संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-27 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-27)

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

अगले दिन मैं नाश्ते के लिए बाहर बगीचे में आया और सुबह की ताज़ी हवा ली। मैंने सोचा कि आज तो जुनैद के चेहरे पर वो उदासी देखूंगा जिसे मैं कई दिनों से देखना चाहता था।

माँ का आरिफ के साथ रात गुज़ारना मुझे अच्छा तो नहीं, पर बुरा भी नहीं लग रहा था। पर यह चुदाई दोस्तों में दरार लाने के लिए आखिर काफी थी। जुनैद माँ को दिल से प्यार करता है, इसलिए उसे इसका बुरा भी दिल से लगेगा। माँ का आरिफ के साथ चुदाई सुख पाने में मुझे अपनी कामयाबी नज़र आ रही थी।

कुछ देर बगीचे में बैठे रहने के बाद मैंने मौसी को आते हुए देखा जो चेहरे पर सुबह की ताज़ी मुस्कान लिए मेरी तरफ आ रही थी।

मौसी के पास आते ही मैंने उन्हें बड़े प्यार से कहा: “गुड मॉर्निंग मौसी, और कैसी हैं? आप अकेली आई, मम्मी कहाँ हैं?”

मौसी थोड़ा हिचकते हुए बोली: “गुड मॉर्निंग, राहुल। लगता है वो अभी अपने कमरे में हैं। तुम यहीं बैठो, मैं सविता को कमरे से नाश्ते के लिए बुला कर लाती हूँ।”

मौसी तेज़ कदमों से आरिफ के कमरे के पास जाती हैं, और मैं उनके पीछे जाता हूँ ताकि देख सकूँ कि अंदर सुबह का क्या माहौल चल रहा था।

मौसी गेट को बिना नॉक किए खोल कर सीधे अंदर चली जाती हैं। मैंने गेट की हल्की खुली दरार से अंदर देखा, मम्मी अपने आधे नंगे जिस्म को सफेद चादर में समेटे लेटी हुई थी।

मौसी उन्हें ऐसा देख हैरानी की जगह चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए देख रही थी। मौसी फिर बड़े धीरे स्वर में उन्हें हल्की आवाज़ देती हैं। उनकी दूसरी आवाज़ जब मम्मी के कानों में गूंजती है तो वो आँखों को हल्का खोलकर मौसी को देख चौंक जाती हैं।

वो अपने आधे नंगे जिस्म को सफेद चादर में ढकने की नाकाम कोशिश करती हैं। मौसी आगे बढ़ कर उनके करीब जाकर बेड पर बैठ जाती हैं।

फिर मौसी उन्हें बड़े प्यारे स्वर में कहती हैं: गुड मॉर्निंग बहन, लगता है रात काफी रोमांटिक रही है?

मम्मी ने चादर से हल्का-सा सिर बाहर निकाला और मौसी से शर्माते हुए कहा: ओह दीदी, वैसा कुछ नहीं, हम बस अलग थे!

मौसी बोली: मेरी बहन, छुपाने से कुछ नहीं होगा। मैं सब समझती हूँ। आरिफ जी जैसे दमदार और गठीले मर्द… ऊपर से तुम इतनी सुंदर हो कि एक कमरे में रात गुज़ारना मुश्किल ही रहा होगा। खैर, अब तुम जल्दी से बाहर आ जाओ। राहुल नाश्ते के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।

मम्मी मौसी को गले लगाते हुए, चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए, बोली: थैंक्स, आपको बुरा नहीं लगा। मैं बस थोड़ा सा बहक गई थी। दीदी, आप राहुल को संभालो, मैं बस पाँच मिनट में आती हूँ।

फिर मौसी के साथ बगीचे में बैठ कर मैं उनका आने का इंतज़ार कर रहा था। तभी मुझे जुनैद आता हुआ दिख जाता है। जुनैद के चेहरे पर आज वो मुस्कान नहीं थी, जो अक्सर मम्मी के साथ रहने पर उसके चेहरे पर रहती थी। उसे ऐसे उदास देख मुझे मन ही मन काफी खुशी हो रही थी, पर बात अभी यहीं खत्म नहीं हुई थी, इसका मुझे डर था।

जुनैद हमारे साथ बैठ जाता है। वह मौसी से आरिफ और मम्मी के बारे में पूछता है। फिर किसी बहाने से वह मुझसे बात करके पूछता है कि हम अभी और यहाँ रुक रहे हैं? मैंने उसे सीधा और सिंपल जवाब में बता दिया कि आज मैं और नहीं रुकने वाला, मैं मम्मी को लेकर जा रहा हूँ। मेरा स्पष्ट जवाब सुन कर जुनैद की हवा टाइट हो जाती है। मेरे जवाब में मौसी भी साथ दे रही थी।

थोड़ी देर में मैंने मम्मी को आते हुए देखा। वह नेवी ब्लू ड्रेस पहने हुए गज़ब लग रही थी। उस ड्रेस में मम्मी की गोरी त्वचा पर जैसे आसमान की रोशनी उतर आई हो। गिरती धूप की रोशनी उनके कंधों पर पड़ रही थी, जो उनकी त्वचा पर एक सुनहरी चमक की तरह तैर रही थी।

नेवी ब्लू ड्रेस उनके जिस्म पर ऐसे ढली हुई थी जैसे किसी नर्म रेशम की परछाई। ड्रेस ऐसी थी कि उनकी चिकनी बाहें और बूब्स का ऊपरी हिस्सा नंगा ही चमक रहा था। उनके कंधों से आती ड्रेस के पतले स्ट्रैप्स मम्मी के गोल आकार के बूब्स के उभारों को थामे हुए थे। मम्मी के गोल आकार के बूब्स आज ड्रेस में कुछ ज़्यादा ही उभरे हुए चमक रहे थे।

मम्मी की कोर्सेट-स्टाइल ड्रेस की कटिंग उनके जाँघों से शुरू होती है और ड्रेस का निचला हिस्सा उनके घुटनों तक खत्म हो रहा था। जब-जब वह अपने कदमों को आगे बढ़ातीं, तो ड्रेस के दो हिस्से हो जाते और उनकी चिकनी थाई और टाँगें चमक जाती थी। हर मोड़, हर घुमाव को बस इतना छूता हुआ कि नज़र खुद-ब-खुद वहीं टिक जाए।

कमर के नीचे गिरता कपड़ा हवा के साथ हल्का-सा नाच रहा था, और उस हल्की लहर में जब ड्रेस की स्लिट खुलती, तो मम्मी की गाँड साफ उभर कर चमक जाती। बस उतनी झलक मिलती कि साँस थम जाए।

मम्मी के खुले बाल हवा में हल्के-हल्के उड़ रहे थे। कुछ लटें चेहरे पर आ गिरी हुई थी, और जब वह बालों की एक लट को कान के पीछे सरकाती — तो वो मर्द के लंड में जान सी डाल देती, ऐसा उनका स्टाइल था।

वह मुस्कराते हुए धीरे-धीरे हमारी तरफ बढ़ रही थी। उस मुस्कान में वह आरिफ के साथ रात भर की चुदाई का तीखा दर्द, सुकून की राहत, और एक अजीब-सा नया जूनून भी छुपाए हुए थी। उस पल में वह सिर्फ खूबसूरत नहीं, एक हॉट हसीना लग रही थी।

उनके साथ आता हुआ आरिफ भी आज खुशी से खिल रहा था। मम्मी के साथ जिस्मानी सुख पाने के बाद आरिफ अपनी खुशी को छाती चौड़ी करके दिखा रहा था। मम्मी के साथ आता देख जुनैद आरिफ को देख आग की तरह जल रहा था। मुझे आरिफ आज आग में डाला हुआ घी जैसा लग रहा था।

मम्मी मुस्कराते हुए हमारे पास आती हैं। फिर बिना जुनैद की तरफ देखे मौसी और मुझे बड़े प्यारे स्वर में गुड मॉर्निंग कहती हैं।

मौसी ने मम्मी को अपनी बगल वाली चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए कहा: ओहो मेरी बहन, तुम तो आज गज़ब ही ढा रही हो! काफी हॉट और सुंदर लग रही हो।

मैं मौसी का साथ देते हुए बोला: हाँ मौसी आप सही कह रही हैं, मम्मी हॉट तो काफी लग रही हैं। वैसे मम्मी, आपने यह ड्रेस पूरे ट्रिप पर नहीं पहनी, क्या आज घर जाने के लिए खास बचा कर रखी थी?

मम्मी मेरा जवाब सुन कर थोड़ा शर्माते हुए और चेहरे पर एक कातिल मुस्कान लिए बोली: हाँ ऐसा ही, पर मैंने बचा कर नहीं रखी थी। (आरिफ की तरफ देखती हुई) आरिफ जी ने मुझे गिफ्ट में देने के लिए बचाकर रखी थी!

मैं: ओह, काफी अच्छी ड्रेस गिफ्ट की है। परफेक्ट फिटिंग और हॉट लुक आप पर सूट कर रहा है।

इतना सब सुन कर जुनैद की गाँड में जैसे और आग सी लग जाती है। वह मन ही मन आरिफ को गालियाँ दे रहा होगा, इसका मुझे अंदाज़ा हो रहा था। जुनैद खामोश बैठा हुआ बस मम्मी के होंठों की मुस्कान निहार रहा था। आरिफ उसके बगल में बैठा उसे खाने के लिए नाश्ता देता है, तो
जुनैद आग में फूटते लावे की तरह बोलता है: आरिफ भाई, मेरा मन नहीं है, आप खाओ…

मम्मी उसके गुस्से को देख कर बोली: क्या हुआ जुनैद जी? आपने अभी तक कुछ खाया भी नहीं है?

जुनैद बिना कुछ बोले वहाँ से चला जाता है। मौसी, आरिफ उसे रोकते हैं तो वह मन नहीं है इतना कह कर अपने कमरे में चला जाता है। उसके जाने के बाद आरिफ, मौसी, मम्मी एक-दूसरे का चेहरा देखते रहते हैं। आरिफ मौसी और मम्मी को अपना नाश्ता पूरा करने के लिए कहता है।

अब मुझे माहौल काफी पेनिक होता नज़र आ रहा था। मैंने मन ही मन कहा, अब मुझे सब पर, खास करके मम्मी पर, नज़र रखनी पड़ेगी जब तक हम घर नहीं पहुँच जाते हैं।

मैं उनके पास से बहाना करके हट जाता हूँ। फिर मम्मी के कमरे में जाकर एक बहुत ज़रूरी काम करके आता हूँ जिसे मैंने जुनैद के लिए प्लान किया हुआ था। जिसे मैं खास तौर पर मम्मी को और अपने पाठकों को बाद में बताने वाला हूँ। मैं लौट कर फिर उनके नज़दीक आकर छुप जाता हूँ, यही सुनने के लिए कि मेरे जाने के बाद ये लोग ज़रूर कुछ बातें करेंगे।

मम्मी उदास और हल्की घबराई हुई बोली: ओह! जुनैद इस तरह गुस्सा करेगा तो राहुल को भी शक हो जाएगा। राहुल को कुछ पता लगे इससे पहले मैं ही जुनैद से बात कर लेती हूँ। आख़िर वो अब क्या चाहता है?

मौसी: सविता, रात मैंने उसे समझाया पर वो एक ही बात पर अड़ा है। वो गुस्से में यहाँ कुछ गड़बड़ ना कर दे, आरिफ जी, आप ही समझाओ?

आरिफ मम्मी को सहारा देते हुए: आप लोग शांत रहो। वो ऐसा कुछ नहीं करेगा। ठीक है, मैं उससे बात करूँगा। आप मेरी मेहमान हैं, यहाँ मैं आपके साथ हूँ!

आरिफ उन्हें अपना दिलासा देकर उनकी घबराहट को कम कर देता है। वह मम्मी और मौसी के बीच में बैठा हुआ उनके लिए फिर से खुशी का माहौल बना रहा था। फिर मम्मी मौसी के साथ अपने कमरे चली जाती हैं, और आरिफ वहाँ से अपने किसी काम के लिए निकल जाता है।

कुछ घंटे बाद मम्मी मुझे बाहर लंच करने के लिए बुलाती हैं। जब मैं वहाँ गया तो मौसी और आरिफ वहाँ पहले से बैठे हुए थे। जब हम सभी साथ मिल कर लंच करने लगे तो-

आरिफ उदास मन से बोला: मैंने आप लोगों के घर जाने का इंतज़ाम कर दिया है। आप जा रही हैं तो अच्छा नहीं लग रहा है, इतने दिन हम सभी साथ रहे!

मौसी उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली: आरिफ जी, अच्छा तो हमें भी नहीं लग रहा है। मेरा मन तो अभी यहाँ आपके साथ और समय बिताने का था!

मम्मी मौसी की तरफ़ शर्माते हुए: दीदी, अभी चार घंटे हैं जाने में, तब तक आप आरिफ जी के साथ समय बिता सकती हैं!

आरिफ मुस्कराते हुए: सविता जी, आपको अकेला छोड़ कर हम जाएँ, यह अच्छा नहीं लगेगा। क्यों ना‌ आप भी हमारे साथ चलें?

मम्मी शर्माते हुए: आरिफ जी, मैं यहाँ राहुल के साथ कुछ देर अकेले बैठना चाहती हूँ।

मौसी को उसके साथ जाकर अपनी आग शांत करना थी, पर आरिफ का मम्मी को अपने साथ चलने के लिए कहना मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

लंच करने के बाद मौसी मम्मी को एक कातिल मुस्कान देते हुए आरिफ के साथ चली जाती हैं। फिर मैं और मम्मी कुछ देर वहाँ बैठे बातें करते हुए थोड़ा टहल रहे थे।
तभी मुझे वहाँ जुनैद आता हुआ दिख जाता है। मैं उसके आने से पहले मम्मी के पास से बहाने से हट जाता हूँ। ताकि आज जुनैद की बातें मम्मी से फाइनल हो जाएँ, और छिप कर दोनों पर अपनी नज़रें गड़ा लेता हूँ।

जुनैद मम्मी के पास आकर बड़े धीरे और उदास अंदाज़ में बोला: जान, तुम मुझसे एक बार बात तो करो। मैं उस बात के लिए माफ़ी चाहता हूँ… मुझे इस तरह अकेला ना करो!

मम्मी जुनैद की आँखों में देखते हुए: जुनैद, मैं तुम्हें चाहती थी पर राहुल के लिए इस तरह बोल कर तुमने अब मेरा दिल दुखा दिया है…

जुनैद: जान, मेरा मतलब राहुल को अकेले छोड़ने का नहीं था। हम राहुल को शादी करने के बाद बताते तो वो मान जाता, ऐसा मेरा कहना था। जान, मेरी बात को समझो, वो मान जाएगा?

मम्मी: ओह जुनैद, प्लीज़! अब मैं इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती। तुम्हारे अंदर राहुल के लिए बहुत ही गलत सोच है। तुम्हें बोलने से पहले यह भी नहीं सोचा कि राहुल बेटे ने ही तुम्हें अपने घर में जगह दी और मैंने तुम्हें अपनी इज़्ज़त दी थी…

जुनैद गुस्से में आते हुए: ओहो! तो अब तू मुझे मेरी औकात दिखा रही है! तेरे बेटे को मैंने ही वो सब सिखाया है, साली, यह मत भूल।

मम्मी उसकी आँखों में अपनी नज़र गड़ाते हुए: ज़बान संभाल के जुनैद! अब तो मैं तेरी रखैल भी बनना पसंद नहीं करूँगी। औकात में तो सिर्फ तू मेरा नौकर है, इससे ज़्यादा तेरी कोई हैसियत नहीं…

जुनैद थोड़ा और आक्रामक हाव-भाव में आते हुए: साली, रंडी! तेरे अंदर इतनी जुर्रत? जिसका बिस्तर गर्म करके आ रही है ना, तुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता। वह तेरी जैसी को रोज़ अपने बिस्तर की रंडी बनाता है। ख़ैर, अब तूने मेरी औकात की बात छेड़ी है, रंडी, तुझे तो बर्बाद करके ही दम लूँगा।

मम्मी जुनैद को एक थप्पड़ मारते हुए: तेरे जैसा दो कौड़ी का नौकर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता…

मुझसे अब और देखा नहीं जा रहा था, मैं माहौल को और ख़राब होने से पहले मम्मी को आवाज़ लगाते हुए उनके पास जाने लगता हूँ। जुनैद मुझे आता हुआ देख कर वहाँ से चला जाता है। जब मैं मम्मी के पास पहुँचा तो जुनैद जा चुका था।

मैं मम्मी की नरम आँखों में देखते हुए: मम्मी, जुनैद और आपके बीच क्या हो रहा था? आपके बीच किस बात को लेकर बहस हो रही थी?

मम्मी घबराते हुए: राहुल, कुछ नहीं हुआ। तुम जाकर अपना सामान पैक करो, हम यहाँ से निकल रहे हैं।

मैं थोड़ा ऊँची आवाज़ में: मम्मी, आप मुझसे क्या छुपा रही हैं? मुझे बस बताइए, जुनैद आपके साथ यहाँ क्यों खड़ा था?

मम्मी: राहुल, बोला ना कुछ नहीं हुआ तो कुछ नहीं हुआ। अब जाओ!

मम्मी फोन इस्तेमाल करते हुए मेरे पास से अपने कमरे में चली जाती हैं। मैं उन्हें अकेला छोड़ देता हूँ ताकि वो थोड़ा खुद को संभाल सकें। आरिफ और मौसी फ़ौरन मम्मी के कमरे में जाते हैं। थोड़ी देर बाद ही आरिफ कमरे से गुस्से में बाहर आता हुआ जुनैद के कमरे की तरफ जाता है। जुनैद कमरे में अपना सामान पैक कर रहा था।

आरिफ अंदर घुसते ही: जुनैद, तूने सविता के साथ अभी यह क्या किया है…?

जुनैद: भाई जान, उस रंडी ने मुझे मेरी औकात दिखाई है। उसे अब मैं इतनी आसानी से नहीं छोडूँगा। भाई जान, आप उसकी तरफ़ से बोल रहे हैं, मुझे तो लगता है आपने ही उसको मेरे खिलाफ़ भड़काया है, वरना उस साली में इतनी हिम्मत नहीं थी।

आरिफ: हाँ, क्योंकि मुझे तेरी नीयत का साफ़ पता था। तू शादी करके सिर्फ उसके पैसों पर राज करना चाहता था।

जुनैद: भाई जान, आपने मेरे साथ अच्छी दोस्ती निभाई। भाई जान, वैसे मैंने उस रंडी के जिस्म के साथ उसका बहुत कुछ लूट लिया है। अब सविता आपको मुबारक हो…

आरिफ: क्या मतलब है तेरा? सविता को अब अगर तूने यहाँ छूने की भी हिम्मत की या… तेरी वजह से मेरी इज़्ज़त पर बात आई तो जुनैद, मैं तेरे साथ बिल्कुल अच्छा नहीं करूँगा!

आरिफ उसका गिरेबान पकड़ कर उसे कमरे से बाहर लेकर जाता है, फिर अपने होटल से भी भगा देता है। अब उसका यह तमाशा देखने में मुझे मज़ा आ रहा था। मैंने मन में ही कहा कि अभी तो तुझे मेरा सबक सीखना बाकी है जो मैंने आगे का प्लान किया हुआ था।

मैं तुरंत मम्मी के कमरे में जाते ही उनसे कहा: मम्मी, यह यहाँ चल क्या रहा है? मैंने बाहर देखा, आरिफ जुनैद को भगा रहा था। आख़िर तुम मुझसे क्या छुपा रही हो?

मौसी: राहुल, शांत हो जाओ। वह उन दोनों का मामला है। यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मम्मी अपना सामान पैक करते हुए: राहुल, प्लीज़ तुम यहाँ शांत रहो। मैं तुम्हें घर जाकर सब बता दूँगी।

मैं यहाँ कुछ इसलिए नहीं कर रहा था कि बेगाने शहर में मैंने कुछ कहा तो मेरी माँ की ही बदनामी हो जाएगी। फिर मैं मम्मी के कहने से भी खुद को शांत कर लेता हूँ ताकि वो भी घर जाने तक नॉर्मल रहें।

मम्मी अपने सभी कपड़ों के बैग पैक करने के बाद जब वह अपना पर्सनल हैंड बैग चेक करती हैं, तो वो चौंक जाती हैं और उनकी आँखों से आँसू आ जाते हैं। मैं पास जाते हुए अंदर देखा तो मुझे कुछ समझ नहीं आया था। मैं और मौसी जैसे ही उनसे पूछने जाते हैं तो इतने में मम्मी चक्कर खाकर नीचे गिर जाती हैं। मम्मी के होश में आने के बाद उन्होंने जो बताया?

जुनैद जाते-जाते मम्मी को बहुत बड़ा ज़ख़्म देकर गया था। दोस्तों, इस बात को याद करके ही मैं आपको अपनी यह कहानी बता रहा था।

तो दोस्तों, कहानी अभी यहीं खत्म नहीं होती है। इसके आगे जुनैद क्या करके गया और राहुल ने अपनी माँ सविता को कैसे संभाला, वो आपको मैं आगे की कहानी में बताऊँगा। उम्मीद करता हूँ आप सभी को मेरी अभी तक की कहानी पसंद आई होगी।

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