अगर मुझसे मोहब्बत है-2

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    मैं एक साधारण मेहनतकश मध्यमवर्गीय इंसान था। और एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था। काम काफी होता था। ट्रैवेलिंग जॉब थी। महीने में मैं करीब 10 से 20 दिन ट्रेवल करता था। मेरी बीवी रीता मेरी नौकरी और मेरे घर से इतने लम्बे अर्से तक दूर रहने से बोर हो जाती थी।

    रीता की पढ़ाई करने के बाद एक नृत्य प्रशिक्षक बनने की ख्वाहिश थी। सो कुछ धनोपार्जन और कुछ अपनी बोरियत दूर करने के लिए उसने एक स्कूल में कला शिक्षक की नौकरी ले ली। वह सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक बच्चों को प्रशिक्षण देती थी।

    स्कूल अच्छा था। तनख्वाह ठीक ठाक थी। हमारी आमदनी में रीता के जॉब के कारण कुछ इजाफा जरूर हो जाता था। उसे ज्यादा काम नहीं रहता था, तो वह घर और स्कूल दोनों काम सम्भाल पाती थी।

    रीता के स्कूल ज्वाइन करने के करीब एक-आध महीने बाद स्कूल में ही एक दूसरी लड़की किरण ने भी ज्वाइन किया। जब स्कूल के दूसरे टीचरों ने किरण के बारे में सुना तो सब दॉंतों तले उंगली दबा गए।

    किरण ने सायन्स में मास्टर्स डिग्री, सामाजिक शास्त्र में डिग्री, तत्वदर्शन में डिग्री हासिल की थी और योग विद्या में वह निष्णात थी। जब उसने स्कूल में एक निम्न क्लास टीचर के लिए अर्जी दी, तो स्कूल का बोर्ड भी अचम्भे में था।

    किरण तो प्राधानाध्यापक होने के लायक थी, पर उसने सिर्फ कनिष्ठ पद के लिए ही आवेदन भरा था। जब किरण को पूछा गया कि वह क्यों उच्चतर पद के लिए आवेदन नहीं करना चाहती, तब किरण ने कहा की वह सिर्फ बच्चों को पढ़ाना चाहती थी। उसे प्रशाशनिक जिम्मेदारियां उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। किरण मात्र साधारण शिक्षक की नौकरी ही करना चाहती थी।

    चूँकि मेरी पत्नी रीता और किरण एक ही उम्र के थे, तो पहले ही दिन से उनकी मुलाक़ात और जान-पहचान हो गयी थी। इसके अलावा दोनों का मायका करीब के गाँव में था। रीता और किरण दोनों के माँ-बाप की आर्थिक स्थिति भी करीब-करीब एक बराबर ही थी। इसलिए रीता और किरण एक-दूसरे से काफी करीबी महसूस करने लगीं थीं और उनमें काफी बातचीत होने लगी थी।

    किरण की शादी सूरज से हुई थी, जो एक रईस घराने से था। तो जाहिर है शादी के बाद किरण की आर्थिक स्थिति जरूर बदल गयी थी।

    वैसे क्लास रूम में और दूसरे शिक्षकगण या विद्यार्थियों के साथ किरण का व्यवहार एक दम सुलझे हुए परिपक्व शिक्षक का था। पर किरण जब मेरी पत्नी रीता को मिलती थी, तब उसके व्यवहार में अमूल परिवर्तन आ जाता था। वह एक छोटी सी लड़की की तरह व्यवहार करने लग जाती थी। रीता की समझ से यह बाहर था।

    वह कई बार इसके बारे में किरण से भी पूछती रहती थी। तो किरण का एक ही जवाब था कि रीता के साथ किरण रीता की सह-शिक्षिका नहीं बल्कि एक बालिका जैसे महसूस करती थी। किरण को लगता था जैसे रीता उसकी कोई बड़ी बहन हो।

    रीता भी किरण को अपनी छोटी बहन की तरह समझती थी और प्यार करती थी। वह भी खुले दिल से किरण से अपनी सारी बातें शेयर करती थी। जब किरण ने एक बार रीता से पूछा कि उसकी जिंदगी की कौन सी ऐसी ख्वाहिश है जो वह मौक़ा मिले तो पूरी करना चाहेगी।

    तब रीता ने बेझिझक कहा था कि रीता की एक सबसे बड़ी ख्वाहिश थी कि जिंदगी में जब भी कभी मौक़ा मिले, तब वह गणमान्य कला के प्रशंषकों के सामने एक बार अपना नृत्य का प्रोग्राम करके सारे कला के जगत को वह अपना हुनर दिखाना चाहती थी।

    किरण और मेरी पत्नी रीता दोनों ही लंच के समय या ब्रेक के समय मिलते और आपस में एक-दूसरे की घरेलु समस्याओं और चुनौतियों के बारे में बात करते रहते थे। जहां तक मुझे याद है, किरण और मेरी पत्नी रीता की पहली मुलाक़ात या बातचीत शिक्षक कक्ष में पहली बार कुछ ऐसे हुई थी।

    किरण को स्कूल में जॉब लिए हुए शायद तीसरा या चौथा दिन था। मेरी पत्नी रीता जब एक फ्री पीरियड में शिक्षक कक्ष में पहुंची तो वहाँ पहले से किरण अकेली बैठी हुई थीं। उस दिन शायद कुछ कार्यक्रम था जिसमें दूसरे शिक्षक व्यस्त थे। रीता और किरण ने एक दूसरे को ‘हलो’ कह कर अपनी जान-पहचान की। पहली बार देखते ही दोनों महिलाओ में एक-दूसरे के प्रति एक तरह का तादात्म्य का भाव हुआ।

    पहले दो-चार मिनट के परिचय में ही किरण के सवालों की झड़ी चालू हो गयी। स्कूल कैसा है और बाकी के शिक्षक, प्रधानाचार्य कैसे हैं से लेकर उसने रीता से उसकी शादी से पहले और उसके बाद के पता नहीं कितने सारे सवाल पूछ डाले।

    पहली ही मुलाक़ात में इतने सारे सवाल-जवाब सुनना रीता को कुछ अजीब जरूर लगा, पर किरण का भोला सा चेहरा देख रीता किरण को टोक या रोक नहीं पायी और किरण के सवालों का जवाब देती गयी।

    किरण बिंदास शरारती स्वभाव की थी। किरण दिखने में काफी सेक्सी थी। पतली कमर, लम्बी काठी और काफी भरे हुए स्तनों और आकर्षक नितम्बों वाली किरण को देखते ही कोई भी मर्द ललचा जाए ऐसी उसकी फिगर थी। लम्बी गर्दन, काले घने लम्बे घुंघराले बाल, गोरे-गोरे भरे हुए गाल, काली नशीली आँखें और गोरा लंबा चेहरा किसी भी मर्द को आकर्षित करने के लिए काफी था।

    स्कूल में अपॉइंटमेंट मिलने पर ही कुछ टीचर्स और बड़े स्टैंडर्ड में पढ़ते बच्चों में से कुछ किरण को लाइन मारने लगे थे। किरण भी तो उन्हें निराश नहीं करती थी। किरण हरेक को बड़ी सुन्दर मुस्कान दे कर आगे निकल जाती थी। यह भी एक अजूबा था कि किरण पुरे स्कूल में किसी को घास नहीं डालती थी। वह सिर्फ मेरी पत्नी रीता से ही मिलती-जुलती थी और नजदीकियां बना कर रखती थी।

    मेरी पत्नी रीता के मुताबिक़, किरण काफी बातूनी थी। जब किरण रीता से मिलती थी तब बोलना शुरू हो जाती थी, तो उसे रोकना मुश्किल था। उसकी काफी बातें बिना सिर पैर की होतीं थीं। स्कूल में फ्री पीरियड या ब्रेक होते ही किरण मेरी बीवी रीता के साथ मिलने का मौक़ा नहीं चूकती थी। किरण के साथ मेरी सीधी-सादी बीवी रीता को एक बड़ी दिक्कत थी। किरण रीता के साथ सेक्स के बारे में खुल कर बातें करने से नहीं झिझकती थी।

    किरण के मन में जब-जब जो कुछ आया, वह रीता को बोल देती थी। मेरी बीवी को यह समझ नहीं आ रहा था कि किरण सिर्फ उसके साथ ही इतनी घनिष्ठ क्यों थी।

    किरण मेरी पत्नी को एक उलाहना बार-बार देती रहती थी। उसका कहना था कि स्त्रियों को अपने जीवन में कुछ ना कुछ जातीय प्रयोग करने ही चाहिए। जातीय प्रयोग से उसका मतलब था विवाहेतर जातीय सम्बन्ध। ज्यादातर स्त्रियां विवाह के पहले सेक्स नहीं करतीं और विवाह के बाद अपने पति के अलावा दूसरे मर्दों से सेक्स करने का या तो उनका मन नहीं होता या उनको मौक़ा नहीं मिलता।

    अगर पति या ससुराल वाले ज्यादा ही संकुचित विचार वाले हों तो ऐसा सोचना भी एक बहु के लिए काफी चुनौती भरा होता है। शादी के बाद अक्सर महिलायें अपने पति से सेक्स करके संतुष्ट होने की कोशिश और दावा भी करती हैं। कई औरतों का कद बढ़ जाता है और वह मनपसंद मर्दों को आकर्षित नहीं कर पातीं।

    ख़ास कर जो औरतें खूबसूरत होती हैं और जिनकी फिगर मर्दों को आसानी से आकर्षित कर सकती है उनके लिए तो बहुत जरुरी है वह विवाहेतर जातीय सुख का उपभोग करें। यह किरण के स्पष्ट विचार थे। किरण मानती थी कि सुन्दर स्त्रियों को तो बिलकुल ही सिर्फ अपने पति से सेक्स करके अपनी खूबसूरत जवानी जाया नहीं करनी चाहिए।

    किरण और मेरी पत्नी रीता के बीच कई बार इस मसले पर बात-चीत होती थी, और किरण मेरी पत्नी को हर बार यही कहती थी कि रीता जैसी खूबसूरत औरत को अपनी खूबसूरत जवानी का कीमती समय कुछ मौज मस्ती में बिताना चाहिए और सिर्फ घर परिवार, रसोई इत्यादि और रोजमर्रा के चक्कर में ही खूबसूरत जवानी को जाया नहीं करना चाहिए।

    अगर एक खूबसूरत जवान औरत जिस पर कई हैंडसम और सशक्त मर्द आकर्षित हो सकते हैं उसने अगर एक से अधिक मर्दों से सेक्स के मजे नहीं लिए, तो फिर उसकी खूबसूरती और जवानी का कोई फायदा नहीं।

    रीता का जवाब होता था कि वह अपने पति से (माने मुझसे) सेक्स करके खुश थी, और उसको दूसरे मर्दों से सेक्स करने की कोई इच्छा या आवश्यकता नहीं थी। हर बार किरण उसको “धत जूठी” कह कर ताने मार कर कहती थी कि जब तक रीता किसी दूसरे मर्द से सेक्स नहीं करती, उसे कैसे पता की एक तगड़े मर्द से सेक्स करके कितना आनंद आता है।

    किरण उसे अपने अनुभव के बारे में बताती थी। एक तगड़ा जवान और तंदरूस्त मर्द जब एक खूबसूरत युवा औरत को पूरे जोर से, प्यार भरी बेरहमी से, और अलग अलग पोजीशन में (सोते हुए, खड़े, अपनी गोद में उठा कर, अपनी कमर पर चढ़ा कर, आगे से पीछे से) चोदता है तो उस औरत के पूरे बदन और उसके दिमाग को कितना उत्तेजक सुकून मिलता है। वह किरण काफी विस्तार से मेरी पत्नी को बता कर उसे उकसाने में लगी हुई थी।

    मेरी पत्नी रीता भी किरण की ऐसी उकसाने वाली बातें सुन कर पहले तो किरण की बातों को नकार देती थी, पर धीरे-धीरे दबी आवाज में किरण के अनुभवों के बारे में घुमा फिरा कर पूछती और किरण को और भी अनुभव शेयर करने के लिए प्रेरित करती रहती। किरण भी अच्छी तरह मेरी पत्नी की मनोदशा समझती थी, और उसके विशाल अनुभव के पिटारे से चंद किस्से सुनाने में कोई परहेज नहीं करती थी।

    जब भी मौक़ा मिलता, मेरी पत्नी रात को बिस्तरे में मुझे किरण से हुई सारी बातें बताती और उसकी उत्तेजना मुझसे शेयर करती। मैं भी मेरी पत्नी किरण की कही बातों का समर्थन करता और कहता कि हमें भी यह सब एन्जॉय करने के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए। मैं हमेशा रीता से कहता कि कोई भी उसका मनपसंद मर्द हो तो वह मुझे बताये और मैं उससे मिल कर अपने तरीके से कुछ ऐसी व्यवस्था कर दूंगा, कि सब कुछ परदे में रह कर हो जाए और हम सब एन्जॉय करें।

    मौका मिलते ही किरण मेरी पत्नी रीता को अपनी और उसके पति की सेक्स लाइफ के बारे में बात करने लग जाती थी। रीता मुझे कहती थी कि उसकी दोस्त किरण जब रीता से बात करती थी तो आधी पागल ही लगती थी। बात यहां तक सीमित नहीं होती थी। किरण अपने पति के लम्बे कद, फुर्तीली बॉडी, उसका तगड़ा लण्ड, सख्त बदन और उसकी सेक्स की भूख के बारे में बात करते नहीं थकती थी।

    उसका पति किरण को किस पोजीशन में लिटा कर उसके ऊपर चढ़ कर किरण को कैसे चोदता था, और उस टाइम किरण की उसके पति सूरज के लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाने से कैसे जान निकल जाती थी, या किरण कैसे सूरज के ऊपर चढ़ कर उसका लण्ड अपनी चूत में डालती थी वगैरह, यह सब कहती रहती थी।

    किरण ने यहां तक कह दिया कि जब किरण के पति उसे चोदते थे तो वह “गांड फाड़” चुदाई करते थे। मतलब चूत फट जाए ऐसे चोदते थे। मेरी पत्नी रीता कोशिश करती थी कि वह किरण को यह सब बोलने से रोके, पर किरण कहाँ सुनने वाली थी?

    इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।

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