संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-17 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-17)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-16

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

मम्मी जुनैद से लिपटी हुई उसे किस्स कर रही थी, सब के सामने और सब के बीच। सब लोग तालियां बजा कर जुनैद और मम्मी का सेलिब्रेशन कर रहे थे। मैं उनसे काफी दूर खड़ा यह सब देख रहा था। मम्मी सब के सामने बिना शर्म के जुनैद से लिप-लॉक किए हुए थी। दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद अलग हुए, फिर एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे। मम्मी शर्म से अपना सिर जुनैद के सीने में छुपा लेती हैं।

पास में खड़े एक कपल ने कहा: यह सबसे अच्छा सेलिब्रेशन था, जुनैद तुमने कमाल ही कर दिया।

आरिफ ने कहा: हाँ जुनैद, तुमने रिसॉर्ट का माहौल ही बना दिया। बस एक छोटा-सा किस्स और सविता जी, हम सभी की तरफ से, यस सविता जी।

सब के कहने पर मम्मी ने जुनैद के गले में अपने दोनों हाथ डाले, फिर उसे एक ज़बरदस्त लिप-किस्स करके उसके बगल में खड़ी हो गई।

जुनैद ने मम्मी की कमर में अपना हाथ डालते हुए कहा: यह तो मेरी जान का बर्थडे सेलिब्रेशन था, आज हमारी प्यारी-सी सुहागरात भी है।

आरिफ के अलावा वहाँ खड़े तीन कपल ने कहा: जुनैद, तुम बहुत खुश-नसीब हो। सविता जी को आज तुम खूब प्यार देना।

फिर मौसी मम्मी के पास जाकर धीरे से कुछ बोली, जिसके बाद मम्मी जुनैद से अलग होकर बाकी लोगों के साथ बात करने लगी। जब मम्मी का सब के सामने नाटक खत्म हुआ, तब मैं उनके पास गया और मौसी को उनका फोन देते हुए बोला-

मैं: ओहो मौसी, आपका फोन काफी ढूँढने के बाद मिला है। मैंने तो पार्टी भी मिस कर दी।

मौसी बोली: सॉरी राहुल, मैंने तुम्हें परेशान किया। पर तुमने कुछ मिस नहीं किया है।

मैं मन ही मन सोचा: यह तो मौसी की चाल थी। मुझे कमरे में फोन लेने भेजना। ताकि मेरे ना होने पर सब के बीच जुनैद मम्मी को किस्स कर सके।

मम्मी जुनैद के साथ खड़ी एक कपल से हँसते हुए बातें कर रही थी। मैं उनके पास गया तो मम्मी ने मेरा परिचय उनसे कराया। सामने खड़ी औरत देखने में काफ़ी सुंदर थी। उम्र लगभग 35 के आस-पास लग रही थी। वो एक जवान लड़के के साथ थी जिसकी उम्र मुझे करीब 23 साल लगी। परिचय में उस औरत ने अपना नाम काजल बताया।

काजल ने मुझसे हाथ मिलाते हुए मुस्कुरा कर कहा: हेलो राहुल, आपकी मम्मी वाक़ई बहुत लकी हैं कि उन्हें आप जैसा बेटा मिला है। काश सविता जी की जगह मैं होती और मेरे पास भी आपके जैसा बेटा होता… तो मैं भी इनके साथ खुल कर एन्जॉय कर पाती। वैसे, आपका हार काफ़ी शानदार है। यह शायद जुनैद ने ही आपको गिफ्ट किया होगा?

मम्मी हल्की सी शर्मीली मुस्कान के साथ बोली: नहीं काजल, यह हार राहुल ने ही मुझे गिफ्ट किया है। और वैसे भी, राहुल सिर्फ़ मेरा बेटा नहीं, बल्कि मेरा सबसे अच्छा दोस्त भी है। इसी वजह से मैं अपनी ज़िन्दगी खुल कर एन्जॉय कर पाती हूँ।

काजल मम्मी के गले लगते हुए, उनके कानों के पास धीरे से बोली: ठीक है सविता जी, आज की रात जम कर एन्जॉय करना। जुनैद जैसे मर्द कम ही होते हैं, जो औरतों को सच में चरमसुख दे सकें। गुड बाय।

उनके जाते ही, मम्मी ने जुनैद की तरफ़ एक कातिलाना मुस्कान डाली और फिर मेरी ओर देखकर बोली: बेटा, अभी मैं कुछ लोगों से मिल लूँ… फिर तुम्हारे पास आ जाती हूँ।

मम्मी जुनैद की बाहों में हाथ डाले सब लोगों से मिल रही थी। हर कोई मम्मी के गले में पड़े मेरे गिफ़्ट किए हुए हार की तारीफ़ कर रहा था।

इधर मेरी नज़र दूसरी तरफ़ पड़ी, जहाँ मौसी आरिफ के साथ एकांत में बैठ कर बातें कर रही थी। मेरे मन में शक हुआ, कहीं ये दोनों कुछ और ही खिचड़ी तो नहीं पका रहे? मैं चुप-चाप उनके पीछे जाकर छिप गया और उनकी बातें सुनने लगा।

मौसी बड़े अपनत्व से बोली: आज अपनी बहन सविता को इतना खुश देख कर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। काश वो ऐसे ही हमेशा मुस्कुराती रहे।

आरिफ हल्की मुस्कान के साथ बोला: आप दोनों बहनों का प्यार वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है। और अब तो सविता ऐसे ही मुस्कुराती रहेगी… आखिर उसे जुनैद इतना प्यार जो दे रहा है। आज तो दोनों अपनी हसीन रात भी बिताने वाले हैं। जुनैद वाकई लक्की है कि उसे सविता जैसी हसीना मिली।

मौसी ने शरारती अंदाज़ में कहा: आरिफ़ जी, कहीं आपको जुनैद से जलन तो नहीं हो रही?

आरिफ ने हंसते हुए उसकी तरफ़ झुक कर कहा: मैं अपने दोस्त से जल नहीं सकता। (फिर मौसी का हाथ अपने हाथों में लेकर बोला) … मेरे पास भी तो एक हसीन चीज़ है। बस आप हां कह दीजिए, फिर हमारी रात भी हसीन बन सकती है।

मौसी उसकी बात सुन कर हल्का-सा शर्मा गई। उनकी नज़रें नीचे झुक गई और वो कुछ पल चुप रही।

फिर धीरे से बोली: मैंने कभी इस तरह नहीं सोचा था… कि कोई मुझे भी इतनी हसीन नज़र से देखेगा। आपकी तारीफ़ों ने सच में मेरा दिल जीत लिया है।

आरिफ़ ने मुस्करा कर अपनी बाहें फैलाते हुए कहा: मुझे सच में खुशी है कि आपने मुझे स्वीकार कर लिया।

मौसी ने हल्की झिझक के साथ अपनी पलकों को उठाया और आरिफ़ की आँखों में झाँकने लगी। कुछ देर उसकी नज़रों में डूबी रही, फिर धीरे-धीरे खुद को उसकी बाहों में समेट लिया।

आरिफ़ ने उन्हें ऐसे भींचा जैसे ठंडी रात में कोई रजाई ओढ़ लेता है। मौसी बिना किसी संकोच के उसके बदन से लिपट गई, मानो बरसों से बुझी प्यास को किसी मर्द की गर्मी ने अचानक जगा दिया हो। दोनों एक-दूसरे में खोए हुए थे कि तभी कदमों की आहट पास आई।

जुनैद मम्मी को बाहों में थामे वहाँ पहुँच गया। उसने हल्की-सी खाँसी करते हुए चुटकी ली: लगता है, भाईजान… हमने आपको डिस्टर्ब कर दिया?

जुनैद की आवाज़ सुनते ही मौसी झट से आरिफ़ की बाँहों से निकल कर एक तरफ बैठ गई, उनके गाल लाल हो उठे थे।

आरिफ़ थोड़े हकलाते हुए बोला: न-नहीं… हम तो बस इस खुशी के मौके पर छोटा-सा हग कर रहे थे।

जुनैद मुस्कुराया और बोला: भाईजान, चांदनी रात हो चुकी है… अब हमें आगे का कार्यक्रम शुरू कर लेना चाहिए।

आरिफ़ ने संभलते हुए कहा: हाँ, बिल्कुल! मैंने आपका रूम पहले से तैयार कर दिया है। पहले सब मिल कर डिनर कर लेते हैं, फिर आप दोनों अपनी… सुहागरात का पूरा लुत्फ़ आराम से उठाना।

जुनैद खिलखिलाते हुए बोला: भाईजान, मैं तो कहता हूँ लगे हाथ आप अपना रूम भी तैयार कर लीजिए।

आरिफ और जुनैद खड़े होकर बाहर निकलने लगे तो मौसी ने हल्के स्वर में कहा: आप लोग चलिए… हम बस पाँच मिनट में राहुल के साथ आते हैं।

दोनों के जाते ही मम्मी मौसी के पास खिसक कर बैठ गई। उन्होंने मौसी का हाथ थाम लिया, उनके चेहरे पर घबराहट साफ दिख रही थी।

मम्मी बोली: दीदी, मेरा दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा है मुझे अजीब लग रहा है। समझ नहीं पा रही कि जो कर रही हूँ वो सही है या ग़लत।

मौसी ने प्यार से मम्मी के कंधे पर हाथ रख दिया: अरी सविता, तू कुछ ग़लत नहीं कर रही। घबराने की ज़रूरत नहीं है। राहुल को कुछ पता नहीं है। ज़िंदगी एक बार मिलती है यहाँ खुल कर मज़ा ले, जुनैद तुझे खुश रखेगा।

मम्मी की आँखें नम हो गई, उन्होंने मौसी को कस कर गले लगाया और बोली: माफ करना दीदी… आप आरिफ के साथ जिस तरह… सब ठीक तो है ना?

मौसी की आवाज़ में उदासी उतर आई: सविता, अब तुझसे क्या छुपाऊँ? जब से तेरे जीजा की तबियत बिगड़ी है, उन्होंने मेरे जिस्म की तरफ देखना ही छोड़ दिया। कब तक मैं खुद को रोकती? आरिफ को देख कर मेरी दबाई हुई चाहतें फूट पड़ी।

मम्मी ने मुस्कराकर माहौल हल्का करने की कोशिश की: तो फिर दीदी, आप तैयार रहिए। आज रात आरिफ अपने मूसल से आपकी जम कर ठुकाई करने वाला है।

मौसी ने शरारत से मम्मी के गाल खींचे: नालायकी मत कर! लेकिन हाँ, मुझे भी उम्मीद है कि वो मेरी अच्छी खासी ठुकाई करे। वैसे… ये मूसल सच में इतना दमदार होता है क्या?

मम्मी हँस पड़ी: दीदी, खुद ही देख लेना… चलो अब, मैं राहुल को बुलाती हूँ।

थोड़ी देर बाद मम्मी ने मुझे फोन किया। मैं उनके पास पहुँचा और सब साथ में डिनर करने बैठे। खाने के बाद मैंने जान-बूझ कर सबसे पहले गुड नाइट कह दिया। मम्मी ने मुझे गले लगाया और हल्की-सी किस्स देकर कमरे में चली गई।

मैं अपने कमरे में जाकर खिड़की के पास ऐसी जगह ढूँढ़ने लगा जहाँ से मम्मी की सुहागरात देख सकूँ। कुछ देर बाद मौसी मम्मी को हाथ पकड़ कर सजाए हुए कमरे में लेकर आई। पूरा कमरा फूलों से महक रहा था, गुलाबों की खुशबू फैली थी।

मौसी ने मम्मी को धीरे से बिस्तर पर बैठाया, उनका लहँगा चारों तरफ गोलाई में फैला दिया और लंबा घूँघट डाल दिया।

उन्होंने मम्मी को गले लगा कर फुसफुसाया: मेरी बहन… अब आराम से जुनैद से सुहागरात का मज़ा लेना। गुड नाइट।

उसी वक्त जुनैद आरिफ के साथ कमरे में आया।

आरिफ ने हँसते हुए कहा: भाई, आज भाभी को जी भर कर मज़ा देना।

फिर उसने मौसी की कमर में हाथ डाल लिया और बोला: चलो जान, अब हमें भी निकलना चाहिए।

जुनैद ने कमरे का दरवाज़ा धीरे से बंद किया और लॉक लगा दिया। माहौल में फूलों की महक और हल्की सी घबराहट घुल गई थी। वो धीरे-धीरे मम्मी के करीब आया…

(और इसके आगे की कहानी मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। तब तक के लिए मुझे अपना feedback ज़रूर दें
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धन्यवाद )

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