Mera behanchod devar-1

This story is part of the Mera behanchod devar series

    हैलो दोस्तों मैं वीना शादीशुदा हूँ, और मैं पटियाला पंजाब से हूँ और जो स्टोरी मैं आपको बताने जा रही हूँ। वो एकदम सच्ची है और ये मार्च 2020 की लाकडाउन शुरू होने के एक दम पहले की है, और अभी तक चल रही है।

    इसमें आप जानेंगे कि कैसे मेरे देवर ने मेरी चूत की सील अपनी बहन के साथ मिलकर तोडी, और फिर अपनी बडी विधवा बहन को चोद कर उसकी जवान बेटी की भी चूत की सील तोड़ कर उसने चुदाई करी।

    अब सबसे पहले मैं आपको अपने और अपनी फैमिली के बारे में बता दूं, मैं वीना एक 22 साल की खूबसूरत जवान लडकी हूँ। और मेरे परिवार में मेरे सास ससुर मेरे पति बिट्टू जो एक प्राइवेट कंपनी में बहुत अच्छे पद पर नौकरी करते हैं, और उनकी टूरिंग जोब है।

    मेरे पति की चार बडी बहनें है, सबसे बडी रेखा जो विधवा है और एक जवान बेटी मीनू की माँ है। और एक स्कूल टीचर है और हमारे घर के बगल में रहती है। दूसरी काजल और तीसरी मुस्कान और सबसे छोटी बहन बिंदू है।

    जो एक तीन महीने के बच्चे की माँ है, और इस स्टोरी की सबसे बडी पात्र है। मेरा देवर टोनी जो इस चूदाई कहानी का नायक है, और अभी उसकी सरकारी नौकरी सेहत महकमे में लैब टेक्नीशियन की लग चूकी है पर अभी वो अपनी पोस्टिंग का इंतजार कर रहा है।

    मेरा मायका परिवार भी पटियाला में ही रहता है, जिसमें मेरे मम्मी पापा और मेरे छोटी बहन सोनी और भाई राजू हैं।

    अब मैं अपनी स्टोरी पर आती हूँ, 3 मार्च 2020 को मेरी शादी बिट्टू से हुई और रात को जब मैं सुहाग सेज पर बैठी अपने पति का इंतजार कर रही थी। तो मेरे दिल में बहुत से ख्याल आ जा रहे थे, और मैं रोमांच से भरपूर थी और तभी बिट्टू आ गए।

    मैं अपने पति के पांव छूने लग गयी, पर मेरे पति ने मुझे कंधों से पकड कर बिस्तर पर बैठाया। वो मेरी पीठ अपनी और करके मेरे चूतडों पर हाथ फेरने लग गये, और कूछ देर बाद बिट्टू ने मेरा लहंगा और कच्छी उतार कर मूझे उल्टा लिटा कर मेरे चूतड पर थप्पड़ मारने लग गये।

    फिर उन्होंने अपना लंड मेरी गांड में घूसेड दिया, और मैं दर्द से तडपने लग गयी। कुछ देर बाद बिट्टू के लंड से वीर्य मेरी गांड में छूट गया, और बिट्टू ने मुझसे पूछा।

    बिट्टू – वीना मजा आया?

    वो मेरा जवाब सूने बिना मुझे कपड़े पहनने को बोल कर सो गए, और मैं अपनी सूहाग सेज पर बिना चूदे तडपती और रोती हुई अपनी किस्मत को कोसती रही। मेरे पति जोर से खर्राटे लेते हुए गहरी नींद में सो गए, और मैंने तो ढंग से लंड का दीदार भी नहीं किया था।

    क्यूँकि जब मैंने अपने पति की तरफ देखा, तो वो कपड़े पहन कर सो चूके थे। अगले दिन सुबह मेरी सबसे छोटी ननद बिंदू दीदी हमारे कमरे में चाय लेकर आई, और मुझे देख कर हंसते हुए वो बोली।

    बिंदु – भाभी लगता है भईया ने रात भर सोने नहीं दिया।

    फिर वो बिस्तर की तरफ देख कर मेरी और घूरने लग गयी, और मैं कूछ कहती इससे पहले ही दीदी चली गई। उसके बाद मैं नहाई और अनमने मन से तैयार हूई, जब मेरे पति चले गए उसके बाद बिंदू दीदी मेरे पास आई।

    पहले तो दीदी इधर-उधर की बातें करती रही, फिर मुझसे पूछा – भाभी एक बात पूछूँ सच बताओगी?

    मैं – दीदी आप ऐसे क्यों कह रही हो, आप जो भी पूछना चाहती हो बेझिझक होकर बोलो।

    फिर दीदी थोडा सोच कर बोली – भाभी सूबह जब मैं आपके पास आई थी, तब आप बहुत दुखी लग रही थी और लग रहा था जैसे आप रात भर रोई नही हो ऐसा क्यों?

    मैंने कहा – दीदी ऐसी कोई बात नहीं है आपको ऐसे ही वहम हो गया।

    दीदी ने कहा – भाभी ये वहम नहीं है, मैं भी एक औरत हूँ और मुझे पता है कि सुहागरात को नई नवेली दुल्हन के साथ क्या होता है। और सुबह जब मैं आई थी तब आपका बिस्तर भी एकदम साफ था और सुहागरात के बाद बिस्तर का साफ होना कोई अच्छा संकेत नहीं है। अगर कोई ऐसी बात है, तो मुझे बताओ जितना हो सकेगा मैं आपकी मदद करूंगी।

    उसके बाद मैंने दीदी को अपनी सुहागरात की पूरी स्टोरी बता दी, और मैंने अपनी फटी हुई गांड दीदी को दिखाई। दीदी अपने भाई की करतूत पर अपने माथे पर हाथ मार कर बोली – हे भगवान ये क्या हो गया।

    फिर कुछ देर बाद वो बोली – भाभी जो हूआ बहुत गलत हूआ, पर मैं आपके साथ हूँ और मैं आपके लिए सिर्फ इतना तो कर ही सकती हूँ। कि अगर तुम्हे एतराज न हो तो मैं तुम्हारे लिए एक दमदार मर्द का इंतजाम कर सकती हूँ।

    जो तेरी सैक्स की हर इच्छा अच्छे से पूरी करेगा, और किसी को कूछ भी पता नहीं चलेगा और घर की बात घर में ही रह जाएगी। आगे जिंदगी आपकी है और फैसला आपका है, पर कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार अपने और इस परिवार के बारे में भी सोच लेना। मेरी बात पर भी गौर करना ठीक है भाभी।

    ये कह कर दीदी मेरी और हसरत भरी निगाहों से देखने लग गयी, मैं भी दीदी को ऐसे देख रही थी जैसे दीदी को सब कुछ पता है। और अब वो मुझसे हमदर्दी जता कर अपने भाई की कमी छूपा रही है।

    मैंने कहा – दीदी आप ये ऐसा क्यूँ कह रही हो? क्या आपको इस सब का पहले से ही पता है?

    दीदी बोली – भाभी मैंने तो एक बडी बहन होने के नाते आपसे बात की है, अगर तुम्हें मेरी बात का बुरा लग गया तो मैं आपसे माफी चाहती हूँ।

    ये कह कर वो जाने लग गयी, तो मैंने दीदी को रोक कर कहा – दीदी आप बुरा मान गई हो।

    फिर मैंने हंस कर कहा – दीदी बताओ तो वो कौन है, जो मेरी सैक्स की इच्छा भी पूरी करेगा और किसी को कूछ भी पता नहीं चलेगा।

    दीदी बोली – भाभी अब शर्म कैसी अब खूल कर बोल तू बोल तू अपनी चूत का उदघाटन कैसे लंड से करवाना चाहती है, या फिर पहले से लंड का मजा ले चुकी है? और अगर चूद चूकी है, तब भी तू उस लंड को भूल जाएगी ये मेरा तुमसे वादा है।

    मैंने कहा – दीदी मैंने तो अपने आप को आपके भाई के लिए सम्भाल कर रखा हुआ था, पर अब जैसे तुम कहोगी वैसा ही होगा।

    अब दीदी मेरे बूब्स मसल कर बोली – भाभी बस अब बहुत जल्द तेरी चूत में एक दमदार लंड होगा, और तेरी जवानी के सभी अरमान पूरे होंगे।

    मैंने फिर पूछा – दीदी बताओ न कि वो कौन है?

    दीदी बोली – भाभी तू ये समझ कि वो मेरे बच्चे का पापा है, और अब बहुत जल्द तेरे भी होने वाले बच्चों का भी पापा होगा।

    मैंने कहा – दीदी तो क्या जीजू?

    दीदी मेरी बात सुनकर बोली – भाभी तू बस आम खाने से मतलब रख पेड गिनने से नहीं, और बहुत जल्द तेरी चूत फट कर भोसडा बनने वाली है।

    मैंने पूछा – दीदी मुझसे अब और इंतजार नहीं होता।

    दीदी बोली – बस अब ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते लगेंगे और काम इससे पहले भी बन सकता है। अब मैं तेरी चूदाई के लिए रास्ता तैयार कर रही हूँ, और अब तेरी चूत से लंड ज्यादा दूर नहीं है।

    ये बोल कर दीदी हसते हुए मेरे पास से उठ कर चली गई। एक हफ्ते बाद घर में मम्मी पापा की तीर्थ यात्रा की बात चलने लग गयी, और बिंदू दीदी ने मुझे बताया कि मैं मम्मी पापा को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए कहूँ।

    मैंने भी मम्मी पापा को तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए बोला, और 15 मार्च को मम्मी पापा का तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम तय हो गया। उसी दिन मेरी सास ने बिंदू दीदी को कहा – कि वो और ससुर जी 15 तारीख को यात्रा पर जा रहे हैं और बिंदू घर और मेरी देखभाल के लिए यहां पटियाला में आ जाए।

    बिंदू दीदी ने कहा – मम्मी आप बेफिक्र होकर यात्रा पर जाओ, मैं 15 को शाम तक आ जाउंगी।

    फिर बिंदू दीदी ने मुझे फोन करके कहा – भाभी अब जैसा मैं कहूँ वैसे करती चलो।

    अब मैं दीदी के निर्देशानुसार चलती रही, और फिर 14 की शाम को जब मैं मम्मी पापा के जाने की तैयारी कर रही थी। तभी दीदी का फोन आया और वो मुझे बोली।

    दीदी ने मुझसे कहा – भाभी अब तुम अपनी भी तैयारी कर, और कल मम्मी पापा के जाने के बाद जब भईया भी चले जायेगें। तो तुमने सबसे पहला काम अपने जिस्म को साफ करना है, क्यूँकि टोनी को जिस्म पर बाल बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते है खास तौर पर चूत और कांख के बाल।

    उसके बाद अपनी चूत को साफ करके, जब मैं घर आऊं तब तूम नंगी होकर मेरा इंतजार करना।

    मैंने कहा – दीदी तो क्या देवर जी।

    दीदी मेरी बात काट कर बोली – भाभी मै जैसे कह रही हूँ वैसे करो।

    फिर उसने फोन काट दिया और शाम को जब बिट्टू घर आए, तो वो बोले – मैंने कल आफिस के काम से एक हफ्ते के लिए दिल्ली जाना है, और मैं चाहता हूँ कि तू भी मेरे साथ चलो।

    मैंने कहा – ये कैसे हो सकता है, क्यूँकि कल मम्मी पापा तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं और बिंदू दीदी घर आ रही है। ऐसे में हमारा जाना क्या अच्छा लगेगा?

    बिट्टू मेरी बात मान गए और बोला – तो ठीक है मैं भी कल सूबह आठ बजे निकल जाऊंगा, और मैं टोनी से कह दूंगा कि हमारे जाने के बाद तू अपनी भाभी का ख्याल रखना।

    टोनी एक शरारती हंसी हंस कर बोला – भईया मम्मी पापा आप भाभी की तरफ से बेफिक्र होकर जाओ, मैं भाभी का बहुत अच्छे से ध्यान रखूंगा।

    दोस्तों अब इससे आगे क्या और केसे हुआ, ये आपको मेरी इस कहानी के अगले भाग में पता चलेगा।

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