सूरज और अदिति की फार्महाउस वाली रात (Suraj aur Aditi ki farmhouse wali raat)

मुंबई की हलचल भरी सड़कों पर, सूरज, एक 26 साल का आदमी जो 5’8″ लंबा है, गहरी काली त्वचा और मजबूत काया वाला, एक शादी की वेबसाइट पर प्रोफाइल्स स्क्रॉल कर रहा था। उसकी नजर अदिति पर पड़ी, एक 25 साल की औरत जिसकी भरी हुई काया थी – 42 इंच की कूल्हे जो मोहक तरीके से लहराती थी, 36 इंच का सीना हर सांस के साथ उफान मारता, और 38 इंच की कमर जो सही जगह पर घुमावदार थी।

उसके फोटोज में शर्मीली मुस्कान थी, लेकिन उसकी बायो में छिपी आग का संकेत था। उन्होंने हफ्तों तक चैट की, सपनों और इच्छाओं के बारे में फ्लर्टी मैसेजेस एक्सचेंज किए, जब तक सूरज ने उपनगरों के एक शांत बगीचे में मिलने का सुझाव नहीं दिया।

उनकी पहली मुलाकात बिजली जैसी थी। आम के पेड़ों की छांव में, सूरज ने अदिति को करीब खींच लिया। उसके हाथ कांपते हुए उसके गाल को छुए। वह साधारण सलवार कमीज पहने थी, जो उसकी कर्व्स को चिपकाती थी। उसकी दुपट्टा फिसल रही थी जब वे बात कर रहे थे। हंसी लंबी नजरों में बदल गई, और जल्द ही सूरज के होंठ उसके होंठों से मिले एक नरम चुम्बन में जो भूख में गहरा हो गया।

अदिति की उंगलियां उसके शर्ट में धंस गई, उसे करीब खींचते हुए। ‘मैंने इसके लिए इतना इंतजार किया है,’ उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज मुंबई के लहजे से भरी। दोपहर के अंत तक, वे अटूट हो चुके थे, प्यार तेजी से और उग्रता से खिल रहा था।

सूरज ने उसे अपने परिवार के फार्महाउस पर आमंत्रित किया, शहर के बाहर एक एकांत जगह जहां लुढ़कते खेत और एक निजी स्विमिंग पूल था। सिर्फ वे दोनों थे, कोई परिवार, कोई रुकावट नहीं। जैसे ही वे पहुंचे, सूरज डूब रहा था, लकड़ी के केबिन पर सुनहरी चमक बिखेरते हुए। सूरज ने अदिति का हाथ पकड़ा, उसे अंदर ले जाकर। जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, उसने उसे दीवार से सटा दिया, उसका मुंह उसके मुंह से टकरा गया। उनकी जीभें उलझीं, गीली और उतावली, जबकि अदिति कराह रही थी चुम्बन में, ‘आह्ह्ह… सूरज… ओह्ह्ह…’ उसका शरीर उसके बढ़ते उभार से दब रहा था, उसके नाखून उसके पीठ पर खरोंचते।

‘चलो कपड़े बदल लें और पूल में चलें,’ सूरज ने बुदबुदाया, उसकी सांस उसके गले पर गर्म। वे अलग-अलग कमरों में कपड़े उतारे, लेकिन उत्साह गूंज रहा था। अदिति लाल बिकिनी में निकली जो उसके भरे हुए स्तनों और चौड़े कूल्हों पर तनी हुई थी, कपड़ा मुश्किल से उसे समेटे हुए।

सूरज ने काली ट्रंक पहनी, उसका 7 इंच का लंड पहले से आधा सख्त, 3 इंच मोटा, साफ रूपरेखा में। वे ठंडे पानी में कूदे, छींटे मारते और हंसते, लेकिन खेल जल्दी अंतरंग हो गया। सूरज उसके पीछे तैर गया। उसके हाथ उसके गीले बिकिनी टॉप पर ऊपर सरकते हुए उसके भारी स्तनों को थाम लिया।

उसने नरम मांस को जोर से निचोड़ा, अंगूठे पतले कपड़े के माध्यम से उसके सख्त होते निप्पल्स को मरोड़ते, जबकि अदिति की सांसें तेज हो गई, ‘उंह्ह्ह… आह्ह्ह… दबा दो इन्हें… ओह्ह्ह…’ उसके कूल्हे पीछे की ओर धकेलते, उसके लंड को महसूस करते।

अदिति हांफी, उसके पीछे की ओर मुड़ी। उसने उसके आगोश में घूम कर, उथले छोर पर उनके होंठ फिर मिले। उसका हाथ नीचे सरका, उसके कमरबंद के नीचे गोता लगाकर उसके धड़कते लंड को पकड़ लिया। उसने जोर से स्ट्रोक किया, महसूस करते हुए कि वह उसके हथेली में फूल रहा है, जबकि उसके निचले होंठ को काटते हुए। ‘मुझे चोदो, सूरज,’ उसने उसके कान में फुसफुसाया, उसकी आवाज भारी। ‘मैं पहले से ही इतनी गीली हो रही हूं…

आह्ह्ह… तेरी मुट्ठी में मेरा रस बह रहा है।’ पानी उनके चारों ओर लहरा रहा था जबकि वह उसके शाफ्ट को पंप कर रही थी, उसके नाखून संवेदनशील त्वचा को खरोंचते, सूरज को कराहने पर मजबूर करते, ‘फफ्फ्फ… अदिति… तेरी पकड़… उंह्ह्ह…’।

वे इंतजार नहीं कर सके। सूरज ने उसे बाहर ले जाकर, पास के पेड़ के पास जहां घास पर योगा मैट बिछा था। अदिति पीछे लेट गई, उसका सीना हांफ रहा, आंखें जरूरत से काली। सूरज उसके ऊपर घुटनों पर बैठा, पहले उसके बिकिनी टॉप को छील दिया। उसके स्तन बाहर फैल गए—भरे हुए, गोल, गहरे निप्पल्स ध्यान की भीख मांगते।

वो एक पर चिपक गया, जोर से चूसा जबकि दूसरे को चिपकाते हुए, उसके दांत चोटी को काटते। अदिति तड़पी, उसके हाथ उसके बालों में, उसे करीब खींचते हुए जबकि वह उसके कंधे को जवाब में काट रही थी, लाल निशान छोड़ते।

‘आआआह्ह्ह… सूरज… चूसो इन्हें… ओह्ह्ह… दांत गड़ा दो… उंह्ह्ह…’ उसकी चीखें मैट पर गूंज रही थी, उसके शरीर का हर कंपन सुख की लहर भेजता। उसने उसके बॉटम्स को नीचे खींचा, उसके मोटे जांघों और उनके बीच गहरे कर्ल्स के पैच को उजागर करते। सूरज का मुंह उसके गले पर नीचे सरका, उसकी त्वचा से नमक चाटते, फिर उसके पेट पर नीचे।

अदिति की उंगलियां उसके ट्रंक को उतार रही थी, उसका हाथ फिर से उसके गहरे, नसों वाले लंड के चारों ओर लपेटते, उसे मजबूती से रगड़ते। दस मिनट का यह चिढ़ाना बीता, चुम्बन उन्मादी हो गए, उसका शरीर झटके मारते हुए जब वह पहली चोटी पर पहुंची, रस उसके जांघों को चिकना करते। ‘प्लीज, अब मुझे चोदो,’ उसने भीख मांगी, ‘आह्ह्ह… मेरी चूत जल रही है… तेरे लंड की जरूरत है… ओह्ह्ह…’

लेकिन सूरज के अन्य प्लान थे। उसने उसके पैर फैला दिए, उनके बीच गोता लगा कर। उसकी जीभ उसके सूजे क्लिट पर चमकी, फिर उसके टपकते चूत में धंस गई। अदिति चीखी, उसके कूल्हे ऊपर धकेलते जबकि वह चूसा और चाटा, उसके आंतरिक जांघों पर जोर से काटते।

‘आआआह्ह्ह… सूरज… जीभ अंदर… उंह्ह्ह… चाटो मेरी चूत… ओह्ह्ह… काटो…’ उसने उसका सिर पकड़ा, उसे गहरा धकेलते, उसके चेहरे पर पीसते जब तक वह टूट ना गई, सफेद क्रीम उसके मुंह में बहती। सूरज ने हर बूंद चाटी, उसके खट्टे स्वाद का आनंद लेते, जबकि अदिति की कराहें तेज हो गई, ‘हाााा… आआआ… मैं आ रही हूं… फफ्फ्फ…’।

‘अब मुझे चूसो,’ उसने गुर्राया, घुटनों पर उठते। अदिति ने उसके लंड को घबराते हुए देखा। ‘मैंने कभी ये नहीं किया, लेकिन तुम्हारे लिए… कुछ भी।’ वह आगे झुकी, उसके होंठ फैलते हुए सिर को अंदर लेने। उसका मुंह गर्म और पहले अजीब था, जीभ अजीब तरीके से घूमती, लेकिन उसने अपना सिर हिलाया, हर कोशिश में ज्यादा लेते। सूरज कराहा, उथले धक्के देते जबकि वह थोड़ा गैग हुई लेकिन जारी रखी, उसके हाथ बेस को स्ट्रोक करते।

‘उंह्ह्ह… अदिति… तेरी जीभ… आह्ह्ह… चूसो गहरा… ओह्ह्ह…’ उसके भरे होंठों को उसके मोटाई के चारों ओर फैले देखना उसे पार कर गया, गर्म वीर्य उसके गले में फूटा। अदिति ने सब निगला, थोड़ा खांसते लेकिन ऊपर मुस्कुराते हुए वीर्य-चमकते होंठों के साथ, ‘मम्म्म… तेरा स्वाद… आह्ह्ह…’।

वे 69 में शिफ्ट हुए, उसकी चूत उसके चेहरे पर मंडराते जबकि वह उसे फिर से सख्त चूस रही थी। सूरज की जीभ उसके फोल्ड्स पर अथक काम कर रही थी, उंगलियां उसके गांड के गाल फैलाते उसके टाइट होल को चिढ़ाते। अदिति उसके लंड के चारों ओर कराह रही थी, ‘आआआह्ह्ह… तेरी जीभ… उंह्ह्ह… मेरी गांड… ओह्ह्ह…’ कंपन उसे झटके भेजते।

पांच मिनट में, वह अलग हुई, हताश। ‘मुझे तुम्हारी जरूरत है अंदर। मेरी चूत चोदो, सूरज। प्लीज… आह्ह्ह… अब…’। उसने खुद को उसके पैरों के बीच पोजिशन किया, अपनी मोटी लंड हेड को उसके भीगे एंट्रेंस पर रगड़ते। अदिति झटका मारी, चिल्लाते हुए, ‘इसे अंदर धकेलो! मुझे जोर से चोदो! आआआह्ह्ह…’

सूरज ने आगे धक्का दिया, लेकिन सिर्फ तीन इंच ने उसकी कुंवारी टाइटनेस को भेदा। वह चीखी, एक तीखी चीख खेतों में गूंजती, ‘आआआआआ… दर्द हो रहा है… ओह्ह्ह… रुको…’ और खून टपका, उसके गीलापन से मिलते। ‘तुम कुंवारी हो?’ उसने हांफते हुए पूछा, रुकते हुए जब एहसास हुआ।

अदिति ने आंसुओं के माध्यम से सिर हिलाया, लेकिन उसकी आंखें चाहत से जल रही थीं। ‘रुको मत। मुझे तोड़ो। मुझे अपना बना लो… आह्ह्ह…’।

सूरज ने गहरा धकेला, इंच बाई इंच, उसके दीवारें उसके गर्थ के चारों ओर वाइस की तरह सिकुड़ते। खून उसके शाफ्ट पर स्मीयर हो गया जब वह बॉटम आउट हुआ, उसका हायमन फटा। अदिति सिसकी ली और उसके पीठ को खरोंचती, ‘आआआआआ… एएएए… दर्द… लेकिन जारी रखो… उंह्ह्ह…’ लेकिन जल्द ही दर्द सुख में मुड़ गया। उसने पंपिंग शुरू की, पहले धीरे, फिर तेज, उसके बॉल्स उसके गांड पर हर धक्के से थप्पड़ मारते।

‘इतनी टाइट… तेरी चूत मुझे पकड़ रही है,’ उसने ग्रंट किया, उसे पीटते। अदिति की चीखें कराहों में बदल गईं, ‘आआआ… एएएए… हााा… आआआ… एएएए… आआआ…’ उसके कूल्हे उसके मिलते, खून और क्रीम उनके जोड़ को चिकना करते। वह फिर आई, उसे दूधते जब तक उसने उसके गहराई में मोटे रस्सियों से वीर्य भर दिया, अदिति चिल्लाती, ‘आह्ह्ह… गर्म… तेरी गर्मी… ओह्ह्ह… मैं आ रही हूं…’।

लेकिन वे खत्म नहीं हुए। अदिति, अब जंगली, पेट के बल मुड़ी, गांड ऊपर। ‘मेरी गांड भी लो। सब कुछ डिफ्लावर करो… आह्ह्ह…’ सूरज का लंड, अभी भी सख्त और गंदा, उसके पकड़े हुए होल पर दबा। उसने थूक लगाया, पहले एक उंगली अंदर काम करते लूज करने के लिए। अदिति सिसकी ली, पीछे धकेलते, ‘उंह्ह्ह… धीरे… ओह्ह्ह…’। जब उसने आखिरकार धकेला, यह क्रूर था—उसकी गांड थोड़ी फट गई, ज्यादा खून रिसते जबकि उसने अपनी 3 इंच मोटाई को रिंग के पार जबरदस्ती किया।

वह चिल्लाई, ‘आआआआआ… एएएए… दर्द… आआआ… एएएए…’ मुट्ठियां मैट पर पीटते, लेकिन भीख मांगी, ‘गहरा! मेरी कुंवारी गांड चोदो! हााा…’ सूरज ने उसके चौड़े कूल्हों को पकड़ा, पूरी तरह से धमाकेदार, घर्षण गर्म जलता। उसने उसे बेरहमी से रिम किया, उसके गाल हर धक्के से हिलते, जोर से थप्पड़ मारते, जबकि अदिति की कराहें उन्मादी हो गईं, ‘आआआ… एएएए… हााा… आआआ… एएएए… आआआ… कस रही है… ओह्ह्ह…’। जब तक वह ऑर्गेज्म में कांपी, उसकी चूत अनछुई लेकिन स्पैज्मिंग, ‘फफ्फ्फ… गर्म… तेरी गांड में… आह्ह्ह…’।

सूरज ने बाहर खींचा, वीर्य और खून उसके गेप्ड होल से टपकते, और उसे आखिरी राउंड के लिए पलटा उसकी चूत में। वे जानवरों की तरह चुदाई की, पसीने से भीगे और थक चुके, सूरज के धक्के तेज और गहरे, अदिति की चीखें लगातार, ‘आआआ… एएएए… जोर से… चोदो… हााा… आआआ…’ जब तक उसने उसके अंदर फिर से वीर्य नहीं डाला।

जैसे ही वे ढह गए, हांफते तारों के नीचे, झाड़ियों में सरसराहट सूरज के कान में पड़ी। उसने झांक कर देखा,‌ पत्तों के माध्यम से एक छायादार आकृति देख रही थी, आंखें चौड़ी। क्या यह फार्महैंड था? पड़ोसी? देखने वाला हिला नहीं, बस अदिति के बर्बाद शरीर को घूरता। सूरज मुस्कुराया, उसे करीब खींचते। ‘देखो, हमारे पास दर्शक है,’ उसने फुसफुसाया। अदिति शरमाई लेकिन ढकाव नहीं किया, उसके एग्जिबिशनिस्ट चिंगारी के विचार से जल उठी।

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