को अंदर झड़ने से रोक देती हैं। मम्मी आरिफ की तरफ पलट कर उसके मूसल को मुँह में लेती हैं और लंड के झड़ जाने तक उसे चूसती रहती हैं। आरिफ के मूसल की गाढ़ी मलाई चखने के बाद मम्मी उसके साथ कुछ देर आराम करती हैं। आरिफ जल्दी ही दूसरे राउंड के लिए तैयार हो जाता है। आरिफ अपने खड़े लंड को मसलते हुए कहता है, “जान, अब इसे अपनी गदराई गांड का रस चखा दो।”
मम्मी मुस्कुराते हुए लंड को हाथों में लेकर बोली: “ओह, तो जनाब को मेरे दूसरे रास्ते में जाना है? ठीक है, मैं बाथरूम से आकर मूसल के साथ कैंडल नाइट का मज़ा लेना चाहूंगी!”
जब तक मम्मी बाथरूम से बाहर आई, आरिफ ने मोमबत्तियाँ जला कर कमरा तैयार कर दिया था। मम्मी बाथरूम से बाहर आई और आरिफ से लिपट गई। उन्होंने उसके होंठों पर चुम्बनों की बौछार कर दी। आरिफ मम्मी को बिस्तर पर ले आया और उन्हें एक टट्टू पर बिठाया और उनकी गांड पर क्रीम लगा कर अपना लंड उनके मुँह पर रख दिया। मम्मी ने उसे बीच में ही रोक दिया और पहले लाइट बंद करने को कहा।
कमरे में लाइट बंद होने के बाद बस कैंडल की रोशनी रह गई थी। कमरे में इतनी ही हल्की रोशनी थी कि आरिफ मम्मी के जिस्म के हर अंग को साफ़-साफ़ देख सकता था।
अब मुझे बस कैंडल की रोशनी में उनकी परछाई और हिलते हुए बदन की कामुक आवाजें ही सुनाई दे रही थी।
मेरी सविता माँ आज एक नए मर्द से चरमसुख का अनुभव एक नए तरीके से कर रही थी। आरिफ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने के बाद माँ जुनैद का क्या हल निकालती हैं, यह जानने के लिए मेरी अगली कहानी पर बने रहें।
दोस्तों, उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई होगी। कृपया बताएं कि आपको अब तक की कहानी कैसी लगी, अपनी राय मुझे ईमेल के माध्यम से साझा करें।
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मेरी कहानी को पसंद करने वाले सभी पाठकों का मैं दिल से धन्यवाद करता हूँ।