मेरा नाम सनोज है। मैं अभी 22 साल का हूं। मेरी मम्मी का नाम अमृता है। उनकी उम्र 42 साल है। वह गोरी-चिट्टी दिखने में बहुत ही आकर्षक है। मम्मी मेरी बहुत ही खूबसूरत है। उनकी खूबसूरती से पड़ोस की सारी आंटीयां जलती हैं।
मम्मी के पड़ोस में कोई भी उनके दोस्त नहीं है। वह हमेशा ही घर पर रहती है, और अकेले ही मार्केट में चली जाती थी। पापा बिजनेस के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते थे।
मेरा गाव बिहार के अरवल जिला मे पड़ता है। जहां खेती करके जीवन चलता है। पर मेरे परिवार की स्थिति अच्छी है, इसलिए मम्मी थोड़ा सज-सवर के रहती है। मम्मी जिस दिन टाइट सलवार सूट पहन कर मार्केट में निकलती थी। उस दिन सारे दुकानदारों की नज़र एक बार मम्मी पर जरूर पड़ती थी, और वह अपनी जीभ होंठों पर फिराने लगते थे।
1 दिन की बात है। मैं और मम्मी घर पर ही थे। बहुत ही तेज उस दिन धूप निकली हुई थी, और गर्मी थी। मेरा घर पर मन नहीं लग रहा था। मैं सोच रहा था दोस्त के घर चला जाऊं, परंतु मम्मी ने मुझे सख्त मना किया था, कि धूप में कहीं नहीं जाना है।
मम्मी उस दिन सफेद रंग की सलवार-सूट पूरी तरह से टाइट पहनी हुई थी। मैं देखा कि मम्मी की टाइट सलवार सूट से उनकी जवानी पूरी तरह से झलक रही थी।
मम्मी मेरे सामने ही पलंग पर लेटी हुई थी। उनकी बड़ी सी गांड मेरी तरफ थी। मैं वहीं बगल में कुर्सी पर बैठ कर मोबाइल चला रहा था, और मम्मी सो रही थी। तभी भीषण गर्मी में काले-काले बादल कहीं से आ गए, और तुरंत आंधियां शुरू हो गई। आंधियों के तेज आवाज से मम्मी की नींद टूट गई, और वह तुरंत बाहर की ओर गयी।
मम्मी ने बाहर कपड़े सूखने के लिए डाले हुए थे, उसे ही उठाने चली गई। मैं भी उनके साथ गया, तो बाहर देखा कि हल्की-हल्की बारिश बड़ी बूंदों के साथ शुरू हो गई। मम्मी ने मुझे सख्त निर्देश दिया कि तुम अंदर चले जाओ, बाहर भीग जाओगे। मैं अंदर ही रहा और मम्मी को देख रहा था। मम्मी कपड़े उठा रही थी, और तेज हवा और बारिश ने मम्मी के पूरे कपड़ों को भिगो दिया।
मम्मी जो कपड़े सुखाने के लिए डाली थी, उसे तो बचा ली। परंतु खुद भीग गई थी। उनकी टाइट सलवार सूट पूरी तरह से गीली होकर उनके कटीले बदन से चिपक गए थे। सफेद सलवार सूट होने की वजह से उनका बदन साफ झलक रहा था। मुझे तो उनके दो काले-काले जामुन नज़र आने लगे। मम्मी ने दुपट्टा नहीं डाला हुआ था। उनके चूचियों पर कमीज़ के अंदर से ही काले जामुन झलक रहे थे।
बारिश और तेज ठंडी हवा ने मम्मी के बदन में आग लगा दी थी। जिसकी वजह से मम्मी के दोनों बूब्स कड़क हो गए थे, और उनके बूब्स के ऊपर के काले जामुन सलवार के अंदर से ही बाहर की ओर साफ नज़र आ रहे थे। मैं लगातार मम्मी के काले जामुन को देख रहा था। तब मम्मी ने यह भाप लिया, कि मैं उनके काले जामुन के दर्शन कर रहा हूं। तब मम्मी ने झट से वहां से चली गई बाथरूम की ओर।
जब मम्मी बाथरूम की ओर जा रही थी, तब मैं उनके दोनों बड़े-बड़े चूतड़ों को देख कर मेरा तो पूरी तरह से लंड ही खड़ा हो गया। मैं भी वहां से तुरंत ही अपने रूम में चला आया। मैं सोने की कोशिश करने लगा, परंतु मुझे नींद नहीं आ रही थी। बार-बार मम्मी के काले जामुन मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। मन कर रहा था कि उनके दोनों काले जामुन को बारी-बारी से चूस लूं।
शाम को बारिश रूकी। बारिश काफी अच्छी खासी हो गई थी अगल-बगल के खेतों में पानी भर आया था। शाम को पापा भी घर वापस आ गए थे, और दो दिनों के लिए घर पर ही रहने वाले थे।
मेरा तो बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था। जब से मैंने मम्मी के काले जामुन को देखा था, तब से मन कर रहा था कि कब उनको चूस लूं। जब भी मम्मी मेरे सामने आती, तब मुझे उनके काले जामुन ही नज़र आते।
शाम को मैं और पापा खाने के लिए बैठे हुए थे, और मम्मी हम दोनों को भोजन कराने के लिए आई। मम्मी लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, और बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मम्मी खाना देते हुए पापा को देख कर मुस्कुरा रही थी। पापा भी उन्हें देख कर मुस्कुरा रहे थे। मैं उन दोनों की बातों को समझ नहीं पा रहा था।
फिर मैं खाना खा कर अपने रूम में सोने चला गया। लगभग 1 घंटे बाद मुझे पेशाब लगी, तो मैं निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा। तुम मुझे किचन से आवाज आई।
मम्मी बोल रही थी: छोड़िए ना, क्या कर रहे हो? सनोज देख लेगा तो क्या सोचेगा? आप कमरे में जाओ मैं थोड़ी देर में काम खत्म करके आ रही हूं आपके पास?
पापा: सनोज सो गया है। मैं केवल 2 दिनों के लिए छुट्टी पर आया हूं। मुझे दो दिन तो खुल कर प्यार करने दो मेरी रानी।
पापा वहीं पर किचन में मम्मी को खड़े-खड़े पीछे से चूमने लगे। उनके कानों के पास चूम रहे थे। मम्मी बेचारी सिहार उठी, “ऊऊओह्ह्ह छोड़िए ना आम्म्म्म।”
पापा ने मम्मी को घुमाया, और उनके होंठों पर अपने होंठ रख चूसने लगे। पापा ने मम्मी को किचन के सेट पर बैठाया, उनकी साड़ी को कमर तक उठा कर नीचे बैठ कर मम्मी की चूत को चूसने लगे। मुझे मम्मी की चूत तो नहीं दिखाई दे रही थी, परंतु मम्मी के चेहरे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मम्मी पूरी तरह से चुदवाने के लिए आतुर हो रही थी।
फिर पापा मम्मी को गोद में लिए, और अपनी कमरे में लेकर चले गए, और कमरे को बंद कर दिया। मैं उस रात कुछ नहीं देख पाया, और चुप-चाप जाकर सो गया।
सुबह-सुबह जब उठा तो मुझे जोरों की पेशाब लगी थी। मैं झट से उठा और आंखों को मीचते हुए बाथरूम में जा घुसा। बाथरूम में घुसते ही मुझे मम्मी पूरी तरह से नंगी दिखी। वह बाथरूम में नंगी नहा रही थी। उन्होंने झट से अपने आपको ढकने की कोशिश की, परंतु वह ढक ना सकी। उनकी दोनों चूचियां मेरे सामने हवा में लहरा रही थी। उनकी चूची के ऊपर के काला जामुन देख कर मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो गया।
मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था, तो पैंट के ऊपर से लंड का उभार पूरी तरह से साफ नजर आ रहा था, और मम्मी की नज़र तो मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी, और मेरी नज़र मम्मी की चूचियों पर। मम्मी अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपा ली थी।
कुछ देर हम दोनों एक-दूसरे को ऐसे ही घूरते रहे, कि तभी बाहर से पापा की आवाज हुई। मम्मी घबरा गई और वहां पास पड़ा तोलियां को उठा कर बाहर निकल गई। मैं चुप-चाप वहां पेशाब किया और बाहर आ गया। तब देखा कि मम्मी साड़ी पहन कर तैयार हो गई, और पापा को खाना खिलाने लगी।
फिर मम्मी ने मुझे आवाज दिया कि, “सनोज बेटा फ्रेश हो जा, और आ अपने पापा के साथ बैठ कर नाश्ता कर ले। उसके बाद कॉलेज चले जाना।
मम्मी एक-दम नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कुछ ना हुआ हो। मैं मम्मी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था, परंतु मम्मी का कॉन्फिडेंस देख कर मेरे अंदर भी कॉन्फिडेंस आ गया, और मैं भी मम्मी से नज़रें मिला पा रहा था। फिर मैंने नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गया।
इसके आगे क्या हुआ, आपको अगले पार्ट में पता चलेगा।