पिछला भाग पढ़े:- जीजू ने मेरे घर पर घोड़ी बना कर मेरी चूत ओर गांड मारी-1
जीजा साली सेक्स कहानी अब आगे-
फिर जीजू मेरी गर्दन को जीभ से चाटने लगे। मैं भी मचलने लगी, और ऊउम्म ऊउम्म ऊउम्म उमह ऊउम्म करने लगी। धीरे-धीरे जीजू मेरे कान को चबाने लगे, तो मुझे गुदगुदी होने लगी। जीजू मेरी गर्दन के पास, कान के पीछे अपनी गरम सांसें छोड़ने लगे। ऐसा करने से मैं गरम होने लगी। मुझे अच्छा लग रहा था, मेरी चूचियां कड़क हो गई थी।
जीजू आगे बढ़ने लगे। मैं भी अब मस्ती में आने लगी थी। जीजू की बातें मुझे चुदाई वाला नशा दे रही थी। मैं समझ गई थी कि जीजू आज मुझे जबर्दस्त तरीके से चोद कर ही रहेंगे। मैं बातों से ही गर्म होने लगी। जीजू मुझे गाल और गर्दन पर किस्स करते रहे, और मेरी गर्दन पर अपनी जुबान घुमाते रहे।
मैं जीजू की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखते हुए मस्त होकर अपनी चूत पर उंगली घिसाई का मजा लेने लगी। दोस्तों मेरी चुदास भड़क उठी थी, एक तो मेरी चिकनी सलवार और ऊपर से जीजू की उंगली की रगड़। अब मैं बहुत गर्म हो गई थी।
अब जीजू अपना हाथ आगे लाकर मेरी कमीज के अन्दर डाल कर मेरे गोरे चिकने पेट को पकड़ लिया और नाभि में अपनी ऊंगली घुमाने लगे।
एक पल बाद मेरी पकड़ कमजोर हुई तो जीजू का दूसरा हाथ मेरी सलवार के नाड़े तक आ पंहुचा था। मैं जानती थी कि अब आगे क्या होगा। जीजू ने मेरी सलवार के नाड़े को अपनी ऊँगली में फंसा कर खींच दिया, मेरी सलवार का नाड़ा खुल गया। मैं बैठी हुई थी इस लिए सलवार का नाड़ा तो खुल गया लेकिन सलवार कहां जाने वाली थी। फिर जीजू मेरी सलवार धीरे-धीरे नीचे करने लगे।
मैं: जीजू आप यह क्या कर रहे हो? आज मत करों, प्लीज जीजू नहीं आज नहीं। छोड़ो जीजू।
दोस्तों अंदर से तो मेरा चुदवाने का पूरा मन था, पर ऐसे ही नखरे दिखा रही थी। जीजू ने मेरी बात नही सुनी, तो मैंने अपनी गांड कुछ उपर उठा दी। तो जीजू ने मेरी सलवार को बाहर मेरे घुटनों तक उतार दिया। अब मेरी मस्त मोटी मोटी जांघों को देख कर जीजू और जोश में आ गये।
मैंने नीचे गुलाबी रंग की पैंटी पहन रखी थी। मेरी सलवार उतर चुकी थी। अब जीजू अपना हाथ मेरी जांघ सहलाने लगे। मैंने अन्दर पैंटी पहन रखी थी। जीजू का हाथ पैंटी के उपर से ही मेरी चूत पर पहुँच गया। जीजू मुस्कुरा दिए, जीजू की आंखों में सिर्फ और सिर्फ हवस थी। मुझे चोदने की वासना उनकी आँखों में साफ नज़र आ रही थी। मेरी नाजुक चूत में वो अपना लंड डाल के मुझे चोदना चाह रहे थे।
जीजू का हाथ पैंटी के उपर से ही मेरी चूत पर आ गया था जैसे ही जीजू का हाथ मेरी चूत से छुआ मेरे शरीर ने एक झटका सा खाया और मैंने अपनी आँखे बंद करते हुए अपने निचले होंठ को दाँतों से दबा लिया मेरी चूत पर हल्के हल्के से बाल थे।
अब मैं जीजू का हाथ हटा भी नहीं सकती थी, क्योंकि मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों टीवी की तरफ मुँह करके टीवी देख रहे थे। पैंटी के उपर से ही मेरी चूत के उपर पर जीजू जोर जोर से ऊँगली रगड़ने लगे।
दोस्तों, मुझे तो मजा आने लगा था। मैं कामुक होने लगी थी। मुझे बिजली के झटके लगने लगे और मेरे पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा। जीजू जोर-जोर से मेरी पैंटी के उपर से अपनी ऊँगली मेरी चूत पर घिसने लगे जिससे मैं अपने हाथ पाँव पटकने लगी। पैंटी के उपर से मेरी चूत घिसने से मुझे मस्त मजा आ रहा था। मैंने देखा कि जीजू की पैंट में लंड कड़क होने लगा था।
फिर जीजू ने मेरी पैंटी के साईड से अपनी उंगली मेरी पैंटी के अन्दर घुसा दी और मेरी चूत की फांको के बीच अपनी उंगली घुमाने लगे। जैसे ही उनका हाथ मेरी चूत के द्वार से टकराया, मैंने एक मादक सिसकारी भरी जिससे जीजू समझ गये कि उनके लंड का घर यही था। मैंने अपनी टांगे चौड़ी कर ली, ताकि जीजू का हाथ आसानी से मेरी चूत तक पहुंच सकें।
जीजू मेरी चूत के आस-पास उंगली रगड़ने लगे। मेरी तो हालत खराब होने लगी। मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ने लगा। जीजू मेरी हल्की हल्की सी झांटों पर उंगली फिराते हुए बोले, “जानेमन ये आपकी इतनी हल्की हल्की सी झांटे बड़ी मस्त लगती है। कब बनाई अपने अपनी झांटे?”
मैं बोली: मैंने अपनी झांटे 2-3 दिन पहले ही बनाई है जीजू। मुझे पता है आपको मेरी चूत चिकनी अच्छी लगती है, अब आप मेरी चूत को चूमने चाटने के लिए आने वाले थे, तो मैंने आपके लिए बनाई है जीजू।
जीजू बोले: चलों आज आपको आपकी हल्की-हल्की झांटों के साथ चोदता हूं।
मैं बोली: जीजू आपको याद है एक बार आपने बोला था कि अपन दोनो नंगे हो और आप मेरे लिए रसोई में जाकर नंगे ही खाना बनाओगे?
जीजू बोले: जरूर बनाउंगा जानेमन आज तो।
अब जीजू ने झट से अपनी एक उंगली मेरी चूत मे घुसानी चाही, लेकिन उंगली आधी जाते ही मेरी चूत की दीवार से टकराई। जीजू ने मेरी रसीली चूत के दाने से थोड़ा खेल के ऊँगली को मेरी चूत के छेद में डाली।
जीजू बोले: क्या गर्म चूत है अस्मिना। जानेमन लगता है बहुत दिनों से कोई लंड यहाँ अपने सुख की खोज में नहीं आया है।
फिर जीजू ने मेरी रसीली चूत में उंगली डाल दी। उंगली अंदर जाते ही मेरी सिसकारी निकल गई।
मैं सिसकार गई: आहह जीजू, क्या कर रहे हो? आहहहह मर गई में जीजू आहहहह।
फिर जीजू अपनी उंगली को और अन्दर चलाने लगे। मुझे मजा आने लगा तो मैं चुप हो गई तो जीजू अब जोर-जोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगे में मस्ती लेने लगी। हमारी नजरें टीवी पर टिकी हुई थी।
मेरी चूत में उंगली डाल कर जीजू बोले: आप तो कमाल ही हो अस्मिना, आज आपको चोद कर अपने लंड और आपकी प्यासी चूत की प्यास बुझा दूंगा। बहुत दिन से आपकी याद में मुठ मार-मार कर काम चलाया है मेरे लंड ने।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। जीजू एक हाथ से मेरी गोरी चिकनी नंगी जांघे सहला रहे थे और दूसरी उंगली को मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे। जीजू की उंगली की रगड़ से मेरी चूत काफी हद तक गीली हो चुकी थी।
मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर बेड पर बैठी-बैठी अपनी चूत में उंगली करवा रही थी। मेरे मुँह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई और मैं अपनी गांड को उठा-उठा कर अपनी चूत में जीजू से उंगली करवाने लगी।
मेरी कामुक आवाजे सुन कर जीजू के लंड में हरकत होने लगी। मैं सिसकार रही थी: आहहह ओहहहहह जीजू आहहह ओह मेरी जान। आप जब जब मुझे ऐसे छूते हो तो जैसे मुझ पे नशा सा छा जाता है जीजू आहहह आहहहहहह ओह जीजू आहहहहहहह।
मैं अपने काबू से बाहर होती जा रही थी। मुझे कोई होश भी नहीं था। मेरी चूत किसी भी समय अपना पानी छोड़ने वाली थी। फिर जीजू ने अपनी दो अंगुलियां मिला कर मेरी चूत में घुसेड़ दी। दर्द के मारे मैंने बिस्तर को कस कर पकड़ लिया। जीजू अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर-बाहर करने लगे।
मैं गहरी गहरी साँसे ले रही थी मेरी आँखे बंद होने लगी। मेरे अंदर चुदाई की ज्वाला भड़क चुकी थी। जीजू अपनी दो अंगुलियां मिला कर जल्दी जल्दी मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मैं सिसकारती हुई झड़ने लगी: ओह जीजू आहहहह आहहहह जीजू आहहहह आप ये क्या करते हो मेरे साथ कि मैं पागल हो जाती हूं। मुझे आपके अलावा ऐसा सुख कभी किसी ने नहीं दिया जीजू। ओहह आआआआहहहहह जीजू आहहहहह ओह आहहहहहहहह ओह मेरी जान जीजू आहहह ओहहहहह आहहहहह।
और ऐसा कहते हुए मेरी रसीली चूत ने ढेर सारा पानी निकाल दिया। जीजू ने अपनी अंगुलियों को बाहर निकाला तो जीजू की दोनों अंगुलियों पर मेरी चूत का पानी लगा हुआ था।
मेरी चूत से पानी निकलते ही मेरा ध्यान भटकने लगा। मैंने अपने हाथ से जीजू का हाथ पकड़ कर बाहर निकाल दिया और अपनी सलवार को पकड़ कर उपर कर ली। फिर नाड़े को बांध कर अपनी सीधी टाँगें एक-दम से मोड़ ली और बोली, “बस करो जीजू, क्या कर रहे हो ये सब? अब हो गया।”
मैंने अपने आप को संभाला और वहाँ से निकलने की सोचा। मैंने जीजू को मुझसे दूर कर दिया और बोली, “मुझे छोड़ दो, बाहर वाले कमरे में जाओ अब। कोई आ जायेगा तो समस्या हो जाएगी।”
मैंने जीजू की तरफ देखा। उनकी नज़र में मुझे वासना की भूख दिखाई दे रही थी।
जीजू बोले: डार्लिंग आज तो कहर ढा रही हो आप। आपकी गांड सबसे अलग ही दिखती है, जब आप चलती हो तो आपके चूतड़ ऐसे ऊपर नीचे होते हैं, जिनको देख कर लंड में जान आ जाती है। सलवार में आपकी गांड बहुत सेक्सी लगती है। मन करता है कि आपकी गांड पर चांटे मार-मार कर लाल कर दूं और आपकी चूतड़ को चाट-चाट कर खा जाऊं। आज तो आप कुछ कर लेने दो मुझे।
मैं बोली: अभी नहीं समझा करों जीजू। कभी भी दीदी आ सकती है। अभी नहीं, बाद में देखते है।
मैं जीजू को धक्का देकर रसोई में चली गई। जीजू मेरे पीछे पीछे रसोई में आ गये। और जीजू ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया। मुझे अपनी बांहों में लेके मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे चेहरे पे जगह-जगह किस्स करने लगे। कभी मरे गालों को चूमते, कभी मेरी आँखों पर चूमते, कभी किधर, कभी मेरे पूरे चेहरे चुंबन की बौछार सी कर दी।
मुझे पता है जीजू को मेरी चूत मारनी थी और मैं भी जीजू के लंड को चूत मे लेने के लिए तैयार थी। मैं बेचैन हो रही थी। मैं सोच रही थी कि मैं यह मौका कैसे गवां सकती थी।
मेरी टाइट सलवार कमीज में मेरे भरे हुए बूब्स और गोल गांड को उभार रही थी और मेरी आँखों में एक कामुक चमक थी।
जीजू बोले: अस्मिना जानेमन आप इस सलवार कमीज में बहुत हॉट लगती हो।
मैंने जीजू की पैंट की तरफ देखा तो जीजू का लंड उसकी जीन्स में हलचल करने लगा। जीजू की इन हरकतों से मेरा होश पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गया था।
मैं जीजू को ऐसा करने से रोकने की कोशिश करते हुए बोली: जीजू क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा। प्लीज यह सब यहां अभी ना करो।
मगर जीजू पर मेरी किसी बात के कोई असर नहीं हो रहा था। वह मुझे अपनी बांहों में लिए बराबर किस्स कर रहे थे।
मैं जीजू से बोली: जीजू मैं भी आपको प्यार करने के लिए तड़प रही हूं। मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा है। पर अभी ये सब करना ठीक नहीं है। दीदी आती होगी अब।
जीजू सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाते हुए बोले: आपका गोरा रंग, भरे हुए चूचे, कसी हुई कमर और गोल मटोल चूतड़ आकर्षक लगते है। आप की हंसी और नशीली आँखें मुझे हर बार बेचैन कर देती है। जानेमन मुझे लगता है मुझे आपसे बहुत प्यार हो गया है। जब से मैंने आपको देखा है मैंने आपके बारे में सोच कर कई बार अपने लंड का पानी निकाला है। कई बार तो मैं रात भर सो नहीं पाता। मेरे लंड को आपकी चूत ने गुलाम बना लिया है। और आज आप सामने हो तो आज कैसे कंट्रोल कर पाऊंगा।
फिर जीजू ने अपने हाथ मेरी चूंचियों पर रख दिये और मेरे बूब्स को मसलने लगे। मैंने जीजू को धीरे से अपने से अलग किया। मैं इस समय सिर्फ मदहोशी महसूस कर रहा थी। जीजू को रोमांच बहुत अधिक था। जीजू बेकाबू हो रहे थे। जीजू मानने को तैयार नहीं हो रहे थे।
मैं बोली: जीजू हम शाम को कर लेंगे चुदाई।
तो जीजू बोले: शाम को नहीं, अभी ही करनी है मुझे तो आपकी चुदाई मेरी जानेमन।
तो मैं बोली: कहां।
जीजू बोले: यहां रसोई में ही चुदाई करेंगे।
और इतना बोलते ही जीजू मेरी गर्दन को बेतहाशा चूमने लगे। और मेरी कमीज के ऊपर से ही मेरे बूब्स को मसलने लगे जैसे उनको निचोड़ देना चाहते हो। मैं जानती थी कि मेरा आकर्षण जीजू के लिए ऐसा है, कि जीजू मुझे चोदने के लिए इस समय कुछ भी कर सकते थे। फिर जीजू ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होठों पर जोर से चूमा।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, क्योंकि मैंने महसूस किया कि जीजू की जीभ मेरे मुंह में प्रवेश कर रही थी। और वह मेरी जीभ को तलाश रही है। अब मैंने खुद को जीजू के हवाले कर दिया और में जीजू की बाहों में पिघल गयी। आखिर हम दोनों का सीक्रेट लव है। और जब तक जीजू, दीदी को लेने नही जायेंगे तब तक यहां कोई नहीं आ सकता।
जीजू ने मुझे कमर से पकड़ कर, उठा कर रसोई की स्लैब पर बैठा दिया और खुद नीचे खड़े होकर खड़े-खड़े ही मेरे होंठो को चूसने लगे। जीजू अपने दोनो हाथों से मेरे संतरों को दबा रहे थे। बीच-बीच में जीजू मेरे मम्मों को छोड़ कर मेरी पीठ और कमर को भी सहला रहे थे।
इन्हीं सब हरकतों से मैं और जीजू दोनों ही गरम हो गए थे। अब जीजू मेरे मम्मों को दबाने लगे, जिससे मेरे मुंह से सिसकियां निकलने लगी। रसोई से मेरी हल्की सिसकियों की आवाज़ें आने लगी थी।
मैंने अपने होंठ चाटे और जवाब दिया: जीजू कुछ करो, मेरी चूत बेकरार हो रही है।
जीजू बोले: जानेमन आपकी चूचियाँ देख कर मेरा लंड काबू में नहीं रहता है।
मैंने जीजू की तरफ एक सेक्सी मुस्कान दी और अपनी कमीज का गला थोड़ा नीचे खींचा, जिससे मेरी चूचियों के बीच की गहरी लकीर दिखने लगी। फिर मेरे होंठों को चूमा, पहले धीरे, फिर गहराई से मेरी जीभ को चूसते हुए। मेरी चूत में एक सिहरन दौड़ गई।
मैं जीजू के करीब आई और जीजू के सीने से चिपक गई। जीजू की गर्म सांसें मेरे गले पर पड़ रही थी।
मैं बोली: जीजू आपके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग रही है।
और सिसकते हुए अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर जीजू की पैंट के उपर से ही जीजू के लंड को सहलाने लगी। जीजू का लंड तना हुआ था। जीजू की नजरें मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर थी। मैं कामुक और हवसी होकर बोली-
मैं: जीजू मेरी चूत आपके लंड की भूखी है।
और मैंने अपने होंठों को जीजू के होंठों पर रख दिए। मेरा चुम्बन गर्म और रसीला था। जीजू की जीभ और मेरी जीभ उलझ कर मेरे होंठों को चूस रही थी।
तभी मैं बोली: जीजू आपसे होंठ चुसाई मेरी चूत में आग लगा रही है।
और मैंने जीजू की कमर को जकड़ लिया। मेरी ये हवस भरी कहानी आगे जारी रहेगी, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं। मैं आपके मेल का इंतजार करूंगी मिलते है अगले पार्ट में मेरी चुदाई की कहानी के साथ [email protected]