पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-22
मां की चुदाई कहानी अब आगे-
कुछ देर पहले तक जो आरिफ मम्मी से दूर बैठ कर बातें करता था, वो आज मम्मी के बिल्कुल नजदीक जाकर उनके करीब बैठा हुआ था। मम्मी आरिफ से शर्माते हुए अपना फेस दूसरी तरफ करे हुए थी। साला कमीना आरिफ अपनी तिरछी नजरों से मां के उभरते बूब्स की क्लीवेज झांक रहा था।
आरिफ बड़े धीरे स्वर में कुछ बोल रहा था, इसलिए मैं उनकी बातें सुनने के लिए थोड़ा और करीब चला जाता हूं।
आरिफ: सविता तुम अब पहले से भी ज्यादा खूबसूरत होती जा रही हों। लगता हैं तुम्हें जुनैद का प्यार बाखूबी ही असर किया हैं।
मम्मी शर्माते हुए एक छोटी हसी के साथ बोली: आरिफ जी आप भी ना, मैं पहले से ही ऐसी थी!
आरिफ: सविता जी मुझे बहुत अच्छे से याद हैं जब आप मेरे होटल में राहुल के साथ पहली बार आई थी, उस समय आपके चेहरे का नूर उदासी में कही छुपा हुआ था। आपकी नजरों में एक अकेलापन सा मैंने काफी गौर से देखा था। पता नहीं मुझे ये बात आज कहनी चाहिए या नहीं, पर तुम्हारे जाने के बाद मेरी नज़रें बस तुम्हें ही ढूंढ रही थी। मैं कितने दिन तक अपने दिल को समझता रहा कि मैंने आखिर उस दिन तुमसे बात क्यों नहीं करी थी। शायद उस दिन तुमसे बात करी होती, तो आज जुनैद की जगह मैं…
मम्मी आरिफ की आँखों में देखते हुए बोली: आरिफ जी आप रुक क्यों गए?
आरिफ: सविता जी मुझे नहीं लगता आज उस बात का कोई मतलब है। आज जुनैद की वजह से ही हम दुबारा मिल पाए हैं। वैसे आपको मेरे रिसॉर्ट पर आना और यहां घूमना जिंदगी को खुल कर एन्जॉय करना अच्छा तो लग रहा है ना?
मम्मी: आरिफ जी सच में मैं उस समय अपने आप से इतना टूट चुकी थी, कि मुझे कुछ समझ नहीं आता था, कि मैं अपनी जिंदगी की दूसरी सूरत कहा से शुरू करूं। राहुल ने जुनैद को घर में जगह नहीं दी होती तो शायद आज मैं इस पल का एन्जॉय नहीं कर पाती
फिर थोड़ा शर्माते हुए, आरिफ की आँखों में देख: ये समय का खेल है! आरिफ जी यहां आकर ही मुझे पता लगा कि जीवन का असली आनंद कैसे लिया जाता हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं इस चीज के लिए आपको कैसे थैंक्स बोलूं?
आरिफ मुस्कुराते हुए बड़ी हसरत से मम्मी की तरफ अपनी बाहें फैला कर बोला: जैसे आपको अच्छा लगे? और मेरे दिल को खुशी मिल सकें!
मम्मी शर्माते हुए बिना कुछ बोले कुछ देर आरिफ की आँखों में देखती रहती हैं। फिर होंठो पर एक लंबी मुस्कान लिए आरिफ के सीने से लिपट जाती हैं।
आरिफ अपने एक हाथ को मम्मी की पीठ पर फेरते हुए बोला: ये अल्लाह का ही शुक्र है, इस तरह ही सही, पर आज दुबारा मिल तो सकें हैं!
मम्मी कुछ एक मिनट उसके सीने से लिपटी रहती हैं। फिर अपने हाथों को आरिफ की कमर से लिपटे हुऐ छोड़ के अपना जिस्म उसके सीने से अलग कर लेती हैं।
फिर मम्मी अपनी पलकें उठाए आरिफ की आँखों में बड़े कामुक अंदाज में देखते हुए डूब जाती हैं। आरिफ मम्मी की आँखों में देखते हुए अपने होंठ उनके होंठो के नज़दीक ला रहा था।
मम्मी आरिफ की गर्म सांसे महसूस करते हुए धीरे-धीरे अपनी आँखें बंद कर लेती हैं। फिर अपने लबों को हल्का सा खोल कर अचानक आरिफ के होंठो पर रख देती हैं।
ये देख मैं एक-दम से हैरान रह गया था, आखिर मेरी मां ये क्या कर रही थी। मुझे मां से ये उम्मीद नहीं थी कि वो आरिफ को किस्स करेगी।
मम्मी अपनी आँखें बंद कर आरिफ़ के होंठों को कुछ देर चूसती हैं, फिर अपने होंठों को आरिफ़ से अलग करते हुए चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कान लिए बोली: “आरिफ़ जी, आपने इतना कुछ किया… ये मेरी तरफ़ से थैंक्स था।”
फिर मेरे पास आने से पहले मम्मी आरिफ़ से कुछ दूरी बना लेती हैं। आरिफ़ अपनी लाई हुई लकड़ियों में आग जलाने लगा था।
कुछ देर में जुनैद मौसी के साथ डिनर लेकर आ जाता है, फिर हम सभी आग के चारों तरफ़ गोल घेरे में बैठ गए। रात का अंधेरा अपने उफान पर छाया हुआ था, आसमान में चंद तारों की रोशनी चमचमा रही थी। सभी आग के सामने बैठे डिनर खाने का पूरा मज़ा उठा रहे थे। डिनर करने के बाद जुनैद मम्मी की तरफ़ देख कर कुछ इशारा करता है।
मम्मी मुस्कराते हुए मेरे पास आकर बड़े प्यार से बोली: “राहुल बेटा, अब सोने का समय हो गया है। तुम्हारा सोने का इंतज़ाम कार में कर दिया गया है, ताकि तुम उधर आराम से सो सको।”
मैं थोड़ा चौंकते हुए बोला: “मम्मी, आप किधर सोने वाली हैं? मतलब… यहाँ तो बस दो ही कैंप हैं?”
मम्मी बोली: “बेटा, मौसी मेरे साथ एक कैंप में एडजस्ट कर लेंगी। तुम चिंता मत करो, हम आराम से सो सकते हैं। तो, गुड नाइट मेरे बेटे।”
मम्मी को गुड नाइट बोलने के बाद मैं कार की तरफ चला जाता हूँ, जो थोड़ी दूर ही पार्क थी। कुछ देर कार में बीतने के बाद मैं फिर उनके कैंप की तरफ चला जाता हूँ। मैं उन्हें एक बड़े से पत्थर की आड़ लिए देख रहा था।
चारों अभी तक आग के सामने बैठे हुए थे। माहौल ऐसा था कि दोनों कपल अब अपने-अपने में खोए हुए थे। एक तरफ़ जुनैद, मम्मी को अपनी बाँहों में लिए बैठा था, तो दूसरी तरफ मौसी, आरिफ़ की गोद में बैठी उसकी आँखों में देख रही थी।
माँ और मौसी के चेहरों से साफ़ झलक रहा था कि आज वे बिना किसी झिझक के मर्द का पूरा मज़ा इस खुले आसमान के नीचे लेने वाली थी। आरिफ़, कपड़ों के ऊपर से ही मौसी के बूब्स हल्के हाथों से मसलते हुए उनके होंठों को चूस रहा था, लेकिन उसकी निगाहें तब भी मम्मी पर ही टिकी हुई थी।
जुनैद, मम्मी के होंठों को चूसते हुए अपना एक हाथ उनकी ड्रेस में डालने की कोशिश करता है, तो मम्मी उसका हाथ वहीं अपने हाथ से रोक रही थी। जुनैद तब भी नहीं मानता। तो माँ अपने होंठों को जुनैद से अलग करते हुए बोली: “जुनैद जी, हमें कैंप में चलना चाहिए।”
जुनैद बोला: “जान, ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। हमें यहाँ कोई नहीं देखने वाला है।”
मम्मी शर्माते हुए एक बार मौसी की तरफ़ देखती हैं, जो अपने बूब्स कपड़ों के ऊपर से ही आरिफ़ से मसलवा रही थी। फिर आरिफ़ की तरफ़ देखती हैं, जो उन्हें ही देख रहा था। जब माँ की आँखें आरिफ़ की आँखों से मिलती हैं, तो उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान ठहर जाती है।
मम्मी फिर जुनैद के होंठों पर अपने होंठ रख कर, उसका हाथ अपनी जाँघों से होते हुए ड्रेस के अंदर डाल कर चूत पर रखवा लेती हैं। जुनैद अब नीचे से माँ की चूत मसल रहा था और उनके होंठों को भी चूस रहा था।
दोनों तरफ अब माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका था, बस लकड़ियों की जलती आग अब शांत होकर अंगारों में बदल चुकी थी।
जुनैद के चूत मसलने से माँ कुछ देर में ही पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। वो अपने होंठों को अलग करके बार-बार जुनैद को कैंप में चलने के लिए कह रही थी। जब जुनैद से भी रहा नहीं गया, तो वो तुरंत खड़ा होकर मम्मी को अपनी गोद में उठा लेता है। फिर मम्मी को अपनी गोद में लेकर कैंप की तरफ चल पड़ता है।
मैंने देखा, जब जुनैद ने माँ को अपनी गोद में उठाया हुआ था, तो मुझे माँ की नंगी गांड पूरी दिखाई दे रही थी। उनकी गांड के होल में लगा वो बट प्लग भी मुझे दिख रहा था, और मेरे अलावा आरिफ़ भी अपनी तिरछी नज़रों से देख रहा था।
जुनैद और मम्मी के कैंप में जाने के बाद, आरिफ़ मौसी को उधर ही पूरी तरह नंगी कर देता है। फिर मौसी को एक पत्थर पर झुका कर पीछे से अपना मोटा मूसल एक बार के धक्के में पूरा घुसा कर चोदना शुरू कर देता है। मौसी आज खुले आसमान के नीचे अपनी टाँगे फैलाए आरिफ़ के धक्कों से अपनी चुदाई का मजा ले रही थी। उनकी कामुक सिसकारियां खुले में कहीं खो सी रही थी।
आरिफ की मस्त चुदाई से मौसी थोड़ी देर में थरथरा कर एक गहरी साँस लेते हुए झड़ जाती हैं, खुद के झड़ने के बाद मौसी उसके साथ कैंप के अंदर जाकर उसके मूसल पर जोरदार घुड़सवारी करके आरिफ़ को संतुष्ट कर रही थी।
उनकी पूरी ज़ोरदार चुदाई देखने के बाद मैं कार में जाकर सो गया था। सुबह के छह बजे जब मैं सोकर उठा, तो कार से निकल कर सीधा कैंप की तरफ चल दिया। उधर जाकर मैंने देखा, मम्मी कैंप के बाहर तैयार होकर जुनैद के साथ खड़ी हुई थी। मम्मी का लुक आज बहुत सुंदर लग रहा था। मम्मी ने एक पीले रंग की छोटी ड्रेस पहनी हुई थी, जो बस उनकी गांड से नीचे, चिकनी जाँघों तक आ रही थी।
ड्रेस का ऊपरी हिस्सा काफ़ी डीप नेकलाइन और पतली स्ट्रैप्स वाला था। ड्रेस का फैब्रिक टेक्सचरदार और उभरा हुआ था, और इसके हेमलाइन किनारों पर सफ़ेद रंग की लेस लगी हुई थी। इस ड्रेस में मेरी माँ एक-दम कातिल और गदराई-सी लग रही थी।
उफ़्फ़… माँ के बड़े, गोल बूब्स जैसे उस ड्रेस में समा ही नहीं पा रहे थे, उनका उभार साफ़ नज़र आ रहा था। ड्रेस का कपड़ा पतला और बारीक होने से उनकी अंदर की लाल ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी। उनके कंधों पर ड्रेस की स्ट्रैप के साथ ब्रा की लाल पतली स्ट्रैप भी दिख रही थी।
उनके घुँघराले और कंधे तक लंबे खुले हुए बाल उन्हें और भी सुंदर दिखा रहे थे, और माँ ने गले में एक पतला पेंडेंट वाला हार पहना हुआ था।
मेरी माँ आज किसी पॉर्न मूवी की MILF लग रही थी! पर उनके साथ खड़ा हुआ जुनैद देख कर सुबह ही मेरा माथा गर्म हो गया। मैं हल्के कदमों से मम्मी के पास जाकर बोला: “गुड मॉर्निंग, मम्मी! आज आप इस ड्रेस में काफ़ी सुंदर लग रही हैं। वैसे, ये ड्रेस मैंने पहले नहीं देखी?”
माँ मुस्कराते हुए मेरे गालों को चूमते हुए बोली: “गुड मॉर्निंग, बेटा! थैंक्यू, तुम्हें ये ड्रेस पसंद आई।”
(फिर मम्मी जुनैद की तरफ हल्की मुस्कान के साथ देखते हुए बोली): “ये ड्रेस मुझे जुनैद जी ने ख़ास गिफ्ट की है।”
ये सुन कर तो मेरा खून और खौल गया, मन ही मन कर रहा था — यही जुनैद को अपने लात-घूँसों से सुला दूँ! खैर, मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और झूठे मन से कहा: “अच्छा है।”
मम्मी मुस्कराते हुए बोली: “राहुल, मैं अभी जुनैद के साथ नदी का नज़ारा देखने जा रही हूँ, तुम फ़्रेश होकर उधर ही आ जाना।”
मैंने फ़्रेश होने के बाद एक बार चारों तरफ देखा। मौसी और आरिफ नहीं आ रहे थे, तो मैंने उन्हें नज़रअंदाज़ किया और मम्मी की तरफ, नदी किनारे चल दिया।
उधर जाकर मैंने देखा, जुनैद मम्मी की कमर में अपना हाथ डाले बैठा था, और मम्मी उसके कंधे पर सिर रख कर सुबह का नज़ारा देख रही थी। मैं थोड़ा करीब जाकर उनके पीछे एक पत्थर के पीछे छिप कर उनकी बातें सुनने की सोचने लगा।
मम्मी बड़े प्यारे स्वर में बोली: “जुनैद जी, इतनी सुहानी सुबह तो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। आपके साथ यहाँ आकर तो मेरा जीवन ही सफल हो गया है। आप मुझे ना मिले होते तो शायद आज मैं औरत की हर खुशी को भूल गई होती…”
जुनैद माँ के गालों को पकड़ कर, उन्हें बोलते हुए ही उनके होंठों पर होंठ रख कर चूमते हुए बोला: “जान, मैंने तुम्हें यही सब खुशी देने का वादा किया था, जो मैं दे भी रहा हूँ! मैं अब आगे भी चाहता हूँ कि तुम्हें इससे ज़्यादा और बेहतर औरत की खुशी दूँ, पर…”
मम्मी, जुनैद के होंठों को ज़ोर से चूसने के बाद उसकी आँखों में देखते हुए बोली: “मुझे हर वो खुशी चाहिए जिसकी हर औरत तमन्ना करती है… पर क्या, जुनैद? बोलो?”
जुनैद माँ के होंठों को कुछ देर चूमता रहा, फिर बोला: “मैं ये बात तुम्हें कई दिनों से कहना चाहता था, पर आज मैं तुम्हें कह देना चाहता हूँ! जान, तुम कब तक इस तरह चोरी-छिपे प्यार करती रहोगी? मैं तुमसे शादी करके समाज के सामने खुलकर प्यार करना चाहता हूँ। मैं तुम्हें अपने बच्चे की माँ बना कर हर खुशी दूँगा।”
जुनैद की बात सुन कर मेरा पारा चढ़ गया और पैरों तले ज़मीन खिसक गई। मेरा खून ज्वालामुखी की तरह उबल रहा था।
मैं मन ही मन बोला: “अब बहुत हो गया! जुनैद का गेम बजाना ही पड़ेगा। माँ की खुशी के लिए मैंने उसकी उससे चुदाई करवाना बर्दाश्त किया, पर ये शादी मैं बर्दाश्त नहीं करूँगा!”
तो दोस्तों, इसके आगे राहुल क्या करता है, वो मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी आपको पसंद आ रही होगी। मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ईमेल पर बताएं।
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