मां की चूदाई का सफर-5

This story is part of the मां की चूदाई का सफर series

    मैं यूपी का रहने वाला हूं। ये मेरी इस सीरीज का पार्ट-5 है। इसके बहुत सारे पार्ट आगे आएंगे। मेरी अभी तक आपने पिछली कहानी नही पढ़ी हो तो आप मेरी कहानी के सभी पार्ट एक बार जरूर पढ़ ले। अब अपनी कहानी शुरू करते है।

    अब मैं और मम्मी ऊपर की तरफ जाने लगे, और एक बार फिर से ऊपर वाले बाथरूम में चुदाई की। बहुत ज़ोर-ज़ोर से आवाज आने लगी, क्योंकि मैंने एक बार फिर से मम्मी की गांड में लंड डाल दिया था, और मेरी मम्मी एक बार फिर से जोर-जोर से चिल्ला कर मेरे लंड को अपनी गांड में ले रही थी। करीब 20 मिनट के बाद मैंने अपना पानी फिरसे मम्मी की गांड में डाल दिया।

    थोड़ी देर के बाद दोनों लोग नहा कर नीचे आते हैं, और मेरी मां एक दम गजब की लग रही होती है नहाने के बाद। उसके बाद हम दोनो नंगे ही चिपक कर सो गए।

    सुबह जब मेरी आंख खुली तो देखा कि मैं बिस्तर पर अकेला लेटा हुआ था, और मम्मी वहा नहीं थी क्योंकि सुबह के 10 बज गए थे। जब में नीचे आया तो देखा कि पापा ड्यूटी पर चले गए थे और पास वाली आंटी मम्मी के साथ गपशप मार रही थी। मुझे देख वो आंटी चली गई, और मम्मी किचन में खाना बनाने के लिए चली गई। तभी मैं भी उनके पीछे-पीछे किचन में चला गया।

    मम्मी: क्या कर रहा है, बेटा?

    हट मुझे रोटी बनाने दे। तेरे पापा आते ही होंगे।

    मैं: क्या मम्मी, जब पापा आएंगे तो मैं हट जाऊंगा।

    मम्मी अपना काम करती रही, और मैं उनके दूध से खेलता रहा।

    मम्मी: बेटा, अगर तू ऐसे ही करता रहा, तो मैं काम नहीं कर पाऊंगी।

    मैंने मम्मी का हाथ ऊपर कर दिया और उनकी बूब्स को चाटने लगा। और मम्मी मुझे देखने लगी। कि तभी किसी ने दरवाजा खटखटा दिया। मैं समझ गया पापा आ गए थे। फिर मैंने जाके गेट खोल दिया और पापा अंदर आ गए।

    फिर मम्मी ने पापा और मुझे खाना दिया। और खाना खाके पापा थोड़ी देर लेट गए। और कुछ देर आराम करने के बाद वो चले गए। उसके बाद मम्मी ने भी खाना खा लिया। फिर वो आपने कमरे में आ गई। आज मम्मी ने साड़ी और ब्लाउज पहना था।

    मैं: मम्मी, आज आपने मैक्सी क्यों नहीं पहनी?

    मम्मी: बेटा, वो धो के डाली है। इसीलिए नहीं पहनी। मगर तू क्यों पूछ रहा है?

    मैं: मम्मी, मैक्सी खुली-खुली रहती है। और उसमें आपको भी आराम मिलता है। और मुझे आपको देख कर आराम आता है।

    मम्मी मेरी बात सुन के हंसने लगी। फिर वो श्रृंगार दान के सामने कुछ करने लगी। और मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया। फिर मैं मम्मी की पीठ को चूसने लगा और मम्मी आंखें बंद करके खड़ी रही।

    मैं मम्मी की पीठ को चूम रहा था। फिर मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके दूध दबने लगा। मम्मी मुझे और खुद को शीशे में देख रही थी, और मुझे भी खुद को देख कर अच्छा लग रहा था।

    तब भी मैंने मम्मी के ब्लाउज को पकड़ा, और जोर से खींच दिया। इससे ब्लाउज के सारे हुक टूट गए। और ब्लाउज के खुलते ही मम्मी के दूध उछल के बहार आ गए। मम्मी मेरी हरकत से चौक गई है।

    मम्मी: ये क्या किया तूने? मेरा ब्लाउज क्यों फाड़ दिया?

    मैंने मम्मी की बात का कोई जवाब नहीं दिया, और उनके होंठो को चूसने लगा। फिर मम्मी भी मेरा साथ देने लगी। मैं मम्मी के होंठो को चूसते हुए उनके दूध को दबा रहा था, और अब मम्मी भी गरम होने लगी थी। मम्मी मुझे ये सब करते हुए शीशे में देख रही थी। वो थोड़ी-थोड़ी शर्मा रही थी।

    फिर मैंने मम्मी का ब्लाउज और पेटीकोट निकाल दिया,‌और अब मम्मी नंगी शीश के सामने खड़ी थी। फिर मैं भी नंगा हो गया, और मेरा लंड एक-दम टाइट हो गया था।

    तभी मम्मी ने मेरा लंड पकड़ा लिया, और आगे-पीछे करने लगी। फिर मम्मी नीचे बैठ गई, और मेरा लंड चुसने लगी। और मेरे 11 इंच बड़े लंड को चूसते हुए उनकी नजर बार-बार शीशे पर जा रही थी। जिसे देख-देख कर उन्हें भी शर्म आ रही थी। कुछ देर चूसने के बाद मम्मी खड़ी हो गई। फिर मैंने मम्मी को शीशे के सामने ही झुक दिया, और पीछे से उनकी छूत और गांड को चाटने लगा।

    मम्मी झुकी-झुकी आपने गांड और चूत को चटवा रही थी, और शीशे में उनके चेहरे के बदलते भव मुझे साफ दिख रहे थे। मम्मी खुद को शीशे में देख कर अपनी आंखें बंद कर रही थी। कुछ देर चूत और गांड चाटने के बाद मैं खड़ा हो गया।

    फिर मैंने अपना लंड मम्मी की चूत में  डाल दिया। मम्मी झुक कर मेरे 11 इंच बड़े लंड को अपनी चूत में लेने लगी। मैं मम्मी को शीशे के सामने चोद रहा था, और मम्मी आह आह कर रही थी। मेरा लंड मम्मी की चूत में जाता शीशे में साफ दिख रहा था, और मम्मी आपने होंठो को काट रही थी। वो मुंह बना रही थी।

    मैं: मम्मी, शीशे में देखो, कैसे मेरा लंड आपकी चूत में जा रहा है। और आपके दूध और मंगलसूत्र कैसे उछल रहे है।

    मम्मी खुद को बार-बार देखती और फिर आपकी आंखें फेर लेती। मगर मुझे तो सच में बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर खड़े-खड़े चोदने के बाद, मैंने मम्मी को बिस्तर के कोने पर लिटा दिया। फिर से मम्मी की टांगे पकड़ के चोदने लगा।

    मम्मी को भी मजा आ रहा था। इस चुदाई में मैंने 2 बार मम्मी का पानी निकाल दिया, और उसके बाद हम दोनों ही नंगे सो गए। शाम को जब मेरी आंख खुली, तो मैंने देखा मम्मी अभी भी सो रही थी।

    फिर मैंने उनके माथे को चूम लिया और तभी मम्मी भी उठ गई। उन्होंने मेरी आंखों में देखा, और एक मुस्कान उनके चेहरे पर आ गई। फिर मैं मम्मी के लिए बाहर सूख रही उनकी मैक्सी ले आया। और उन्होंने अपनी मैक्सी पहन ली।

    नीचे अभी भी मम्मी का पेटीकोट और ब्लाउज पड़ा हुआ था। फिर मम्मी उठ गई और आपने कपड़े उठाने लगी। फिर मम्मी अपना काम करने लगी। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे चाय दी, और मैं चाय पीके बाहर आ गया। मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल गया।

    रात करीब 8 बजे मैं वापस आया, और आते हुए मम्मी के लिए गोलगप्पे और मोमोज लेकर आया, जो उन्हें बहुत पसंद है। फिर मैंने, पापा और मम्मी ने मजे से सब खाया। और उसके बाद मम्मी टीवी देखने लगी। फिर कुछ देर बाद मम्मी ने सबके लिए खाना निकाला, और हम सब खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद मैं छत पर चला गया, और मम्मी आपने काम करने लगी।

    काम खत्म करके मम्मी भी छत पर आ गई, और मेरे साथ खड़ी हो गई। फिर मैं मम्मी के पीछे आ गया, और उनके कंधे दबाने लगा।

    मैं: मेरी मम्मी थक गई क्या?

    मम्मी: नहीं बेटा, मैं ठीक हूं।

    मैं: मम्मी, आप सारा दिन काम करती हो। थक तो जाति ही हो।

    मम्मी: आज बड़ा प्यार आ रहा है आपनी मम्मी पर, क्या बात है बेटा?

    मैं: प्यार तो हमेशा से था मम्मी। बस आज आपने भी मुझे वो प्यार करने का मौका दिया है। जिसकी जरूरत आपको भी थी।

    मम्मी: ओह मेरा बच्चा। तू सच में इतना प्यार करता है मुझसे।

    इतना बोल कर एक नॉटी स्माइल दी।

    मैं: आप कहो तो यहां से कूद जाता हूं, सिर्फ आपके लिए।

    मम्मी: ये कैसी बात कर रहा है? अगर दुबारा बोला तो थप्पड़ खाएगा। तू क्यों मरेगा? मरे तेरे दुश्मन।

    मम्मी की बात सुन के मैंने उनके गाल पर एक किस कर दिया।

    मैं: मम्मी, एक बात पूछूं, अगर आप बुरा ना मानो तो?

    मम्मी: हां बेटा पूछो क्या बात है?

    मैं (हल्की आवाज में): मम्मी पापा भी आपकी गांड मरते हैं?

    मम्मी मेरा सवाल सुन के मुझे देखने लगी। फिर वो बोली।

    मम्मी: हां बेटा, तेरे पापा भी मेरे पीछे से करते हैं।

    मैं: मम्मी, इससे आपको दर्द नहीं होता?क्योंकि मैंने सुना है इससे बहुत दर्द होता है।

    मम्मी: हां शुरू-शुरू में हुआ था। और अगर ठीक से किया जाए तो ज्यादा दर्द नहीं होता है।

    मैं: वैसे मम्मी, जब मैं आपकी गांड को चाट के गीला कर देता हूं, तो आपको इसमें मजा आता है या नहीं?

    मम्मी: हां बेटा, मुझे अच्छा लगता है। जब तू मेरे नीचे चाटता है तो। सच कहूं तो तेरे पापा ने भी कभी मुझे इस तरह प्यार नहीं किया। जैसे तू करता है।

    मैं: मम्मी, मुझे भी आपके साथ बहुत अच्छा लगता है। आज सुबह और दोपहर को जो प्यार भरे पल मैंने आपके साथ बिताए है, वो मेरी जिंदगी के सबसे हसीन पल है।

    मेरा लंड मम्मी से बात करते हुए खड़ा हो चुका था। और मम्मी ने छत पर ही उस पर हाथ रख दिया, और कच्छे के ऊपर से ही पकड़ लिया।

    मम्मी: बेटा, तेरा ये लंड हमेशा खड़ा ही रहता है क्या?

    मैं: मम्मी, जब आप मेरे सामने या पास में होती हो। तब ये आपने आप ही खड़ा हो जाता है।

    मम्मी ने मेरे कच्छे के अंदर हाथ डाल दिया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी।

    मैं: एक बात पूछूं क्या?

    मम्मी: हां पूछो ना।

    मैं: मेरा लंड बड़ा है या पापा का?

    मम्मी: तेरा लंड बहुत बड़ा है, और तू बहुत टाइम तक चोदता है। तेरे पापा का लंड तो 4 इंच का है और 2 से 4 मिनट में झड़ जाते है।

    तभी मेरा लंड खड़ा होने लगता है

    मैं: मम्मी, आप मेरे शैतान को जगा रही हो। फिर सोच लो। इसे सोने के लिए 2 गुफा की जरूरत पड़ेगी।

    मम्मी: तो मैंने तुझे कब मन किया है बेटा?

    मम्मी की बातों से साफ लग रहा था कि वो मुझसे और चुदवाना चाहती थी। बस वो खुल के नहीं कह रही थी। मगर समझदार को इशारा ही काफी होता है। मैं: मम्मी, पापा जब सो जाएंगे तो आप छत पर ही आ जाना। मैं अभी छत पर ही टहल रहा हूं। फिर मैं नीचे बैठ गया, और मम्मी खड़ी ही रही। फिर मैंने मम्मी की मैक्सी में हाथ डाला, और सीधा उनकी चूत पर पहुंच गया।

    मम्मी की चूत पानी-पानी हो रही थी। वो मुझे ही देख रही थी। मैं मम्मी की चूत को सहलाने लगा। फिर कुछ देर चूत सहलाने के बाद मम्मी बोली।

    मम्मी: बेटा, अब रहने दे। मैं नीचे जा रही हूं।

    मम्मी की बात सुन के मैं खड़ा हो गया।

    में: मम्मी, मैं आपका इंतजार करूँगा। जब तक आप नहीं आ जाओगे।

    फिर मम्मी नीचे चली गई, और मैं छत पर ही टहलने लगा। मैं लगभग आधा घंटा टहलता रहा और मम्मी अभी तक नहीं आई। इसीलिए मैं नीचे आ गया, और सीधा पीछे खिड़की के पास पहुंच गया। मैंने देखा कमरे की रोशनी जल रही थी। फिर मैंने हल्के से अंदर देखा तो पापा नीचे लेटे हुए, और मम्मी उनके लंड पर चढ़ी हुई थी।

    मम्मी पापा के लंड पर उछल रही थी, और उनके दूध और मंगलसूत्र भी उछल रहे थे। पापा मम्मी के दूध दबा रहे थे, और मम्मी बड़े ही आराम से चुदवा रही थी। फिर पापा ने मम्मी को नीचे लिटा दिया। वो उनके ऊपर आ गए। पापा ने अपना लंड मम्मी की चूत में डाल दिया।

    फिर से वो धक्के लगाने लगे। मम्मी बस लेटी हुई थी, और पापा धक्के लगा रहे‌ थे। फिर कुछ देर बाद पापा ने अपना पानी मम्मी की चूत में निकाल दिया।

    वो उनके ऊपर लेट गए। मम्मी पापा की चुदाई देख कर मैं वापस ऊपर छत पर आ गया, और आंगन की तरफ देखने लगा। फिर कुछ देर बाद मम्मी आंगन में दिखाई दी। वो हैंडपंप के पास जाके बैठ गई। फिर वो पानी से अपनी चूत को साफ करने लगी। अपनी चूत को साफ करने के बाद जब मम्मी वापस आ रही थी, तो उनकी नजर मुझपे पड़ी, और उन्होंने मुझे अपने हाथ से रुकने का इशारा किया।

    फिर वो वापस कमरे में चली गई, और मैं वापस टहलने लगा। लगभग 1 घंटा टहलने के बाद मम्मी ऊपर आ गई, और मुझे देखते ही उन्होंने मुझे जमीन पर बैठा लिया। वो मेरे होंठो को चूसने लगी। मैं भी मम्मी के होंठो को चूस रहा था। हम दोनों बिना किसी के डर के लगभग 5 मिनट तक एक-दूसरे के होंठो को चूसते रहे। फिर मम्मी अलग हो गई।

    मैं: मम्मी, पापा सो गए क्या?

    मम्मी: हां बेटा तेरे पापा सो गए। इसीलिये तो तेरे पास आई हूं।

    मैं: मम्मी, आज पापा ने फिर से आपको गरम ही छोड़ दिया?

    मम्मी: हां बेटा, वो तो हमेशा से ही ऐसा करते हैं। वैसे क्या आज भी तू हमें देख रहा था?

    मैं: हां मम्मी, जब आप ऊपर नहीं आए तो मैं नीचे देखने आया था। तो मैंने आप दोनों को देखा। वैसे अब पापा उठेंगे तो नहीं?

    मम्मी: नहीं बेटा, अभी तो कुछ देर नहीं उठेंगे। तब तक हमारे पास टाइम है।

    मम्मी ने पास में पड़ी चटाई उठाई, और नीचे बिछा दी। फिर मैं और मम्मी चटाई पर आ गए, और मैंने मम्मी के होंठो को चूसते हुए उन्हें लिटा दिया। फिर मैं मम्मी की मैक्सी ऊपर करने लगा। इस बार मम्मी ने खुद अपनी मैक्सी अपने दूध के ऊपर तक उठा ली। फिर मैं नीचे झुक कर मम्मी की चूत चाटने लगी, और मम्मी ने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया।

    यहां मैं मम्मी की चूत चाट रहा था, और वो मेरा सर सहला रही थी। बीच-बीच में मम्मी मेरा सर अपनी चूत पर भी दबा रही थी। उन्हें देखने से साफ़ पता चल रहा था, कि वो अंदर से कितनी गरम थी। और हो भी क्यों ना, पापा ने उन्हें गरम जो छोड़ दिया था।

    कुछ देर मैं मम्मी की चूत चाटता रहा। फिर मम्मी ने मुझे लिटा दिया। वो मेरा लंड चूसने लगी। सच में दोस्तों खुली छत पर चुदाई करने में एक अलग ही मजा आ रहा था। मम्मी गपा-गप मेरा लंड चूस रही थी। फिर कुछ देर अपना 11 इंच बड़ा लंड चुसवा के मैंने मम्मी को सीधा लिटा दिया। और उन्होंने खुद अपनी टांगे फैला ली। और इस बार खुद उन्होंने मेरे 11 इंच बड़े लंड पर अपनी चूत डाल दी। फिर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। छत पर इतनी रोशनी नहीं थी, जो सब कुछ साफ दिखें। मगर फिर भी मम्मी की चुदाई में मज़ा आ रहा था।

    मैं धक्के लगाये जा रहा था, और मम्मी आह आह आह कर रही थी। मम्मी ने अपनी टांगे मेरी कमर में बांध ली थी, और उनका हाथ मेरी गांड पर आ गया था। मैंने देखा मम्मी मेरी गांड को पकड़ के आपने चूत की तरफ धकेल रही थी।

    जिससे मेरे धक्के तेज-तेज पड़ रहे थे। मुझे और मम्मी को छत पर मच्छर काट रहे थे, मगर फिर भी हम दोनों चुदाई में लगे हुए थे। और आज देखने से लग रहा था, कि मम्मी कुछ ज्यादा ही गरम थी। शायद मैंने ही एक भूखी शेरनी के मुंह खून लगा दिया था। जब मच्छर ज्यादा काटने लगे, और मम्मी को भी दिक्कत होने लगी, तो मम्मी बोली-

    मम्मी: बेटा, यहां मच्छर बहुत काट रहे हैं, चल नीचे चलते हैं।

    मम्मी की बात सुन के मैंने अपना कच्छा पहन लिया और मम्मी मेरा हाथ पकड़ के नीचे ले गई। नीचे जाते ही जब मैं मम्मी के कमरे के पास गया और दरवाजा थोड़ा सा खोल के देखा, तो पापा चैन की नींद सो रहे थे।

    मैं (हल्की आवाज में): मम्मी पापा तो घोड़े बेच के सो रहे हैं।

    मम्मी: हां बेटा, तेरे पापा अपना काम करके ऐसे ही सो जाते हैं। उन्हें दूसरे की कोई परवाह ही नहीं है।

    मम्मी की बात सुन के मैंने मम्मी को दरवाजे के पास झुका दिया, और मम्मी भी तुरंत झुक गई और उन्होंने अपनी मैक्सी ऊपर कर ली।

    मम्मी: तू आज भी अपने पापा के सामने ही मुझे चोदेगा?

    मम्मी के मुंह से चोदेगा शब्द सुन के मजा आ गया। अब मुझे लग रहा था कि मम्मी मेरे साथ खुल रही थी।

    मैं: हां मम्मी, आपको पापा के सामने ही चोदूंगा। आपको ना खुश करने की सजा उनको भी तो मिलने चाहिए। वैसे मेरा बस चले तो पापा की आंखों के सामने आपको चोदूं, और उन्हें कहूं कि क्यों मेरी मम्मी को आप गरम ही छोड़ देते हो?

    मम्मी मेरे सामने झुकी हुई थी। फिर मैंने अपना 11 इंच बड़ा लंड उनकी छूत में डाल दिया। और मम्मी की कमर को पकड़ के धक्का लगाने लगा। मम्मी अपने मुंह पर हाथ रख कर झुकी हुई थी, और मैं धक्का लगा रहा था।

    मैं (हल्की आवाज़ में): देखो पापा, मम्मी को कितना मज़ा आ रहा है मेरे लंड से। काश आप भी मम्मी की इस जन्नत का सही से सुख ले पाते।

    मम्मी: बस ऐसे ही आह रुकना मत बेटा। रुकना मत।

    मम्मी सच में बहुत गरम हो गई थी। जो इतने खुले-खुले शब्द बोल रही थी। और मैं धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। फिर कुछ देर बाद मम्मी का शरीर कांप गया। वो दीवार पकड़ के आगे होने लगी, और मैं वही रुक गया। और मम्मी का पानी निकल गया।

    मम्मी कुछ देर ऐसे ही खड़ी रही। फिर कुछ देर बाद मम्मी अपनी गांड को मेरे मेरे 11 इंच बड़े लंड पर मारने लगी। और मैंने फिर से धक्के लगाना शुरू कर दिया। सच में ऐसी चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था। और अब मेरा भी रुकना मुश्किल हो रहा था।

    फिर कुछ और धक्के लगाने के बाद मेरा भी पानी निकल गया। और इस बार मैंने अपना सारा पानी मम्मी की गांड पर निकल दिया। मम्मी और मैं दरवाजे के बाहर खड़े होके हांफ रहे थे, और हम दोनों ही पापा को सोते हुए देख रहे हैं। फिर मैंने मम्मी की मैक्सी से सारा पानी साफ कर दिया।

    फिर मैंने मम्मी को गोदी में उठा लिया, और उनको लेके अपने कमरे में आ गया। कमरे में आते ही हम दोनों एक-दूसरे के होंठो को चूसने लगे, और मम्मी मेरा लंड सहलाने लगी। मम्मी के जादू भरे हाथ लगते ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मम्मी भी देख कर हैरान थी कि मेरा लंड इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो रहा था।

    मम्मी: बेटा, तेरा ये तो बड़ी जल्दी खड़ा हो गया।

    मैं: मम्मी, आपके हाथ में जादू जो है। वैसे मम्मी अब आप खुश तो हो ना? आपकी चूत की थोड़ी गर्मी जो निकल गई।

    मम्मी: हां बेटा सच में, अब जाके चैन पड़ा मेरे अंदर। वरना हमेशा तो मैं पानी मार के शांत कर लेती थी खुद को।

    मैं: मगर मम्मी आप खुद को उंगली करके भी तो शांत कर सकती थी।

    मम्मी: बेटा, मुझे ये सब करना पसंद नहीं है। इससे और भी ज्यादा दिमाग गंदा होने लगता है। अगर मैं वो सब करने लगी, तो पक्का बाहर मेरा किसी से चक्कर  हो जाएगा।

    मैं: मम्मी, अब मेरे होते हुए आपको कभी किसी और को नहीं देखना पड़ेगा।

    मम्मी: हां मेरे बच्चे, मैं जनता हूं। और कल रात से लेकर अभी तक 4 बार तेरे इसका कमाल देख चुकी हूं।

    फिर मैं मम्मी की गांड दबाते हुए उनके होंठो को चूसने लगा। मैंने उन्हें बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और उनकी गांड को चाटने लगा। मैंने चाट-चाट के मम्मी की गांड को गीला कर दिया। फिर अपनी उंगली मम्मी की गांड में डाल दी। और उंगली को अंदर बाहर करने लगा।

    फिर कुछ देर में मैंने अपने 11 इंच बड़े लंड पर थूक लगा दी, और मम्मी की गांड के छेद पर लगा दी। अंधेरे की वजह से मैं लंड अंदर नहीं डाल रहा था। तब मम्मी ने मेरा लंड पकड़ा, और अपनी गांड के छेद पर लगा के दबाने लगी। जैसे ही मेरे 11 इंच बड़े लंड का सुपाड़ा थोड़ा अंदर गया तभी मम्मी एक दम से उछल पड़ी, और आगे हो गई। मगर मम्मी ने मुझे मना नहीं किया। उन्होंने फिर से मेरा लंड पकड़ के अपनी गांड में लगा दिया, और इस बार उन्होंने हल्के-हल्के मेरा सुपाड़ा अपनी गांड में डाल लिया।

    मम्मी: बेटा, ऐसे आह रहने दे ना।

    मैं वैसे ही खड़ा हुआ था। और मेरे 11 इंच बड़े लंड का सुपाड़ा मम्मी की गांड में था। फिर मम्मी के कहने पर मैं हल्के-हल्के से अपना लंड और डालने लगा, और बीच-बीच में मैं रुक भी जाता था।

    फिर कुछ देर बाद मेरा पूरा 11 इंच बड़ा लंड मम्मी की गांड के अंदर समा गया, और मैं मम्मी की गांड पकड़ के धक्के लगाने लगा। मम्मी ऐसे ही झुकी रही और मैं उनकी गांड चोदता रहा।

    मैं: मम्मी, आपकी गांड तो बहुत टाइट है। ऐसा लग रहा है‌ पहली बार इसके अंदर मेरा 11 इंच बड़ा लंड जा रहा हो। मम्मी: बेटा, पीछे आह ऐसे ही लगता है।

    मैं हल्के-हल्के धक्के लगा रहा था। और मम्मी अपने मुंह पर हाथ रख कर झुकी हुई थी। फिर मैंने अपना 11 इंच बड़ा लंड निकाल लिया, मम्मी की पैंटी से साफ कर लिया।

    मैं: मम्मी, मैं आपकी गांड बाहर पापा के सामने मारना चाहता हूं।

    वो मुस्कुराने लगी। फिर मम्मी मेरा हाथ पकड़ के मुझे बाहर ले गई, और दरवाजे के पास जाके झुक गई। मैंने अपना 11 इंच बड़ा लंड मम्मी की गांड पर लगा दिया और उन्होंने खुद मेरा मेरे 11 इंच बड़े लंड को आपनी गांड में डाल लिया। मैं पापा को देखते हुए मम्मी की गांड चोद रहा था। और मम्मी भी अपने मुंह पर हाथ रख कर पापा को ही देख रही थी।

    मम्मी की गांड मरते हुए मैं उनकी चूत सहला रहा था। देखने से लग रहा था था, कि मम्मी की चूत भी पानी छोड़ रही थी। फिर मैंने अपना 11 इंच बड़ा लंड गांड से निकाल लिया। और साफ करके मम्मी की चूत में डाल दिया। और वही खड़े खड़े मम्मी की चूत मारने लगा।

    कुछ देर बाहर चुदाई करके हम दोनों वापस कमरे में आ गए। और मम्मी खुद जाके बिस्तर के कोने पर चली गई। मैं फिर से उनकी चूत मारने लगा, और कुछ ही देर बाद मम्मी ने फिर से पानी छोड़ दिया। फिर मैंने अपना लंड मम्मी की गांड में डाल दिया, और उनकी गांड को चोदते हुए वही अपना पानी निकाल दिया।

    मैं और मम्मी हम दोनों हांफ रहे थे। फिर मम्मी ने मेरे होंठो को चूसा। फिर मम्मी ने अपनी मैक्सी ठीक कर ली, और मैंने दूसरा कच्छा पहन लिया।

    मम्मी: बेटा, ये चड्डी बाहर डाल देना। मैं सुबह धो दूंगी।

    मैं: ठीक है मम्मी। फिर हम दोनों बाहर आ गए। मम्मी हैंडपंप के पास पेशाब करने लगी और मैं उन्हें देखने लगा। पेशाब करने के बाद मैंने वही पर एक बार मम्मी को अपना 11 इंच का लंड चुसवाया।

    मैं: मम्मी, आप खुश तो हो ना?

    मम्मी: हां मेरे बच्चे, मैं बहुत खुश हूं।

    जिस चीज के लिए मैं हमेशा तड़पती थी, वो कमी तूने पूरी कर दी है। अब तू भी जाके सो जा। कही तेरे पापा जाग ना जाए।

    मैंने जाते हुए मम्मी के होंठो को चूम लिया। फिर वो अपने कमरे में जाके सो गई, और मैं भी अपने कमरे में आके सो गया।