दीदी का देवर-3 (Didi Ka Devar-3)

पिछला भाग पढ़े:- दीदी का देवर-2

मेरा नाम रिया पंडित है। मैं अभी 22 साल की हूं, और BA फर्स्ट ईयर में पढ़ाई कर रही हूं। अब तक आपने पढ़ा कि मैं जान चुकी थी, कि दीदी अपने देवर के साथ चुदाई की मजे लेती थी, जब जीजू घर पर नहीं होते थे। उसके बाद आगे।

मैं दीदी के पास लेटी हुई थी, और दीदी फोन चला रही थी। फिर दीदी ने फोन को साइड में रखा, और मेरे पास मुझसे सट कर बोली-

दीदी: कैसा लगा मेरी बहन को मेरे देवर से चुदवा कर?

मैं पूरी तरह से शर्मा गई, और अपने सर को तकिए से छिपा ली। दीदी मुझे शरमाते हुए देख कर हंसती हुई मेरे चूचियों को मसलने लगी, और बोली-

दीदी: अच्छा तो अब मेरी बहन को मेरे देवर से चुदने के बाद शर्म आ रही है।

और दीदी मेरी चूचियों को मसलने लगी। उसके साथ ही मेरी गर्दन और कान के पास चूमने लगी। मैं उनकी हरकत से गर्म होने लगी, और फिर मैं उनकी तरफ पलटी। तब उन्होंने मेरे गाल को सहलाते हुए मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया। हम दोनों की चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी। दीदी और मैं एक-दूसरे के होठों को चूस रहे थे।

दीदी मेरे होठों को चूसते हुए मेरे चूचियों को मसल रही थी और मेरी गांड को दबा रही थी। मैं दीदी की गांड को दबाते हुए उनकी पीठ को सहला रही थी, और होठों को चूस रही थी।

फिर दीदी ने अपने और मेरे दोनों के कपड़े निकाल कर अलग कर दी, और हम दोनों एक-दूसरे के सामने नंगी हो गई। दीदी ने मेरी गोल-गोल चूचियों को चूसना शुरू कर दिया, और मेरे निपल्स पर दांत से हल्का-हल्का काटने लगी। मैं मदहोशी में अपनी दीदी की चूची को दबाने लगी।

इसी तरह वो मेरी चूचियों को चूसते हुए नीचे की ओर गई, और मेरी टांगों को फैला कर मेरी बुर में अपनी जीभ डाल कर उसे चूसने लगी। मेरी बुर अब धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी, और उस पानी को दीदी पीते जा रही थी।

मैं अपनी चूचियों को खुद से मसल रही थी, और अपनी गांड उठा कर अपनी बुर को दीदी से चटवा रही थी। फिर दीदी मेरी बुर को चाटते हुए ऊपर की ओर आई, और मेरे होठों में अपना जीभ डाल कर मुझे मेरे ही बुर के रस को पिलाने लगी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ को चूस रहे थे। वह मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे मुंह को चोद रही थी, और मैं बड़े प्यार से उनकी पीठ और बालों को सहला रही थी, और अपने मुंह को उनके जीभ से चुदवा रही थी।

फिर दीदी नीचे लेट गई और मैं उनके ऊपर जाकर उनकी चूचियों को चूसने लगी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां मेरे मुंह में बहुत ही अच्छे से आ रही थी। मैं उनके निपल्स को प्यार से काट रही थी, और दीदी सिसकारी भरने लगी।

मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए नीचे की ओर गई, और चिकने पेट को चूमने लगी। उसके बाद उनकी टांगों को फैला कर, उनकी बुर मे जीभ लगा कर, उनकी बुर के पानी को मैं पीने लगी। बहुत ही रसदार बुर थी उनकी।

मन कर रहा था कि बस उनकी बुर को पीती रहूं। उसके बाद उनकी बुर के चारों तरफ अपनी जीभ फिराई, और अपने जीभ में उनके बुर के रस को लेकर, उनके मुंह में डाल कर, उनके होंठ को चूसते हुए, अपनी जीभ उनके मुंह में डालते हुए, उनके मुंह को चोदने लगी। वह बड़े ही प्यार से मेरी जीभ को चूस रही थी।

हम दोनों की यह बुर अब पूरी तरीके से गर्म हो कर रस से भीग चुकी थी। फिर दीदी ने मेरी चूचियों को सहलाते हुए अपना फोन उठाया, और फोन लगा कर बोली कि, “जल्दी से कमरे में आ जाओ।”

मुझे पता चल गया कि वह अपने देवर विजय को बुला रही थी। मुझे बहुत ही शर्म आने लगी, कि हम दोनों बहने एक साथ विजय के साथ कैसे चुदाई करती। मैं चादर अपने ऊपर डाली, और दीदी मुझे किस्स करके जा कर दरवाजा खोलने लगी। तभी देखी की इधर दरवाजे पर विजय नंगा ही खड़ा था?

दीदी विजय के लंड को हाथ में लेकर चलते हुए उसे भीतर लेकर आई, और दरवाजे को बंद करके उसे बेड पर लिटा दी। फिर उसके ऊपर आकर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। फिर विजय ने मेरे ऊपर से चादर को खींची, और मुझे अपने ऊपर झुका कर मेरे होंठ और मेरी चूचियों को चूसने लगा, और अपने हाथों से मेरे नितंबों को दबाने लगा। मैं मदहोश होकर उसे अपनी बाहों में पकड़ के उसके होंठों को चूसने लगी। मैं अपनी चूचियां और नितंबों को मसलवाने लगी, और उधर दीदी उसके लंड को अपने मुंह में लेकर बड़े प्यार से चूस रही थी।

विजय मेरी चूचियों को चूसते हुए अपने लंड का धक्का मेरी दीदी के मुंह में मारने लगा‌। फिर दीदी ने अपने मुंह से उसके लंड को निकाला और ऊपर की ओर आ गई। फिर मैं अपनी दीदी के बुर को चूसने लगी, और विजय मेरी बुर को चूसने लगा, और मेरी गांड को दबा रहा था। मैं दीदी की बुर को चूसते हुए उनकी चूचियों को मसल रही थी, और दीदी मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे सर को अपनी बुर में घुसा रही थी।

फिर विजय ने दीदी को कुतिया की तरह बनाया, और अपने लंड को पीछे से दीदी के बुर में घुसा दिया। दीदी चीख पड़ी, और फिर दीदी मेरी बुर पर अपने मुंह लगा कर मेरी बुर को चूसने लगी। पीछे से विजय कुतिया की तरह दीदी को चोद रहा था और साथ ही उनके चूचियों को दबा रहा था।दीदी बड़े प्यार से मेरी बुर को चूस रही थी।

विजय अब बहुत ही तेज़ी से दीदी के बुर को चोद रहा था। दीदी से इतनी तेज चुदाई से रहा ना गया और वो अपनी बुर से पानी छोड़ दी। फिर जैसे ही विजय ने अपना लंड खींचा दीदी के बुर से, बहुत सारा पानी बिस्तर पर गिर के फैल गया।

फिर मैं दीदी की गीली बुर को चाटने लगी, और विजय मेरे पीछे आया, और मेरी बुर पर अपना लंड रख कर फिर से धक्का देकर घुसा दिया, और मेरी चुदाई शुरू कर दी। विजय बहुत ही तेजी से मेरी बुर को चोद रहा था, और मैं अपनी जीभ को दीदी के बुर में घुसा कर उसका पानी चूस रही थी।

इसी तरह मुझे विजय लगातार चोदते रहा, और अपने लंड को आगे-पीछे तेजी से करने लगा। पूरे रूम में हमारी चुदाई की आवाज गूंज रही थी। दीदी अब निहाल पड़ी हुई थी चुदवा कर, और मेरी बुर की चुदाई हो रही थी।

इसी तरह विजय तेजी से चोदते हुए हाफने लगा, और दो-तीन शॉट मार कर, मेरी बुर के ऊपर अपना माल निकाल कर, मेरे ऊपर ही लेट गया। फिर मैं दीदी को बाहों में पकड़ ली, और विजय मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया, और हम तीनों ऐसे ही सो गए नंगे।

सुबह जब नींद खुली तब हम तीनों नहाने चले गए, और नहाते वक्त भी हम तीनों ने फिर से एक बार चुदाई की, और उसके बाद हम अपने कपड़े पहन कर बाहर आए, और अपने-अपने काम में लग गए। उसके बाद हम कई दिनों तक इसी तरह चुदाई करते रहे, और फिर मुझे घर से फोन आने लगे मम्मी के, कि मैं घर चली जाऊं। तब मैंने दीदी से बोली तो दीदी बोली कि विजय तुम्हें घर छोड़ देगा।