Drishyam, ek chudai ki kahani-38

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

    कोई क्या जाने दिल की हालत जो परवानों की होती है।
    ख़ौफ़ मरने का तो है फिरभी जितअरमानों की होती है।

    परवाने यह जानते हुए भी की वह शमाकी लौ में जल जाने वाले हैं, शमा की आग में कूदने से बाज नहीं आते। आरती फैंसला कर चुकी थी। अब सवाल इस पार या उस पार का नहीं था। उसने रमेश से आरती के घर आकर आरती के पति से मिलने का आमंत्रण दे दिया था। रमेश के घर में और ख़ास कर रमेश के खुद के मन में अजीबोगरीब उत्सव और उल्लास का सा माहौल था। रमेश ने दस दिन के बाद का अपना टिकट बुक करा दिया था। मुझे आरती और अर्जुन दोनों की और से यह समाचार मिल चुका था।

    तब अचानक मुझे आरती का एक मेसेज आया तो मेरे दिलकी धड़कन रुक सी गयी। आरती ने लिखा था, “अंकल, मैंने रमेश को आने के लिए आमंत्रण तो दे दिया था पर मैं अब इस चक्कर को ख़तम कर देना चाहती हूँ। मैंने अर्जुन को कह दिया है की मैं रमेशजी से सारे नाते रिश्ते तोड़ने जा रही हूँ। मैं रमेश जी को मेसेज कर रही हूँ की वह अपना टिकट फ़ौरन कैंसिल करें और मेरे घर ना आएं और आगे से मुझसे कोई बातचीत ना करें।”

    यह पढ़ कर जैसे मेरे पाँव के निचे से जमीन खिसक गयी। मने आरती से पूछा, “क्यों, आखिर दो दिन में ऐसा क्या हुआ? दो दिन पहले तो तुमने रमेश और अर्जुन दोनों से कह दिया था की रमेश आएगा। अर्जुन ने भी यह कन्फर्म किया था और रमेश ने तो अपना टिकट भी बुक करवा लिया है। अब यह अचानक क्या हो गया?”

    आरती, “अंकल रमेशजी मुझसे ऑफिशियली शादी करना चाहते हैं। रमेश ने अर्जुन को भी इसके लिए मना लिया है। अर्जुन ने भी रमेशजी को इसके लिए हामी भर दी है। मुझे इस सारी बातों में मेरे पति अर्जुन की कोई जबरदस्त चाल लग रही है। मुझे जबरदस्त शक है की अर्जुन का किसी और लड़की से चक्कर चल रहा है और मेरे पति ने यह चक्कर इस लिए चलाया है ताकि बादमें वह मुझे रमेशजी के गले में डाल कर खुद अलग हो जाए और फिर मेरा पति अर्जुन उस लड़की को मेरे घर में घुसा कर गुलछर्रे उड़ाए। मैंने अर्जुन को कई बार किसी लड़की से मुझ से छिप कर घंटों चैट करते हुए देखा है। मैं ऐसा हर हालत में नहीं होने दूंगी।”

    आरती की बात सुन कर मेरे होशो हवास उड़ गए। यह नयी उलझन अचानक कहाँ से आयी? कहीं वाकई में तो अर्जुन हम सब से कोई बहुत बड़ा खेल तो नहीं खेल रहा था? कहीं ऐसा तो नहीं की मुझे बिच में रख कर मेरी बच्ची जैसी आरती को बली का बकरा बनाया जा रहा था जिसमें मैं आरती रूपी बकरे का भोग लगाने वाले पुजारी का रोल कर रहा था?

    मैंने बड़ी धीरज से आरती को ढाढस देते हुए लिखा, “देखो आरती बेटी, अगर तुम्हारी बात में थोड़ी सी भी सच्चाई है तो मैं तुम्हारे साथ पूरी तरह से हूँ और तुम्हें फ़ौरन आगे बढ़ने से मना कर दूंगा और रमेश से सारे रिश्ते तोड़ने को कह दूंगा। पर आवेश में शक के आधार पर कोई भी निर्णय लेना ठीक नहीं। देखो बेटी, रिश्तों को बनाने में सालों निकल जाते हैं और बड़ा समय और बड़ी मेहनत लगती है, पर रिश्ते को तोड़ने में सिर्फ एक ही वाक्य और दो मिनट लगते हैं…

    तुम्हारे पास अभी वक्त है। रमेश अपना टिकट दस दिन के बाद नहीं तो एक हफ्ते के बाद भी कैंसिल कर सकता है। इस लिए अभी जल्दबाजी में कोई भी कदम मत उठाओ जिससे बाद में पछताना पड़े और किसी भले आदमी का दिल टूट कर चूरचूर हो जाए। तुम कुछ भी नकारात्मक बात मत बोलना जब तक मैं तुम्हें ना कहूं। पर हाँ, यह बताओ की क्या तुम्हें मुझ पर पूरा भरोसा है? क्या कहीं तुम यह तो सोच नहीं रही की मैं भी अर्जुन के साथ मिला हुआ हूँ?”

    आरती, “अंकल आज की तारीख में आप के अलावा मुझे किसी और पर बिलकुल भरोसा नहीं। अपने पति पर भी नहीं। मैं यह जानती हूँ और मुझे शतप्रतिशत भरोसा है की आप मुझे सही रास्ता दिखाएँगे क्यूंकि आपने मुझे अपनी बेटी माना है और मैंने आपको मुंह बोला पिता माना है। मैं जानती हूँ की आप किसी के झाँसे में नहीं आने वाले। पहले मैंने आपके बारे में जो कहा वह तो सिर्फ मजाक मजाक में ही कहा था। अगर आप पर मुझे जरासा भी शक होता तो मैं किसी के बाप भी ना सुनती और आपसे कोई चैट बैत नहीं करती।”

    मैंने जवाब दिया, “तब फिर दो दिन रुक जाओ। मुझे अपने तरीके से छानबिन करने दो। मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा यह समझनेमें की आखिर अर्जुन की मंशा क्या है?” यह कह कर मैंने आरती को “बाई” कह कर कनेक्शन काटा।

    आरती से चैट ख़तम ही हुई थी की मैंने देखा की अर्जुन के कई मैसेजिस आ चुके थे। अर्जुन तभी भी ऑनलाइन था और मेरा इंतजार कर रहा था। अर्जुन बिलकुल हताश लग रहा था। उसके सारे मैसेजिस का तात्पर्य यह था की आरती ने उसे बड़ा ही जबरदस्त झटका दे दिया था और उसे कह दिया था की आरती रमेश को आने से मना कर चुकी थी और अब आरती किसी भी गैर मर्द से कोई भी चैट नहीं करेगी। जब अर्जुन ने आरती से कारण पूछा तो आरती ने कह दिया की रमेश आरती से शादी करना चाहता है और वह ऐसा कतई नहीं होने देगी।

    मैंने अर्जुन को ढाढस देते हुए कहा, “देखो बेटे, अभी तुम्हें निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। आरती ने तुम्हें भले ही कहा हो की उसने रमेश जी को आने से मना किया है, पर मैंने उसे ऐसा करने से रोक दिया है। अगर आज हमारी चैट नहीं हुई होती तो ऐसा होने ही वाला था। पर अभी ऐसा हुआ नहीं है।”

    मेरी बात सुन कर मुझे ऐसा लगा की शायद अर्जुन ने एक गहरी साँस ली होगी। उसने जवाब दिया, “अंकल, मैं कह नहीं सकता की आप ने मेरे सिरसे कितना बोझ हल्का किया है। आपने मुझ पर इतना बड़ा एहसान किया है जिसको मैं शायद कभी नहीं चुका पाउँगा।”

    मैं लिखा, “यह सब ठीक है, पर सबसे पहले तुम मुझे यह बताओ की क्या सच में आरती को छोड़ तुम्हारी कोई और गर्ल फ्रेंड है या कभी थी?”

    मुझे यकीन था की उस समय अर्जुन अपना सर खुजा रहा होगा की उसकी गर्ल फ्रेंड के साथ इन सब बातों का क्या रिश्ता है? अर्जुन ने जवाब दिया, “अंकल, मेरी गर्ल फ्रेंड? मुझे बिज़नेस से और आरती और रमेश को समझाने और मनाने के अलावा समय ही कहाँ की मैं कोई गर्ल फ्रेंड करूँ? हाँ कॉलेज के जमाने में एक लड़की थी जिससे मेरी आँखें जरूर टकरायीं थीं। पर हुआ कुछ भी नहीं। मैंने यह सब आपको बड़े विस्तार से बता तो दिया था।”

    मैंने कहा, “ठीक है। तो तुम यह बताओ की तुम यह आरती की रमेश से शादी कराने के चक्कर में क्यों पड़े हो?”

    अर्जुन, “अंकल, रमेश बड़ा ही स्पिरिचुअल बन्दा है। वह चाहता है की उसका आरती से नाजायज रिश्ता ना हो। वह चाहता है की आरती से ठीक ढंग से शादी कर फिर उसकी चुदाई करे।” फिर कुछ देर रुक कर अर्जुन ने लिखा, “देखिये अंकल, रमेश के मन में एक झिझक है, आरती को चोदने की। वह झिझक चली जायेगी अगर रमेश की शादी आरती से हो जायेगी तो। फिर तो वह दोनों पति पत्नी की तरह चुदाई का पूरा आनंद ले पाएंगे। दूसरी तरफ आरती भी यह सोच आरही है की वह किसी गैर मर्द से कैसे चुदवा सकती है। अगर दोनों की शादी हो जायेगी तो यह झिझक ख़तम हो जायेगी।”

    मैंने लिखा, “वाह भाई, कमाल है। यह तो ऐसी बात हुई की बेईमानी के धंधे में सबसे ज्यादा ईमानदारी होती है। पर आरती रमेश से शादी ना करे तो?”

    अर्जुन, “अंकल सच कहूं? यह मेरी भी कमजोरी है। मैं भी मेरी बीबी को एकदम दुल्हन सी सजी हुई लाल चुन्नी और साड़ी पहने हुए, हाथों में चूड़ा, माथे पर गहरा सा सिंदूर, होठों पे लाली लगी हुई, पॉंवों में घुंघरू लगाए हुए, हाथों में गजरा, आँखों में कजरा, बालों में मोगरे का गुच्छा, रमेश से पूरी सजधज कर तैयार हो कर चुदती हुई देखना चाहता हूँ।”

    यह समझने में मुझे देर नहीं लगी की अर्जुन के दिमाग में वह “दृश्यम” एकदम डंके की चोट पर घर कर गया था जब उसने पडोसी लड़के की बीबी को सजीधजी हुई, हाथों में दूध का गिलास ले कर अपने पति के कमरे में जाते हुए देखा था और फिर बाद में उसकी चुदाई होते हुए, उसकी कराहटें, सिसकारियां और दबी हुई चीखें सुनी थीं तब वह “दृश्यम” अर्जुन के दिमाग में ऐसा चिपक गया था की उसी “दृश्यम” का एहसास दुबारा महसूस करने का उसे एक पागलपन सा हो गया था।

    अर्जुन वही “दृश्यम” अपनी बीबी को चुदवाते हुए दुबारा देखना चाहता था। इसी “दृश्यम” को देखने के लिए अर्जुन शादी का यह तिकड़म चला रहा था। अर्जुन की सारी दलीलें और तर्क फ़ालतू थे। सच तो यही था जो अर्जुन ने बताया था। यह पागलपन उसके जीवन का एक बड़ा ही अहम् हिस्सा था। उस पागलपन को निकालना नामुमकिन सा था।

    फिर भी जो रास्ता अर्जुन लेने की सोच रहा था वह बड़ा ही खतरनाक था। मैंने अर्जुन को लिखा, “अर्जुन मैं तुम्हारी संवेदना समझ सकता हूँ। पर तुम जो करने जा रहे हो उसमें एक बड़ा ही ख़तरा है। ऐसा करने से तुम आरती की संवेदना के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रहे हो। क्या तुम्हें मालुम है की शादी ब्याह को पुरुष के मुकाबले स्त्रियां कई गुना ज्यादा महत्व देतीं हैं? उनके लिए शादी सिर्फ चुदवाने का साधन ही नहीं, शादी महिलाओं के लिए उनकी इज्जत, मर्यादा, प्यार और संवेदनशीलता का प्रतीक है और सबसे ज्यादा शादी का संस्थान महिलाओं के जीवन का आधार है। जहां तक आरती का सवाल है, उसने तो रमेश से शादी करने से साफ़ साफ़ मना कर दिया है।”

    अर्जुन, “अंकल, आपकी बात तो ठीक है। अब बताइये फिर मैं क्या करूँ? अंकल ना सिर्फ मैं मेरी बीबी की रमेश जैसे तगड़े मर्द से चुदाई करवाना चाहता हूँ, पर मैं मेरी बीबी को दुल्हन की तरह सजी हुई चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ। अब आरती को मनाना आपका काम है।”

    मैंने कहा, “तुमने क्या शादी के लिए कोई इंतजाम भी कर रखा है?”

    अर्जुन, काफी ख़ुशी से, “हाँ सर, मैंने हमारे घर से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर एक हमारी ही जाती का मंदिर है, वहाँ सारी व्यवस्था करने की सोची है।”

    मैंने बड़ी सख्ती दिखाते हुए लिखा, “ऐसा बिलकुल मत करना। मैं तुम्हें एक बेहतर रास्ता दिखाता हूँ। वह आसान भी है, तुम्हारा काम भी हो जाएगा और कोई ख़तरा भी नहीं होगा।”

    पढ़ते रहिये, यह कहानी आगे जारी रहेगी..

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