बेटी को चोदने का प्लान बनाया-1 (Beti ko chodne ka plan banaya-1)

हैलो दोस्तों मेरा नाम सुरेश है। मैं एक गांव का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 44 साल है और रिटायर्ड हूं। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी पत्नी मिनाक्षी 42 साल, पिता जी 63 साल, बेटी निशा 20 (अभी पढ़ाई कर रही है), और एक बेटा विशाल 24 साल जो ग्रेजुएशन के बाद से ही हरियाणा की एक कम्पनी में वही रह कर नौकरी करता है।

तो ये कहानी मेरी और मेरे परिवार के बीच हुए सेक्स की है, जो मेरे बेटे की वजह से हो गया। तो शुरू करते हैं। मेरी बेटी दिखने में एक-दम गोरी और हाईट 5.3 इंच और फिगर 36-30-38, मानो चूची और गांड नयी-नयी चुदी हुई विवाहिता लड़की हो। शायद वो बाहर भी चुदी हो, क्योंकि इतनी बड़ी गांड और चूचियां थी कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाये।

जब वो चलती तो उसकी गांड और चूचियां हिलती। तो मेरा भी 9 इंच लंबा और 3.5 मोटा लंड भी कई बार खड़ा हो जाता और रात में मैं अपनी पत्नी को जम कर चोदता था। मेरी पत्नी भी मेरी ताबड़तोड़ चुदाई के कारण मेरे नीचे से भागने की कोशिश करती थी, पर मैं उसे कस के चोदता रहता।

मेरी पत्नी भी कम नहीं थी। साड़ी पहनती तो एक-दम मस्त भारी चूचियां और बाहर को निकली गांड। मैंने अपनी वाइफ की मोटी गांड मारने की कई बार कोशिश की, पर आधे से ज्यादा लंड डालते ही रोने लगती थी। कई बार तो चूत मारते हुए भी मैं उसकी चीखें निकलवा देता था। इसका कारण मेरा बड़ा लंड था जिसकी मैंने सरसों के तेल से मालिश कर-करके इस काबिल बना दिया था।

मेरे पिता जी भी कसरती बदन के मालिक है। मैं अपनी बेटी की जवानी देख कर प्रतिदिन पागल सा हुए जा रहा था, जिसका सारा जोर रात को मैं अपनी बीवी पर निकालता था। मेरी बीवी मुझे रोज बोलती, “आपको इस उम्र में भी कैसी जवानी चढ़ती जा रही है। मेरी चूत जलने लगतीं है। अब मुझ अकेली का तुम्हें झेलना बस का नहीं।” उसे क्या पता मैं अपनी बेटी की गांड, चूचियां व उसका नशीला चेहरा देख कर पागल हुए जा रहा था।

तो हुआ ये कि हम अपने बेटे के लिए लड़की देख रहे थे। पर हमें कोई लड़की मिल नहीं रही थी। इतना सब कुछ होते हुए भी मेरे बेटे की शादी के लिए कोई हामी नहीं भरी रहा था। तो मेरे पिता जी ने बोला कि किसी पंडित को अपने लड़के की कुंडली दिखा ले, क्योंकि मेरे पिता जी इन सब में मानने वाले व्यक्ति थे। मेरी पत्नी को उनकी बात ठीक लगी और हमारे घर में अब भी आखरी फैसला मेरे पिता जी ही लेते थे।

उनकी इस बात पर मुझे एक खुराफात सूझी, कि अगर मेरा पैंत्रा सही काम किया तो मुझे मेरी बेटी को चोदने और उसकी जवानी का रस पीने का एक मोका मिलने का रास्ता नजर आया। तो मैंने एक उनके कहने पर मैंने एक ढोंगी को पकड़ा जो बाहर का था। उसे पैसे देकर बुलाया और उसे अपना पूरा प्लान बताया कि उसे क्या कहना था। पहले वो मान नहीं रहा था, पर मैंने उसे बताया कि ये मेरे पड़ोसी से और मुझे इनसे पुराना बदला लेना है।

फिर मैं उसे घर लेकर चल दिया और घर वालों को फोन करके बोल दिया ये बहुत बड़े बाबा है, आने को मान नहीं रहे थे इसलिए अपने पड़ोसी की ज्यादा परेशानियां बता कर लाया हूं। तो वो ढोंगी को मैं घर छोड़ बाहर आ गया ताकि उसे शक ना हो। करीब 1 घंटे बाद वो ढोंगी मुझे रास्ते में आता हुआ नजर आया तो मैंने उससे पूछा कि काम हो गया या नहीं।

तो उसने बताया, “जब मैं वहां बैठा तो उन्होंने अपने‌ लड़के की कुंडली दिखाई। तो जो बात तुमने मुझे बताई थी, वो बोली मैंने। तो सुन कर सभी दंग रह गये।” उसने बताया-

ढोंगी: आपके लड़के की कुंडली में विवाह योग है ही नहीं। अगर इसका विवाह हुआ भी तो इसकी अकाल मृत्यु के योग बन रहे हैं।

ये बात सुन कर तो वो सब घबरा गए और मेरे पिता जी को तो जैसे सदमा सा लग गया, क्योंकि ये हमारे खानदान का एक मात्र वारिस था और इसका विवाह हुआ तो खतरा था। इतने में मेरी पत्नी
बोली-

मिनाक्षी‌ (रोते हुए): बाबा जी ऐसा मत कहिये, मेरा एकलौता बेटा है। कोई तो उपाय होगा जिससे इसकी शादी हो और हमें भी बुढ़ापे में सहारा मिले?

इतने में मेरे पिता जी भी बाबा जी के हाथ जोड़ते हुए उनसे विनती करने लगे।

ढोंगी: इसका कोई उपाय मेरे पास नहीं है। पर मैं आपके लिए अभी अपने गुरु जी के पास जाउंगा। उनसे कोई उपाय पूछता हूं। आपको फोन करता हूं।

तो तभी मैंने बीच में उस बाबा से कहा: तुमने पूरा प्लान क्यों नहीं किया?

बाबा: अगर प्लान पूरा कर देता और तुम बाकी पैसों की मना कर देते। तो मैं बाद में तुम्हारा कुछ कर भी नहीं सकता था।

मैंने गुस्से में उसे 5 हजार दिए और काम हो गया तो 2 हजार फ़ालतू देने को कहा। फिर उसे आधे घंटे बाद फोन करने को कह कर मैं घर आ गया। घर में बाबा जी के जाने के बाद सब चिंता में आ गये थे।

पत्नी मुझे देख कर बोली: भगवान ये कैसी मुसीबत आ गयी हम पर। अब क्या होगा?

मेरे पिता जी बोले: बहु चिन्ता मत करो। सब ठीक हो जायेगा। बाबा जी ने बोला है वो फोन करेंगे अपने गुरु जी से बात करके। कोई ना कोई उपाय जरूर बताएंगे।

पत्नी (चिन्ता में): मगर बाबू जी (मेरे पिता जी को) अगर बाबा जी ने कोई ऐसा उपाय बता दिया जिसे हम कर ना पाए तो?

इस पर पिता जी ने चिंता में बोला: मिनाक्षी बेटा जरा निशा और विशाल सब को बुलाओ।

मेरी पत्नी उनके कमरे में गयी (हमारे घर में तीन कमरे और बाहर एक बैठक है। पिता जी बाहर बैठक में ही लेटते हैं, ताकि उनके मिलने वाले उनसे बाहर ही मिल लें) और उन दोनों को साथ ले आई। उनके आने के बाद मेरे पिता जी ने सारी बात अपने पोते-पोती को बताई तो-

विशाल: दादा जी ये सब बेकार की बातें हैं। आप अब तक भी इन सब चीजों पर विश्वास करते हो?

पिता जी: बेटा ये सब होता है। हमारे यहां मेरा दोस्त हरिन्द्र था। उसके यहां संतान नहीं हो रही थी, तो उसने भी एक बाबा जी के कहने पर गाय का बच्चा पाला। तब जाकर उसके यहां संतान हुई थी।

विशाल: पर दादा जी।

पिता जी: पर-वर कुछ नहीं, जो बाबा जी कहेंगे वो हमें करना ही होगा (हमारे घर में अब भी पिता जी की ही चलती थी)। क्योंकि विशाल हमारा एकलौता वारिस हैं। इससे ही हमारा खानदान चलेगा। सब ध्यान रखना। चाहे कुछ भी हो हम उपाय करेंगे ही।

निशा: दादा जी बाबा जी सिर्फ पैसे ही खर्च करायेंगे और कुछ अपनी जेब में रख लेंगे।

मेरे पिता जी: बेटी कुछ भी हो, हम करेंगे। ये तेरे भाई की जिन्दगी का सवाल है। हम खतरा नहीं उठा सकते।

निशा: ठीक है दादा जी।

अब हम सब इन्तजार करने लगे। करीब 1 घंटे बाद उस ढोंगी ने फोन किया तो मेरे पिता जी ने सब को इकट्ठे किया।

पिता जी: हैलो बाबा जी।

बाबा जी: जी मैं गुरु जी के पास ही हूं और आपके लड़के की कुंडली गुरु जी ने देख ली है।

पिता जी: जी कोई उपाय मिला जो हमें इस संकट से बाहर निकाल सके?

बाबा: उपाय तो है, पर बहुत ही कठिन है। हो नहीं पायेगा।

पिता जी (पिता जी मेरी तरफ देखते हुए): बाबा जी हम करेंगे। ये ही हमारे खानदान का नाम आगे चलायेगा।

बाबा: ठीक है मैं बताता हूं। आपके पास कोई है तो नहीं?

पिता जी (सब की तरफ देखता हुए): नहीं जी।

बाबा: ठीक है तो सुनो और लिख लो।

पिता जी ने कागज पैन लिया: बताये बाबा जी।

बाबा: आपके लड़के का विवाह बस पहले एक पहर (२४ घंटे में चार पहर होते हैं) का कराना होगा।

मैं: बाबा जी बस एक पहर का?

बाबा: हां, आप पहले पूरा उपाय सुन लो। तब जो पूछना है पूछ लेना।

पिता जी: ठीक है बाबा जी, बताये।

बाबा जी: एक पहर का विवाह कराने के बाद लड़का-लडकी को सारी रस्में एक पहर में ही खत्म करनी होगी। शादी से सुहागरात तक।

पिता जी: बाबा जी एक पहर में सब कुछ कैसे हो सकता है?

बाबा जी: पहले सुन लो आप।

पिता जी: ठीक है बताये।

बाबा जी: एक पहर पूरा होने के तुरंत बाद लड़की का सिन्दूर और मंगलसूत्र लड़के के हाथों उतरवा कर उस लड़की का विवाह तुरंत किसी दूसरे व्यक्ति के साथ जो 50 साल (अर्ध आयु) से कम हो, 21 दिन के लिए करना होगा, चाहे तो वो व्यक्ति 21 दिन के बाद दोबारा शादी करके उस लड़की को अपना सकता है। उसके बाद फिर चाहे तो आपका पोता उस लड़की के अलावा किसी से भी शादी कर सकता है।

पिता जी: पर बाबा जी कोई लड़की नहीं मानेगी इस तरह तो। कोई और उपाय नहीं है क्या?

बाबा जी: यहीं एक उपाय था बस। और हां लड़की की पहले शादी नहीं हुई हो और जिससे दूसरी शादी करे, उसकी भी शादी ना हो, या वो पहले अपनी पत्नी को छोड़े उसका विवाह करा दे। और दोनों की अलग-अलग शादी हो गई हो तब ही उपाय पूर्ण होगा।

मैं उसकी बात सुन कर चौंक गया। अब ये ढोंगी ने लफड़ा कर दिया और मुझे अपना प्लान फेल होता नजर आया।

तभी पिता जी बोले: बाबा जी ये तो बहुत कठिन उपाय है। कोई लड़की राजी नहीं होगी।

बाबा जी: कुछ भी हो, करना तो होगा। तब ही तुम्हारे पोते की शादी होगी। और लड़की चाहे कोई भी हो उससे कोई परेशानी नहीं है। बस शादी-शुदा व तुम्हारी जाति की हो, व आप चाहें तो उस लड़की की शादी 21 दिन के लिए आपके घर में कोई 50 से कम का व्यक्ति हो उससे भी कर सकते है।

पिता जी: ठीक है बाबा जी।

बाबा जी: अगर आप को शक हो तो किसी और को कुंडली दिखा लेना।

पिता जी: ठीक है बाबा जी, प्रणाम।

फोन कटने के बाद हम एक-दूसरे को देखने लगें।

तब मेरी बेटी निशा: पापा ये सब बकवास है। ऐसा नहीं होता।

मैं: बेटी उन्होंने बोला तो अगर शक हो तो किसी और पंडित को दिखा लो।

निशा: पर कोई लड़की नहीं मानेगी एक दिन में दो बार शादी करने को और दूसरी शादी भी 21 दिन के लिए।

विशाल: हां दादा जी, निशा सही कह रही है। किसी दूसरे बाबा को दिखाते
है।

दादा जी: नहीं बेटा ये बहुत ही ज्ञानी बाबा जी है। तभी तो बिना पैसे और उन्होंने बोला किसी और को दिखा लो।

मैं: पर पिता जी ऐसा करने के लिए कोई लड़की भी तैयार नहीं होगी।

मेरी पत्नी सोचते हुए बोली: हमारी जाति में कोई भी ऐसा करने को तैयार नहीं होगा और ना ही ऐसी बात हम बाहर किसी को बता सकते हैं। अब क्या करें, काश अगर मैं कर पाती अपने बेटे के लिए तो।

मैं प्लान के तहत अपने लंड को सेट करते हुए बोला: हां सही कह रही हो। पर अब तो कोई रास्ता निकालना होगा।

एक-दम इस पर मेरे पिता जी बोले: मेरे दिमाग में एक रास्ता है। तुम सब मानो तो।

मैं: हां पिता जी बताये ना।

पिता जी: नहीं अगर सब मानोगे तो बोलता हूं।

इस पर मेरी पत्नी और बच्चे बोले: दादा जी बताओ, हम करेंगे।

पिता जी: नहीं तुम सब कसम खाओ‌ एक दूसरे की, कि करोगे‌।

इस पर हम सब ने बिना सोचे एक-दूसरे की कसम खा ली।

पिता जी: ठीक है सुनो। अगर निशा विशाल के साथ शादी कर ले तो?

मैं (ये सुनते ही मेरा खड़ा लंड झटके लेने लगा था): पिता जी ये आप क्या बोल रहे हैं? ये दोनों भाई-बहन हैं।

पत्नी: हां बाबू जी, ये कैसे संभव है?

पिता जी: इसके अलावा कोई और रास्ता हो तो मुझे बता दो।

विशाल: पर दादा जी निशा बहन है मेरी।

पिता जी: बेटा बाबा जी ने‌ कहा है लड़की चाहे किसी भी रिश्ते में हो, बस रस्मों का पूरा होना जरूरी है।

मैं: पर पिता जी फिर निशा की शादी के लिए व्यक्ति कहा से ढूंढ़ेंगे?

पिता जी: किसी और से नहीं तुम से ही करनी होगी। क्योंकि कोई बाद में ब्लैकमेल करें तो क्या होगा?

इस बात को सुन कर मेरा लंड अकड़न लेने लगा और मुझे मेरा प्लान सफल होते नज़र आया। बस इतना मलाल था कि मैं निशा को पहले नहीं चोद पाऊंगा। उसकी बड़ी गांड और चूचियों का स्वाद पहले मेरा बेटा लेगा। इतने में-

निशा: क्या दादा जी आप क्या बोल रहें हैं? अपने पापा-भाई के साथ।

पत्नी: बेटी कोई और रास्ता नहीं है। दादा जी जी की बात मान लो।

निशा: मम्मी पर पापा को आपको छोड़ना होगा और आपकी शादी भी करानी होगी।

पत्नी: हां बाबू जी ये बात भी निशा सही कह रही है।

दादा जी: बहू अभी तुम ही बोल रही थी कि मैं कर पाती। तो अब क्या हुआ?

पत्नी: बाबू जी मैं कर लूं, पर किससे करूंगी?

इतने में विशाल गुस्से में बोला: जब सब घर में हो ही‌ रहा है, तो आप दादा जी से शादी कर लेना।

मैं झूठी चिंता: हां, विशाल ठीक कहा तुमने।‌

फिर मैंने पिता जी जी की तरफ देखा तो-

पिता जी: तुम सब दिल से तैयार हो? क्यों निशा बेटी तुम बताओ।

निशा: दादा जी अगर मेरे करने से फैमिली को फायदा होता है, तो मैं दिल से तैयार हूं।

दादा जी: ठीक है। अब तुम तीनों बताओ।

मैंने और मेरी पत्नी ने भी हां कर दिया। पर मेरा बेटा उदास खड़ा था।

पत्नी: बेटा ये सब हम तेरे लिए ही कर रहे हैं। तुम खुश होंगे तो हम भी ख़ुश रहेंगे और हमारा वंश भी आगे बढ़ेगा।

विशाल: ठीक है मम्मी, मैं भी तैयार हूं।

इस पर पिता जी बोले: ठीक है तो कल ही हम सब ये कार्यक्रम करेंगे।

मुझे लग रहा है शायद पिता जी को भी अपनी बहू की चुदाई करनी थी। इतने मोटे चूचे और बाहर को निकली हुई गांड 38-32-40। उधर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था। 21 दिन इतनी खूबसूरत लड़की को चोदने का सोच कर कसी हुई गांड और चूचियां मेरा 9 इंच लम्बा लड़ झटके खा रहा था। पर अफसोस सील मैं नहीं तोड़ पाऊंगा।

पत्नी: इतनी जल्दी कुछ तैयारी भी करनी होगी।

दादा जी: बहूं, निशा-विशाल की शादी हम कल रात 12 बजे शहर के मंदिर में करा कर आ जायेंगे और फिर उस सुबह 6 बजे को सुरेश निशा की मांग में सिंदूर भर कर शादी कर लेगा।

पत्नी‌ (झिझकते हुए): पर बाबू जी हमारी!

पिता जी: हम भी तब ही कर लेंगे।

पत्नी: बिना मंत्रों के?

तो इस पर निशा बोली: हम मंत्रों की किताब ले आयेंगे।

मैं: हां सही कहा बेटी। इससे बाहर किसी को पता भी नहीं चलेगा। और तुम्हें जो भी खरीदारी करनी हो, दिन में कर लेना।

पत्नि: ठीक है। चल निशा हम कल की तैयारी करते हैं।

कहानी जारी रहेगी। कमेंट करें और बतायें कैसी लगी।

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