Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-12

This story is part of the Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat series

    हलो दोस्तो जैसा आपने पार्ट 11 में पढ़ा कि पापा के गैरहाजरी में सरपंचजी हमारे घर आते है और मम्मी के साथ चुदाई के मजे लेते है।

    फिर दूसरे दिन सरपंचजीने मुझसे कहा कि वो जानते है कि मैंने उन दोनों की चुदाई देखी है और उन्होंने मुझे भी मना लिया। और मुझसे कहा कि पापा और ममी को पता नही चलना चाहिये कि मैं मम्मी और सरपंचजी के नाजायज रिश्ते के बारे में जानता हूँ।

    फिर सरपंचजी हमे मूवी दिखाने ले जाते है वहां थियेटर में ही मम्मी और सरपंचजी का रोमांस शूरु हो जाता है और इंटरवल में जब मैं वाशरूम जाता हूं तो कुछ लड़के ममी के बारे में बाते कर रहे थे और वो मम्मी को सरपंचजी की रंडी कह रहे थे।

    थियटर से बाहर आने के बाद हमे मीनाक्षी आंटी मिल जाती है मीनाक्षी आंटी सरपंचजी को और ममी को हाथो में हाथ डालकर चलते हुये देखती है। मम्मी से बातचीत करके पूछती है कि ये कौन है तो मम्मी सरपंचजी को मेरे चाचा यानी पापा के भाई की तोर पर मिलाती है ।

    मीनाक्षी आंटी के पति आर्मी में जॉब करते है और आंटी भी उनके यार विक्रम जो कि उनके पति के साथ आर्मी में ही काम करते है उनके साथ थियटर आयी हुयीं थी अब आगे –

    हम मीनाक्षी आंटी के साथ बात करके सरपंचजी के गाड़ी में बैठ गये मम्मी थोडी परेशान लग रही थी क्योंकि मम्मी को उनकी जान पहचान वाले किसीने सरपंचजी के साथ देखा था।

    फिर हम घर पहुंचे घर पहुंचते ही मम्मी बेडरूम में गयी और गाउन पहनकर बाहर आयी। सरपंचजी और मैं हॉल में ही बैठे थे सरपंचजी ने मम्मी की परेशानी को समझा और मम्मी के साथ बात करने किचन में चले गये।

    मैं भी उनके पीछे जाकर देखने लगा सरपंचजी ने मम्मी को पीछे से पकड़ लिया था और मम्मी के गर्दन को चूम रहे थे पर मम्मी सरपंचजी का साथ नही दे रही थी ।

    सरपंचजी ने मम्मी को कहा “क्यों परेशान हो रज्जो ? क्या हुआ मेरा यहां और रुकना तुम्हे पसन्द नही आ रहा क्या ?

    मम्मी : नही सरपंचबाबू ऐसी बात नही है

    सरपंचजी : तो क्या हुआ क्यों परेशान हो रही हो ??

    मम्मी : वो मीनाक्षी ने हम दोनो को देख लिया मुझे बहोत डर लग रहा है कि मनीष के पापा को उसने बताया तो

    सरपंचजी : नही बतायेगी वो तू चिंता ना कर

    मम्मी : क्यों नही बतायेगी ?

    सरपंचजी : वो किसके साथ आयी थी तुमने नही देखा क्या ?

    मम्मी : हां विक्रमजी के साथ उसके पति के दोस्त

    सरपंचजी : हां तो जैसे तुम पति के गैरहाजरी में मेरे साथ गयी थी वैसे वो भी उसके यार के साथ आयी थी

    मम्मी : अरे हां ये तो मैंने सोचा ही नही

    सरपंचजी : साली तुम दोनों सहेलियां चुदककड़ हो दोनो मिली वो भी गैरमर्दो के साथ हसने लगे

    मम्मी भी हसने लगी फिर मम्मी ने सरपंचजी को ग़ले लगा लिया फिर सरपंचजी के होठो पर होठ रख दिये और किस शूरु किया दोनो के होठ गीले हो गये थे फिर मम्मी को होश आया कि मैं भी घर पर हूं तो उन्होंने सरपंचजी को दूर किया और सरपंचजी को हॉल में जाने को कहा।

    फिर सरपंचजी हॉल में आ गये और मुझसे कहने लगे.. “देखा ना कैसे तेरी मा मेरे गले पड़ गयी और किस करने लगी ”

    मैंने कहा “हां ”

    फिर सरपंचजी ने मुझसे पूछा “बेटा एक बात बताओगे”

    मैंने हां में सर हिला दिया।

    सरपंचजी पूछने लगे “बेटा सच बताना ये रज्जो का मेरे अलावा किसी और के साथ भी चक्कर चालू है क्या?” ये सुनकर मुझे राजकुमार सर के बारे में ख्याल आया।

    मैं सरपंचजी को राजकुमार सर के बारे में बतानेही वाला था कि मुझे ख्याल आया कि अगर सरपंचजी को ये बात पता चली तो वो मम्मी को ब्लैकमेल करके उनके फायदे के लिये किसीसे भी चुदवा सकते है। इसलिये मैने नही कहा तो सरपंचजी खुश हुये तो मैंने भी सरपंचजी से कहा कि वो ऐसा क्यों पूछ रहे है ?

    तो सरपंचजी बोले ” जैसे तुम्हारी मम्मी मेरे ऊपर चढ़ती है मुझे चूमती है और मुझसे खुलकर चुदवाती है उससे मुझे ऐसा लगता कि ये तुमहारे मम्मी का पहला चक्कर नही है इससे पहले भी कोई होगा गैरमर्द ”

    मैंने कहा “नही सरपंच अंकल कोई नही था और रही बात चढ़ने की तो आप हो ही ऐसे हैंडसम और रुबाबदार की ममी आप पर फिदा हो गयी”

    ये सुनकर सरपंचजी पर खुद की मरदानगी पर गर्व महसूस होने लगा।

    फिर थोड़ी देर बाद हम लोगोने खाना खाया और टीवी देखने लगे कल मम्मी सरपंचजी से दूर बैठी थी। वो आज मेरे सामने सरपंचजी को चिपककर बैठी थी सरपंचजी ने मम्मी के कंधे पर हाथ रखा था।

    कोई अनजान आदमी घर आये तो उसको लगता की ये दोनों पती पत्नी ही है और मैं उनका बेटा फिर सरपंचजी ने मुझे इशारा किया और मैं नींद आने का नाटक करके बेडरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद मम्मी मेरे रूम में आयी और मुझे चेक करने लगी मैंने ऐसे दिखाया कि मैं बहोत गहरी नींद में हूं।

    फिर मम्मी सरपंचजी के पास हॉल में जाकर बैठी मैं चुपके से बेडरूम के दरवाजे से झांकने लगा तो देखा मम्मी सिर्फ ब्रा और पैंटी पर थी और सरपंचजी अंडरवियर पर। दोनों एकदूसरे से चिपककर टीवी देख रहे थे। सरपंचजी ने मम्मी के कंधे पर हाथ रखा था और वो मम्मी का कंधा सहला रहे थे और मम्मीने सरपंचजी के छातीपर हाथ रखा था और छाती के बाल सहला रही थी।

    धीरे धीरे सरपंचजी मम्मी के बूब्स दबाने लगे और मम्मी उनका हाथ सरपंचजी के अंडरवियर पर ले गयी थी और अंडरवियर के उपरसे ही लंड सहला रही थी।

    सरपंचजी ने मम्मी को लंड चूसने का इशारा किया मम्मी बिना शरम के सरपंचजी के सामने फर्श पर बैठ गयी और सरपंचजी सोफे पर बैठे थे।

    मम्मी सरपंचजी का लंड मुहमें लेकर उसे अपनी थूक से चमकाने लगी और चूसने लगी। जब भी मम्मी सरपंचजी का लंड चुसती तो मुझे लगता कि मम्मी सरपंचजी की गुलाम बन गयी है लंड चूसने के बाद मम्मी धीरे धीरे सरपंचजी के पेट पर चूमने लगी और सरपंचजी के नीप्पल पर जीभ फेर रही थी सरपंचजी मदहोश होकर मम्मी की हरकतो का मजा ले रहे थे।

    फिर सरपंचजी ने मम्मी को उनकी जांघोपर बिठाया और ब्रा का हुक खोला मम्मी के बदन पर अब कुछ नही था सरपंचजी के सामने मम्मी के चिकने बूब्स थे सरपंचजी ने मम्मी के बूब्स चुसना शुरू किया और हाथो से मम्मी की गांड सहला रहे थे।

    सरपंचजी मम्मी के निपल पुरे मुह में ले रहे थे और ऐसा चूस रहे थे जैसे बच्चा अपने मम्मी का दूध पीता है मम्मी भी सरपंचजी के सिर के बालों को सहला रही थी और सरपंचजी को इशारा दे रही थी कि उन्हें ये सब पसन्द आ रहा है।

    फिर सरपंचजी ने उसी पोज में मम्मी के चुत के अंदर लंड घुसाया और निचे से धक्के मारने लगे मम्मी भी उछलउछल कर सरपंचजी के लंड की सवारी कर रही थी। दोनो कामवासना में मग्न हो गये थे उनदोनो को जरा भी ध्यान नही था कि मैं उन्हें देख रहा हूं ।

    मम्मी की सिसाकरियो की आवाज और लंड की चुत पर की टकराने की फचफच आवाजो से सरपंचजी और भी उत्तेजित हो रहे थे और नीचे से जोरदार धक्के मार रहे थे मम्मी उनकी हर एक धक्के का समर्थन कर रही थी और सरपंचजी को चूमकर इस चुदाई का आनंद ले रही थी।

    थोड़ी देर बाद सरपंचजी और मम्मी दोनो झड़ गये और मम्मी सरपंचजी के शरीर पर गिर गयी मम्मी के आंखों में चरमसुख का आनंद नजर आ रहा था।

    सरपंचजी जैसा तगडा मर्द पाकर मम्मी खुश हो गयी थी और सरपंचजी मम्मी जैसी कामाग्नी से भरी औरत पाकर अपने आपको लकी समझ रहे थे।

    जब भी दोनो चुदाई करते तो ऐसा लगता कि दोनों एकदूसरे के लिये ही बने हो । फिर सरपंचजीने मम्मी को गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर दरवाजा बंद कर दिया।

    उस रात सरपंचजी ने हॉल में के चुदाई के बाद ना जाने बेडरूम में कितनी बार चोदा होगा पर अगली सुबह मम्मी की चलने की चाल और चेहरे पर की खुशी सब बयान कर रही थी कि सरपंचजी ने मम्मी को चरमसुख का अनुभव दिया है।

    अगले दिन सरपंचजी सुबह ही सरपंचजी हमारे घर से उनके गांव चले गये क्योंकि दोपहर को पापा आनेवाले थे अगर पापा और दो तीन दिन नही आते तो सरपंचजी मम्मी की और दो तीन दिन जरूर चुदाई करते।

    आज भी सरपंचजी जब भी मौक़ा मिलता है हमारे घर आते है और मम्मी की चुदाई करते है मम्मी ने अपनी गरम जवानी का राजकुमार सर और सरपंचजी के साथ मिलकर बहोत मजा लिया था।

    आज भी सरपंचजी और राजकुमार सर के साथ मम्मी का अफेयर चालू है और पापा को उसकी भनक तक नही है। मम्मी पापा के सामने इतनी संस्कारी औरत बनती है कि किसीको ना लगे कि यही औरत रंडी बनकर दो गैरमर्दो से चुदती है ।

    दोस्तो ये कहानी यही खत्म हो जाती है अगरआपको कहानी कैसी लगी ये मुझे email या hangout पर मेसेज करके जरुर बताइये और अगली कहानी के लिये कुछ सुझाव हो तो जरूर बताइये!

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