गज़ब का संजोग-4 (Gazab ka sanjog-4)

पिछला भाग पढ़े:- गज़ब का संजोग-3

हिंदी चुदाई कहानी का अगला पार्ट-

रश्मी अपनी पैरों को नीलेश के कमर में लपेट ली थी और नीलेश उसकी चूत में जिस ताल में ठोक रहा था, वैसे-वैसे रश्मी की चूड़ियां और पायल की झंकार सुरीली आवाज निकाल रहे थे। उसके साथ ही रश्मी और नीलेश के मुंह से भी कामुक आवाजें निकल रही थी। इन आवाजों ने फिर से बगल के कमरे में लेटे हुए नासिर के लंड में जान डाल दी और वह फिर से अपने लंड को सहलाने लगा।

इधर नीलेश को रश्मी की चूत मारते 1 घंटा होने वाला था। अब तक रश्मी तीन बार झड़ कर थक चुकी थी। अब नीलेश भी झड़ने वाला था और उसने अपना रफ़्तार बढ़ा दिया था। तभी रश्मी की चूत संकुचित होने लगी और नीलेश के लंड को निचोड़ने लगी। नीलेश चीखते हुए चार-पांच धक्के और मारा उसके बाद अपना वीर्य रश्मी के अंदर छोड़ कर उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा।

उधर नसीर भी अपना माल निकाल कर जल्दी से तैयार हो गया। अब नासिर ने आकर इनके रूम में झांका तो रश्मी के नंगे जिस्म देख कर उसका लंड फिर से तन गया। नासिर जानता था कि रश्मी का भोग उसे नीलेश नहीं लगाने देगा। इसलिए वो जितना हो सके दूर से ही उसका रसपान कर रहा था।

फिर रश्मी उठी। उसे आज बहुत ज्यादा कुछ मिल चुका था, लेकिन वह थोड़ी उदास थी कि उसे यह सब अपने से कम उम्र के उसके ही स्टूडेंट से मिला। लेकिन आज रश्मी नीलेश को पूरी तरह अपना बना चुकी थी, उसे अंतर्मन से अपना सब कुछ बना लिया था।

रश्मी उठ के बाथरूम में गयी और खुद को साफ करके नंगी ही बैडरूम में आयी। उसे आते और जाते देख नीलेश बड़े गौर से उसके कूल्हे और चूचियों को देख रहा था। रश्मी थोड़ा शर्मा रही थी और इस पल का मजा भी ले रही थी। रश्मी एक-एक करके अपने कपड़े पहन ली और फिर नीलेश उसके घर ड्राप करने को बोली।

लेकिन नीलेश ने उसके साथ नासिर को भेज दिया। नासिर बड़े मजे से रश्मी को उसके घर छोड़ आया। नासिर उसकी चूचियों को अपनी पीठ पर ब्रेक मार के फील कर रहा था। बेचारे की किस्मत में इतना करना ही लिखा था।

रात में रश्मी अपने पति के पास सोई हुई सोचने लगी कि क्या उसने सही किया और तभी उसे चुदाई के वो सुखद पल याद आये और सही गलत सब भूल गयी और फिर से उसकी चूत गिली होने लगी। किसी तरह रश्मी अपनी चूत को मसलते हुए सो गयी।क्योंकि उसका पति कभी-कभार ही उसके साथ सेक्स करता था।

दूसरे दिन कॉलेज में रश्मी बहुत खिली हुई लग रही थी। शाम को नासिर फिर से उसे वहीं नीलेश के पास ले गया। आज रश्मी और ज्यादा खुश लग रही थी। रश्मी नीलेश को देखते ही उससे लिपट गयी। तभी नासिर बोला, “यार आप दोनों करो, मैं थोड़ा किसी काम से बाहर जा रहा हूं।”

तभी नीलेश थोड़ा मजा लेते हुए बोला, “क्या हुआ नासिर, कही तुम्हें हमारे करने से दिक्कत तो नहीं हो रही?” नीलेश की बात सुन कर रश्मी शर्मा गयी, और नासिर भी हंसता हुआ बाहर चला गया।

उसके बाद रश्मी और नीलेश दोनों एक-दूसरे में इस प्रकार जुड़े, कि 1 घंटे तक जुड़े रहे। जब नीलेश अपना लंड रश्मी की चूत में खाली किया, तब दोनों बहुत हांफ रहे थे।

तभी बाहर का दरवाजा किसी ने पीटा। इस तरह दरवाजा नासिर नहीं पीटता था। वो सीधा अंदर आ कर अपने कमरे में जाता मतलब ये ज़रूर कोई और था। तभी नासिर का कॉल आया और उसने बताया की नीलेश का बाप वहीं जा रहा था। नीलेश का माथा ठनका। उसने झट से अपने कपड़े पहने और रश्मी को भी झट से तैयार होने को बोला। फिर कुछ किताबें बेड पर फेक दिया और रश्मी को बोला, “मैम यदि मेरा बाप आपसे कुछ पूछे तो बोलना कि आप मुझे पढ़ाने आई थी।”

नीलेश दरवाजा खोलने गया और कमरे में रश्मी खुद को रेडी करने लगी। नीलेश का बाप एक शराबी था, इसलिए नीलेश उससे नफरत करता था। उसने अपने बाप को अंदर लाया। तभी उसकी नज़र उस कमरे में गयी जहा रश्मी थी। इससे पहले कि नीलेश का बाप कुछ बोलता, नीलेश बोला, “वो पापा उस कमरे में मैं पढ़ाई कर रहा था। आप इस कमरे में आओ ना।”

तब नीलेश का बाप बोला, “बेटा जरा मैं भी तो देखूं तू क्या पढ़ रहा था।”

इससे पहले की नीलेश उन्हें रोकता, वे अंदर चले गये अंदर के माहौल ने उन्हें चकित कर दिया। रश्मी कॉपी और किताब के साथ बैठी हुई थी। ये देख नीलेश थोड़ा अच्छा फील किया कि उसकी चोरी पकड़ी नहीं गयी। लेकिन नीलेश के बाप की नज़र एक टक रश्मी को ही देख रही थी। तभी नीलेश बोला, “हेल्लो मैम आप मेरे पापा से मिलिए।”

तब रश्मी अपनी नज़र उठा कर देखी, और रश्मी की मुंह खुला का खुला रह गया। उसका दिल बैठने लगा, रश्मी को 20 साल पहले की सभी घटनाएं एक-एक कर याद आने लगी। रश्मी की आँखों में आंसू आ गये। रश्मी झट से वहां से बिना कुछ बताये निकल गयी। नीलेश उसे रोकता रहा, लेकिन रश्मी वाहा तनिक भी ना रुकी।

नीलेश कुछ समझ नही पा रहा था। लेकिन उसके बाप के चेहरे पर एक अजीब मुस्कान थी। नीलेश ने अपने बाप से पूछा की, “क्या आप लोग एक-दूसरे को पहले से जानते हो?”

उसके बाप ने कोई जवाब नहीं दिया।नीलेश फिर जोर देकर पूछा, “बताओ पापा, मैम आपको देख रोने क्यूं लगी? और अचानक यहां से चली क्यूं गयी?”

बहुत जोर देने के बाद उसके बाप ने बताना शुरु किया, जिसे सुनने के बाद नीलेश के पैरों तले जमीन खिसक गयी। नीलेश का पिता एक गैराज का मालिक था। उसका नाम शमसेर था। वह बड़ा ही अईयाश किस्म का आदमी था। शराब पीना और गाव की लड़कियों को बुरी नज़र से देखना या उन्हें छूना ही उसका काम था। कई लड़कियों को वो अपने नीचे सुला चुका था। उनमें से एक थी रश्मी‌‌।

रश्मी की उम्र बहुत कम थी। तब उसके माँ-बाप को पैसों से फुसला कर शमसेर ने रश्मी से शादी कर ली। और सुहागरात के दिन उस फूल सी कली को ऐसा मसला कि उसके दिमाग़ में वो काली रात हमेशा के लिए छप गयी। कुछ महीनों में रश्मी गर्भवती हो गयी। जब रश्मी पेट से हुई तब भी इसकी हैवानियत नहीं गयी और सेक्स के लिए उससे जबरदस्ती करता रहा। उससे ना मिले तो गांव की लड़की को उसके सामने चोदता था।

रश्मी इस नर्क में तड़प रही थी। तभी एक रात उसके पेट में दर्द हुई और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां उसने नीलेश को जन्म दिया। लेकिन नीलेश बिल्कुल बेहोश था, कुछ होश ही नहीं था। कई दिनों तक नीलेश हॉस्पिटल में रहा और एक दिन खबर आई कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था। तब रश्मी इस नर्क से निकलने के लिए वहां से भाग गयी और पता नहीं कहा चली गयी।

मैंने ढूंढने की कोशिश नहीं की। तभी एक दिन खबर आई की वो बच्चा अभी जीवित था और अब स्वस्थ हो रहा था। नीलेश एक महीने बाद हॉस्पिटल से घर आ गया।उसका पालन पोषण करने के लिए शमसेर ने दूसरी शादी कर ली।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और नीलेश अपने बाप की तरह होने लगा। तब वह घर से बाहर पढ़ने चला आया। और यहां उसकी मुलाक़ात अपने ही मां से एक टीचर के रूप में हुई, जिसके साथ वो अनजाने में जिस्मानी सम्बन्ध बना लिया।

शमसेर अपने बेटे नीलेश से मिल कर चला गया, तब नासिर आया। लेकिन नीलेश ने नासिर से कुछ नहीं बताया।

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