जेठ जी के बड़े लड़के ने चोदा-3 (Jeth Ji Ke Bade Ladke Ne Choda-3)

पिछला भाग पढ़े:- जेठ जी के बड़े लड़के ने चोदा-2

दोस्तों मेरी चुदाई कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरा भतीजा जय और मैं चुदाई के लिए तड़प रहे थे। फिर दीवाली पर उसने मुझे पकड़ा। अब आगे-

जय: अरे चाची यहां पर कोई नहीं आएगा। सभी लोग नीचे पटाखे जला रहे हैं। केवल हमें दो लोग हैं जो छत पर दिया जलाने के लिए आए हुए हैं। और छत पर भी तो देखो कितना अंधेरा है। कौन देखेगा हमें?

मै: फिर भी जय यदि कोई ऊपर अचानक आ जाता है, और हमें इस अवस्था में देख लेगा, तो बताओ वह क्या सोचेगा? हमें यह सब नहीं करना चाहिए। चलो हम मिल कर दिये को जलाते हैं?

फिर जय ने मुझे छोड़ दिया। उस दिन मैं काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, और बहुत ही ज्यादा चमकदार लग रही थी। जय के आंखों में तो आज शाम से ही नशा छाया हुआ था। किसी तरह वह मेरी साड़ी को ऊपर उठा कर अपने लंड को मेरे बुर में डालना चाहता था। मैं उसकी आंखों में आज हवस ही हवस देख रही थी। मैंने उसे एक छोटा सा उसके होंठ पर किस्स किया और बोली कि, “चलो अब दिया जलाते हैं। अगर आज किस्मत रहे, तो हम ज़रूर एक होंगे।”

फिर मैं और जय मिल कर दिया जलने लगे। मैं छत से नीचे देखी तो देखी कि मेरे जेठ जी मेरे बच्चों के साथ पटाखे जला रहे थे। मेरे सास ससुर भी वहीं थे, और मेरी जेठानी अंदर पकवान बना रही थी, और जय और मैं दोनों लोग यहां पर दिए जला रहे थे।

फिर मैं दिया जला कर नीचे चली, आई और हम सभी परिवार ने मिल कर खाना खाया। उसके बाद आधी रात हो गई थी लगभग तो सभी लोग अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। इसी तरह यह महीना भी बीत गया, और जय के हाथ कुछ नहीं लगा। फिर यह एक पूरा साल बीत गया, और नया साल आने वाला था।

परंतु इस नए साल पर मेरे पति घर आ गए थे, और हम दोनों ने मिल कर खूब इंजॉय किया। जब तक मेरे पति मेरे साथ रहते, तब तक तो जय मेरे पास भटकता भी नहीं था। फिर इसी तरह कई महीने और बीत गए और होली का समय आया। जब मेरे पति घर पर नहीं थे, मेरे जेठ-जेठानी और सास-ससुर और बच्चे घर पर थे।

होली में खूब धमाल मचाया हुआ था सभी लोगों ने। मैं और जेठानी दोनों मिल कर पकवान बना रही थी, और जेठ जी बार-बार आकर जेठानी को रंग लगा कर परेशान कर रहे थे। मैं यह सब देख कर केवल मुस्कुरा रही थी। मुझे हंसता हुआ देख जेठानी तुनक जाति और फिर वह मुझे भी रंग लगा देती। मैं बस हंसती हुई वहां से भागने की कोशिश करती, और जाकर जेठ जी से टकरा गई। जेठ जी ने मुझे अपनी बाहों में कस के भर लिया। मैं तो सकपका गई थी।

फिर जेठानी जी आई और बोली: उसे पकड़े रहिएगा, जाने मत दीजिएगा। बहुत ज्यादा हंस रही थी। अभी तुम्हें मैं रंग लगती हूं, और मजा चखाती हूं।

फिर दीदी जेठ जी के सामने ही मेरी चूचियों पर रंग मलना शुरू कर दी, और वह मेरी सारी खाली जगह को रंगने लगी। कभी वह मेरी चूचियों पर रंग लगाती, तो कभी मेरी गर्दन में रंग लगाती, तो कभी मेरी नाभि को रंगीन करती। और मुझे रंगवाते देख जेठ जी खूब मजा ले रहे थे।

मैंने भी पास में बाल्टी में पड़े रंग को उठाया, और जेठ जी पर फेंक कर वहां से भाग गई। जब मैं भाग कर आंगन में आई, तब मुझसे जय टकरा गया।

जय: चाची आप क्या मुझसे रंग नहीं लगवाओगी? मैं कब से आपको रंग लगाने के लिए तैयार बैठा हूं।

मेरे हाथों में उस वक्त रंग लगी हुई थी, तो मैंने झट से उसके गालों को रंगीन कर दिया, और बोली-

मैं: तो लगाओ ना, मना किसने किया है तुम्हें?

जय मेरी ऐसी जवाब पर तुनक गया और वह मुझे बाहों में पकड़ के रंग लगाना शुरू कर दिया। वह कभी मेरी नाभि में रंग लगाता, तो कभी मेरी चूचियों पर रंग को रगड़ता। तो कभी मेरे गर्दन पर रंग लगाता।

मुझे भी पता नहीं चला कब मैं उसकी बाहों में खोती चली गई, और वह मेरी चूचियों को मसलने लगा, और रंग को रगड़ने लगा? जब मुझे होश आई तब मुझे याद आया कि यह जय था। यदि किसी ने इसके साथ मुझे देख लिया तो बहुत बुरा होगा। मैं अपने बेटे जैसे जेठ की बेटे से इस तरह रंग नहीं लगवा सकती थी।

मैं तुरंत ही उसके हाथों से छूट कर भागने लगी, कि तभी जेठानी मेरे पास आई और बोली: अब कहां-कहां भागती चलोगी? चुप-चाप रंग लगवा ही लो।

फिर उन्होंने भी पकड़ कर मेरे गालों पर कस के रंग लगाना शुरू कर दिया। इसी तरह हमने खूब धमाल किया। फिर मैं रंग छुड़ाने के लिए बाथरुम में गई। तभी जय भी मेरे साथ बाथरुम में घुस गया।

मैं: जय यह सब क्या है? तुम्हें पता है ना हमें यहां कोई देख लेगा तो बहुत बुरा होगा? जल्दी से तुम यहां से निकलो, मैं जब रंग छुड़ा लूंगी, उसके बाद तुम आना?

फिर से थोड़ा नाराज होते हुए वो वहां से निकल गया। मैं थोड़ी देर बाद रंग छुड़ा कर जब बाहर निकली, तब मेरे जेठ-जेठानी ने मुझसे बोले कि वह लोग अपने किसी रिश्तेदार के यहां जा रहे थे किसी काम से, और दो-तीन दिन बाद ही वापस आएंगे।

सारे बच्चे भी उनके साथ जाने के लिए जिद करने लगे। तब जेठ जी ने कहा कि, “ठीक है, मैं सभी को ले चलूंगा।” मेरे दोनों बच्चे और जेठ जी का छोटा लड़का उनके साथ जाने लगे।

जय मेरे साथ ही रुका और सास-ससुर होली खेलने के लिए बाहर चले गए थे। सास-ससुर होली खेलने बाहर जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा कि, “बहू दरवाजा बंद कर लेना वरना बाहर से कुछ लोग घुस कर तुम्हें फिर से रंग लगा कर परेशान करेंगे।” मैंने ठीक वैसा ही किया, दरवाजा खिड़की सब बंद कर दिए, और जाकर अपने रूम में आराम करने लगी।

तभी जय मेरे पास आया। हम दोनों की प्यास अब बढ़ रही थी। कई दिनों से रुके हुए थे, कि कोई तो मौका मिले, और आज वह मौका था। जब मैं और जय दोनों अकेले थे, मैंने झट से जय को अपने गले लगाया, और उसके होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दी।

मैं जय के कोमल होठों को चूस रही थी। वह मेरी‌ लिपस्टिक को खा रहा था। मैं उसके होंठों को चूसते हुए उसकी शर्ट के बटन को खोल कर उसे अलग कर दी। फिर धीरे-धीरे मैं उसके बदन के सारे अंगों को चूमने लगी।

जय भी मेरा हर अंग को चूमने लगा। जय मेरे हाथों को सहला रहा था, और मेरे होंठ, मेरे गाल, मेरे गर्दन सभी को चूम रहा था। जय ने मेरी कमर से साड़ी को खींच ली, और निकाल कर अलग कर दिया। मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउज में उसके सामने खड़ी थी। जय मेरे नीचे बैठा, और मेरी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा।

थोड़ी ही देर में उसने मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, और फिर मेरी पेंटी को नीचे करके मेरे पैरों को फैलाया, और मेरी बुर के रस को चूसना शुरू कर दिया। मैं उसके बालों को प्यार से सहलाने लगी। वह मेरे नीचे बैठ मेरी बुर के दाने को अपनी जीभ से चाट रहा था।

फिर उसने मुझे बेड पर धकेल दिया, और मैं बेड पर गिर गई। उसने मेरे ब्लाउज के हुक को तोड़ दिया, और ब्रा से मेरी दोनों चूचियों को निकाल कर अलग कर दिया। मैं अब उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी। वह मेरी दोनों टांगों के बीच में आया, और मेरी चूचियों को बारी-बारी से पीने लगा। मैं उसके बालों को सहला रही थी, तो कभी उसकी पीठ को सहलाती।

फिर उसने अपने पेट को निकाल कर अलग कर दिया। मैं उसे नीचे लिटाई और उसके ऊपर जाकर उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी। थोड़ी ही देर उसके लंड को अपने मुंह में भर कर चूस रही थी, कि उसके लंड ने पानी उगल दिया, और मैं उसके सारे रस को घटक गई।

फिर मैं उसके लंड को चूसती रही। थोड़ी ही देर में उसका लंड फिर से विकराल रूप में आ गया। मैं उस पर बैठ गई और उसके लंड को अपनी बुर में पूरी तरह से धारण कर ली। और ऊपर-नीचे होना शुरू कर दी। मेरी दोनों चूचियां हिल रही थी। जय मेरी दोनों चूचियों को हाथों से पकड़ के मसल रहा था, और मैं उसके लंड पर उछल रही थी।

कुछ देर ऐसे ही उछलने के बाद जय ने मुझे नीचे लेटा दिया, और मेरे दोनों पैर को फैला कर खुद बीच में आया, और अपना लंड मेरी बुर में डाल कर पेलने लगा।

मै: आह उफ्फ, जय मजा आ रहा है आह चोदो आह।

जय: हां चाची, आज कितने दिन बाद मिली हो। आज तो चोद के रहूंगा।

इसी तरह लगातार जय मेरी बुर में अपने लंड को पेलता रहा, और मेरे होंठ को कभी चूसता तो कभी मेरे गालों को चूमता। फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया, और अपने लंड को पीछे से मेरी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया।

मैं आनंद में आआआह्ह्ह्हह उउउउउउफ्फ्फ्फ़ कर रही थी। फिर जय मुझे नीचे लेटा और खुद मेरे ऊपर आकर फिर से चोदना शुरू कर दिया। इसी तरह जय मुझे कई बार चोदा, और उस दिन अपनी प्यास को मिटाया। होली के दिन हम लोगों ने खूब आनंद से चुदाई किये, जब तक जेठ और जेठानी वापस नहीं आए।‌ तब तक हम दोनों रात-रात भर चुदाई करते रहे।

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