अगर मुझसे मोहब्बत है-22 (Agar mujhse mohobbat hai-22)

This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series

    अभी हम अपनी बीवी को ही चोदेंगे नजाकत से।

    नजर दूसरे की बीवी पर भी डालेंगे शराफत से।

    मगर दिल में उसी को चोदने की ही शरारत है।

    वह चोदे मेरी बीवी को अगर मुझ से मोहब्बत है।

    रीता ने मेरी और देखते हुए कहा, “फिर? किरण ने तो आज रात यहीं ख़त्म कर दी। तुम जाओ और किरण को याद दिलाओ की क्या तय हुआ था।” मैंने मन ही मन मुस्काते हुए देखा कि हालांकि रीता मेरा हाथ थामे मेरे साथ चल पड़ी थी, पर वह खुश नहीं थी। आज शायद रीता ने सूरज से चुदवाने का मन बना लिया था। पर किरण ने रीता की उम्मीद पर ठंडा पानी फिरा दिया था।

    मैंने कहा, “रीता एक बात पूछूं? ठीक है मैं सूरज जितना हैंडसम नहीं, पर क्या आज के तुम्हारे जन्म दिवस पर तुम मुझे तुम्हारा हर साल वाला तोहफा नहीं दोगी? तुम तो बस सूरज के बारे में ही बात कर रही हो।”

    रीता ने अपने आप को समभाला। उसे लगा कि मैं उसके रवैये से कुछ आहत हुआ था। उसने हंसने की कोशिश करते हुए मेरी और मुड़ कर बोला, “तुमने ही मुझे सूरज से चुदवाने के लिए इतना उकसाया और अब यह हुआ। खैर इसमें गलती मेरी है कि मैंने ऐसे रूल के लिए आग्रह किया।

    आज बिल्कुल तुम्हारी बारी है। अब तो सूरज और किरण के साथ वाली यह शाम यही ख़तम होने जा रही है। तो हर साल की तरह इस साल भी मैं तुम से खूब बढ़िया तरीके से चुदवाउंगी और वह सब करुंगी जो तुम चाहते हो।”

    मैं और मेरी पत्नी जैसे ही हमारे कमरे में पहुंचे, तो मैंने रीता को कमरे का दरवाजा बंद करने का भी मौक़ा तक नहीं दिया। मैंने उसे फौरन अपनी बाहों में उठाया, और बिना कुछ देर किये उसे नंगी कर पलंग पर लिटाया। रीता एक नग्न परी जैसी दिख रही थी।

    मैं मेरी पत्नी को इतने सालों से हमारे बैडरूम में नंगी देखता आया हूं, पर उसे नंगी देखते हुए मेरा मन कभी नहीं भरा। मेरी इस तरह की जल्दबाजी देख कर रीता हस कर बोली, “क्या बात है जी? तुम भले ही मुझे कहते ना हो, पर मैं जानती हूं तुम मुझे चोदते वक्त हर बार मुझे किरण समझ कर ही चोदते हो। क्या आज भी मुझे किरण समझ कर ही नंगी कर रहे हो?”

    मैंने जवाब में मेरी बीवी की जांघों को अलग कर उनके बीच में रीता की कोमल सी गुलाबी चूत की पंखुड़ियों को चूमते हुए कहा, “मैं आज तुम्हें किरण नहीं, किरण से कई गुना खूबसूरत रीता ही समझ कर चोदूंगा। क्योंकि आज मैंने तुम्हें एक खूबसूरत औरत से एक अति खूबसूरत सेक्सी औरत के रूप में बदलते हुए देखा है।

    हर बार तुम चुदाई के मामले में कभी भी इतनी उत्सुक और खुले दिल की नहीं हुई। आज तुमने मेरे सामने सूरज के ग्रुप में ना सिर्फ शामिल होने के लिए हामी भरी पर आज तुमने सूरज से चुदाई के लिए भी तत्परता दिखाई। मैं उसके लिए तुम्हारा तहे दिल से शुक्रगुजार हूं, क्यूंकि मैं जानता हूं की भारतीय नारी कितनी मुश्किल के बाद ही अपनी लाज और मर्यादा का त्याग कर किसी गैर मर्द से चुदवाने के लिए राजी होती है।”

    मेरी बात सुन कर रीता बहुत खुश हुई और अपने पांव चौड़े कर बोली, “आज मेरी चूत तुम्हारे चाटने, चूमने और चूसने के लिए बड़ी ही उत्सुक है। आज हम अपनी इस रात को हमारी सुहाग रात से भी बेहतर मनायेंगे।”

    मेरी पत्नी का आदेश मेरे सर आंखों पर था। मैं फौरन मेरी बीवी की चूत से रिसते हुए रस का रसास्वादन करने लगा। मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिए, और मेरा लंड रीता की खूबसूरत चूत को देख कर अनायास ही फौलाद की छड़ जैसा सख्त हो चुका था।

    रीता का स्त्री रस उस रात को मुझे इतना स्वाद लग रहा था जितना पहले कभी नहीं लगा। शायद इसका कारण यही था कि रीता उस दिन पहले से कहीं ज्यादा सेक्सी और कामोन्माद में मस्त लग रही थी। मेरे उसकी चूत चाटने से रीता पलंग पर पलटती हुई मचलने लगी।

    कुछ देर तक रीता की चूत चाटने और उसका स्त्री रस पीने के बाद रीता बैठ खड़ी हुई, और मेरा लंड अपनी हथेलियों में लेकर उसे हिलाती हुई उससे खेलती हुई बोली, “तुम्हारा लंड भी देखो कितना सख्त और बड़ा हो गया है। उसमें से तुम्हारा पुरुष रस भी बूंद दर बूंद निकल रहा है। आज वह मुझे चोदने के लिए वाकई में बड़ा उत्सुक दिख रहा है।”

    मैंने रीता के हस्तमैथुन का आनंद लेते हुए कहा, “अब चलो भी इसे चूम कर थोड़ी वी आई पी ट्रीटमेंट भी तो दो उसको?”

    “क्यों नहीं?” कहती हुई रीता ने मेरा लंड आसानी से अपने मुंह में ले कर उसे धीरे-धीरे ऊपर नीचे कर उसे ओष्ट मैथुन का आनंद देना शुरू किया। रीता की इस हरकत से मेरा लंड और बड़ा हो गया और मेरे पूरे बदन में एक बिजली का झटका सा लगा।

    मैं भी रीता की ही तरह पलंग पर मचलने लगा। जब वह मन से चाहती थी तो लंड चूसने की कला में रीता एक-दम निष्णात थी। वह मेरे लंड से अपने मुंह को ऐसे चुदवाती थी कि मैं पागल हो जाता था। पर साधारणतः उसे लंड चूसना ज्यादा पसंद नहीं था।

    मुझे उस रात लगा कि‌ रीता काफी उत्तेजना में थी, क्यूंकि रीता अक्सर मरा लंड चूसते हुए शिकायत करने लगती थी कि वह थक गयी है। पर उस रात रीता ने काफी देर तक मुझे औष्ट मैथुन का जबरदस्त आनंद दिया। उसके बाद वह मुझसे तगड़ा चुदवाना चाहती थी।

    रीता मेरे सामने पलंग के नीचे उतर कर अपने दोनों हाथों को पलंग के एक छोर पर टिका कर वह अपनी गांड मेरी और कर खड़ी हो गयी। मैं क्या बताऊं? उस समय मेरी रीता इतनी ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत लग रही थी, कि मैं वाकई में अपने भाग्य को सराहने लगा था।

    मैं हमेशा से शादी के समय से ही मेरी बीवी की सुंदरता और नज़ाकत का कायल था। मैं मेरी पत्नी की कोमलता बनी रहे इसलिए उसे चोदते हुए भी सम्हाल कर चोदता था, जिससे मेरी सुकोमल पत्नी आहत ना हो या उसकी सुंदरता और कोमलता में कोई फर्क ना पड़े।

    अपना लंड भी धीरे-धीरे रीता की चूत में घुसेड़ता और उसे हल्के-हल्के धक्के मार कर चोदता। रीता भी मेरी इस सावधानी को समझती थी, और उससे खूब प्रसन्न होती थी। यूं समझिये कि मैं अपनी पत्नी को जैसे एक कीमती कांच का बर्तन हो उस तरह उसे चोदता था।

    रीता ज्यादातर मुझे ऊपर सवार हो कर मिशनरी पोजीशन में चुदवाने से खुश रहती थी। जब रीता कोई कारणवश सेक्सुअली ज्यादा उत्तेजित हो जाती थी, तब वह घोड़ी बन जाती थी, और मुझसे पीछे से लंड डलवा कर चुदवाती थी। वह जानती थी कि मुझे उस पोजीशन से रीता को चोदना ज्यादा पसंद था। उस वक्त जब वह सेक्सुअली ज्यादा उत्तेजित होती थी, तब रीता मेरा लंड भी चूस लेती थी, और अपनी चूत जरूर चटवाती थी।

    रीता की गांड मैंने कभी नहीं मारी, क्योंकि रीता गांड मरवाना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह कहती थी, “गांड मारना अकुदरति है। वह भी एक स्त्री की गांड क्यों मारनी? जब इतनी बढ़िया चूत स्त्री दे रही है तो? गांड तो मर्दों की भी होती है। गांड ही मारनी है तो स्त्रियों के पास क्यों आते हो? गांड मारने से स्त्रियों को बहुत तकलीफ होती है और चुदाई का मज़ा भी नहीं आता।”

    इसी कारण मैंने कभी रीता की गांड नहीं मारी। गांड मारना मेरे सिद्धांत के भी विपरीत था। मैं भी मानता था कि गांड मारना औरतों के प्रति क्रूरता का प्रतीक है। जब मैं रीता को घोड़ी बना कर चोदना चाहता था तब तब रीता मुझे पूछती थी कि कहीं मैं मेरा लंड उसकी गांड में डालने की कोशिश तो नहीं करूंगा ना?

    रीता की गांड काफी गोलाई में भरी हुई और सुडौल थी। गांड के दोनों गाल एक-दम गुलाबी रंग के और करारे थे जिसके बीच रीता के गांड के बीच की दरार रीता की गांड की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती थी। रीता के स्तन जो उसके आगे झुके होने के कारण लटक रहे थे, वह लटकते हुए भी दूसरी औरतों के स्तन की तरह झूल नहीं रहे थे, बल्कि जैसे रीता खड़ी हो उसी तरह अल्लड़ दिखते हुए उच्छृंखलता से उद्दंड सख्ती से खड़े हुए थे।

    मैंने अपना लंड रीता की खुली हुई जांघों के बीच में केंद्रित किया, और रीता की चूत की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से दोनों तरफ हटा कर एक हल्का सा धक्का मार कर उनके बीच में से उसे रीता की चिकनी चूत में घुसा दिया।

    एक हल्की सी सिसकारी मार कर रीता ने पीछे मुड़ कर थोड़ा सा मुस्कुराते हुए मुझे देखा। वह मेरे लंड के उसकी चूत में प्रवेश होने से अपनी प्रसन्नता जाहिर कर रही थी।

    रीता की एक ख़ास खूबी थी। मैं जब जब भी उसे चोदता था, तो रीता हमेशा मुझे जताने से ना चुकती थी कि वह मेरी चुदाई से कितना ज्यादा खुश हो रही थी। कभी कामुकता भरी आहों से तो कभी “बहुत बढ़िया चोद रहे हो तुम, मजा आ रहा है, और चोदो मुझे” कह कर वह मेरा हौसला बढ़ाती रहती थी।

    उस रात भी रीता बार-बार कामुक सिसकारियों से आवाजें निकालती हुई कराह रही थी। रीता की कराहटें हमारे रूम में गूंज रही थी। मुझे रीता को इस तरह चोदने में उस दिन बड़ा मज़ा आ रहा था।

    रीता ने एक बार मुड़ कर मेरी आंखों में आंखें मिला कर कुछ सहानुभूति जताते हुए पूछा, “मैं जानती हूं, आप इस वक्त मेरी जगह किरण को चोदना चाहते थे। पर क्या करूं, मैं ही ऐसी बेवकूफ निकली कि मेरे ही बनाये हुए रूल के कारण आप को किरण को चोदने से वंचित कर दिया।

    अब आज आप को मुझे ही किरण समझ कर चोदना पड़ेगा। फिर जब आगे आपको मौक़ा मिलेगा तब आप किरण को जरूर चोदना। मैं ना आपको रोकूंगी ना टोकूंगी।”

    मैंने मेरी पत्नी को अपनी बांहों में भर लिया। रीता की सहानुभूति और समझ के देख मेरी आंखें भर आयी। मैंने रीता की बात का जवाब देते हुए कहा, “रीता, अफ़सोस तो मुझे हो रहा है। तुम अब जान ही गयी हो कि मेरी बड़ी ही तगड़ी इच्छा है कि तुम सूरज के तगड़े लंड से चुदवाओ। आज हमारे पास बहुत ही बढ़िया मौक़ा था और माहौल भी था। पर पता नहीं यह रूल की बात कहां से आ टपकी। सारा मजा किरकिरा कर दिया। आज की रात बेकार हो गयी।”

    मेरी बात खत्म भी नहीं हुई थी और मेरा लंड रीता की चूत में ही जमा हुआ था कि हमारे बिल्कुल पीछे से किरण की आवाज सुनाई दी, “अभी आज की रात ख़त्म नहीं हुई। अभी तो पार्टी शुरू हुई है। क्या यार रीता और राज! तुम लोगों में इतना धैर्य भी नहीं है? कुछ देर के लिए भी नहीं रुके? यह काम तो तुम्हें हमारे सामने एक साथ करना था।

    तुम तो यहां ही हमारा इंतजार किये बिना ही शुरू हो गए। पर सब से पहले तो रीता तुमने अपना बनाया हुआ रूल तोड़ा है। तुमने कहा था कि हमारे पति आज रात हम को एक-दूसरे के सामने चोदेंगे। हमने यह तय नहीं किया था कि हम अपने पति से चुदेंगे। अब तुमने अपने पति से चुदाई ही शुरू कर दी। ऊपर से तुम मुझे अपने पति से चुदवाने की बात कर रही हो। तुम ही सारे रूल तोड़ रही हो। यह ठीक नहीं है। इसकी सजा होगी।”

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