पिछला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ चाची-1
मेरी पिछली कहानी में आपने देखा कि कैसे चाचा के घर पर उनके नौकर रमेश ने चाची कि जम कर चूत मारी, और चाची की कामुक हरकते देख मैं कैसे चाची की ओर आकर्षित हो गया। उन दोनों की चुदाई देखते मैं अपने लंड को भी इसका आनंद देने लगा, और हिलाते हुए चाची ने मुझे देख लिया। ज्यादा हैरान ना होते हुए चाची चुप रही, और रमेश के साथ चुदती रही।
खैर मैं अपने दर्शको को बता दूं कि इस कहनी के आगे और भी कई सारे किस्से है। अगर मुझे हर कहानी पर आपका अच्छा रिस्पोंस मिला, तो आगे के पार्ट और भी जल्दी मिलेंगे। अब वापस कहानी में आते है।
जैसा कि आपने पिछली कहानी में पढ़ा, उस रात रमेश से जम कर गांड मरवाने के बाद, चाची लंगड़ाते हुए छत पर आकर मेरे पास सो गयी। दर्द के मारे चाची की चाल ही बदल गयी थी। चाची मेरे पीछे आकर सो गयी, और अपना एक हाथ और पैर मेरे ऊपर रख लिया।
मैंने धीरे से हिलने की कोशिश की, पर चाची ने मुझे जम के जकड़ लिया था। मैं बिना हिले ही चाची से बात करने लगा। चाची दर्द से कराहते हुए बोलती रही। चाची बताने लगी कि कैसे रमेश और उनका काम पिछ्ले पाँच-छह महीनों से चल रहा था। चाची बोलती रही, “दरअसल छोटू के पैदा होने के बाद ही तेरे चाचा
में अब उतनी जान नही बची है, अब छोटू के पैदा होने के बाद से मेरा योन सुख खत्म हो चुका था।”
“कई बार अपनी चूत में उँगली डाल कर मुझे खुश रहना पड़ता था। फिर तेरे चाचा ने रमेश को काम पर रखा। तब रमेश शहर से अपना कालेज खतम करके वापस गांव बस गया, और लगभग एक-दो महिने बाद मैं उसकी ओर आकर्षित होती चली गयी। फिर एक दिन चाचा के ना होने पर रमेश के साथ कुछ काम से खेत जाना पड़ा, और वहां मैं और रमेश पहली बार दोनों एक-दूसरे के साथ लिपट गये।”
धीरे-धीरे मैं चाची की कहानी सुनता रहा, और फिर मैं मुड़ा और फिर से चाची को चूम लिया। थोडी ही देर बाद मैं चाची से अलग हुआ, पर चाची अब भी काफी दर्द में थी। मैं धीरे से अपना हाथ उनकी चूचियों के पास ले गया, और साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
चाची बोल पड़ी, “हां ऐसे ही दबाते रह वहां पर। इसके आगे आज मेरे साथ कुछ मत करना तू। मैं जानती हूं कि तू भी मुझे चोदना चाहता है। पर आज मैं बहुत थक गयी हूं। मेरी चूत बहुत ही जोर से फट कर लाल हो रही है।” मैं चाची की बात सुन कर समझ गया था, कि चाची कितनी बड़ी चुदक्क्ड़ थी। चाची को गांड मरवाना शायद बेहद पसन्द था।
अगले दिन सुबह ब्रश करके मैं हाल में बैठा। वहां चाचा भी वापस आ चुकी थी। इतने में रमेश भी आया, और दरवाजे के पास खड़ा हो गया। चाचा ने उसे अपने साथ बैठने के लिए कहा। मैं मन ही मन चाचा के लिए दुखी था, और वो मादरचोद रमेश मुस्कुराते हुए बैठ गया। खैर थोड़ी देर बाद चाची हम तीनों के लिए चाय लेकर आई।
चाची चाय रख कर जाने ही वाली थी, कि रमेश बोल पड़ा, “सेठ जी आपको एक बात बतानी थी”।
चाची और मैं एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। रमेश ने कहा, “मेरी नौकरी शहर में लग चुकी है, अब मैं कल दिन में शहर चले जाऊंगा”।
चाचा काफी खुश थे, मैं चाचा के लिए काफी खुश था। पर चाची शायद इससे दुखी थी। खैर चाय खतम होते ही चाचा को किसी का फोन आया, और वो चले गये।
जैसे ही चाचा वापस आए, उनके साथ साथ चाची का मुंह-बोला भाई सुरज भी आया था।
सुरज इस कहानी का नया किरदार है। वो चाची के मायके गांव का पड़ोसी और मुंह बोला भाई है। दरअसल चाची दो बेहने है, जिनमें चाची बड़ी और उनकी छोटी बहन रानु है। चाची का कोई भाई नहीं था, शायद इसलिए चाची ने सुरज को अपना भाई बनाया होगा।
चाची सुरज मामा के लिए चाय लेकर आयी, और हमारे साथ बैठ गयी। चाचा को किसी का फोन आया और वो बाहर चले गये।
मैं भी नहाने के लिए अपने कपड़े लेने चला गया। मैं अपने आधे रास्ते में था, कि मुझे याद आया मेरा बैग तो चाची ने रखा था, और वो जगह मुझे याद नहीं थी।
मैं वापस हाल की ओर जाने लगा। चाची, सुरज मामा,और रमेश तीनों आपस में कुछ बात कर रहे थे। मैं छिप कर उनकी बाते सुनने लगा।
चाची: सुरज अचानक यहां कैसे आना हुआ?
सुरज: अरे अरुणा(चाची का नाम) दीदी, अब तुमसे क्या छिपाना। रमेश कल मुम्बई चला जाएगा, इसलिए में आज उससे मिलने आया हूं।
रमेश: बिल्कुल सही कहा, और अब हमारे बारे में नही बताओगे सेठानी जी को।
चाची: क्या छिपा रहे हो मुझसे? और तुम रमेश को कैसे जानते हो?
सुरज ने चाची का हाथ पकड़ा और बोला: अरे मेरी जानू, तुम्हारे और रमेश के बीच में जो चल रहा है वो मैं सब जनता हूं। रमेश मेरे कालेज के समय से मेरा जिगरी यार है।
रमेश हैरान होते हुए: तुम सेठानी जी को जानू कह रहे हो? क्या छिपा रहे हो सच बताओ?
हाल में उन तीनों के अलावा कोई नही था, और सुरज मामा ने अपनी कहानी बताई कि चाची की शादी के कुछ महीने पहले, चाची और सुरज गांव से भाग कर शादी करना चाहते थे। स्कूल के दिनों से अरुणा और सुरज दोनों एक-दूसरे से प्रेम करते थे।
मैं उन तीनों की बातें ध्यान से सुन रहा था। आगे सुरज कहता है कि जब अरुणा चाची और सुरज मामा ने भागने का प्लान बनाया, तो उनके घर वालों ने उन्हें पकड़ लिया।
फिर दोनों के घर वालों ने मिल कर फैंसला लिया कि इन दोनों में भाई बहन का रिश्ता बना दिया जाए। बस फिर क्या था, दोनों की शादी अलग जगह पर जल्द ही करवा दी गयी।
अब सुरज ने चाची की कमर पर हाथ रख पकड़ ली, और अपनी ओर बांध लिया।
रमेश बोला: वाह सुरज, तू तो मुझसे भी बड़ा हरामी निकला रे।
सुरज बोला: अब जब तू भी अरुणा के साथ खेल चुका है, तो आज रात को…।
चाची बोली: आज वैसे भी आखरी बार है, मैं सिर्फ आखरी बार ही तुम्हरा साथ दे सकती हूं।
आगे सुरज उसका प्लान बताने लगा। पूरा प्लान सुनने के बाद, रमेश खुशी से पागल हो चुका था। चाची के चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आ रहा था। मैं सुरज का प्लान सुनते ही चाची की हालत समझ सकता था। रमेश और सुरज दोनों ने चाची को मजबूर करके मना लिया। उनका प्लान मैं आगे आपको बताऊंगा। मैं थोड़ी देर तक रुका, और उन तीनों को अकेले में बात करने दी। चाची मना करने लगी, पर फिर रमेश ने चाची का दूसरा हाथ पकड़ा और धमकते हुए बोला-
रमेश: तू क्या चाहती है? कल रात और पहले की कहानी मैं सबको बता दूं?
चाची कुछ ना बोली और हां में हां मिलाती गई। मैं थोड़ी देर और बाहर खड़ा रहा। अब मैंने हाल में आकर चाची से मेरे बैग में रखा मोबाईल चार्जर मांगा। चाची मेरा मोबाईल चार्जर लेने चली गयी, और सुरज और रमेश साथ में बतियाने लगे। मैंने आलस में देर से नहाने का सोचा। रमेश चाचू के साथ काम पर चला गया, और छोटू अपने मामा के साथ हाल में खेल रहा था।
अब बारह बजे खाना खाने के बाद सभी लोग दोपहर में आराम करने चले गये। खाना खाने के बाद तुरन्त ही दादी कहने पर मैं तुरन्त नहाने चला गया। गांव के घरों में बाथरुम सबसे पीछे ही बनाये जाते है।
अब घर में सब सो रहे थे,और चाची किचन में अपना काम कर रही थी। मैं बाथरुम में नहाने चला गया। गांव में घर के बाथरुम में कोइ गेट नही था, सिर्फ एक परदा ही लगा हुआ था।
मैं बाथरुम में देखा, कि वहा चाची के कपड़े पड़े हुए थे। मैंने कपड़ों को उठा कर साईड में रख दिया। उन कपड़ों को उठाते समय चाची की ब्रा नीचे गिर गयी। ब्रा देखते हि मेरे अन्दर अलग ही हवस जाग उठी, और मैं चाची की ब्रा-पेन्टी उठा कर सूंघने लगा।
चाची कि ब्रा से मैं मन में ही चाची को नंगी कर सोचने लगा, और मेरा लंड सलामी देने लगा। कल रात के द्रश्य अभी भी मेरे मन में ताजा हो गये। चाची की कोमल और इतनी बड़ी ब्रा देख चाची के मम्मों को दबाने की तलब और जाग उठी थी। चड्डी निकाल कर मैं पूरा नंगा हो गया।
मैंने चाची कि पेन्टी को अपने लंड के ऊपर लगाया, और हिलाने लगा। आंखे बन्द कर चाची के बारे में सोचने लगा। चाची कि ब्रा को सीने से लगा लिया।
बिना रुके मैं हिलाता रहा, कि अचानक चाची बाथरुम में आ गयी। मैं चाची को देख घबरा गया, और पूरा माल चाची की पेन्टी और उनके कपड़ों पर गिरा दिया। मेरी हरकते देख चाची मुस्कुराने लगी। चाची मुझे घूरे जा रही थी।
फिर मैं घबराते हुए बोला: चाची वो कल रात की बात को सोच कर ही मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।
चाची सब जानती थी, बिना कुछ कहे वो अपने कपड़े लेकर जा रही थी। अब मैं भी समझ गया कि चाची भी किसी को कुछ नहीं बोल पाएंगी, तो मैंने तुरन्त ही चाची की कमर को पकड़ा, और अपने से लगा लिया।
चाची: मैं जानती थी, तुम भी अभी जवानी के प्यासे हो। कल रात को तुम्हारा लिंग देख कर मैं हैरान थी। तुम्हारी हरकतें और मर्दाना बदन देख कर मैं और उतेजित हो उठी थी।
मैं बोला: हां, कल की चुदाई के बाद आपकी चूत मारने की तलब और बढ़ गयी है। बस अब मैं अपने आप को और नहीं रोक पाऊंगा चाची।
फिर क्या था, मैंने चाची का पल्लू गिरा दिया, और उनके गोरे बदन को चूमने लगा। धीरे-धीरे चाची ब्लाऊज़ के सारे हुक खोल दिये, और चाची के मम्मों पर टूट पड़ा। चाची ने आज ब्रा नहीं पहनी थी। चाची भी अपनी साड़ी निकालने लगी। मैंने चाची को घुमा कर बाथरुम की दीवार से टिका दिया, और उनके मम्मों को जम कर दबाने लगा। चाची को जम कर आनंद मिल रहा था।
चाची के मम्में इतने बड़े थे कि मैंने आज तक नही देखे थे। वो चरमसुख में आहें भरने लगी। उनकी आवाज़ बढ़ती जा रही थी। मैंने उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिये। उनके होंठो को अपने होंठो से लगा कर एक ही सांस में चूम लिया, और मम्मों को दबा-दबा कर लाल कर दिया।
चाची की चूचियां कड़क हो गयी। मैं उनकी चूचियों को अपने दांतो से दबाने लगा। इतने बड़े मम्मे मैंने आज तक नहीं देखे थे, और इस मौके को मैं हाथ से जाने नहीं दे सकता था।
अब मेरे लंड में फिर से सलामी देने लगा। चाची ने अपने आप को अलग किया, और मुझे अब दीवार से लगा दिया। मेरे गोरे मर्दाना बदन को चाची पूरी तरह चूमने लगी। मैं पीछे से चाची के चूतड़ को जम कर एक थप्पड़ मार दिया।
चाची चीख़ उठी: आह साले, इतना जोर से मार दिया रे।
दोनों चूतड़ को जम कर दबा के मैंने लाल कर दिया। चाची ने अपने दोनों हाथो से मेरे गाल पर रखे और मेरे होंठो को अपने होंठो का रस पिलाती रही। मैंने एक हाथ से चाची का पेटीकोट खोल दिया, और उनकी पेंटी के उपर से ही अपने हाथ से उनकी चूत सहलाने लगा। चाची मुझसे अलग हुई और नीचे बैठ गयी, और मेरा लंड मुंह में भर लिया।
चाची: वाह रे, इतना जवान औजार मैं बहुत दिनों के बाद महसूस कर रही हूं।
मैं: अरे मेरी जानू, आज तक इस औजार को सिर्फ लडकियां ही मिली है, आज पहली बार किसी औरत ने इसे स्पर्श दिया है।
चाची के लंड चूसते ही मानो एक अलग ही आनंद मिल रहा था, जो आज से पहले मैंने महसूस नहीं किया था। पांच मिनट तक चाची मेरा लंड चूसती रही। चूस-चूस कर पुरा थूक से गीला हो गया।
अब मैं झड़ने वाला था। मैंने चाची को लिटाया और चाची के ऊपर लेट गया, और मेरा लंड उनके मम्मों के बीच में डाल कर आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर तक मैं अपने लंड को चाची के मम्मों के बीच सहलाता रहा।
चाची बोली: तू अभी माल मत निकालना। मेरी चूत की प्यास बुझाना अभी बाकी है।
मैं: नहीं अरुणा चाची, मैं आज रात को रमेश और सुरज के बाद आपकी चूत की प्यास मिटाने आऊंगा।
चाची के होश निकल गये। फिर मैंने चाची को बताया कि कैसे मैंने उनकी सारी बातें सुन ली थी। दरअसल रात में सुरज और रमेश का चाचू के साथ मिल कर छत पर दारु पार्टी का प्लान था। और वो दोनों चाचू की शराब की लत के बारे में जानते थे। चाचू को नशे में छत पर ही सुला कर चाची के साथ रमेश और सुरज ने चुदाई का प्लान बनाया था।
चाची: नहीं रे, वो रमेश के औजार में कुछ जान नहीं है, इसलिए वो दोनों एक बार गोली खा कर मेरी गांड मारेंगे। तू ऐसा ना कर। उन दोनों भड़वों से चुदने के बाद मेरे अन्दर बिल्कुल ही जान नहीं बचेगी।
चाची की मजबूरी मैं समझ सकता था, पर मैं भी अपनी प्यारी चाची की चूत फाड़ना चाहता था। मैं कुछ ना कहा और अपना लंड चाची के मम्मों के बीच में सहलाता रहा, और थोड़ी देर में झड़ गया। झड़ते हुए चाची चेहरे पर पूरा माल गिर गया, और चाची ने होंठों पर लगे गरम माल को अपनी जीभ से पूरा चाट लिया।
अब थक कर मैं चाची के ऊपर ही लेटा रहा, और चाची भी अपनी जगह से ना हिली। मैंने महसूस किया कि चाची की चूत गिली हो गयी थी। मैं चाची के ऊपर से उठा और चाची की चूत में अपनी सारी उंगलियों से खेलने लगा। चाची की चूत पर अपनी जीभ से सहलाने लगा। चाची सिसकियां लेने लगी, और मैंने अपनी रफतार बढ़ा दी, और जोर-जोर से अपनी जीभ से सहलाने लगा। फिर चाची ने अपना अंदर का माल पिचकारी की तरह मेरे पर निकाल दिया। चाची कपड़े पहन कर बाहर जाने लगी।
चाची: वाह रे, आज तक मुझे ऐसा आनंद नहीं मिला। तू बड़ा ही कमीना निकला।
मैं: आज रात को मैं आपकी चूत फाड़ के ही अपनी प्यास खत्म करने को एक बार फिर आपको चोदना है। रमेश और सुरज की चिंता आप ना करो।
चाची हैरान होते हुए मेरी तरफ देखने लगी। पर आखिरी बार मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा, और उनके होंठों पर एक लम्बी किस दी। फिर चाची अपने कपड़े लेकर चली गयी।
अब आगे की कहानी और लम्बी होगी। इसलिए मैं आपको अगले पार्ट में रमेश और सुरज के साथ चाची की चुदाई की कहानी बताऊंगा। इस कहानी की राय आप कमेन्ट में जरुर बताएं।
अगला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ चाची-3