अगर मुझसे मोहब्बत है-28 (Agar mujhse mohobbat hai-28)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    चलो एक खेल हम खेलेंगे गैरों से चुदाई का।

    मिलन गैरों से, अपनों से समा होगा जुदाई का।

    मैं चोदूँ उसकी बीवी जैसे वह मेरी अमानत है।

    तू चुदवा लंड से उसके अगर मुझ से मोहब्बत है।

    जैसे रीता चिल्लाती गयी सूरज की आँखों में खून की गहरी लालिमा और बढ़ने लगी। सूरज के सख्त तगड़े लंड की नस-नस में सूरज का वीर्य फुंफकारने लगा। सूरज अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था। फिर भी कहीं ना कहीं सूरज के जहन में एक हिस्सा था जो उसे रोक रहा था।

    वह जानता था कि अगर उसने रीता की चूत में अपना पूरा लंड जैसे रीता चाहती थी वैसे बेरहमी से घुसा दिया, तो सूरज के लंड की मोटाई और लम्बाई के अनुसार रीता की चूत फ़ैल नहीं पाएगी। जिसके कारण रीता की बेहोशी तो तय थी। पर रीता की चूत की त्वचा फट सकती थी, और आतंरिक खून रिसाव के कारण रीता की जान को भी खतरा हो सकता था।

    सूरज हालांकि अपना लंड रीता की चूत में घुसाते रहने के लिए मजबूर था। फिर भी वह इस बात से सतर्क था कि रीता की चूत की त्वचा फ़टे नहीं, और कैसे भी करके सूरज का लंड अंदर जा सके। इसलिए सूरज अपना लंड रीता की चूत में अंदर बाहर करता रहता था, ताकि रीता को लगे कि सूरज उसे चोद रहा था। और ऐसा ना लगे कि सूरज उस पर कोई रहम कर रहा था।

    सूरज चाहता था कि जब सूरज का लंड बाहर निकला हुआ हो, तब तक तो रीता की चूत को राहत मिले, और रीता की चूत की त्वचा को फ़ैलने का मौक़ा मिलता रहे। सूरज के लंड के अंदर-बाहर आते-जाते रहने के कारण तेल भी रीता की चूत में फैलता रहे जिससे घर्षण कम हो।

    मुझे और किरण को बड़ा आश्चर्य हुआ कि सूरज के उस महाकाय लंड को रीता अपनी चूत में लेती जा रही थी। हालांकि सूरज का आधा लंड ही रीता की चूत में घुसा हुआ था। पर यह भी मेरे हिसाब से एक तरह का वर्ल्ड रिकॉर्ड था।

    मुझे नहीं लगता था कि रीता की नाजुक चूत सूरज के लंड का टोपा भी पूरी तरह से अपने अंदर ले पाएगी। शायद यह रीता की मानसिक हिम्मत और सहनशीलता का ही कमाल था। कहते हैं कि शारीरिक से कहीं ज्यादा मानसिक शक्ति शरीर को ताकत देती है।

    सूरज रीता की चूत को एक लय के साथ चोदने लगा था। शायद रीता की चूत की सूरज के लंड के ऊपर जबरदस्त सख्त पकड़ के कारण सूरज रीता को चोदने में ज्यादा आनंद और उत्तेजना महसूस कर रहा था। सूरज अपना लंड मुश्किल से अंदर डाल पाता था। तो उतना ही मुश्किल लंड को रीता की चूत में से खींच कर बाहर निकालना होता था। इसका कारण शायद यह था कि रीता धीरे-धीरे यह नहीं चाह रही थी कि सूरज का लंड उसकी चूत में से बाहर निकले।

    अपने प्रियतम से चुदाई का आनंद यह स्त्री की अमूल्य सौगात है, और यह चुदाई जितनी देर ज्यादा चले प्रियतमा उतना ही अधिक आनंद पाती है। इसीलिए जब पुरुष जल्दी झड़ जाने के कारण अपनी प्रमिका को ज्यादा देर चोद नहीं पाता, तो प्रेमिका को बिल्कुल आनंद नहीं आता।सूरज की चुदाई से रीता को असहनीय दर्द होते हुए भी उसको भी पछाड़ दे ऐसा उत्कट उन्माद, और चूत में एक गजब की त्सुनामी सी उमंग की बाढ़ महसूस हो रही थी।

    रीता की चूत में भी धड़कते दिल की धड़कन की तरह बिजली के झटके सी फड़कन हो रही थी। उस फड़कन को सूरज अपने लंड की रीता की चूत द्वारा सख्त जकड़न के कारण आसानी से महसूस कर रहा था। वह फड़कन रीता की चूत की कामुक दशा और उसके बदन में फड़क रही कामाग्नि को दर्शाता था। कई हफ़्तों से कहीं ना कहीं रीता के मन में सूरज से चुदाई करवाने की दिली तमन्ना पनप रही थी। वह साकार होने पर जो उन्माद रीता के दिमाग को पागल सा बना रहा था, उसका अहसास रीता सूरज के लंड के अंदर-बाहर जाने के घर्षण से पैदा हो रहा था।

    सूरज जब अपना लंड एक धक्का मार कर रीता की चूत में पेलता था, तो ऐसा दिखता था जैसे सूरज सिर्फ अपना लंड ही नहीं। उसका पूरा बदन यहां तक की उसकी कमर, गांड तक रीता की चूत में चले जाते हों। ऐसा तगड़ा धक्का पेलता था। रीता पूरी सिर से पांव तक हिल जाती थी। रीता के स्तन और रीता की गांड के गाल तक हिल जाते थे। रीता लेटी हुई होने के कारण धक्का लगने पर पलंग पर कभी इधर तो कभी उधर खिसकती रहती थी। पर फिर भी रीता की सख्त छोटी चूत में सूरज का लंड थोड़ा घुस कर रुक जाता था। ज्यादा घुस नहीं पाता था।

    रीता की चूत के अंदर की आगे की त्वचा इकट्ठा हो जाती और रीता को बहुत ज्यादा दर्द देती थी। सूरज रीता का दर्द अच्छे से समझ सकता था। पर रीता की चीखें सूरज को रोकने या टोकने के बजाये उसे ज्यादा जोर से ठोकने के लिए ही कह रही थी। चीख कर भी सूरज को और ज्यादा जोर से चोदने के लिए ही कहती रहती थी। सूरज भी समझ नहीं पा रहा था कि भगवान ने इस औरत को किस मिट्टी से बनाया था। यह औरत इतना दर्द कैसे झेल लेती थी।

    धीरे-धीरे सूरज का लंड रीता की चूत में घुसता जा रहा था। रीता की जोरदार चीखें धीरे-धीरे कराहट का रूप ले रही थी। सूरज के लंड के रीता की चूत में हरेक धक्के के साथ-साथ रीता की एक कराहट भी निकल जाती थी। सूरज का लंड रीता की चूत में जो उन्माद पैदा करता था, वह रीता एक तगड़ी कराहट के रूप में बाहर निकालती थी।

    बाहर बैठे सुनने वाले को तो यही लगेगा जैसे अंदर कोई लड़की लॉन टेनिस खेलते हुए हरेक शॉट पर चीख रही हो। सूरज के बदन से हरेक धक्का जो सूरज का लंड रीता की चूत में थोड़ा और गहराई में घुसने में कामयाब होता नजर आ रहा था। वह रीता की कामाग्नि को और बढ़ा देता था। रीता की चूत में से निकली यह चुदाई की कामाग्नि रीता के दिमाग तक को तरबतर कर देती थी। रीता को समझ में आ रहा था कि क्यों हर औरत को चुदवाने के लिए तगड़े लंड की ही अपेक्षा होती है।

    सूरज का लंड जरूर रीता को उसकी नानी याद दिला रहा था। पर साथ-साथ में वह दर्द भी उसे बहुत ज्यादा प्यारा और मीठा लग रहा था। उपर वाले ने भी पता नहीं इंसान के लंड और चूत में क्या स्वाद भर दिया है?

    किरण और मैं इस तरह की किरण की सूरज द्वारा तगड़ी चुदाई देखते ही रह गए। सूरज का चिकनाहट से लथ-पथ लंड रीता की चूत में कभी अंदर जाता, तो कभी बाहर आते इतनी प्यारी आवाज कर रहा था कि कुछ देर तक तो हम अपनी चुदाई पर ही ध्यान देना भूल गए, और सूरज के लंड को रीता की चूत में अंदर-बाहर होते हुए देखते ही रहे।

    किरण इसके कारण मुझसे कुछ नाराज होती हुई रूठ कर बोल उठी, “तुम्हारे ठीक नीचे एक नंगी औरत तुम्हारी बीवी जितनी खूबसूरत भले ना हो पर उतनी बुरी भी नहीं है। वह तुमसे चुदने के लिए तुम्हारे लंड का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अगर तुम अपनी बीवी की चुदाई करवाने से फारिग हो गए हो तो अब उसकी चुदाई भी करो।”

    किरण की बात सुन कर रीता और सूरज ने भी हमारी और देखा। सूरज के लंड के धक्कों से कराहती हुई रीता उस हाल में भी कुछ पलों के लिए किरण की बात सुन कर मुस्कुरा दी। सूरज ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे एक धक्का मार कर किरण को चोदने के लिए प्रेरित किया।

    मैं उसी शाम स्विमिंग पूल की क्लब में किरण की चूत अच्छी तरह से चाट चुका था, और किरण भी मेरा लंड बढ़िया तरके से चूस चुकी थी। किरण ने मेरा लंड अपने हाथों में लेकर हिलाते हुए उसे धीरे से अपनी चूत पर रखा। इससे पहले सूरज से रीता की चुदाई देखने में मशगूल हो कर कुछ देर के लिए मैंने किरण की चूत से अपना लंड निकाल लिया था। तब फिर मैंने किरण की चूत की पंखुड़ियों को हटाते हुए किरण के प्रेमछिद्र में मेरे लंड को एक ही झटके में घुसेड़ दिया।

    रीता और सूरज की गुत्थम-गुत्थी के मुकाबले मेरा लंड किरण की चूत में वैसे घुस गया जैसे मक्खन में छुरी घुस जाए। मैंने घुटनों के बल किरण के ऊपर सवार हो कर अपने लंड से किरण की गुलाबी चूत को चोदना फिर से शुरू किया।

    पता नहीं क्यों, अपनी बीवी कितनी भी खूबसूरत क्यों ना हो, हमें दूसरों की बीवी अगर थोड़ी सी भी ठीक-ठाक हो, तो हमारी बीवी से हमेशा ज्यादा खूबसूरत लगती है। मौक़ा मिलने पर हम उसे छेड़ने या चोदने की इच्छा भी रखते हैं।

    हालांकि किरण कोई साधारण सी खूबसूरत औरत नहीं थी। वह तो माशाअल्ला बड़ी ही खूबसूरत थी। किरण की चूत का रसीलापन मुझे उस रात को अनुभव करने को मिला।‌

    जिस तरह से किरण मेरी चुदाई के साथ-साथ अपनी गांड हिलाती हुईं मेरी चुदाई का जवाब दे रही थी, वह एक अनूठा अनुभव था। जब हम हमारी बीवी को दिन-ब-दिन चोदते रहते हैं तो वह अनुभव हमारे लिए और हमारी बीवी के लिए भी कोई नया या अनूठा नहीं होता।

    हम हमारा लंड बीवी की चूत में डाल कर थोड़े धक्के मार कर अपना वीर्य निकाल कर बीवी से अलग हो जाते हैं। उसी तरह हमारी बीवी भी कुछ धक्कों को बर्दाश्त कर हमें जाने देती है और हमारा काम ख़तम हो जाता है। वह एक व्यायाम होता है।

    पर जब हम कोई नयी चूत चोदते हैं या हमारी बीवी कोई नया लंड लेती है, तो वह तो पूरा अनुभव ही एक अलग आयाम होता है। कहते हैं कि “अपनी बीवी को चोदना बस व्यायाम होता है। नयी चूत चोदें तो नया आयाम होता है।”

    हालांकि रीता मुझसे बड़े चाव से चुदवाती थी। पर वह सालों साल का पुराना चोदने और चुदवाने का रवैया, वही घिसी पीटी बात-चीत, वही एक-दूसरे से सामाजिक खींचा-तानी और गुत्थम-गुत्थी चुदाई के मजे को किरकिरा कर देती थी। किरण को चोदना मेरे लिए एक ऐसा अनूठा अनुभव था, जिसका मैं शब्दों में नहीं वर्णन कर सकता।

    किरण का मेरे लंड उसकी चूत में डालने पर जो सिहरन करना और मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उसे प्यार से सहलाना। उस लंड को बड़ी ही शिद्द्त से पहले चाटना। फिर उसको अपनी जीभ से छूते हुए होंठों को पूरे लंड के ऊपर लपेट कर चूमना, चूसना इत्यादि।

    स्विंमिंगपूल क्लब में जब मुझे किरण की चूत चाटने का मौक़ा मिला, तब मुझे उसकी चूत चाटने में बड़ा ही मजा आ रहा था। किरण की चूत में से रिस रहा उसका स्त्रीरस बड़ा ही स्वाद था। मैं दुबारा किरण की चूत चाटना चाहता था।

    मैंने किरण की टाँगें चौड़ी कर मेरा मुंह किरण की चूत के पास ले जा कर मेरी जीभ से उस दिन एक बार फिर मैं किरण की चूत में से रिस रहा रस चाटने और पीने लगा। किरण के लिए इस तरह मेरी जीभ से उसकी चूत पर हो रहा यह कार्यकलाप बड़ा ही रोमांचक साबित हो रहा था। मैंने महसूस किया की किरण का रोम रोम मेरी चूत चटाई से कांपने लगा था।

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