हैलो दोस्तों, मेरा नाम राजेश कुमार और मेरा परिवार मुम्बई महाराष्ट्र के एक गांव में रहता है। मैं कालेज में पढ़ता हूं। मेरी उम्र 22 साल, हाईट 5’11” है। मेरा रंग गेहुंआ, और शरीर तगड़ा तो नहीं पर मेरे पतले शरीर पर मेरा लंड 8.5 इंच लम्बा व 3.5 इंच मोटा बहुत बड़ा दिखाई देता है।
मेरी एक गर्लफ्रेंड प्रिया भी है। वो मुझसे 2 साल बड़ी और बहुत हाट है। शायद मुझसे इतनी जबरदस्त चुदाई की वजह से उसके चूचे और गांड एक-दम चौड़ी नयी-नयी भाभी की तरह हो गये है। उसका फिगर 35-28-36 होगा, जिसे मैं महीने में एक या दो बार ही चोद पाता हूं। पर जब भी उसे चोदता, तो उसे कितने दिन चलने में भी तकलीफ़ होती थी।
क्योंकि मेरा लंड लम्बा और ज्यादा मोटा है, जिसे लेने में एक बार को शादी-शुदा औरतों को भी दर्द हो जाये। और ऊपर से मैं कभी-कभी सेक्स पावर की गोली भी खाकर उसे चोदता था, जिससे मेरा लंड और बड़ा और सख्त हो जाता था। तो अब मैं सीधा कहानी पर आता हूं।
मेरे घर में हम चार लोग रहते है। मैं, मम्मी ज्योति (उम्र 42 साल) और उनका फिगर 38-32-40 होगा। चूची और गांड एक-दम कसी हुई, कहीं भी एक्स्ट्रा फेट नहीं। वो ज्यादातर घर या बाहर जाने के वक्त सूट और टाइट पजामी पहनती है। जिसमें उनकी गांड और बूब्स ज्यादा टाइट और बड़े लगते है।
जब वो चलती है तो उनके चूचे और चौड़ी गांड ऊपर-नीचे हिलती है, जिसे देख कर एक बूढ़े का भी लंड झटका खा जायें तो जवान लड़का क्या चीज है। उनके शरीर के बारे में जब तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था। मेरी मम्मी पढ़ी लिखी भी थी, और स्मार्टफोन लेपटॉप सब चला लेती थी। पर एक साधारण घरेलू महिला की तरह रहती थी।
तीसरे है मेरे पापा (उपेन्द्र, 45) जो एक कम्पनी में है, और जम्मू मैं रह कर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। वो 1 या 2 महीनों में ही घर आ पाते हैं, पर पापा जब भी घर आते है तो मम्मी को रोज रात में चोदते है। मैंने भी कई बार मम्मी पापा की चुदाई भी देखी है।
पापा मम्मी को लगातार 10-15 मिनट ही चोदते पाते, जिसमे मम्मी भी संतुष्ट हो जाती थी। पापा का लंड लगभग 6 इंच लम्बा व मोटा 2.5 इंच के करीब था। मैंने कई बार उनकी चुदाई देख कर मुट्ठी भी मारी। पर मम्मी के लिए मेरे दिमाग में चोदने या कोई ग़लत ख्याल नहीं था। मैं बस उनकी चुदाई देख कर उत्तेजित होकर मुट्ठी मारी लेता था। इससे ज्यादा कुछ करने का कभी मेरे मन में नहीं आया।
चौथे मेरे दादा जी (सुरेन्द्र, 65)। वो आर्मी से रिटायर होकर घर पर ही रहते हैं, और खेतों के काम में लगे रहते हैं, जिसके कारण उनका शरीर बिल्कुल हष्ट-पुष्ट है।
ये बात 1 साल पहले जनवरी महीने की है। जब ये बात शुरू होती है, वो रविवार का दिन था। दादा जी खेत में गये थे और मैं मम्मी के पास बैठा चाय पी रहा था। सुबह 10 बजे के करीब पापा का फोन आया तो मेरी मम्मी ने फोन उठाया और स्पीकर पर करके मैं और मम्मी पापा से बात करने लगें। पापा को गये हुए भी इस बार लगभग 1 महीना हो गया था। मैंने पापा को नमस्ते की और बात करने लगा।
पापा: बेटा तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं: अच्छी चल रही है। पर अभी छुट्टी चल रही है।
इतने देर में मम्मी बोली: ये पूरा दिन घर में रहकर मुझे ही तंग करता रहता है।
पापा: तो तुम दोनों कहीं घूमने, मूवी देखने चले जाया करो।
मम्मी: रोज-रोज ऐसे सही नहीं लगता। गांव में सब बातें बनाने लगेंगे। और बाबू जी क्या सोचेंगे?
पापा: तो तुम तीनों एक काम करो। मेरे पास जम्मू आ जाओ घूमने। मेरा भी मन लग जायेगा।
तभी बीच में मैं बोला-
मैं: सही कहा पापा, मैंने जम्मू देखा भी नहीं है। चलो ना मम्मी (मैं जिद करतें हुए कहने लगा)।
मम्मी: पर तेरे दादा जी नहीं मानेंगे। वो हर वक्त खेतों मैं लगे रहते हैं। पता नहीं रोज खेतों में क्या करते हैं?
पापा: उनसे मैं बात कर लूंगा। अगर वो नहीं भी आये तो तुम दोनों आ जाना।
मम्मी: ठीक है, आप ही बात करके मुझे बता देना।
मैं: पापा नेक काम में देरी कैसी? अभी दादा जी को फोन करके पूछ लो ना।
पापा: ठीक है, चलो पूछ कर दोबारा फोन करता हूं।
लगभग 5 मिनट बाद पापा ने फिर से फोन किया, तो मैंने फोन उठा कर स्पीकर पर डाला।
मैं: हैलो पापा, क्या कहा दादा जी ने?
पापा: वो तो घूमने जाने के लिए मना कर रहे हैं।
मम्मी: मैंने कहा था ना तेरे दादा जी नहीं मानेंगे।
तभी पापा बीच में बोले-
पापा: अरे वो खुद जाने के लिए मना कर रहे, उन्हें खेतों पर काम है। पर तुम दोनों को भेजने के लिए हां कर दी है।
मैं (खुशी में): ये तो बढ़िया है। तो पापा कब आना है बताओ?
पापा: मैं तुम दोनों के लिए ट्रेन में केबिन बुक कर देता हूं। ठंड बहुत है यहां। टिकट बुक करके बताता हूं किस दिन निकलना है।
पापा फोन कट कर देते है।
दोस्तों हमारे यहां से ट्रेन में जम्मू तक लगभग दो दिन लगते हैं। थोड़ी देर बाद मैं खाना खा कर खुश होता हुआ दादा जी के पास खेतों पर घूमने के लिए निकल गया। पर जब मैं वहां पहुंचा तो मुझे दादा जी कहीं दिखाई नहीं दिये। तो मैं निराश हुआ। पर जैसे ही थोड़ी आगे उन्हें ढूंढने लगा, एक-दो गन्ने के खेत पार करके मुझे कुछ सिसकारियों की आवाज सुनाई देने लगी, जो किसी औरत की थी। मैं चुपके से उस आवाज के पीछे गया तो वो गन्ने के खेत के अन्दर से आ रही थी। मैंने छुप कर देखा तो।
आआहहह थोड़ा आराम से करो। इस उम्र भी क्या खाते हो आआआह आआहहह मां आआआआहहहह थप थप जैसे चुदाई की तेज आवाज आने लगी। तभी मैंने देखा दादा जी की लुंगी और कच्छा उतरा हुआ था, और कोई औरत उनके आगे कुतिया बनी थी, और दादा जी उसे बहुत तेजी से चोद रहे हैं। जिसे देख कर मेरा लंड झटके के साथ खड़ा होने लगा।
जब मैंने उस औरत को देखा, तो पता चला वो कविता ताई थी, जिसकी उम्र लगभग 45 होगी। वो मेरी मम्मी से थोड़ी बड़ी और मोटी, व पेट निकला हुआ, व गांड और चूची भी थोड़ी भारी, पर मम्मी से कम गोरी थी। मम्मी का पेट सपाट व बड़ी चूची और चौड़ी गांड पूरी टाइट और गोल जैसे एक-दम नयी चुदी हुई भाभी हो, जैसे बिल्कुल मीना दुराज। दादा जी उसे लगातार चोद रहे थे।
कविता ताई: अआआहहह कितना मोटा लंड है आपका। जब भी लेती हूं तब ही मेरे चूत फाड़ देता है। ये सब सुन कर मेरा लंड भी पेंट के अन्दर ही झटके लेने लगा।
दादा जी कविता ताई की गांड पकड़ कर कभी उस पर थप्पड़ मारते तो कभी उसकी गांड में अंगूठा डालते जिससे वो कराह उठी।
कविता ताई: अआआआहह क्क्यया कर रहे हो? गांड भी मारोगे अब? आज गांड मत मारना, मेरा आदमी घर पर ही है।
इतने में दादा जी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर उसे सीधा जमीन पर लिटा लिया, जहां एक कपड़ा बिछा हुआ था। उनका लंड लगभग 7.5 इंच लम्बा व 3 इंच मोटा था। उसे लिटा कर दादा जी ने फिर से एक धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और तेज़ी से चोदने के साथ उसकी चूचियों को चूसने लगे।
कविता ताई: अआआहहह फाड़ दी, आराम से। रंडी मत समझो, आराम से अआआहहह क्या मजबूती है।
दादाजी: चुप साली। एक तू ही तो है जिससे मैं अपनी सारी हवस निकालता हूं। ले, ये ले।
वो और तेज़ी से चोदने लगे। बुढ़ापे में इतना जोश देख कर मैं भी दंग था। एक 45 साल की औरत उनके नीचे दर्द से कराह और सिसक रही कर अआआहहह मममारर दिया अआआहहह अअआआरराम से ककरोओ आह मममां धीरे रूको
कह रही थी।
तभी मेरे दिमाग में उनका विडियो बनाने का खयाल आया, जिससे मैं भी टाइम आने पर कविता ताई को चोद सकूं (हर चीज की विडियो बनाने का मुझे शौक़ भी है)। फिर मैं अपने मोबाइल से उनकी चुदाई का विडियो बनाने लगा। लगभग 5 मिनट और इसी तरह से चोदने के बाद दादा जी ने तेज़-तर्रार धक्के लगाने शुरू कर दिये शाय़द वो अब झड़ने वाले थे। पूरे खेत में थपथपथप अआआहहह धधीररे आआहहह की आवाजें आ रही थी। अगर कोई नजदीक आ जाता तो समझ जाता अन्दर जोरदार चुदाई हो रही है।
2 मिनट की चुदाई के बाद दादा जी झड़ कर कविता ताई के उपर लेट गए। फिर मैं रिकार्डिंग बंद करके वहां से निकला और सीधा घर पर आ कर अपने बाथरूम में गया और मुट्ठी मारी, तब जाकर मेरा लंड शान्त हुआ। जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो मम्मी ने मुझे आवाज दी और पूछा-
मम्मी: कहां गया था? मैं तेरा इंतज़ार कर रही थी।
मैं: खेतों पर गया था दादा जी के पास, पर वो वहां नहीं थे।
(मैं मम्मी को नहीं बता सकता था दादा जी उनकी ही उम्र की कविता ताई को ताबड़तोड़ चोदकर उनकी चीखें निकलवा रहे थे।)
मम्मी: आ जायेंगे, कहीं काम से गये होंगे। अच्छा सुन, तेरे पापा ने हमारा 1st ए.सी. कूप केबिन बुक कर दिया है।
मैं: अच्छा, (खुश होते हुए) कब जाना है मम्मी?
मम्मी: कल शाम 7 बजे की ट्रेन है। तो 4:30 पर निकल जायेंगे।
मैंने खुश होते हुए मम्मी को गले लगाया और जाने की तैयारी करने को कहां। फिर वहां से जाते हुए मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को फोन लगाया और उससे कल सुबह मिलने को कहां। ताकि जाने से पहले मैं उसे चोद सकूं और फिर 10-15 दिन आराम से घूमूं। पहले तो वो मना करने लगी, पर फिर मैंने थोड़ा जोर दिया तो मान गयी।
रात तक हमने सारी तैयारियां करके खाना खाकर सो गये। फिर अगले दिन सुबह 8 बजें मेरी आंख खुली, तो मैं जल्दी से फ्रेश होकर मम्मी से नाश्ते को कहां और उनसे बोला-
मैं: मम्मी मुझे थोड़ा काम है, इसलिए मैं अभी निकल जाऊंगा और आपको रास्ते में मिल लूंगा।
मम्मी: अब कौन सा काम आ गया और इतना सामान को लाएगा?
अब मम्मी को कैसे बताता कि मुझे चूत मारने जाना था, ताकि मेरा लंड कुछ दिन कंट्रोल में रहे।
मैं: मेरा कालेज का प्रोजेक्ट है और मम्मी मैंने स्टेशन तक गाड़ी बुक कर ली है, आप उसमें आना।
फिर मैंने नाश्ता किया और वहां से 9:30 बजे निकल गया। और रास्ते में मेडिकल स्टोर से 2-2 गोली होर्स पावर (इससे आधा इंच तक लंड लम्बा और मोटा हो जाता है।) व अनवांटेड 72 की दवाईयां ली। मैं 11 बजे तक तय की गयी जगह पर पहुंच गया और प्रिया का इंतजार करने लगा। एक घंटा इंतजार करने के बाद उसे मैंने काल किया और बोला-
मैं: हैलो, कहां तक पहुंची तुम?
प्रिया: वो अचानक नानी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई है, तो मुझे मम्मी के साथ आना पड़ा।
मैं: क्या यार, तुम मुझे बता भी सकती थी। मैं तुम्हारा बहुत देर से इंतजार कर रहा हूं। तुम्हें पता है शाम को निकलना भी है।
प्रिया: सब अचानक हुआ तो जल्दबाजी में हो गया, साॅरी!
मैं: चलो ठीक है, बाय।
फिर फोन कट कर दिया। मेरा मूड खराब हो गया था और शाम तक इधर-उधर घूमता रहा। शाम 5:30 बजे करीब मम्मी गाडी में आयी और फिर हम स्टेशन के लिए निकल पड़े हम साढ़े छः बजे तक स्टेशन पहुंचे और ट्रेन का इंतजार करने लगे और मैं अपने फोन में लग गया। वहीं साइड की बेंच पर एक 27-28 साल का लड़का और लगभग 35 साल की महिला अपने बच्चे के साथ बैठी और वो साड़ी पहने हुए एक-दम कड़क लग रही थी।
अगले पार्ट जल्दी ही आयेगा। अगर आपको स्टोरी अच्छी लगे तो कमेंट और ईमेल [email protected] पर करके सेक्स सलाह ले सकते और मुझसे बात कर सकते हैं।