मैं दीदी और वो

( इस कहानी में किरदार के नाम, जगह और कुछ चीज में परिवर्तन किया गया हैं ताकि प्राइवेसी बनी रहे)

मेरा नाम सन्नी हैं मैं छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला हूं आज मेरी उम्र 23 साल है। मेरे अलावा मेरे परिवार में मेरे पिताजी मेरी मां और मेरी दीदी हैं जो आज के डेट में शादी शुदा हैं।

मेरे पिता सरकारी नौकरी में हैं और माँ सरकारी शिक्षिका हैं। मेरे पिता की job दूसरे शहर में होने की वजह से वो घर महीना 15 दिन में आते हैं जबकि मेरी मदर दिन भर घर पर नही होती हैं। तब हम भाई बहन घर पर अकेले ही होते थे।

वैसे तो मेरे पेरेंट्स काफी स्ट्रिक्ट हैं जिस वजह से मैं या मेरी दीदी के कोई खास दोस्त नही बने लेकिन मेरी संगति गलत कैसे हुई इसका पता तो मुझे भी नही है। मेरी उम्र 10 या 11 की रही होगी जब पता नही क्यू मुझे बिस्तर पर पेट के बल सो के कमर के नीचे हल्का हल्का हिलाना अच्छा लगता था.. मुझे अजीब सा सकून मिलता था।

तब मुझे ये नही पता था की यह हस्तमुथैन का ही एक हिस्सा हैं, मेरी बर्बादी की शुरुआत शायद यहीं से हुई हैं। सैक्स का ज्यादा या कम होना अनुवांशिकता के कारण हो सकता हैं शायद यही वजह हैं की सिर्फ मैं नही बल्कि मेरी दीदी में भी सैक्स की इच्छा बहुत ज्यादा हैं ये बात आपको आगे पता चलेगी।

बात 2013 की रही होगी मैं 18 साल का था मेरी दीदी मुझसे 4 साल बड़ी थी तब वो 22 की थी उस वक्त हम किराए के मकान में रहते थे चुकी उस मकान में हम सब 10 – 12 साल से रह रहे थे तो काफी अपनापन सा अहसास होता था। अगल बगल से परिचय भी था और सब कुछ खुद के घर जैसा ही था।

हालाकि जैसा कि मैने बताया कि हस्तमैथुन कि आदत मुझे बचपन से थी। लेकिन मैं यह काम बिस्तर पर लेट कर अपने कमर के नीचे हल्का हल्का हिला के करता था। इस दौरान मेरी पैंट कब गीली हो जाती थी और कब थक के सो जाता था।

मुझे पता भी नही चलता था लेकिन 2013 में जो हुआ उससे मेरी जिंदगी बिलकुल बदल गई।

वैसे तो अक्सर रात में मैं और दीदी साथ ही सोते थे लेकिन ऐसा कभी हुआ नही था। फरवरी का महीना था घर पर पापा आए थे मैं और दीदी हर रात की तरह साथ सोए थे।

ठंड की वजह से घर के सारे पंखा और सब बंद था एकदम शांत अंधेरी रात थी। अंधेरा इतना था कि मुझे मेरे बगल में सोई मेरी दीदी भी नही दिख रही थी और शांति इतनी थी की दीदी और मेरी हर एक सांस की आवाज मेरे कानो में गूंज रही थी।

मुझे पता नही क्यू कुछ अजीब लग रहा था तो मैं पेट के बल सो गया और वो करने लगा जो मुझे बेहद पसंद था। तभी मेरा हाथ दीदी के शरीर से टच हो गया और मेरे शरीर में करंट दौड़ गया। डर के मारे मेरी हालत खराब हो गई लेकिन वैसे समय में हिम्मत भी कमाल की आती हैं।

ऐसा करते करते फिर एक बार मेरा हाथ दीदी के कमर से टच हो गया और मैं फिर रुक गया। बार बार ऐसा होने से मेरी हिम्मत बढ़ गई और एका एक ऐसा लगा की मानो अजीब सी हरकत हो रही हो शरीर में और तभी मेरी पैंट गीली हो गई।

लेकिन जोश इस कदर था कि कुछ मिनट शांत होने के बाद फिर कुछ हरकत सी होने लगी। अबकी फिर मैंने अपनी आंख बंद कर ली और ऐसे एक्टिंग करने लगा की मैं सो गया हूं।

तभी मेरी दीदी ने करवट बदल ली, अब उसका पीठ मेरे तरफ था.. मिनट 5 मिनट बाद दीदी फिर नींद में चली गई लेकिन इस बार मैं पूरी तरह से जाग चुका था। मैंने फिर से नींद में जाने की एक्टिंग की और अपने हल्के हाथों से मैने दीदी के कमर को टच किया।

ये मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन अहसास था.. मेरी हिम्मत बढ़ी मेरा हाथ दीदी के कमर के नीचे दीदी के गांड़ की तरफ बढ़ा रहा था। मेरे सीने की धड़कन इतनी तेज गति से आज से पहले कभी नहीं धड़का था।

तभी दीदी की सांस की आवाज धीमी हो गई और मैने वही किया जो नींद में एक इंसान करता हैं। मैने अपने हाथ को दीदी की गांड़ पर ही छोड़ दिया ताकि दी को लगे की मेरी हाथ नींद में उस जगह पहुंच गई होगी। इसी बीच मेरी पैंट गीली हो गई और मैं उस वक्त ही निढाल हो के सो गया।

अगले दिन ..

सुबह जब नींद खुली तो सब सो के उठ चुके थे तभी दीदी कमरे में आई जैसे ही मैने दीदी को आते देखा मैने डर से आंखे बंद कर ली। जब आखें खोली तो देखा दीदी मेरे ठीक सामने झुकी हुई थी और पापा के bag से कुछ निकाल रही थी।

उस वक्त दीदी ने टाइट लैगिंस पहनी थी और ऊपर चूतड से थोड़ी नीचे वाली कुर्ती पहनी थी जो झुकने की वजह से ऊपर हो गया था और पूरी की पूरी गांड़ गोल आकार में मेरे सामने था। हां मेरी दीदी का गांड़..

जबतक कि मेरी नजर हटती दीदी मेरी तरफ घूम के हल्का मुस्कुराई और बोली उठ जाओ गधे, पापा घर में है.. में बस जैसे तैसे उठा और सीधे बाथरूम पहुंच गया।

आज पहली बार दीदी को उस नजर से देखा जो शायद मैने पहले कभी नहीं देखा था।

मेरी दीदी.. नाम उपासना, रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, घने बाल, छोटी आंख, पतली नाक, पतले लाल हाथ, गर्दन पर तिल ब्रेस्ट, गोल और उभरा हुआ पेट बिलकुल अंदर, कमर पतली बड़ी पीछे निकली और एकदम गोल गांड़, मोटे मोटे जांघ।

जिसको नंगा देख लो तो बिना चोदे रह ना पाओ.. पूरे जिस्म में सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता था उसकी प्यारी गांड़ जिसको कल रात मैंने सहलाया था।

मेरी दीदी बहुत सिंपल लड़की थी। अक्सर सलवार सूट पहनने वाली कम बोलने वाली और अकसर पढ़ाई पर ध्यान देने वाली मेरी दीदी जिसके सपने इतने बड़े हो सकते हैं मैने सोचा नहीं था… खैर..

पहली बार दीदी दीदी ना होकर मेरे लिए एक मौका थी..

मैं पूरा दिन सिर्फ यह सोचता रहा की क्या दीदी को कुछ पता चल गया और चल भी गया तो गया बस जल्दी से रात हो जाए। ऐसे ही करते करते पूरा दिन गुजर गया और वो समय आया जिसका इंतजार मैने सुबह से की थी।

रात फिर घनी हो गई दीदी फिर सो गई और मैं अपनी हाथो को चाह कर भी रोक न सका लेकिन इस बार टारगेट दीदी का पेट था। मेरा जिस्म तप रहा था क्योंकि बगल की लड़की कोई और नहीं बल्कि मेरी सगी बहन थी। जिसने मेरे हाथो पर कई बार राखी बांधी थी लेकिन मुझे इस बात की खबर कहा थी।

दीदी का पेट बिलकुल सॉफ्ट था और दीदी के भाई का लन्ड बिलकुल तना हुआ। माहौल ऐसा मानो दीदी अभी कह दे की कर लो जो करना हैं तो अभी दीदी को पेट बल सुला कर जी भर के गांड़ मारता फिर सारा वीर्य गांड़ में ही गिरा देता। भाई से चोदा कर दीदी कितनी तृप्त हो जाती।

इतना सोचते ही मेरी पैंट फिर गीली हो गई.. अब तो हिम्मत सातवे आसमान पर था मैने अपना पैंट नीचे किया और लन्ड को निकाल लिया और दीदी की रजाई से बाहर निकल गया और बगल में रखा चादर ओढ़ लिया। और धीरे धीरे रजाई के अंदर हाथ बढ़ाता चला गया और सीधे दीदी के दूध को हल्के हाथों से टच करने लगा।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि आप कितनी भी नींद में क्यों न हो आपके शरीर के नाजुक अंगों को कोई टच करे और आपकी नींद न खुले ऐसा नहीं हो सकता? खैर दीदी अब भी जोर जोर से खर्राटे ले रही थी मानो सच में सो रही हो।

फिर मुझे नींद कब लगी मुझे पता ही नही चला.. नींद खुलने से पहले पापा अपने ऑफिस के लिए दूसरे शहर जा चुके थे मम्मी निकल ही रही थी और दीदी रोज की तरह कमरे में झाड़ू लगाने आ रही थी।

मैंने हिम्मत दिखाई और आंखे खुली रखी दीदी की नजर मुझ पर पड़ी उसने मुझे इग्नोर करते हुए पूछा आज कही जाना तो नही हैं तुम्हें? मैं.. नही तो क्यों?

तभी टोकते हुए दीदी बोली.. बहुत गर्मी हैं क्या तुमको? रजाई से निकल कैसे गए तुम ? मैने कहा पता नही कब निकला पता नही चला।

दीदी ने कहा.. रजाई में सोया करो नही तो ठंड लग जायेगी हीरो।

मैं तो जैसे फ्लैट ही हो गया.. ठीक है कह कर चुप हो गया।

इतने में मां आ गई और बोली उठ जा नवाब सुबह हो गई हैं और कहते हुए मां स्कूल को निकल गई। दीदी अब भी कमरे में थी मेरी तरफ देखते हुए कहा.. आज क्या पहनू.. इतना कहते ही मुस्कुरा दी.. मैने कहा कुछ भी पहन लो हीरोइन ही लगती हो (हम अक्सर एक दूसरे को हीरो हीरोइन कहते थे)।

दीदी – अच्छा?

मैं – हां।

दीदी – एक काम करेगा?

मैं – बोलो।

दीदी – किसी को बताना नही की मैं आज वन पीस पहन रही हूं आज विनीता (दीदी की दोस्त) का बर्थडे हैं मुझे जाना हैं तुझे भी बुलाई हैं तू चलेगा ?

मैं – ok क्यों नहीं।

तो जा जा के रेडी हो।

ओके दी यह कह कर मैं चला बाथरूम चला गया बाथरूम घुसते ही मैंने जो देखा वो कमाल था।

वैसे तो ये रोज का था लेकिन आज कुछ स्पेशल था वो था दीदी नहा के जो पैंटी पहनने वाली थी वो.. लाल रंग की पैंटी और ब्रा पैंटी की साइज मैने पहली बार पढ़ी.. 32
ब्रा की साइज 34।

चुकी पैंटी नई थी इसलिए बिलकुल भी कोई दाग या कुछ और नहीं था। मेरा लन्ड फिर तैयार था और मैने वही किया जो अक्सर भारतीय लड़का अपनी बहन की पैंटी देख कर करता हैं।

मैने अपनी पैंट खोली और फिर अंडरवियर नीचे किया बिना ये जाने की नीचे जमीन गीला हैं और अपने अंडरवियर को जमीन पर फेंक कर झट से दीदी की लाल अंडरवियर डाल ली।

मेरा लन्ड कहां समाने वाला था बार बार बाहर निकल जाए लन्ड को दबाने के चक्कर में लन्ड से हल्का हल्का पानी निकल कर दीदी के पैंटी के वहा लगा जहा दीदी की चूत उस पैंटी को छूती।

तभी दीदी की गांड़ का पिक्चर मेरे आंखों के सामने निकल आया और मैने दीदी की पैंटी उतारी और पैंटी को दीवार के सहारे लगा कर जिससे की चूत वाला हिस्सा दीवार की तरफ और गांड़ वाला हिस्सा मेरे लन्ड की तरफ हो मैने उसको दीदी का गांड़ समझ के खूब रगड़ा। जिससे की पैंटी के गांड़ का हिस्सा में लन्ड के पानी का दाग तो लग ही गया और पैंटी बुरी तरीके से मचोड़ गई।

मेरी तो हालत खराब हो गई.. इसी बीच मेरी नजर दीदी के ब्रा पर गई जो जमीन पर गिरी थी। ठीक उसके बगल मेरी अंडरवियर जो जमीन पर almost भींग चुकी थी। मैने दीदी की ब्रा पैंटी को वापिस उसी जगह रख दिया और अपने भींगे अंडरवियर को साइड में रख दिया।

तभी देखा दीदी बाथरूम के बाहर खड़ी मेरे निकलने का वेट कर रही थी.. जल्दी निकलो हमको भी रेडी होना हैं जल्दी जा कर जल्दी लौटना भी है।

और मेरा लन्ड बिना अंडरवियर के बैठने का नाम ही नही ले रही थी और एक तरफ दीदी की पैंटी ब्रा.. मैं तो जैसे फिनिश..

तभी ऐसा लगा की दीदी दूसरे कमरे में चली गई हैं। मैने झट से दरवाजा खोला बिना ये सोचे के मेरा लन्ड अब भी खड़ा हैं। सामने दीदी खड़ी थी… उनकी नजर मेरे लन्ड पर मेरी नजर बिलकुल नीचे और मेरा लन्ड नीचे होने के बजाए और भी ऊपर होते चला गया।

तभी दीदी.. रेडी हो जाओ हीरो.. और मेरे सामने आ गई और मेरे सामने आते ही अपनी पीठ मेरे तरफ घुमा ली। शायद मुझे मौका दी की मैं खुद को संभाल लूं.. इतने देर में मैं कमरे से निकल गया और दीदी बाथरूम चली गई।

आगे की कहानी बाद मे…

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