पड़ोसन बनी दुल्हन-19

This story is part of the Padosan bani dulhan series

    यह कह कर सुषमा बिना कोई चिंता के मेरे ऊपर मरे बदन को अपनी नंगी करारी टाँगों के बिच में ले कर मेरे ऊपर सवार हो गयी और अपनी चूत को मेरे लण्ड के करीब लाकर मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत की पंखुड़ियों के केंद्र बिंदु पर सटा दिया।

    सुषमा अब मुझे चोदने के लिए तैयार हो गयी। सुषमा के मस्त स्तन सुषमा की उस मुद्रा में भी थोड़ा सा भी झुके और लटके बिना फुले भरे हुए अपनी निप्पलों के सख्त शिखर को अपनी चोटी में रखे हुए उन्नत, अल्लड़ और उच्छृंखल से अपनी उद्दंडता दिखा रहे थे।

    मैंने मेरे लण्ड को सुषमा की चूत में सेट करते हुए ऊपर की और एक धक्का दिया। सुषमा के बदन के वजन से और चिकनाहट से लथपथ मेरा लण्ड सुषमा की चूत में जैसे मक्खन के ब्लॉक में छुरी घुस जाती है ऐसे पूरा का पूरा अंदर घुस गया।

    सुषमा की आँखों के मटकने से मैं समझ गया की उसे भी मेरे लण्ड के उसकी बच्चेदानी तक घुस जाने से एक रोमांचक भाव जरूर महसूस हुआ होगा। सुषमा की चूत की वही कम्पन तब मैंने कहीं ज्यादा महसूस की। सुषमा की चूत की त्वचा बार बार मेरे लण्ड को जकड रखे हुए इतनी तेजी से फड़फड़ा रही थी की मुझे यह महसूस होने लगा जैसे सुषमा मुझे चोदते हुए बारबार झड़ रही हो।

    मेरे ऊपर सवार हुई सुषमा जैसे जैसे मुझे और ज्यादा से ज्यादा फुर्ती से चोदती रही उसकी चूत के अंदर का कम्पन मेरे लण्ड को अपने अंदर खिंच कर मेरे लण्ड के वीर्य की एक एक बूँद जैसे चूसना चाहती हो ऐसा मुझे महसूस होता रहा। हालांकि सुषमा मुझे चोद रही थी पर चोदते हुए वह बार बार काफी गर्म जोशीसे मुझे कह रही थी, “राज, और चोदो, और जोर से चोदो मुझे। फ़क मी हार्ड। बहुत अच्छा लग रहा है। तुम बहुत अच्छा चोद रहे हो।”

    सुषमा की नन्हीं सी फ्रेम में इतनी जबरदस्त एनर्जी होगी यह मैंने नहीं सोचा था। जैसे ही मेरा लण्ड उसकी चूत में घुसाथा वह मुझ पर पूरी आक्रमकता से टूट पड़ीथी। उसके सर पर पता नहीं कैसा जनून सवार हो गया था। जैसे किसी इंसान के सर पर भूत सवार होता है ऐसे ही सुषमा के बिखरे हुए बाल उसके खूबसूरत चेहरे पर हर तरफ फैले हुए थे। हवा में उड़ रहे बिखरे हुए बालों को कभी मैं तो कभी सुषमा संवारते और एक जूथ सा बना कर उन्हें अपनी जगह रख देते, किन्तु शीघ्र ही वह फिर से बिखर जाते और फिर से वही सब। मुझे चोदते हुए सुषमा अपनी गाँड़ क्या अपना पूरा बदन जब ऊपर निचे करती तो उसकी चूँचियाँ भी चारों तरफ फ़ैल जातीं। मैं उनको अपने हाथोँ में पकड़ कर सेहला कर सम्हालता रहता तो कभी सुषमा को मेरे बदन से सटा कर उनको चूसता, चूमता और कभी कभी उनकी निप्पलों को काटता भी। मैं वाकई में अपने आप को बड़ा ही भाग्य शाली मान रहा था की इतनी सुन्दर औरत मुझे इतने प्यार से चोद रही थी जो मेरे लिए एक ख्वाब के समान था।

    मुझे चोदते हुए सुषमा तो पता नहीं कितनी बार झड़ चुकी होगी पर तब मैं भी अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। मैं जानता था की सुषमा तहे दिल से मेरे वीर्य की एक एक बून्द अपनी चूत में भर देना चाहती थी। पर मेरा वीर्य जब बाहर निकलने वाला था तब एक भद्र पुरुष की तरह मेरा कर्तव्य था की मैं अपनी प्रियतमा को पूछूं की क्या वह मेरा वीर्य अपनी चूत की गहराइयों में समा देना चाहती थी।

    मेरा पूरा बदन सख्त होने लगा। मैं झड़ने के कगार पर था। मरे शारीरिक अंदाज से सुषमा समझ गयी की मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने भी सुषमा के चोदने की फुर्ती को कुछ कम करने का संकेत जरूर दिया होगा। स्त्रियां कामक्रीड़ा में शायद पुरुष से कहीं ज्यादाही संवेदनशील होतीं हैं। वह हमारे बदन के सुरते हाल से ही समझ जातीं हैं की हमारे दिमाग में और बदन में उस समय क्या चल रहा है। सुषमा तो बड़ी ही ज्यादा संवेदनशील और अक्लमंद औरत थी। उसे समझने में देर नहीं लगी की मैं झड़ने वाला हूँ और शायद इस असमंजस में हूँ की अपना वीर्य सुषमा की चूत में खाली करूँ या नहीं।

    सुषमा ने अपने चोदने की फुर्ती को और तेज करते हुए कहा, “राजजी, मैं आपके बच्चे को अपने गर्भ में रखना चाहती हूँ। मैंने यह बात टीना को भी कह दी थी। मुझे तुमसे बच्चा चाहिए। मैंने आप से भी पहले से ही यह शर्त रखी थी। प्लीज़ मुझे निराश मत करना। मुझे अपना सारा वीर्य देदो। मुझे गर्भवती बनाओ। मुझे बच्चा चाहिए। मैं माँ बनना चाहती हूँ” यह कह कर सुषमा मेरे बदन पर चढ़ी हुई मुझे फुर्ती से चोदते हुए फफक फफक कर रोने लगी।

    उस समय मैं इतना अजीबोगरीब महसूस कर रहा था की आज मैं उस समय के मेरे मन के भाव का वर्णन करने में असमर्थ हूँ। एक इतनी सेक्सी, खूबसूरत चुदवाने के लिए बड़ी ही बेताब चुदक्क्ड़ औरत मुझे पूरी शिद्द्त से चोदते हुए रोते रोते कह रही थी की मैं उसको माँ बनाऊं। अक्सर औरतें किसी दूसरे मर्द से चुदवा तो लेती हैं पर उसके गर्भ से माँ बनाना नहीं चाहतीं। पर यहां तो उलटा ही था। सुषमा की आँखों में आंसूं देख कर मुझे बुरा लगा।

    मैंने कहा, “मेरे मन की बात आप कैसे जान लेती हैं? खैर मैं बिलकुल नहीं रोकूंगा। अपना सारा वीर्य आपके अंदर उंडेल दूंगा पर प्लीज़ आप आंसूं मत बहाओ। मैं आपको बच्चा दूंगा। आप शान्त हो जाओ।”

    मेरी बात सुनकर सुषमा के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी। वह बोली, “सच में? मुझे तुम माँ बनाओगे? तुम जब कहोगे मैं तुमसे चुदवाउंगी। पर मुझे एक बच्चा दे दो।”

    यह कह कर सुषमा मुझ पर लेट गयी और मेरा सारा वीर्य अपने अंदर लेते हुए वह मरे होंठों से अपने होँठ चिपका कर मुझे पागल की तरह चूमने लगी। एक औरत में माँ बनने की कितनी जबरदस्त इच्छा होती है यह मैंने पहली बार इतने सटीक तरीके से देखा।”

    उस समय मैं मेरे वीर्य का फव्वारा रोक नहीं पा रहा था और रोकने वाला भी नहीं था। सुषमा की चूत की चमड़ी ने मेरे लण्ड को इतनी सख्ती से जकड़ा हुआ था और सुषमा की जबरदस्त चुदाई के कारण मैं वैसे भी अपने वीर्य को रोक नहीं पा रहा था। बिजली के कड़ाके से होते हुए धमाके की तरह मेरे लण्ड से मेरे गरम गरम वीर्य का जबरदस्त फव्वारा छूटा और सुषमा ने उसे जरूर अपनी चूत की सुरंगों में लावा सा गरमागरम प्रवाही बहता हुआ महसूस किया होगा।

    मैं और सुषमा उसी पोज़िशन में काफी देर तक पड़े रहे। सुषमा मुझे होँठों पर चूमती रही। कुछ देर बाद इस डर से की कहीं मेरा वीर्य बाहर नहीं गिर जाए, सुषमा ने मुझे अपने ऊपर चढ़ा दिया और मेरा लण्ड अपनी चूत में रखे हुए वह मेरे निचे लेट गयी ताकि मेरे वीर्य की एक बून्द भी उसकी चूत में से बाहर ना निकले। मैं सुषमा की इस इच्छा का सम्मान करता था। मेरे सुषमा को चोद पाने में सुषमा की इस इच्छा का बड़ा योगदान था यह मैं भलीभाँती जानता था। वरना पता नहीं इतनी खूबसूरत औरत मिलना कोई सपने के साकार होने से कम नहीं था।

    काफी देर के बाद मैं सुषमा के बगल में जा कर लेट गया। जैसे ही मेरी आँखें गहराने लगीं की सुषमा ने मुझे झकझोरते हुए कहा, “अभी तो रात का खाना और खाने के बाद पूरी रात का खेल बाकी है। अभी से कहाँ सोने का प्लान कर रहे हो? चलो उठो।”

    मैं थका हुआ था और कुछ देर विश्राम करना चाहता था। मैंने सुषमा से कहा, “मैं कुछ देर विश्राम करना चाहता हूँ।” सुषमा ने जब देखा की मैं वाकई में थका हुआ था तो मेरे बदन पर एक सरसरी नजर फेंक मुस्कुराती हुई उठ खड़ी हुई और बोली, “ठीक है, कुछ देर विश्राम कर लो, तब तक मैं टेबल पर खाना गरम कर लगाती हूँ।”

    मैं वहीँ फर्श पर बिछाये हुए गद्दे पर ही ढेर हो गया। पता नहीं कितना समय मैं सोया हुआ होऊंगा पर काफी देर बाद जब मुझे महसूस हुआ की सुषमा मुझे झकझोर कर जगा रही है तब मैंने आँखें खोल कर देखा तो मेरी प्रियतमा नाइटी पहन कर सजी हुई मुझे खाने के टेबल पर आने के लिए कह रही थी। मैंने उठ कर सुषमा ने रखा हुआ सेठी साहब का कुर्ता पजामा पहना। हम ने फुर्ती से खाना खाया और सुषमा ने बनायी हुई गरम कॉफ़ी पी। सारा टेबल चन्द मिनटों में साफ़ कर मेरी रात की रानी आयी और मेरा हाथ थाम कर मुझे पकड़ कर अपने बैडरूम में ले गयी।

    हम जैसे ही बैडरूम में पहुंचे सुषमा ने मेरे पाजामे के नाडा खोल कर उसे उतार कर मेरे ढीले लण्ड को अपनी उँगलियों में लिया और उसे ले कर प्यार से सहलाते हुए बोली, “आज रात तो यहीं गुजारेंगे ना राज साहब?”

    मैंने सुषमा को अपनी बाँहों में भर कर कहा, “ऐसी खूबसूरत अप्सरा अगर इस तरह प्यार से बुलाये तो कौन साला अपने घर जाएगा? पर मोहतरमा अब आगे क्या प्रोग्राम है?”

    सुषमा ने अपने हाथ में मेरे लण्ड को सेहला कर उसे सख्त करते हुए कहा, “इसे अब अपनी जवानी में आ जाने दो। फिर तुम इसे तैयार करो।” यह कह कर सुषमा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी जाँघों के बिच में रख दिया।

    मैंने सुषमा के गाउन की झिप खोल कर गाउन को निचे उतार कर सुषमा को ऊपर से नंगी कर दिया। सुषमा ने गाउन के अंदर और कुछ नहीं पहन रखा था। सुषमा के अल्लड़ मस्त स्तनोँ को अपने हाथों में मसलते हुए मैंने सुषमा के बदन से पूरा गाउन निकाल दिया। मत्स्यगंधा जल मछली सी अत्यंत खूबसूरत नंगी सुषमा अपने कपडे उतरते ही लाज से शर्माती हुई नजरें झुका कर मेरी छाती पर अपना सर रख कर आगे मैं क्या करता हूँ उसका इंतजार करने लगी। मुझसे करीब एक घंटे चुदवाने के बाद भी जब इस औरत को मैंने दुबारा नंगी किया तो लाज शर्म से वह पानी पानी हो रही थी। यही हमारी भारतीय महिलाओं की खूबसूरती है। लज्जा उनका आभूषण है।

    मैंने अपना कुर्ता निकालते हुए सुषमा को अपनी गोद में बिठा दिया। मेरा लण्ड सख्त हो चुका था। मैं सुषमा की चूँचियों को सहलाते हुए और उसकी निप्पलों को उँगलियों में पिचकते हुए अपने घुटनों पर बैठ खड़ा हुआ और सुषमा को भी अपने घुटनों पर आधा खड़ा करने लगा। सुषमा समझ गयी की मैं उसे घोड़ी बना कर पीछे से चोदना चाहता था। सुषमा ने थोड़ा आतंकित नज़रों से मुझे देखा। शायद उसे लगा की कहीं मैं उसकी गाँड़ मारना तो नहीं चाह रहा था?

    पर वह कुछ नहीं बोली और अपनी गाँड़ मेरी और कर घोड़ी की पोजीशन में हो गयी। मैंने फ़ौरन सुषमा के पीछे उसकी मस्त गुलाबी गोरी चिट्टी, बड़े ही कामुक घुमाव वाली भरी हुई गाँड़ पर एक सख्त चपेट मारी। मेरी चपेट उतनी तेज नहीं थी पर शायद सुषमा को ऐसी चपेट की अपेक्षा नहीं थी।

    सुषमा के मुंह से सिसकारी निकल गयी। उसने घूम कर पीछे देख कर कुछ मुस्कुराते हुए कुछ कटाक्ष से और कुछ असहायता भरे स्वर में कहा, “क्या करते हो?” और चुपचाप वैसे ही घोड़ी की पोजीशन में बनी रही। शायद वह अपने मन में असमंजस में थी की अब मैं क्या करूंगा? उसकी गाँड़ मारूंगा या पीछे से उसकी चूत चोदूंगा।

    Leave a Comment