पिछला भाग पढ़े:- मम्मी के काले जामुन चूसे-1
मेरी हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं मां के चूचे और उनका भीगा बदन देख कर पागल हो गया था। अब आगे की कहानी-
जब मैं कॉलेज से घर आया तब देखा कि दरवाजा बंद था। मैंने मम्मी को आवाज दी, मम्मी ने दरवाजा खोला। मम्मी को देखा तो उनके बाल बिखरे हुए थे। वह बालों को बांधते हुए आ रही थी, और साड़ी को ठीक करते हुए आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कुछ तो हुआ था मम्मी के साथ।
मैंने मम्मी से पूछ लिया: क्या हुआ मम्मी, सब ठीक तो है?
तब मम्मी ने कहा: हां हां सब ठीक है। तू चिंता मत कर। चल आ और हाथ मुंह धो ले, मैं खाना लगाती हूं।
तब मैं जाकर हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठा, तो देखा कि पापा कमरे के अंदर ही थे। तो मुझे सारा माजरा समझ में आ गया, कि पापा मम्मी से दिन में भी ड्यूटी करा रहे थे। फिर मम्मी ने मुझे खाना दिया। मैं चुप-चाप बैठ कर खा रहा था।
तभी पापा आये और बोले मुझे: बेटा वर्षा होने से खेत तैयार हो गई है। किसी मजदूर को पकड़ कर खेत में धान लगा देना। मुझे कल निकलना होगा।
मैं मम्मी की ओर देखा तो मम्मी थोड़ा उदास लगी।
फिर मैंने पापा से कहा: आप चिंता मत करो पापा। मैं खेत का, और घर का, और मम्मी का, सब का ख्याल रख लूंगा। आप बस अपना ख्याल रखना वहां।
फिर पापा वहां से बाहर घूमने के लिए चले गए, और मम्मी मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम लिया। मैं इस बात से थोड़ा हैरान हुआ।
परंतु मम्मी ने मुझे चूमते हुए कहा: मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है। कितना समझदार हो गया है (और मम्मी ने मेरे गाल पर एक किस्स दे दी)।
पापा चले गए और इसी तरह कुछ दिन कट गए।
एक दिन काफी बारिश हो रही थी तो मैं घर पर ही था। सभी के खेतों में धान लग गए थे। बस मेरे ही खेत बाकी थे। उस दिन मैंने गांव से दो-तीन मजदूर ढूंढे और बारिश छूटते ही खेतों में धान लगवा दिया। मम्मी बहुत खुश थी उस दिन। मम्मी ने फिर से सफेद रंग की टाइट सलवार सूट पहनी हुई थी।
उन्होंने मुझे गले से लगाते हुए बोला: मेरा बेटा अब समझदार और जवान हो गया है।
मम्मी ने मुझे मेरे दोनों गाल और माथे पर एक-एक चुम्मा लिया। उनकी दोनों चूचियां मेरी छतिया में दबी हुई थी, और मेरा लंड नीचे से अब टाइट हो रहा था। मम्मी मुझे गले से लगा कर मुझे लगातार कभी गाल तो कभी माथे पर चूमती, और अपना प्यार बरसाती। फिर मुझे गुड नाइट बोल कर अपने कमरे में सोने चली गई, और मैं भी अपने कमरे में सोने चला गया।
उस रात मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। तभी मैं उठा और मम्मी के कमरे की ओर जाने लगा। जब मैं मम्मी के कमरे के पास पहुंचा, तो देखा कि दरवाजा खुला हुआ था, और लाइट जल रही थी। मैंने अंदर झांकने की कोशिश की तो देखा कि मम्मी मेरी तरफ गांड करके सो रही थी। मैं मम्मी की सलवार में से बड़ी सी गांड देख कर मदहोश हो गया।
मैं दरवाजे पर खड़ा मम्मी के बदन को देख कर बस निहार रहा था। पास जाने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी। तभी मम्मी ने मेरी तरफ करवट फेरी। मैं तो बिल्कुल घबरा गया और वहां से भागने को हुआ। परंतु मम्मी जागी नहीं थी, सिर्फ करवट बदली थी, और मेरी तरफ चेहरा करके सो रही थी। उनके चेहरे को देख कर मुझे उन पर प्यार आने लगा।
मैं अपने मन में ही कहने लगा: ऊफ्फ्फ् क्या मस्त सेब जैसे गाल हैं। गुलाब के पंखुड़ी जैसे होंठ, और आंखे तो जैसे नशीली हो।
मैं दरवाजे पर खड़े मम्मी को देख रहा था उनकी खूबसूरती को निहार रहा था, और मेरे पेंट में लंड टाइट हो गया था। मैं मम्मी को निहार ही रहा था कि बाहर तेज गर्जन हुई, और मम्मी की नींद खुल गई। उन्होंने मुझे उनको निहारते हुए देख लिया। मेरी तो गांड फट गई।
मम्मी ने मुझसे पूछा: क्या हुआ बेटा, यहां क्यों खड़े हो? कोई बात है क्या?
मम्मी जब उठ कर बैठी तो उनके भारी दोनों बूब्स आगे की ओर ऐसे खड़े हुए थे। ऐसे लग रहा था कि जैसे कपड़े फाड़ कर बाहर आ जाएंगे। मेरे मुंह से कोई आवाज ही नहीं निकली।
फिर मैं घबराते हुए बोला: मम्मी वह बाहर बारिश होने वाली है कहीं कुछ बाहर पड़ा तो नहीं है, वहीं पूछने के लिए आया था।
मम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे अपने पास बुलाया, तो मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बेड पर बिठा दिया, और मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे कहा: कुछ नहीं है। आ आज मेरे साथ ही सो जा।
उस दिन मम्मी ने मुझे अपने साथ बाहों में भर कर सुला लिया। मैं अपना सर मम्मी की दोनों चूचियों के ऊपर रख कर उन्हें बाहों में भर के सो गया। मम्मी का बदन बहुत ही मुलायम था। इतना आरामदायक लग रहा था। मन कर रहा था कि पूरा जीवन बस उन्हें पकड़े रहूं।
कई दिन ऐसे ही बीत गए। बीच में लगभग 15-20 दिन बारिश ही नहीं हुई। खेतों का पानी सूख गया था। सभी लोग नहर से पानी लेने जा रहे थे। तो उस दिन मैं भी नहर से पानी लेने जाने के लिए गया हुआ था।
हमारा खेत थोड़ा अंत में पड़ता है इसलिए सभी का खेत हो जाने के बाद ही मेरे खेत में पानी जा रहा था। सभी लोग अपने खेत को ठीक करके चले गए। मैं वहां अकेला बैठ कर अपने खेत में पानी कर रहा था कि तभी दोपहर में मम्मी मेरे पास खाना लेकर आई।
मम्मी को देख कर मेरा उस दिन का सारा थकान ही दूर हो गया। मम्मी उस दिन भी टाइट सलवार सूट पहन कर मेरे पास आई हुई थी। उनके चेहरे पर मुस्कान देख कर मेरा सारा थकान दूर हो गया। मन किया कि अभी मम्मी को बाहों में भर लू।
मम्मी ने मुझसे कहा: सारा दिन बस काम ही करते रहोगे, या खाना-वाना भी खाओगे? चलो वहां पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खा लो।
पास में ही तीन-चार विशाल बरगद के पेड़ थे, जिसकी वजह से वहां जंगल की तरह लगता था, और अंदर अंधेरा रहता था, जिससे कोई जाता नहीं था। परंतु उस दिन धूप इतनी थी कि हम दोनों मां बेटा वहां पर गए। अंदर जाने के बाद देखा तो अंदर एक-दम साफ सुथरा था। घास हरी-हरी लगी हुई थी। हम दोनों उसकी छांव में बैठे और मम्मी मेरे लिए खाना परोसने लगी।
मम्मी मुझे प्यार से अपने हाथों से खिलाने लगी, और वह मेरे चेहरे को बड़े गौर से देख रही थी। मैं भी मम्मी के चेहरे को देख रहा था। मुझे मन कर रहा था कि मम्मी को बस प्यार कर लूं।
मम्मी ने कहा: क्या देख रहा है इतनी गौर से? कभी मुझे नहीं देखा है क्या?
मैंने मम्मी को गौर से देखते हुए कहा: देखा है मम्मी, परंतु आपको जितना देखता हूं, और ज्यादा देखने का मन करता है।
हम दोनों मुस्कुरा रहे थे।
मम्मी: अच्छा ऐसा क्या देख लिया जो बार-बार देखने का मन करता है?
मैं: आप तो प्यार की मूरत हो। आपकी जितनी तारीफ की जाए कम है। आपको जितना भी देखूं मैं कम ही है। मन ही नहीं भरता कभी देखने से।
मम्मी: हट बदमाश, मम्मी से मजाक करता है। लगता है अब तेरी शादी करनी पड़ेगी।
मम्मी और मैं दोनों हंसने लगे। फिर हमने खाना को खत्म किया। मम्मी टिफिन को सरियाने लगी। तभी चारों तरफ से काले बादल घिर आये।
मैंने मम्मी से कहा: देखो मम्मी आपके प्यार में तो मौसम भी कितना सुहाना हो गया।
मम्मी यह सुन कर मुस्कुराने लगी और मेरी तरफ देखने लगी। मैं भी मम्मी के तरफ देख रहा था। मन कर रहा था बस उन्हें बाहों में भर लू, परंतु हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
मम्मी: बेटा हमे यहां से निकलना चाहिए, वरना बारिश बहुत जोरों की होगी, और हम यही फंस जाएंगे।
मैं: ठीक है मम्मी, मैं एक बार देख कर आता हूं खेत में पानी सही से चला गया या नहीं।
फिर मैं खेतों की ओर पानी देखने गया। खेत में पानी अच्छी तरह से भर गया था। मैं वापस आया और मम्मी से बोला: चलो मम्मी चलते हैं (कि तभी जोरों की बारिश शुरू हो गई)।
हम दोनों मां बेटे वहीं बरगद के पेड़ के नीचे छिपने गये। बारिश बहुत जोरों की होने लगी थी। चारों तरफ घनघोर बादल छाए थे, और झमाझम बारिश हो रही थी। बरगद के पेड़ के नीचे थोड़ी राहत थी, परंतु थोड़ी ही देर में वहां भी पानी गिरना शुरू हो गया, और हम दोनों भीगने लगे।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।
अगला भाग पढ़े:- मम्मी के काले जामुन चूसे-3