मम्मी ने मजा दिया जंगल में-1 (Mummy ne maza diya jungle mein-1)

हेलो दोस्तों, मेरा नाम मनीष है और मेरी उम्र 25 साल है। मैं अभी कॉलेज ख़त्म करके गाव में ही मम्मी के साथ खेतों में काम करता हूं।

मेरा गाव छोटा और खूबसूरत है। एक तरफ बड़ी सी नदी बहती है, और दूसरी तरफ दूसरे गाव जाने का रास्ता है और खेत है। वहीं और दो तरफ केवल जंगल है। इधर लोग भैंस चराने जाया करते है, लेकिन अकेले नहीं, जंगल भयानक लगता है। शाम के बाद तो कोई उस तरफ जाता भी नहीं है।

मेरे घर में मम्मी-पापा और मैं रहता हूं। पापा गाव के लोगों के साथ दूसरे शहर में काम करने जाते है और 3 महीने में एक बार आते है, या कभी-कभी साल में एक बार केवल त्योहारों पर।

मेरी मम्मी का नाम सुनीता है। अभी इनकी उम्र 43 साल है। मम्मी की बॉडी की बनावट बहुत ही कातिलाना है, चेहरा गोरा और चमकदार है। मम्मी की बोली बहुत ही प्यारी है, बिल्कुल इनके सुंदर चेहरे की तरह। ना जाने कौन-कौन से खुशनसीबों ने इनके बदन को छुआ या इसकी सवारी की है।

मेला और बाजारों में मैंने कितनी बार देखा है कि लोग मम्मी को पीछे से बड़े गौर से देखते थे, और कई बदमाश लड़के तो टच भी कर देते थे। लेकिन मम्मी इसकी बुरा नहीं मानती थी। उन्हें अपने शरीर की बनावट पे गर्व था कि उनके शरीर के लिए लड़के पागल रहते है। मम्मी इसका जिक्र बड़े गर्व से अपने सहेलियों से करती हैं।

मैं उन खुशनसीबों में से एक हूं, जिसे इस खूबसूरत बदन की सवारी का मौका मिला। जी हां दोस्तों, मैं अपने मम्मी को चोद चुका हूं। लेकिन कब और कैसे चलिए आप सब को बताता हूं।

बात 5 साल पहले की है, जब गाव में लाइट की बहुत प्रॉब्लम होती थी। कई-कई दिन लाइट नहीं आती थी। घर में खाना चूल्हे पर ही बनता था, गैस अभी गाव में नहीं आई थी। लोग जंगल से झाड़ी को काट कर जलावन बनाते थे। गाव की महिलायें ही जलावन लाया करती थी। उन्हीं महिलाओं के साथ मम्मी भी चली जाती थी।

तब मैं कॉलेज में पढ़ता था और मेरी उम्र 20 साल थी और इस उम्र में सेक्स की जिज्ञासा बहुत ज्यादा होती है। मैं भी चुदाई चाहता था। मेरा लंड भी आकर्षक बदन देख कर खड़ा हो जाता था।

तब मम्मी की उम्र 38 थी। वह दिखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक थी। पड़ोस के भैया लोग हमेशा मेरे साथ मजाक करते थे और मुझे मम्मी के बारे में खूब बाते करते थे। शाम को घर आ करके मम्मी से भी बातें करते, लेकिन मम्मी किसी को ज्यादा भाव नहीं देती थी।

एक दिन मैं जब कॉलेज से वापस आया तब देखा कि मम्मी शीशे के पास बैठ कर अपना श्रृंगार कर रही थी। शायद अभी अभी नहा कर आई थी। उन्होंने अपने चेहरे पर फेयर एंड लवली लगायी और मांग में सिन्दूर और फिर अपनी साड़ी के आंचल ठीक करके मुझे बोली-

मम्मी: बेटा चल जल्दी से कपड़े चेंज कर और आ बैठ खाना निकालती हूं।

मम्मी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैंने झट से खाने के लिए बैठा और मम्मी से पूछा-

मैं: मम्मी, बाजार जा रही हो क्या?

मम्मी खाना निकालते हुए बोली: नहीं रे, जलावन इकट्ठा करके लाना है। खाना खा कर तू भी चल मेरे साथ।

मैं मुंह बनाते हुए कहा: मम्मी मुझे नहीं जाना, मैं खेलने जाऊंगा।

मम्मी खाना मेरे सामने रखते हुए बोली: जानती हूं कि तुझे खेलने जाना है। आज के लिए बस मेरे साथ चल, गाव की सभी औरतें कल ही अपना जलावन लेकर आ गयी। अब मैं अकेले जंगल नहीं जा सकती ना।

मैं: तो क्या हो गया मम्मी? कौन सा इस जंगल में जंगली जानवर रहते है!

मम्मी मेरी बात पे हस्ते हुए बोली: चुप कर शैतान। तू नहीं जानता वहा गांव के जानवर घूमते है, जो अकेली औरतों पे हमला करते है। तू रहेगा तो मैं निश्चिंत हो कर जा पाऊंगी‌ (मम्मी गाव के आवारा लड़को को बोल रही थी, जो आये दिन गाव की महिलाओं और लड़कियों को फंसा कर जंगल में चोदते थे)।

मैं थोड़ा मुंह बनाते हुए बोला: मम्मी तो क्या जरूरत है आपको इतनी सज सवर के जाने की?

मेरी इस बात पे मम्मी हसने लगी और बोली: चल चुप-चाप खाना ख़त्म कर और चल मेरे साथ।

फिर मैं खाना ख़त्म किया तब तक मम्मी ने रस्सी और गमछा ले लिया और हम साथ में जंगल की तरफ चले गये। जंगल की तरफ कुछ एक लोग थे जो भैंस चराते हुए मेरी मम्मी की जवानी को घूर रहे थे। जो मुझे तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा था।

मम्मी मुझे इस तरह देख कर मजा लेने लगी और बोली: देख रहा है वो आदमी मुझे कैसे घूर रहा है? अब तू नहीं होता तो अब तक तो वो मुझे… (इतना कह के मम्मी हसने लगी)।

लेकिन मुझे गुस्सा आया। थोड़ी दूर चलने के बाद हम जंगल में पहुंच गये।

मैं: मम्मी आपको क्या जरूरत है जलावन की? पापा खरीद तो देते है ना जलावन।

मम्मी: बेटा जब गाव की बाकी औरतें आती है, तो मेरा मन भी घर में नहीं टिकता। उनके साथ आ जाती हूं, वैसे भी कुछ पैसे बच जाएंगे। उफ्फ्फ…

मैं (चौंकते हुए): क्या हुआ मम्मी?

मम्मी: मुझे जोर की पेशाब लगी है।

मैं: तो कर लो ना मम्मी, यहां कौन जंगल में आ रहा है।

मम्मी: लेकिन तू तो है ना…

मैं: तो क्या हुआ? पहले भी तो आप कई बार मेरे सामने की हो।

मम्मी: ओह, तब की बात और थी बेटा। चल तू उस तरफ घूम जा।

मैं दूसरी तरफ घूम गया और मम्मी वहीं मूतने बैठ गयी। उनकी मूत की आवाज की झंकार ने मुझे मुड़ने पर मजबूर कर दिया, और मैं उनकी चूत से निकलते झरने को देखने लगा। मम्मी नीचे चूत को देखते हुए मूत रही थी। जब उनकी पेशाब खत्म हुई, तभी उनकी नज़र मुझपे गयी और वो झट से खड़ी हुई और पैंटी ऊपर कर साड़ी नीचे गिरा दी।

मम्मी: शैतान तुझे बोली थी ना उधर देखने को, रुक तुझे बताती हूं!

मम्मी मेरे तरफ दौड़ती है और मैं हस्ते हुए भाग जाता हूं। फिर मम्मी थक कर जलावन इकट्ठा करने लगती है। जब देखा की मम्मी अकेले जलावन को बांध रही है, तभी मैं उनकी मदद करने लगता हूं।

मम्मी मेरी तरफ गुस्से में देखते हुए: रहने दे तू, मैं खुद कर लूंगी।

लेकिन मैं जबरदस्ती उनके हाथ से रस्सी खींचने लगा। तभी उनका पल्लू सरक के नीचे गिरा, और मुझे उनकी गदराई हुई चूचियों के दर्शन हुए। मैं थम सा गया, तभी मम्मी मेरी नज़र को ताड़ गई और झट से अपना पल्लू ठीक की और मेरे कान पकड़ के बोली-

मम्मी: बहुत शैतान हो गया है तू!

मैं: आह्ह मम्मी, छोड़ो ना, मेरे कान दर्द कर रहे है। वो तो आप इतनी खूबसूरत हो कि मेरा नज़र खुद ही चली गयी।

मम्मी ने मेरे कान को जोर से मरोड़ा और बोली: तू दिन ब दिन बिगड़ते जा रहा है। मुझे पेशाब करते हुए क्यूं देखा तूने?

मैं: वो मम्मी, पहले कान छोड़ो फिर बताता हूं।

तभी मम्मी मेरा कान छोड़ती है और मुझे सवालिया नज़र से देखती है।

इसके आगे क्या होता है, आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।