पिछला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ चाची-4
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं चाची से मिलने गांव गया, और वहां उनको एक नौकर से चुदते देखा। अब आगे।
अब मैं भी खुद को रोक नहीं पा रहा था। मेरा लंड चाची की जवानी को सलामी दे रहा था। चाची के पास आकर नौकर चाची को चूमने की कोशिश कर रहा था। पर चाची ने उसे दोनों हाथो से धक्का दिया और बोली-
चाची: साले फिर से मुझे प्यासी छोड़ दिया। दुर ही रहना तू बुड्ढे।
कमल चाची के पास जाकर बोला: सुन साली रांड, रोज इसी तरह से तेरी मारुंगा, तेरी चूत की आग भले ही शांत ना करूं। उसका मजे लेने दे वरना तेरा पति को सब बता दूंगा।
बुड्ढा कमल काका कपड़े पहन कर वापस जाने लगा, और मैं कमरे के बाहर रखी बोरियों के पीछे छिप गया। जैसे ही वो खेत से वापस घर चला गया, मैं कमरे में घुस गया। चाची अपना ब्लाऊज पहन ही रही थी कि तभी मैं कमरे में घुस गया।
चाची मेरे आते ही डर के मारे खड़ी हो गई। मैं चुप-चाप चाची के पास गया, और इससे पहले मैं कुछ और करता, चाची ने मुझे पकड़ लिया और होंठ चूमना शुरू किया।
चाची: जल्दी मेरी तड़पती चूत की आग बुझा दे। बहुत दिनों बाद तेरे लंड का स्पर्श मिलने वाला है इसको। वो बुड्ढा मेरी तड़पती चूत भी शान्त नहीं कर पाता।
मैं: रूको चाची, पहले मैं आपके रसीले बदन को चूम लूं। फिर आपकी जो मर्जी हो वैसा ही होगा। वैसे भी वो बुड्ढा आपकी चूत को शांत कर भी नहीं सकता था।
चाची: उस बुड्ढे को छोड़, तू अब मेरी चिन्ता कर।
ऐसा बोलते ही चाची मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, और मेरा मरदाना बदन चूमने लगी। चाची मेरा बदन चूम रही थी, और मैंने चाची की साड़ी को खीच कर बाहर निकाल दिया। मैं पेटिकोट के ऊपर से चाची के चूतड़ दबाने लगा। चाची ने मेरा बदन चूम कर पूरा लाल कर दिया। फिर कुछ देर बाद चाची को हल्का दूर किया, और चाची के गदराये बदन को चूमने लगा।
चाची ने मुझे कस के जकड़ कर अपनी बाहों में भर लिया। मैंने धीरे-धीरे ब्लाउज़ के बटन खोले, और ब्लाउज कंधों पर लटकने लगा। बिना ब्रा के ब्लाउज खुलते ही चाची के मम्मे बाहर आकर झूलने लगे। मैं चाची को उल्टा घुमा कर पीछे से मम्मे दबाने लगा। चाची भी कराहने लगी, “बड़े दिनों बाद पूरा आनंद मिल रहा था।”
चाची अब नीचे पेटिकोट में थी, और ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी थी। मैं उसके बदन को कस के दबा रहा था। ब्लाउज को कंधे से नीचे सरका कर पूरी नंगी पीठ को होठों से चूमने लगा। इतने में चाची घूम कर मेरी तरफ मुंह किया, और होंठ से होंठ चूम लिए। धीरे-धीरे मेरे बदन को चूमते हुए चाची नीचे जाकर मेरी नाभी चूमने लगी। नीचे चूमते हुए, चाची मेरी पेंट निकाल कर मेरे सने लंड को चड्डी के ऊपर से सहलाने लगी।
मैंने चाची के कंधों को पकड़ कर नीचे बिठा दिया। अब पेंट को पूरा बाहर निकाल कर चाची ने मेरा खड़ा लंड बाहर निकाल कर चूसना शुरू कर दिया। पूरा मुंह में लेकर चाची मेरा लंड चूसने लगी। कुछ देर चूसने के बाद चाची मेरे लंड को पकड़ कर मेरे गोटों को चूसने लगी। चाची के ऐसे चूसने से मेरे शरीर में मानो अलग ही कंपन होने लगा। मैंने चाची का सिर पकड़ा और मुंह में लोड़ा फसा कर जम कर चाची का मुंह चोदने लगा। पहली बार में मैंने लोड़े को पूरा अंदर तक डाला, जिससे चाची का दम घुटने लगा।
फिर मैं कुछ देर झटके मारते रहा, और चाची अपने हाथों से मेरी जांघों को पकड़ कर दूर हो गई। मुंह से बाहर निकालते ही चाची के मुंह और मेरे लंड से चिपकी एक थूक की धार लटक रही थी। मैंने चाची को खड़ा किया, और पेटीकोट का नाड़ा खोल चाची को पूरा नंगा कर दिया। अब हम दोनों काफी दिनों बाद एक-दूसरे के जिस्म से नंगे लिपटे हुए थे। हम आपस में चिपक कर एक-दूसरे के जिस्म का आनंद ले रहे थे। फिर मैंने कमर में रखी एक पुरानी चरपाई पर चाची को लिटाया, और उनके दोनों चिकने और गोरे मम्मों को दबा-दबा कर चूसने लगा। बीच में मैंने एक चूची को काट लिया, जिससे चाची की चीख निकल गयी।
चाची की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। मैं चाची के मधमस्त बदन की आग से अपना काबू खो बैठा था। फिर मैं नीचे जाते हुए चाची की चूत में अपना लंड सेट किया, और धीरे से अंदर डालने लगा।
चाची: आह आह, थोड़ा और जोर से डाल पूरा अंदर तक।
मैं: रुको चाची, अभी तेरी आग मिटा देता हूं।
मैं पूरे लंड को जोर से पूरा अंदर तक डाल दिया। इतने में ही चाची की चीख निकल गई, और मेरी पीठ को कस कर नाखून गड़ाते, पकड़ते हुए बोली-
चाची: थोड़ा आराम से कर साले, इतना जोर से भी नहीं बोला था।
पर मैं कहा रूकने वाला था। मैं वापस लंड बाहर निकाला, और चाची के ऊपर उनके और करीब आ गया। फिर दोनों पैरों को ऊपर मोड़ कर, चाची के दूध को मैं दोनों हाथों से दबाने, मसलने लगा। धीरे-धीरे चाची कराहने लगी।
मैं: क्या हुआ चाची, मजा नहीं आ रहा?
चाची: वाह रे अनुज, मेरी कोमल चूत फाड़ कर बोलता है मजा नहीं आ रहा। मादरचोद, और जोर से दबा दे। बहुत दिनों बाद इतना मजा आ रहा है।
मैं: अभी तो शुरुआत है चाची। मन भर के तेरी चूदाई करूंगा मेरी जानू। पर वो बुड्ढा आदमी कौन था?
चाची: अरे वो गांव में ही रहने वाला एक आदमी है, जिसे कुछ महीने पहले खेत में काम करने के लिए रखा है।
मैं: वाह चाची, हर बार नौकर से रंडी की तरह मरवाती रहती हो, और कितनों से अपनी प्यास मिटाओगी मेरी रानी?
चाची: तेरे जाने के बाद अगर मैं गांव में किसी ओर के साथ चुदवाती, तो गांव में हर कोई मेरी गांड मारने को तैयार रहता। मैं गली में निकलती हूं, तो हर एक आदमी अपना औज़ार छुपाने लगता है।
मैं: बस करो चाची। अब मैं हू। तेरी प्यास मिटा कर तुम्हें तन तृप्ति दूंगा। तैयार रहना चाची, मैं अब पूरा अन्दर डाल दूंगा। ऐसा बोलते ही मैंने अपना लंड चूत में पूरा अंदर तक घुसा दिया, और चाची की चीख निकल गई। चाची की चीख सुन कर मेरे अंदर और जान आ गई।
मैं रफ्तार बढ़ाते हुए जोर-जोर से घुसाने लगा। चाची के 34D के मम्मे उछल-उछल कर आगे-पीछे होने लगे। मैंने एक उंगली को चाची के मुंह में डाल दिया। पूरा गले के अन्दर तक जाते ही चाची उंगली चूसने लगी। दूसरे हाथ से मैं चाची के मम्मे मसलने लगा। कुछ पांच मिनट तक मैं चाची की चूत को बजाता रहा। चाची की चूत अब झड़ने वाली थी। बार-बार अंदर-बाहर करने से चूत का पानी धीरे-धीरे टपक रहा था।
मैं: क्या करूं चाची, मॉल अंदर ही डाल दूं?
चाची: नहीं तू मेरे मम्मों के बीच में लंड फंसा दे। अंदर मत डालना, नहीं तो मैं तेरे बच्चे की मां बन जाऊंगी।
मैं: वो तो मैं तुझे बना कर ही रहूंगा मेरी जानू।
मैं लंड बाहर निकाला और चाची की चूत से पानी पिचकारी की तरह निकला। दोनों मम्मों के बीच लंड फसाया और चाची दोनों चूचियां दबा कर मेरे लंड पर मसलने लगी। ऐसा शुरू होते ही बहुत मजा आने लगा। मैं इस क्रिया का पूरा आनंद लेने लगा। फिर मैं कुछ देर बाद झड़ने वाला था। मैंने चाची के हाथों के ऊपर अपना हाथ रखा, और जोर से मम्मों के बीच में लंड आगे-पीछे करने लगा।
अंतिम समय आते ही मैंने पूरा माल चाची के मुंह पर गिरा दिया। चाची का पूरा मुंह मुठ से लथपथ हो गया। फिर चाची पूरा माल उंगलियो से चाटने लगी। मैं थक कर चाची के ऊपर लेट गया। थोड़ी देर तक मैं चाची के ऊपर लेटा रहा। चाची तो पूरी तरह शांत हो गयी थी। मैं चाची के ऊपर से उठा और हमारे बीच दबे हुए मम्मे लाल हो चुके थे। मैंने कुछ ना कहा, और चाची को किस्स करने लगा।
फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और घर की ओर रवाना हुए। मैंने रास्ते में कुछ दुरी तक एक हाथ से चाची की कमर को कस के पकड़ लिया। अब हम दोनों घर के लिये निकल गये। रास्ते में चाची ने बताया कि शाम को उनके मायके से चाची के फूफा आने वाले थे। दरअसल फूफा की लड़की की दो दिन बाद शादी थी। जिसमें चाची को कल सुबह जाना था।
चाची: मैं तेरे चाचा से बात करती हूं। तू भी मेरे साथ चलना। तेरे बिना कुछ मजा नहीं मिलेगा।
मैं: हां चाची, वैसे मैं भी उसी तैयारी से आया हूं।
चाची: वाह रे अनुज, पर वहां मेरे और भी चाहने वाले है। जो उम्र में तो चालीस के थे पर मेरी जवानी में उनकी जवान बीवियों को छोड़ कर मेरे साथ अपनी आग मिटाते थे।
मैं: ठीक है चाची, वैसे तो तुम काफी से अपनी मरवा चुकी हो। दो-तीन और भी हुए तो भी तुम आराम से सह लोगी।
बात करते-करते हम घर आ गये, और चाची का फूफा भी चाची को लेने आ गया था। चाचा से पूछने पर मैं भी चाची के साथ चला गया। अगली सुबह हम चाची के फूफा के गांव को निकल पड़े। गांव के बस स्टैंड पर चाचा हमें छोड़ने आये और फिर बस आते ही हम बैठ गये। पीछे दो सीट खाली थी। मैं अपने साथ चाची को बिठाने की सोच रहा था। फूफा जी जो मेरे आगे चल रहे थे, उन्होंने छोटू को अपने साथ उस सीट पर बिठा लिया, और मुझे सबसे पीछे चाची के साथ बिठा दिया। पर बस में सबसे पीछे लम्बी सीट थी, और मैं, चाची और दो और लोग बैठे हुए थे।
दोस्तों आगे की कहानी मैं आपको अगले पार्ट में बताऊंगा। ये पार्ट आने में काफी देर हो गयी, पर चिंता ना करे अगले पार्ट भी अब से जल्द ही प्रकाशित होंगे। यह कहानी आपको कैसी लगी, ये आप कमेन्ट या ई मेल के ज़रिये मुझे जरुर बताये।