संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-15 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-15)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-14

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

अगले दिन, जब मैं सो कर उठा और बॉथरूम जाने लगा, तभी मैंने देखा जुनैद मम्मी के कमरे से बाहर निकल रहा था। उसकी हालत देख कर लग रहा था जैसे वो अभी सोकर उठा हो, उसने अपनी लुंगी भी ठीक से नहीं पहनी हुई थी। जुनैद को देख मेरा माथा ठनक गया। यह साला ज़रूर पूरी रात मेरी मां को चोद रहा था। मेरे गर्म किए हुए लोहे पर जुनैद ने अपना हथौड़ा चला दिया था।

कल जिस तरह मैंने मम्मी को चूसा, मुझे उम्मीद थी कि वह गर्म हो गई थी। मम्मी ने मुझे बेटा बोल कर दूर कर दिया और जुनैद से अपनी आग शांत करवा ली थी। अब मेरा माथा और ठनक रहा था जुनैद को लेकर। मैं मन में सोचने लगा, इस नौकर का कुछ करना पड़ेगा। बॉथरूम से आने के बाद मैंने नाश्ता किया, फिर तैयार होकर अपनी शॉप पर निकल गया।

शॉप पर मैं पूरा दिन यही सोचने लगा कि मम्मी को क्या गिफ्ट दूं? फिर मैंने एक सबसे अच्छा और बेहतरीन हार पसंद किया मम्मी के लिए। यह काफी महंगा था और इसमें डायमंड लगे हुए थे, पर अब मेरी यह ज़िद थी कि मुझे मां के दिल से जुनैद को निकाल कर अपने लिए जगह बनानी है। मैंने फ़ौरन उस हार के लिए ऑर्डर दिया, जिसे तैयार होने में कुछ दिन लगने वाले थे।

आगे दो दिन बाद, रात को मैं अपने कमरे में लेटा हुआ लंड मसल रहा था, तभी अचानक मम्मी कमरे में आ जाती है। जब तक मैं अपने लंड को चादर से ढकता, मम्मी की नज़र पड़ चुकी थी।

मैं थोड़ा घबराया हुआ मम्मी से कहा: आप… क्या हुआ मम्मी? कुछ काम था मेरे से?

मम्मी गेट से ही मुस्कुराते हुए बोली: राहुल, मुझे कुछ बात करनी थी। अगर तुम कहो तो मैं बाद में आ जाती हूँ?

मम्मी उस समय एक रेड नाइटी पहने हुई थी, जो उनके बदन से काफी चिपकी हुई थी। नाइटी काफी शॉर्ट और नेट वाली थी। उनके बूब्स के पास काफी नेट वाला कपड़ा लगा हुआ था, जिससे उनके बिना ब्रा के बूब्स आराम से चमक रहे थे। आगे-

मैं अब अपने आप को ढक चुका था तो मैंने कहा: मम्मी आप आ सकती हो, बोलो क्या बात है?

मम्मी मेरे करीब आकर बेड पर बैठ कर बोली: राहुल, मैं इस बार अपना बर्थडे कहीं बाहर मनाना चाहती हूँ। जैसे किसी अच्छी जगह, मनाली या शिमला? मेरा काफी दिनों से मन था ऐसी जगहों पर घूमने का, अब मेरे पास अच्छा मौका है। मैं अपनी खास जिंदगी को वहाँ खुल कर एन्जॉय करना चाहती हूँ। क्या तुम तैयार हो?

मैं: मम्मी, यह तो अच्छा आईडिया है, पर कुछ ही दिन बचे हैं बर्थडे को। हमें पहले सोचना चाहिए था। अब इतना जल्दी सब कैसे मैनेज होगा? मतलब रहने के लिए होटल, जाने के लिए ट्रेन?

मम्मी मुस्कुराते हुए बोली: बेटा, वो सब मैनेज हो जाएगा, बस तुम हाँ बोलो?

मैं: ठीक है, मैं तैयार हूँ। पर कैसे मैनेज होगा?

मम्मी खुशी से मेरे गले लगी, और मेरे गालों पर किस्स करते हुए कहा: कल सुबह बता दूँगी।(मेरे होंठों पर एक लंबा किस्स देकर) गुड नाइट बेटा।

मैंने भी गुड नाइट कहा। फिर मम्मी जाने लगीं, गेट पर एक-दम से रुक कर बोली: बेटा, वो सब जो तुम कुछ कर रहे थे, हेल्थ के लिए ठीक नहीं है!

इतना बोल कर मम्मी कमरे से बाहर चली जाती है। उनके जाने के बाद मैं सोचा कि मां ने ज़रूर मेरा लंड देखा होगा। शायद वो मेरे मुठ मारने पर बोल रही थी। उस रात मैं फिर मुठ मार कर सो गया। सुबह मैं लेट उठा और फ्रेश होकर हॉल में आया तो देखा, मम्मी जुनैद के साथ सोफे पर बैठ कर नाश्ता कर रही थी। दोनों मुझे गुड मॉर्निंग करते हैं।

मम्मी ने आज अलग ही ड्रेस पहनी हुई थी, जो हल्के गुलाबी-बैंगनी (लैवेंडर) रंग की बेहद सेंसुअस और स्टाइलिश स्पेगेटी स्ट्रैप मिनी ड्रेस थी। ड्रेस की डीप वी-नेकलाइन थी, जिससे मम्मी के बूब्स के बीच की लाइन पूरी नंगी नज़र आ रही थी। यह ड्रेस का लुक मम्मी को और बोल्ड और आकर्षक बना रहा था। मम्मी की ड्रेस की लंबाई जांघों से ऊपर तक थी, कुछ स्कर्ट टिप नीचे से फैला हुआ था। मां की नर्म और चिकनी थाई, नंगी टाँगें पूरी नज़र आ रही थी।

मम्मी के चेहरे पर काफी खुशी झलक रही थी। मम्मी जुनैद के साथ इस तरह हाथों पर हाथ रख कर बैठी हुई थी, जैसे वो घर का नौकर नहीं, बल्कि मालिक या कहूँ सविता का पति हो। दोनों को देख कर ऐसा ही लग रहा था।

मैं उनके सामने वाले सोफे पर बैठ जाता हूँ। मम्मी मेरे लिए नाश्ता लाकर फिर जुनैद के साथ बैठ कर मेरी तरफ देखती हैं।

मम्मी मुस्कुराती हुई बोलीं: बेटा, वो कल मैंने तुम्हें ट्रिप पर जाने वाली बात बोली थी ना, उसका इंतजाम हो गया।

मैं: मम्मी, यह तो अच्छी बात है, कैसे हुआ?

मम्मी जुनैद की तरफ देख कर बोलीं: सब जुनैद जी ने किया है। तुम्हें याद है जुनैद जी ने हमें अपने एक दोस्त से मिलवाया था होटल में? उनका मनाली में अपना एक रिसॉर्ट है।

मैं: हाँ, शायद वो आरिफ। उनके रिसॉर्ट पर हम लोग जाने वाले हैं? उसके रिसॉर्ट का खर्चा ज़्यादा तो नहीं है? मतलब बर्थडे मैनेजमेंट का खर्चा पता किया? (यह बात मैंने जान-बूझ कर बोली)

मम्मी: बेटा, आरिफ जी जुनैद जी के इतने अच्छे दोस्त हैं, उन्होंने मुझे खास इनविटेशन दिया है रिसॉर्ट पर आने के लिए। वहाँ हम आराम से 10 दिन गुज़ार सकते हैं। वो जुनैद जी के इतने खास हैं कि वो खर्चे जैसी कोई बात नहीं करेंगे। राहुल, तुम तैयार हो ना?

मम्मी की बात अब मुझे समझ आ रही थी, वो बर्थडे के नाम पर अपनी सुहागरात मनाना चाहती थी। इस आरिफ का रिसॉर्ट पर मम्मी को इनवाइट करना कुछ ठीक नहीं लग रहा। खैर, इसका पता मुझे लगाना पड़ेगा।

मैं काफी सोचने के बाद बोला: हाँ, बिलकुल मैं तैयार हूँ।

मम्मी मेरी हाँ से खुश होते हुए जुनैद का एक हाथ अपने दोनों हाथों के बीच लेकर मुस्कुराते हुए बोली: थैंक्स जुनैद जी, तुमने मेरे लिए इतना कुछ किया। आज हम जल्दी से जाने के लिए शॉपिंग कर लेते हैं। राहुल बेटा, तुम और जुनैद जी आज शॉप पर नहीं जाओगे।

मैं: मम्मी, आज जुनैद को मेरा एक ऑर्डर लेने जाना है, जो आपके लिए ही खास तोहफा है। क्यों ना आप कल जुनैद के साथ शॉपिंग चली जाएं?

मम्मी खुश होते हुए: फिर तो कल मैं पूरा दिन जुनैद जी से काफी मेहनत करवाने वाली हूँ।

फिर काफी बात करने के बाद मैं जुनैद को मम्मी का हार लाने के लिए भेज देता हूँ। शाम को हार लाने के बाद जब जुनैद ने देखा तो उसकी आँखें चौंक गई थी।

मैं बोला: जुनैद, यह हार डायमंड से बना है, काफी महंगा है। यह मैं मम्मी को देने वाला हूँ। तुम बताओ यह कैसा लगेगा उन पर?

जुनैद: यह तो काफी महंगा है। सविता मैडम पर बहुत ही सुंदर लगेगा जब वो बर्थडे पर पहनेंगी!

फिर मैंने जुनैद को मम्मी से अभी हार के बारे में बताने को मना किया, उसके बाद हम लोग रात को घर आए। मैं रात का खाना खाकर जल्दी सो जाता हूँ। अगले दिन सुबह मम्मी मुझे अपनी गुड मॉर्निंग किस से जगाती हैं। वह आज रोज़ के मुकाबले काफी खुश लग रही थी, और उनका बदन भी सोने की तरह निखर रहा था। फ्रेश होने के बाद मैं नाश्ता करके तैयार होकर हॉल में आया।

मम्मी जुनैद के साथ सोफे पर बैठी हुई थी। मुझे तैयार हुए देखकर बोली: राहुल, तुम भी चलो ना हमारे साथ शॉपिंग करने!

मैं: मम्मी, आप मेरे लिए भी शॉपिंग कर लेना। मुझे शॉप पर बहुत काम है, जुनैद आपके साथ हेल्प करेगा।

फिर शाम को शॉप से मैं आया तो देखा मम्मी काफी चमक रही थी। उनकी चिकनी टाँगें और थाई देख कर लग रहा था जैसे मम्मी ने अपनी पूरी बॉडी वैक्स कराई हो। वो काफी कुछ शॉपिंग करके आई थी, मैंने दिखाने को बोला तो मम्मी ने मुझे ट्रिप पर देखने को मिलेगा बोला।

अगली सुबह, मैं नाश्ते के लिए हॉल में आया तो देखा मम्मी जुनैद के कंधे पर अपना सिर रखे सोफे पर बैठी हुई थी। मुझे देख कर मम्मी अपने आप को ठीक करती हैं।

फिर मम्मी मेरी तरफ थोड़ी दुखी अंदाज़ में बोली: बेटा, वो आज मेरी कविता दीदी से बात हुई थी, वो भी इस ट्रिप पर जाने के लिए बोल रही थी। तुम क्या कहते हो?

मैं बोला: मम्मी, यह तो अच्छी बात है, मौसी हमारे साथ ट्रिप पर चलेंगी तो और अच्छा लगेगा।

जुनैद: मैं भी यही सविता जी को समझा रहा था, उनके होने से अच्छा ही लगने वाला है।

मम्मी जुनैद की तरफ देख कर बोली: जुनैद जी, आपको पता है ना, वो मेरे से बड़ी हैं। मैं उनके सामने कैसे वो सब एन्जॉय करूँगी?

मुझे पता था मम्मी जुनैद से क्या एन्जॉय करने की बोल रही थी। मौसी के सामने उन्हें अपनी सुहागरात मनाने में शर्म जो आ रही होगी।

मैं उनकी बात को ना समझते हुए कहा: क्या मम्मी, बर्थडे ही तो है, उनके होने से क्या दिक्कत है?

मम्मी थोड़ा मुँह फुलाते हुए कहीं: ठीक है राहुल, आप लोगों को अच्छा लगता है, तो मैं उन्हें इनवाइट कर देती हूँ।

मैं: मम्मी, मौसी से बोलना मौसा के साथ जल्दी ही आ जाए, बस चार दिन ही बचे हैं ट्रिप पर जाने के लिए।

मम्मी मुस्कुराते हुए: बेटा, वो अकेले ही आने की बोली थी।

जुनैद: फिर तो मुझे ही उनका ख़याल रखना पड़ेगा?

मम्मी जुनैद को चिढ़ाते हुए: हाँ जुनैद जी, मेरे से आपको मौका मिलेगा तब! (मम्मी थोड़ा हँस देती हैं)

मैं: ठीक है, अब बातें हो गई हों तो जुनैद, हम शॉप पर चलें? काम भी करना है।

जुनैद मम्मी की तरफ देखते हुए बोला: हाँ क्यों नहीं, आज घर पर मेरे लिए कोई काम भी नहीं है, क्यों मैडम!

मम्मी जुनैद की आँखों में देखते हुए उसे सताने के अंदाज़ में बोलीं: जुनैद जी, अब तो सब तैयार हो चुका है, ट्रिप से पहले अब मैं आपको कोई काम नहीं दूँगी! मेरे बर्थडे वाले दिन आपको मैं काम दूँगी, वो मन लगा कर करना होगा।

जुनैद के साथ मैं भी समझ जाता हूँ कि मम्मी अब उसे चुदाई का मौका बस सुहागरात पर ही देंगी। इस बात पर मुझे मां पर गुस्सा आ रहा था। खैर, मैं अभी कुछ नहीं कर सकता था। फिर जुनैद अपना मुँह लटकाकर मेरे साथ शॉप पर आ जाता है। फिर चार दिन हमारे ऐसे ही निकल जाते हैं।

जिस दिन हम ट्रिप पर जाने वाले थे, उसी सुबह मौसी घर आ जाती हैं। मैं तो उन्हें देखता ही रह जाता हूँ। मौसी ने टॉप और लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी। मौसी ने एक सफ़ेद रंग का वी-नेक टॉप पहना हुआ था, उसका वी-नेक गला इतना खुला हुआ था कि उनकी चूचियों की क्लीवेज पूरी नज़र आ रही थी। और मौसी ने नीचे एक लंबी, प्रिंटेड स्कर्ट पहनी हुई थी, जिसमें लाल और बैंगनी रंग के पैटर्न थे। यह स्कर्ट टखनों तक लंबी थी और इसमें नीचे की तरफ़ रफल्स भी लगी हुई थी। मौसी इस स्टाइलिश ड्रेस में काफी हॉट लग रही थी।

मौसी मां से भी ज़्यादा हॉट और सेक्सी लग रही थी। मौसी को देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था। साली के उभरे हुए चूतड़ कमाल के लग रहे थे। मौसी पहले मम्मी को अपने गले लगाती हैं, फिर मुझे। जब मेरे गले लगती हैं, उनके भरे-भरे बूब्स मेरे सीने में जैसे आग सी लगा देते हैं।

मौसी मेरे गालों को चूमते हुए बोली: राहुल बेटा, तुमने अपने पापा से भी बढ़ कर सविता को ख़ुशी दी है। आज तुम्हारी वजह से ही हमारा ऐसा ख़ुशी से मिलना हो पा रहा है।

मैं बोला: मौसी, मम्मी की ख़ुशी के लिए यह सब करना तो मेरा फ़र्ज़ है।

फिर हम सभी साथ में बैठ कर खाना खाते हैं। खाने के समय मम्मी ने मौसी से फिटनेस का राज़ पूछा तो मौसी ने कहा: मैं कुछ महीने से जिम कर रही थी।

फिर खाने के बाद हम लोग मनाली के लिए निकल जाते हैं। रास्ते में जुनैद ने बताया कि उसका दोस्त आरिफ हमें रिसॉर्ट पर ही मिलने वाला था।

दोस्तों, इस ट्रिप पर सुहागरात कैसे बनती है, वो आपको अगले भाग में बताऊँगा। मुझे उम्मीद है कि मेरे पाठकों को मेरे अगले पार्ट का इंतज़ार बेसब्री से रहेगा। तब तक के लिए आप सभी मेरे ईमेल [email protected] पर अपना प्यार और फीडबैक देते रहें। धन्यवाद।

Leave a Comment