भाभी की चूत चोदी-3 (Bhabhi Ki Chut Chodi-3)

पिछला भाग पढ़े:- भाभी की चूत चोदी-2

भाभी सेक्स कहानी अब आगे-

तभी रास्ते में भैया का कॉल आया कि उनको 6-7 दिन के लिए थोड़ा बाहर जाना पड़ेगा। तो तुम लोग घर और खेत संभाल लेना, नहीं तो फसल ख़राब हो जाएगी‌।

हमने ठीक है कहा और भाभी ने कहा: अपना ध्यान रखना, और हो सके तो जल्दी आना। आपको कुछ बताना है।

भैया ने पूछा: क्या?

तो भाभी ने कहा: नहीं, आप आओगे तभी बताउंगी।

तो भैया ने ठीक है कहा और फ़ोन काट दिया। हम घर आ गए। अब हम 2 ही थे घर पर। भैया भी 6-7 दिन के बाहर थे, तो मेरे लिए मौका भी था। अब तो भाभी को मेरी रानी बना के रखूँगा 6-7 दिन और खूब चोदूंगा।

तभी भाभी अपने रूम में जाने लगी, ये कह कर कि उनका सर दर्द हो रहा था, और अब तो वो थोड़ा आराम करेंगी।

मैंने कहा: चलो मैं थोड़ा सर दबा दूंगा आपका।

भाभी ने कहा: ठीक है चलो।

मैंने कहा: भाभी थोड़ी सी चाय बना लो, खाने के बाद खाना पच जाएगा।

भाभी किचन में गयी चाय बनाने। मैं उनके रूम में चला गया। मुझे जोरो कि सुसु लगी थी। मैं भाभी के बाथरूम में चला गया जहा भाभी कि सुबह की पेंटी और ब्रा टंगी थी। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने हाथ में लेली ब्रा और देखने लगा। मैंने भाभी का साइज़ देखा 36d की थी। मज़ा आ गया हाथ में पकड़ के, मानो भाभी के बूब्स पकड़ रखे हो।

फिर पेंटी हाथ‌ आई तो उसमें देखा कि उसमे कुछ लगा था। ठीक से देखा तो उसमे भाभी का पानी लगा था, वो भी गाढ़ा वाला। मैं उसे उठा कर चाटने लगा। क्या मज़ा आ रहा था यार। मेरी जीभ रुक ही नहीं रही थी उसमें और ख्याल आ रहा था कि जीभ पेंटी पर नहीं रुक रही है तो भाभी कि चूत होती तो क्या मजा होता।

मैं अपना लंड हिलाना चालू कर दिया चाट कर। उधर भाभी के आने की आवाज आने लगी, तो मैं जल्दी अपना लंड अपनी पेंट में डाला, और वहीं उनकी ब्रा और पेंटी रख कर आने लगा। मैं ये भूल गया था कि मेरे चाटने की वजह से उनकी पेंटी गीली हो गयी थी।

मैं बाहर आया तो भाभी ने पूछा: क्या हुआ?

मैंने कहा: कुछ नहीं, जोरों की लगी थी रोक ही नहीं पाया।

भाभी: तू भी आशीष की तरह ही है। वो भी नहीं रोक सकता। एक बार तो उसकी सुसु सीधे जल्दी में मेरे ऊपर ही निकल गयी थी पेंट निकालने के चक्कर में, और थोड़ी मेरे मुंह पर गिर गयी थी।

मैं: फिर अपने क्या किया भाभी?

भाभी: क्या करती? अपना मुंह धोकर आई और क्या।

मैं: गलत किया आपने तुरंत धोकर।

भाभी: क्यों?

मैं: अब मैं कुछ कहूँगा तो आप मानोगे नहीं।

भाभी: बता क्या?

मैं: भाभी कहते है अगर किसी लड़के का सुसु अगर किसी लड़की के मुंह या वो पी जाती है, तो उसके चेहरे का नूर बढ़ जाता है। उसका चेहरा साफ़ हो जाता है।

भाभी: सब कहने की बात है। देख मेरा चेहरा पहले ही कितना चमकदार है।

मैं: वो तो मेकप है।

भाभी: अरे मैं इतना मेकप नहीं करती हूँ।देख हाथ लगा के।

मैंने छू कर देखा: हां यार भाभी इतना मेकप नहीं है।

भाभी: देखा कहा था ना मैंने, मैं मेकप नहीं करती ज्यादा।

भाभी: ये ले तेरी चाय और ये मेरी। बैठ जा और चाय पी ले, जब तक में टॉयलेट जाकर आती हूं।

मैं बैठ गया और भाभी टॉयलेट चली गयी। उसमें से आवाज आने लगी सुसु की श्श्श श्श्श श्श्श श्श्श श्श्श।‌ मुझे वो सुन कर बहुत अच्छा लग रहा था क्यूंकी मैं मेरी भाभी कि सुसु की चूत की आवाज जो सुन रहा था श्श्श श्श्श श्श्श। मेरे कानो में वहीं सुनाई दे रही थी। फिर भाभी बाहर आ गयी। उसके बाद भी मेरा लंड खड़ा हो रहा था।

तभी भाभी ने पूछा: तू मेरी पेंटी के साथ कुछ करके आया है क्या?

मैं: नहीं तो, बस नीचे गिर गयी थी, तो मैंने उठा कर ऊपर रख दी थी।

भाभी: नहीं मुझे लगा कि।

मैं: क्या लगा?

भाभी: नहीं मुझे लगा के तू मेरी पेंटी के साथ कुछ कर रहा था।

मैं: नहीं भाभी, वो तो बस गिर गयी थी। मैंने उपर रख दिया उसे बस।

भाभी: इतना बनने कि जरुरत नहीं शिवम। मुझे सब पता है तूने मेरी पेंटी को चाटा है, जिसमें मेरा पी लगा था।

मैं: भाभी ये कैसी बात कर रही हो आप?

भाभी: अच्छा तो मैं अब बात कर रही हूं!

मैं: कसम से भाभी, मैंने सिर्फ उठा कर उपर रखी थी उसे।

भाभी: खा माँ बाबू जी की कसम, तूने मेरी पेंटी को चाटा नहीं।

मैं: अरे यार भाभी ये अच्छा नहीं लगता देखो।

भाभी: अच्छा तुझे अच्छा नहीं लगता। जब मैं शादी में जाने के लिए तेयार हो रही थी, तब तो मुझे बड़ा जोरों से घूर रहा था तू मुझे, और तुझे ब्लाउज का हुक लगाने बुलाया तो तेरा लंड क्यों मेरी गांड में घुसने लगा था?‌ देख सही बता दे, नहीं तो मैं तेरे भैया को बोल दूंगी कि तू मेरी पेंटी को चाटा था और उसमे तूने अपना पानी भी निकाला था।

मैं: भाभी ये झूठ है, बस पेंटी को चाटा था और कुछ नहीं किया मैंने।

भाभी: अब आया ना लाइन पर। मैं तो बस तेरे मुंह से सच बुलवाना चाहती थी कि क्या बोलेगा और तूने कबूल कर लिया।

मैं: भाभी मुझे माफ़ कर दो। मैं फिर ये नहीं करूँगा। मुझसे गलती हो गयी।

भाभी: मगर मैं चाहती हूं कि तू ये गलती बार-बार करे।

मैं: मतलब,‌ मैं समझा नहीं?

भाभी: शिवम, मैं चाहती हूं कि मेरी एक बेटी हो। जिसे मैं खिलाऊं, अपने हाथों से उसे घुमाऊं। तेरे भैया नहीं है 6-7 दिन घर‌ क्या तू मेरे साथ वो करेगा जो तेरे भैया मेरे साथ करते है?

मैं: क्या भाभी?

भाभी: देख मैं जानती हूं तू बाथरूम में मुझे सोच कर अपना लंड हिलाता है और उसका पानी निकालता है। पर मैं चाहती हूं कि तू तेरा वो पानी मेरी चूत में डाल कर मझे माँ बना दे अपने बच्चे की। क्या तू मेरे लिए इतना नहीं करेगा? प्लीज शिवम, करेगा ना मेरे लिए इतना?

मैं सोच में पड़ गया। पर मैं यही तो चाहता था कि भाभी कि चूत और गांड को चोद कर अपने बच्चे कि माँ बना दूं ।

मैंने हां कर दी: ठीक है भाभी, अगर आप कहती हो तो। पर किसी को पता नहीं लगना चाहिए कि मैंने आप को माँ बनाया है, नहीं तो भैया क्या सोचेंगे।

भाभी: देख किसी को पता नहीं चलेगा। बात बस तेरे और मेरे बीच ही रहेगी।

मैं: ठीक है फिर मैं जैसा कहूं आपको वैसा ही करना पड़ेगा, जो मैं कहूं वो मानना पड़ेगा। मंजूर है तो बोलो हां !

भाभी: ठीक है जैसा तू कहेगा मैं वैसा ही करुँगी।
मैं: चलो फिर।

भाभी: कहा?

इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।

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