मेरा नाम अनिल है, और मेरी पहली मोहब्बत का नाम संजना ऊर्फ संजू है। तो स्कूल में सब उसको संजू ही बोलते थे। ये बात या कहानी हमारे स्कूल टाइम से शुरू हुई। मैं 7 क्लास में था और संजू 6 क्लास में थी।
पहले वो किसी और स्कूल में पढ़ती थी, फिर हमारे स्कूल में उसने एडमिशन ले लिया था। जब वो पहली बार स्कूल में आई, और मैंने जब उसे देखा, तो देखता ही रह गया। उसका रंग बहुत गोरा था, बिल्कुल किसी परी के जैसे। ऊपर से उसका ब्लैक सूट गजब कर रहा था। मैंने जब उसको देखा तो बस देखता ही रह गया। मैंने कभी इतनी गोरी लड़की नहीं देखी थी।
पहली नज़र में ही मैं उसको प्यार करने लग गया। उसका और मेरा बेंच एक ही था। क्योंकि हमारा गांव छोटा था तो बच्चे भी कम थे स्कूल में। तो हम 6 और 7 क्लास एक साथ ही बैठते। अंधे को क्या चाहिए, दो आंखे। मैं तो बस उसको पूरा दिन देखता रहता।
वो बोलती: पढ़ ले, क्या देखता रहता है इधर-उधर?
तो मैं पढ़ने लगता। ऐसे ही कई साल बीत गए। अब हम कॉलेज में हो गए थे। अब बस सबर नहीं हो रहा था। मैंने मेरे एक दोस्त को बोला कि, “मैं संजू से बहुत प्यार करता हूं, उसको पूछ ना कि वो भी करती है क्या?”
मेरे दोस्त ने उससे पूछ लिया कि, “अनिल तेरे से प्यार करता है। तू भी करती हैं क्या?”
संजू बोली कि, “वो प्यार करता है, तो मैं क्या करूं फिर?”
फिर ये ही बात मेरा दोस्त मेरे से आके बोला। मैंने उसको बोला कि, “यार उसको पूछ ले एक किस्स तो दे देगी क्या?”
दोस्त ने उसको पूछ लिया, और उसने हां बोल दिया। फिर मैंने दोस्त को बोला कि, “उसको साथ वाले स्टोर रूम में आने का बोल दे।”
वो पांच मिनट में आई स्टोर रूम में, तो मैंने मेरे दोस्त के सामने ही उसके दोनों हाथ पकड़ के उसको दीवार से लगा लिया। संजू ने दीवार से लगते ही आंखे बंद कर ली। मैं उसको देखता ही रह गया। गोरे-गोरे गाल और गुलाबी होंठ। ये मेरा लाइफ का पहला किस्स में करने जा रहा था, और उसका भी पहला ही था। मैं उसके गुलाबी होठों को बहुत प्यार से चूसने लगा। उसको भी मज़ा आने लगा।
मुझे उसके उभरी हुए नितंब बहुत पसंद थे। दिल करता था कि इसकी गांड के दोनों गुब्बारे ही चाट लूं। फिर मैं उसके नितंब मसलने लगा दोनों हाथों से। वो कुछ नहीं बोली। उसने मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया। उसके छोटे-छोटे चूचे मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे। उसने मेरे को बहुत जोर से पकड़ लिया।
मैंने थोड़ा सांस लेके एक-एक किस्स उसके गालों पर भी किया। उसको भी पहली बार करने में बहुत मजा आ रहा था। मैं फिर किस्स करने लगा। मेरा दोस्त हमको देख रहा था। साथ में बाहर भी निगाह रख रहा था। मैंने उसको बहुत किस्स किए।
फिर वो बोली: बेंच पर चलते है।
अब भला मैं कैसे कुछ बोल सकता था? मेरी पहली मोहब्बत थी, तो मैंने कहा, “हां चलो।”
थोड़ी देर पढ़ाई करके मैंने पेन उसके पैरों में गिरा दिया, और पेन उठाने के बहाने मैं नीचे हाथ करके पेन उठा के उसकी चूत पे थोड़ा जोर से दबा दिया। संजू बनावटी गुस्से में बोली, “यार क्यों, दर्द दे रहा है।”
मैंने कहा, “संजू असली दर्द तो अभी देना बाकी है।” मैं उसकी चूत की तरफ उंगली करके बोला, “तेरी इसमें मेरा जब जाएगा तब दर्द दूंगा जान।” संजू बोली, “देखते हैं कैसे डालते हो मेरी मर्जी के बिना।”
मैं बोला: जब तुम्हारे जिस्म को ऊपर से नीचे हर जगह चाटूंगा, तो खुद कहोगी कि अनिल लंड डाल दे यार।
संजू बोली: देखते हैं टाइम बताएगा।
मैंने कहा: ओके।
फिर एक दिन हम सब दोस्त उनके खेत में ऐसे ही चले गए कि चलो उनके खेत में बेरी लगी है, तो बेर तोड़ के लाते हैं। सब दोस्त मान गए। हमने जो फिर बेर झाड़े, बहुत ज्यादा बेर तोड़े। कुछ तो हम चुग के ले गए और बहुत सारे वैसे ही छोड़ के घर भाग आए। संजू ने देख लिया हम सब को भागते हुए। क्योंकि उसके दादा जी बहुत गुस्से वाले थे, तो सब को डर लगता था। फिर दूसरे दिन कॉलेज में संजू आई तो मेरी तो उसको देख के फटने लगी। फिर मैंने सोचा मुझे तो बेरी पर चढ़ने में डर लगता है, और ये बात संजू को भी पता थी, तो मैं नो टेंशन हो गया।
लंच टाइम के बाद संजू मुझसे आके बोली कि, “अपने सब दोस्तों को बोल दो। अगर बेर लेने जाओ तो ज्यादा बेर नीचे ना गिराया करो। नहीं तो दादा जी नाराज़ हो जायेगे।” मैंने कहा, ओके, मैं बोल दूंगा। तुम किसी को कुछ मत बोलना।”
फिर मैंने अपने दोस्तों को अपने मन से बना के बोला कि, “संजू के दादा जी बहुत गुस्से में है। अब तुम सब कुछ दिन के लिए बेर तोड़ने मत जाना।” मेरे सभी दोस्त डर गए।
मैंने दीपक को अलग से बोला कि, “संजू जाती है बेर लेने अकेली। हम दोनों भी इसी के साथ चलेंगे।” बेर के बहाने मैं संजू को अब चोदना चाहता था, तो दोस्त बोला ठीक है।
फिर कॉलेज से आके हम दोनों बेरी के नीचे जाके बैठ गए। संजू का घर खेत से 1 कि.मी. था, तो खेत ही खेत थे। आस-पास कोई आने वाला नहीं था। किसी का डर नहीं था।
थोड़ी देर बाद संजू भी आ गई बेर तोड़ने। हम दोनों को देख के बोली कि, “बेर नहीं तोड़े, क्या हुआ? और दूसरे सब नहीं आए बेर तोड़ने?” मैंने बोला कि, “मैंने सब को डरा दिया दादा जी के गुस्से का बोल के।” मैंने हिम्मत करके संजू को बोला, “संजू सेक्स करोगी मेरे साथ?”
वो बोली, “याद है क्या तुमने क्या कहा था कॉलेज में, कि अगर मैं ना भी करना चाहूं तो तुम मुझे ऊपर से नीचे तक हर जगह चाटोगे। बोला था ना?” मैंने बोला, “हां बोला था।”
संजू बोली, “तो तैयार हो जाओ, तुम्हारे पास 60 मिनट का टाइम है।” मेरी तो मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई। मैंने कहा, “नंगी हो जा। फिर एक मिनट में संजू ने मेरे दोस्त के सामने ही सारे कपड़े खोल दिए। मैं उसको किस्स करने लग गया। मैं पूरे हब्शी की तरह उसके होंठ चूस रहा था। फिर वो बोली कि, “प्यार से चूसो।” फिर संजू बोली कि, “मैं नीचे लेट जाती हूं। ऊपर से नीचे तक चूसो चाटो मुझे हर जगह।”
संजू पूरी मस्ती में आ गई। मैंने उसके गोरे-गोरे दुदू दबा-दबा के चूसे। फिर मैं उसके पेट को चाटने लगा। बो बोली, “कुत्ते के जैसे चाटो मुझे पूरी।” मैं उसको कुत्ते के जैसे चाटने लगा। फिर धीरे-धीरे मैं उसकी गुलाबी चूत के पास जुबान ले गया। मैंने उसकी गुलाबी चूत खूब दिल लगा के चाटी।
मेरा दोस्त ये सब देख रहा था। फिर संजू पेट के बल लेट गई और बोली, “चाटो मुझे।” मैं उसकी नंगी कमर चाटने लगा। फिर उसके नितंब चाटने लगा। धीरे-धीरे मैं उसके पैरों तक पहुंच गया कुत्ते के जैसे चाटते-चाटते। अब बस उसकी गांड का छेद चाटना बाकी था।
संजू बोली, “मेरी गांड का छेद भी चाटो।” मैं फिर उसकी गुलाबी गांड चाटने लगा। संजू अब तक बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। वो गांड उछाल-उछाल के चटवा रही थी मुझसे। साथ-साथ मैं उसकी चूत भी चाट रहा था
मेरा दोस्त हैरानी से हमको ये सब करते देख रहा था। फिर संजू बोली, “मैं अब तुम्हारी हूं। जो मर्जी कर लो।” मैंने बोला, “सीधी हो जाओ।” तो वो सीधी होके मेरे गले लग गई। बहुत प्यार से हग किया उसने। फिर मैंने बोला, “अब मैं जो बोलू करोगी?” तो उसने बोला, “हां।”
मैंने बोला, “मेरी पेंट खोल के मेरा लंड चूस मुंह में लेके पूरा।” उसने वैसे ही किया। मेरा लंड चूस-चूस के गीला कर दिया, थूक से लबालब। मैं फिर उसको बोला, “अपनी गुलाबी चूत में भी खूब सारा थूक डाल।” उसने 3-4 बार थूका खूब सारा चूत के ऊपर। मुझे उसका थूक बहुत मस्त लगा। मैंने उसकी चूत पे उसने जितना थूका सारा अपने मुंह में चाट के इकठ्ठा कर लिया। फिर इशारे से उसको मेरे लंड के नीचे मुंह खोल के रखने को बोला। उसने वैसे ही किया। मैंने सारा थूक लंड पर डाल दिया। उसने नीचे मुंह रख के सारा कुछ मुंह में भर लिया। फिर मैंने बोला कि, “चूत में अन्दर तक मसल ले इसको।”
वो चूत में उंगली किया करती थी, तो उसकी चूत थोड़ी खुली हुई थी। फिर मैंने लंड उसकी चूत के मुंह पर रख के जोर से घस्सा मारा। एक बार में ही पूरा लंड उसकी नाजुक सी चूत में घुस गया, और उसकी बहुत तेज चीख निकल गई। ये पहला सेक्स था दोनों का। थोड़ी देर के बाद वो रिलेक्स हो गई, तो मैं तेज-तेज चोदने लगा उसकी गुलाबी चूत।
20 मिनट में मेरा पानी निकलने वाला हो गया था। वो भी सामने से धक्के लगा रही थी। मैंने उसको बोला, “चूत में लोगी या मुंह में?” वो बोली, “मेरा भी होने वाला है, मुंह में डाल दो, और मेरी भी चाटो।” मेरा भी निकलने वाला है, तो 69 के होके उसकी गुलाबी चूत चाटने लगा। उसका गर्म पानी निकल गया। वो जोर-जोर से चूस रही थी लंड को। अब मेरा भी पानी निकल गया। मैं फिर भी उसकी चूत चाटता रहा। फिर वो बोली, “बस करो, मैं तुम से प्यार करती हुं अनिल।”
फिर मैंने उसको खड़ी करके उसकी चूत और गांड 5 मिनट तक खूब चाटी। फिर संजू ने खुश होके मुझे खड़ा करके गले लगा लिया और एक डीप किस्स करके बोली, “अब जल्दी करो, घर निकलते हैं यहां से।” फिर हम घर आ गए।
उसके बाद भी मैंने उसको बहुत चोदा। अपनी गांड भी चटवाई उससे और उसकी गांड भी मारी। हफ्ते में 4 दिन तो सेक्स करना ही करना होता था। फिर एक दिन मेरा दोस्त बोला मुझे भी करना है, तो मैंने संजू से पूछा, “करोगी क्या मना तो नहीं करोगी?”
संजू बोली, “तुम जो कहो वो करूंगी।” तो मैंने बोला, “दोनों का एक साथ ले लोगी क्या?” उसने बोला, “हां ले लूंगी।” उसक बाद हम दोनों ने मिल के संजू की चूत गांड मारने की सोची तो मेरा दोस्त बोला, “नहीं यार, तुम दोनों ही करो। मुझे तो देखने में ही अच्छा लगता है। करना नहीं है।” तो दोस्तो ये थी कहानी।