पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-24
हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-
झील किनारे मम्मी और आरिफ अपना आधा पैर पानी में डाले एक पत्थर पर बैठे हुए थे। आरिफ बिना कुर्ता पहने मम्मी के बगल में बैठा था। मम्मी, आरिफ की तरफ देख कर मुस्कराते हुए उसकी बॉडी के सिक्स-पैक अपने कोमल हाथ से छू रही थी। आरिफ मम्मी की आँखों में देख कर कुछ कह रहा था, जो मुझे दूर से सुनाई नहीं दे रहा था।
मैं उनके नज़दीक जाने लगा, तभी मम्मी की नज़र मुझ पर पड़ जाती है। वो आरिफ से अलग होकर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराती हैं।
मैं उनके नज़दीक गया और बोला: “मम्मी, अब हमें ट्रिप यहीं खत्म करनी चाहिए। मुझे अपने काम पर भी ध्यान देना है।”
मम्मी मुझे गले लगाते हुए बोली: “राहुल, देखो ना कितना मज़ा आ रहा है यहाँ! प्लीज़ एक दिन और रुक जाओ, देखो आरिफ जी कितनी अच्छी जगह हमें टूर करा रहे हैं।”
मैं थोड़ा गुस्से के भाव में बोला: “मम्मी, मज़ा आपको आ रहा होगा, पर मुझे नहीं!”
इतना बोल कर मैं मम्मी से दूर चला जाता हूँ और एक शांत जगह अकेले बैठ कर सोचने लगा कि अब कैसे भी मम्मी को घर लेकर जाना होगा।
कुछ देर सोचने के बाद, मैंने एक प्लान बनाया। अपनी पार्टी को फोन करके जुनैद के लिए एक जाल बुन दिया था।
फिर एक घंटे बाद हम सभी रिसॉर्ट पहुँच कर आराम करने लगे थे। मैं अपने कमरे में लेटा रहा, पर मुझे नींद नहीं आई, तो मैं बाहर आ गया। बाहर आकर मैंने देखा, मम्मी होटल के बगीचे में टहल रही थी। वो एक ही जगह पर कुछ सोचते हुए चक्कर लगा रही थी।
मुझे मम्मी के चेहरे पर एक उलझी हुई उदासी नज़र आ रही थी। उनका खामोश इधर-उधर टहलना बता रहा था कि वो जुनैद के बारे में ही सोच रही थी। कुछ देर खड़े रह कर मैंने देखा, मौसी आरिफ के कमरे से निकल कर तेज़ कदमों से मम्मी के पास आती हैं, फिर मम्मी मौसी के साथ एक बेंच पर बैठ जाती हैं।
मम्मी को मौसी के साथ बैठा देख मैं समझ गया कि वो दोनों जुनैद की बातें करने वाली हैं। फिर मैं धीरे से उनके पीछे जाकर छिप गया, जहाँ से उनकी बातें सुन सकता था।
मौसी मम्मी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोली: “क्या हुआ सविता, ऐसे अचानक मुझे यहाँ क्यों बुला लिया?”
मम्मी उदास आवाज़ में बोली: “दीदी, बात ही कुछ ऐसी है कि मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूँ। आपको सब पता ही है, जुनैद और मेरा रिश्ता काफ़ी समय से चल रहा है।”
मौसी हैरानी से: “हाँ, पर हुआ क्या?”
जुनैद से सब पता होने के बाद भी मौसी का इस तरह मम्मी के सामने भोली बन जाना मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था! आगे –
मम्मी: “दीदी, जुनैद मुझसे शादी करना चाहता है। अब वो मुझे समाज के सामने अपनाना चाहता है। उसके दिल में मेरे जिस्म की हवस है या प्यार का पागलपन, ये मुझे नहीं पता, पर मैं भी उसे पसंद करती हूँ! दीदी, मेरे जिस्म को मर्द की ज़रूरत है, जिसे जुनैद मेरा पति बन कर पूरी कर सकता है। पर इस बात को राहुल बेटा नहीं समझेगा?”
मौसी मम्मी को गले लगाते हुए: “मेरी बहन, मैं समझ सकती हूँ कि तुम जुनैद को पसंद करती हो। मैं तुम्हारी दीदी होने के नाते तुम्हें कुछ सलाह देना चाहती हूँ।”
मम्मी थोड़ा भावुक होते हुए: “हाँ दीदी, बताओ मैं क्या करूँ?”
मौसी: “ये मर्द कभी एक जिस्म के दीवाने नहीं रहते। इन्हें हमसे ज़्यादा सुंदर मिल जाए तो उससे भी नोच खा सकते हैं। बहन, अभी तुम आज़ाद हो। शादी के बाद मर्द का बदल जाना भी औरत को दुख देता है। ये जिस्म की आग तो बिना किसी रिश्ते के भी बुझाई जा सकती है। तुम इतनी सुंदर हो कि हर मर्द दीवाना बन जाए। रही बात तेरी पसंद की तो, राहुल को सब सच बताओ। वो मान गया तो अच्छी बात है, लेकिन अगर राहुल नाराज़ हो गया तो जुनैद के साथ तुम्हें भी अपनी माँ कभी स्वीकार नहीं करेगा। अब तुम्हें देखना है कि तुम्हारे लिए जुनैद ज़रूरी है या राहुल बेटा। उम्मीद है, तुम्हें मेरी बात समझ आ गई होगी।”
मम्मी आँखों में आँसू लिए मौसी के कंधे पर सिर रखते हुए बोली: “दीदी, आपकी हर कही बात मैं समझ गई हूँ। मैं राहुल की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं करूँगी। वो मेरी ज़रूरत ही नहीं, मेरी ज़िंदगी भी है!”
माँ के मुँह से अपने लिए इतना प्यार सुन कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है, पर बात यहीं खत्म नहीं होती। इसके लिए मम्मी मेरे पास बात करने आएँगी, ये मुझे पक्का यक़ीन था।
फिर जैसे-जैसे दिन ढल रहा था, आगे क्या होगा यही सोच कर मेरे दिल की धड़कनें बढ़ रही थी। कुछ दो घंटे बीत जाने के बाद मैंने देखा, जुनैद मम्मी के कमरे में जा रहा था। मैं उसके चेहरे के भाव देख कर समझ गया कि वो ज़रूर मम्मी से बात करने जा रहा है।
कमरा अंदर से बंद हो जाने के बाद मैं अपनी जगह पर गया और मम्मी के कमरे के अंदर देखा। मम्मी सुबह वाली ड्रेस उतार कर एक गर्म, मुलायम कपड़े का घुटनों तक का कोट पहने हुई थी।
मम्मी आईने के सामने खड़ी होकर अपने बालों को सुलझा रही थी। जुनैद उनके पीछे खड़ा उन्हें अपनी बाहों में जकड़े हुए उनके गालों को चूम रहा था।
मम्मी नखरे दिखाते हुए बोली: “ओह जुनैद जी, छोड़ो ना! कोई आ जाएगा।”
जुनैद मम्मी के कानों की लो को अपने होंठों में दबाते हुए बोला: “जान, कोई आ भी गया तो तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर पाएगा।”
मम्मी चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए बोली: “वैसे तो मैं खुद अलग नहीं होना चाहूंगी, पर राहुल आ गया तो आपकी इन मज़बूत बाहों से मुझे निकलना ही पड़ेगा, जुनैद जी।”
जुनैद बोला: “जान, मेरे राहुल का बाप बन जाने के बाद तुम्हें उसे भी शर्माने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। फिर मैं कहीं भी और कभी भी तुम्हें प्यार कर पाऊँगा। जान, ये नेक काम हम घर जाने से पहले ही कर लेते हैं, ताकि घर जाकर हम एक नई ज़िंदगी शुरू कर सकें।”
मम्मी जुनैद की तरफ घूम कर उसकी आँखों में देखते हुए बोली: “जुनैद जी, हम इतना बड़ा फैसला अकेले कैसे ले सकते हैं? मुझे तुम्हारे लिए पहले राहुल से सलाह लेनी पड़ेगी। आखिर वो मेरा बेटा है।”
जुनैद गुस्से भरे भाव और ऊँचे स्वर में बोला: “जान, राहुल इस फैसले को पसंद नहीं करेगा, मुझे पता है। हम शादी करने के बाद उसे सरप्राइज़ दे सकते हैं। जान, तुम उसकी चिंता क्यों करती हो? वो जवान है और अब समझदार भी हो गया है। वो अपने आप को संभालना जानता है। हम उसके बिना अपनी एक नई दुनिया बसा सकते हैं, आई प्रॉमिस सविता!”
मम्मी आँखों में आँसू लिए थोड़ा गुस्से भरे भाव में बोली: “जुनैद, मैं तुम्हें बिना शादी किए भी अपना पति मानती थी। तुम्हारे साथ हर एक वो लम्हा मैंने तुम्हें अपना पति मान कर ही बिताया था। तुम चाहते हो कि मैं अपने बेटे को छोड़ कर तुम्हें प्यार करूँ, तो वो मैं नहीं कर सकती। बस, इसके आगे मैं कोई बात नहीं करना चाहती।”
मम्मी जुनैद के सामने से हट कर अपने कदम गेट की तरफ बढ़ा देती हैं। जुनैद उनके पीछे कदम बढ़ाते हुए बोला: “जान, मेरा ये कहने का मतलब नहीं था!”
मम्मी अपने कदम बिना रोके बोली: “मुझे अकेला छोड़ दो, तुमसे अब मैं कोई बात नहीं करना चाहती।”
मम्मी आँखों में हल्के आँसू लिए कमरे से बाहर निकल जाती हैं। फिर जब मैं उनके पीछे गया तो देखा। मम्मी होटल की एकांत जगह पर अकेली बैठी रो रही थी। मम्मी रोते हुए मौसी को फोन करती हैं और अपने पास आने के लिए कहती हैं।
थोड़ी देर में मौसी आरिफ के साथ आती हैं। फिर मम्मी के बगल में बैठ कर पहले उनके आँसू पोंछती हैं। मम्मी की दूसरी साइड में आरिफ बैठा हुआ था। वो उनकी पीठ को सहलाते हुए मौसी से मम्मी के रोने का कारण पूछता है।
फिर कुछ बातें मौसी ने बताईं तो कुछ बातें मम्मी रोते हुए बता देती हैं। आरिफ मम्मी को अपनी तरफ घुमा कर उनका सिर अपने कंधे पर रखते हुए बोला: “जुनैद की बात बहुत गलत है। उसे ऐसे तुम्हें अपने बेटे से अलग होने के लिए नहीं कहना चाहिए था। सविता, मैंने तुम्हें अपने रिसॉर्ट पर अपनी मर्ज़ी से बुलाया था। मैं तुम्हें यहाँ कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा।”
मम्मी हल्का रोते हुए बोली: “आरिफ जी, अब मैं यहाँ रह कर जुनैद का चेहरा भी नहीं देखना चाहती। राहुल को ये सब पता लगा तो पता नहीं वो क्या सोचेगा?”
मौसी बोली: “बहन, चिंता मत कर। मैं और आरिफ जी तेरे साथ हैं, कुछ नहीं होने दूँगी।”
मैंने सोचा, अब मेरे यहाँ खड़े रहने से काम नहीं चलेगा, मुझे कुछ करना ही होगा। मैं उधर से तुरंत मम्मी के पास गया, तो मम्मी मुझे देख कर अपना सिर आरिफ के कंधे से हटाते हुए अपने आप को संभालती हैं।
मैं सब के चेहरे पर उदासी देख बोला: “क्या हुआ? सब इतने उदास क्यों बैठे हैं? मम्मी, आपको क्या हुआ? आपके माथे से इतना पसीना क्यों आ रहा है?”
मम्मी घबराते हुए बोली: “कुछ नहीं बेटा, बस सिर में हल्का दर्द है।”
मैं: “क्या आपने दवाई खाई या नहीं? मैं अब यहाँ और नहीं रुकूँगा, हम कल अपने घर के लिए निकल रहे हैं।”
मम्मी बड़े धीमे स्वर में बोली: “राहुल, कुछ नहीं… बस हल्का-सा दर्द है। घबराने वाली कोई बात नहीं है, मैं दवाई लेने ही जा रही थी।”
मौसी: “राहुल, तुम चिंता मत करो, मैं सविता के साथ हूँ। तुम कमरे में डिनर करके आराम कर सकते हो।”
आरिफ बीच में रोकते हुए बोला: “राहुल अकेले बोर हो जाएगा, क्यों ना सब मेरे कमरे में चलते हैं? उधर सविता जी के लिए मेरे पास दवाई है और राहुल हमारे साथ डिनर भी कर लेगा।”
मम्मी आरिफ की इस बात पर ‘हाँ’ कर देती हैं। उसके बाद हम आरिफ के कमरे में डिनर करते हैं। आरिफ डिनर करते हुए मुझे एक दिन और रुकने के लिए मना रहा था, पर मैंने अपने काम का बहाना बना कर रुकने से मना कर दिया था।
फिर डिनर करने के बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आने लगा, तभी मैंने सुना,
मौसी बड़े धीमे स्वर में बोली: “सविता बहन, जुनैद और तुम्हारे बीच बातें और ना बिगड़ें, इसलिए आज तुम्हें यहीं आरिफ जी के कमरे में रुकना चाहिए। मैं जुनैद के पास जाकर उसे समझाने की कोशिश करती हूँ।”
मम्मी के एक “हाँ” कहने के बाद कमरे में पूरी शांति छा गई थी। फिर बाथरूम से बाहर आने के बाद मैं अपने कमरे में जाने की बात कह कर वहाँ से निकल गया था।
बाहर खड़ा मैं यही सोचने लगा कि मौसी जुनैद के पास जा रही हैं, और मम्मी आरिफ के साथ यहाँ अकेली रहेंगी, मुझे अब आरिफ पर नज़र रखनी चाहिए।
मैंने ऐसा ही किया। मौसी के जाने के बाद मैंने आरिफ के कमरे पर नज़र रखी। अंदर देखा तो मम्मी अब भी बेड पर पहले की तरह अपना गर्म कोट पहने लेटी हुई थी।
आरिफ कुछ देर में बाहर से आता है, फिर बेड के किनारे बैठ कर मम्मी का माथा अपने हाथों से छूते हुए बोला —
“सविता जी, आपका माथा काफी गर्म हो रहा है। क्या आप अब तक जुनैद के बारे में ही सोच रही हैं? आपको अब इतना नहीं सोचना चाहिए।”
मम्मी उठ कर बेड के सिरहाने कमर टिकाए बैठती हुई बोली: “आरिफ जी, इतने दिन मेरे साथ संबंध में रहने के बाद जुनैद राहुल को मुझसे अलग करने की कैसे सोच सकता है? मैंने उसे अपने परिवार जैसा माना, उसे हर वो प्यार दिया जो मैं एक पति को दे सकती थी… उफ्फ, मुझे बहुत दुख होता है।”
आरिफ थोड़ा मम्मी के करीब जाकर उनके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए बोला:
“सविता, वो नौकर है, ये जान कर भी तुमने उसे इस लेवल पर पहुँचाया था। सब कुछ मिलने के बाद जुनैद को ऐसा नहीं करना चाहिए था। मेरी तुम्हें सलाह है कि तुम्हें अब जुनैद को दिल से निकाल देना चाहिए, वो मर्द तुम्हारे स्टैंडर्ड के लायक नहीं है।”
मम्मी अपनी आँखों में आँसू लिए आरिफ को अपने गले से लगते हुए बोली: “आरिफ जी, मैंने उस पर भरोसा किया था!”
आरिफ मम्मी की पीठ को सहलाते हुए बोला: “मैं तुम्हें अपना समझ कर ही सलाह दे रहा हूँ।”
आरिफ का इस तरह मम्मी को सलाह देना मुझे ठीक भी लग रहा था, लेकिन एक तरफ शक भी हो रहा था, आखिर वो अपने दोस्त के साथ ऐसा क्यों कर रहा था? मेरे मन में यह विचार आया कि कहीं आरिफ मम्मी को जुनैद से अलग करके अपनी तरफ तो नहीं खींच रहा है? यह सोचते हुए मेरे पैर वहीं जम गए कि आरिफ आगे क्या करने वाला है।
मम्मी आरिफ की बाहों से अपने आप को अलग करती हैं, फिर अपने माथे पर आए पसीने को पोंछते हुए बोली: “आरिफ जी, मुझे दवाई खाने के बाद काफी गर्मी महसूस हो रही है, मेरा मन अभी ठंडे पानी से नहाने का कर रहा है।”
आरिफ मुस्कराते हुए बोला: “मैं भी आपको यही कहने वाला था, नहाने से आपको हल्का और ताज़ा महसूस होगा।”
मम्मी शर्माते हुए बेड से उठ कर बाथरूम चली जाती हैं।
आरिफ बेड पर बिछी चादर को समेट कर तुरंत फूलों से बनी नई परफ्यूम-छिड़की चादर बिछा रहा था। उसका ऐसा करना मुझे समझ नहीं आया — वो करना क्या चाहता था?
थोड़ी देर बाद जब मम्मी बाथरूम से बाहर आईं, तो मैं देखता ही रह गया।
मम्मी ने लाल रंग की बेबी डॉल सेक्सी लॉन्जरी नाइटवियर पहन रखी थी। लाल, चमकदार साटन फ़ैब्रिक का कपड़ा उन्हें एक चिकना, चमकता और मुलायम लुक दे रहा था। नाइटवियर इतनी छोटी थी कि बस उनकी चिकनी जांघों तक आ रही थी। वी-शेप गले वाली ड्रेस के कंधों पर पतली एडजस्टेबल स्ट्रैप्स थी, जो उनकी दो भरी चूचियों को थामे हुए थी। चूचियों की क्लीवेज की गहराई साफ नज़र आ रही थी, और दो अंगूर जैसे टाइट निप्पल उभरे हुए थे।
मम्मी अपने सिर पर तौलिया बाँधे बाथरूम से बाहर आती हैं। आरिफ उन्हें देखता ही रह जाता है। मम्मी उसे इस तरह देखते हुए अपने चेहरे पर हल्की शर्मीली मुस्कान लिए आगे बढ़ती हैं।
तो दोस्तों, इसके आगे क्या हुआ वो मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। मेरी कहानी पर बने रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद!