गज़ब का संजोग-1 (Gazab ka sanjog-1)

यह कहानी रश्मी के जीवन में आये बदलाव की है, जिनसे रश्मी कभी खुद की जिंदगी को समझ ना पायी कि उसके जीवन ने कैसे-कैसे संयोग बनाये है।

रश्मी, 40 वर्ष की सुंदर सुशील और हंसमुख महिला अध्यापक है। उसके शरीर की बनावट किसी को भी दीवाना बना दे। उसकी फिगर 36-30-36 है। आँखें नशीली, गुलाब की पंखुड़ियों से पतले होंठ, पतली नाक और सुराहीदार गर्दन, ऐसा चेहरा कि कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाये। बदन के भराव और कटाव बिल्कुल सटीक थे, कमर पतली वहीं वक्ष और कूल्हे बाहर की निकले हुए थे।

रश्मी जिस कॉलेज में टीचर थी, वहा के सीनियर बच्चे और पुरुष शिक्षक सब रश्मी के लिए पागल थे। लेकिन रश्मी इन सब से दूर छोटे बच्चों के साथ टाइम स्पेंड करना पसंद करती है। फिलहाल रश्मी शहर के एक फ्लैट में अपने दूसरे पति वरुण (48 साल) और अपनी बेटी रिया (18 साल) के साथ रहती थी।

रश्मी के दूसरे पति वरुण एक कंपनी मे काम करते थे (पहले पति को किसी कारण से छोड़ दिया), और उसकी बेटी उसके ही कॉलेज में पढ़ती थी। रिया भी अपनी माँ की तरह बहुत खूबसूरत थी। लेकिन रिया जानती थी कि उसकी क्लास के लड़कों की नज़र उसकी माँ पर रहती थी। रिया भी इसे नॉर्मल मानती थी कि जब माँ थी ही इतनी खूबसूरत, तो लड़के बेचारे मरेंगे ही।

रश्मी की जिंदगी मे बवाल तब हुआ, जब उसकी ज़िंदगी मे एक बिगड़ैल लड़के की एंट्री हुई। नीलेश, 19 वर्ष का भोला सा दिखने वाला लड़का बहुत ही बदमाश था। पढ़ाई कम और लड़ाई ज्यादा करता था।आँखे नीली और आँखों पे हमेशा बाल झूलते थे, जिसे वो फूंक मार के स्टाइल से उड़ाता था। अपने माँ-बाप का एक-लौता लड़का था।

उसकी अपनी माँ को उसने नहीं देखा था। उसके बाप का कहना था कि वह मर गयी थी और गाव वालों का कहना है कि वो किसी और के साथ भाग गयी। नीलेश अपनी सौतेली माँ से नफरत करता था और बाप को भी ज्यादा भाव नहीं देता। शहर में अपने दोस्त के साथ एक रूम में रहता था, अपने खर्चे के लिए दोस्त के साथ जुआ खेलता था और पढ़ाई वगैरा के लिए बाप से पैसा लेता था।

जब नीलेश ने रश्मी के कॉलेज मे एंट्री लिया, तभी से उस कॉलेज के सभी सीनियर बच्चे उससे थोड़ा डरने लगे। कई टीचर भी उसके ज्यादा मुह नहीं लगते थे।
जब रश्मी उसकी क्लास मे पढ़ाने गयी, तब रश्मी को ना जाने क्या हुआ, कई बार पढ़ाते-पढ़ाते उसे देखते हुए कही खो सी जा रही थी। सभी बच्चे हंसने लगे। नीलेश भी अपनी कुटिल मुस्कान देने लगा। रश्मी किसी तरह अपनी क्लास ख़त्म करके घर चली आई।

अब हर रोज रश्मी के साथ ऐसा होने लगा। रश्मी नीलेश के प्रति एक विशेष आकर्षण महसूस करने लगी। नीलेश भी रश्मी के प्रति आकर्षण महसूस कर रहा था, लेकिन समझ नहीं पा रहा था। नीलेश और उसके दोस्त के लिए लड़की पटाने और उसके साथ सेक्स करना बहुत सरल था। लेकिन यहां नीलेश कुछ समझ नहीं पा रहा था।

जब रश्मी अपना लंच करने बैठती, तब नीलेश उसके सामने जा बैठता। रश्मी की सांसे तेज हो जाती थी। उसके दिल में एक अजीब सी गुदगुदी होती थी। नीलेश, रश्मी को इस तरह घबराते देख मुस्कुराने लगता और रश्मी भी हलकी सी मुस्कान दे देती।

नीलेश, जो कि लड़ने झगड़ने के अलावा कुछ नहीं करता था, वह रश्मी की क्लास में सबसे अच्छा परफॉर्मेंस देने लगा।

धीरे-धीरे रश्मी उसके अच्छे बर्ताव से खुश होने लगी। अब जब भी रश्मी नीलेश को देखती थी, उसे एक स्वीट सा स्माइल जरूर देती। जो रश्मी इतने सालों से किसी को घास तक नहीं डाली, वो अब एक बिगड़ैल लड़के को देख कर मुस्कुराने लगी थी। रश्मी लंच मे अब एक्स्ट्रा खाना लाने लगी और चुपके से नीलेश को अपना लंच शेयर करने लगी। पता भी नहीं चला कि कब रश्मि उससे बातें भी करने लगी।

नीलेश और रश्मी एक-दूसरे से फोन पर बात करने लगे। रात को जब रश्मी के पति सो जाते, तब नीलेश के साथ खूब प्यार भरी बातें करने लगी। रश्मी जानती थी कि यह उसके लिए ठीक नहीं था, वह खुद उस लड़के से बहुत बड़ी थी और तो और घर में खुद उसके बेटी बड़ी हो रही थी। लेकिन यह आकर्षण इतनी तेज थी कि रश्मि खुद को रोक नहीं पा रही थी।

एक बार कॉलेज से ट्रिप निकला तब रश्मी और नीलेश भी उस ट्रिप पर जा रहे थे। ट्रिप पर सभी टीचर और स्टूडेंट को रहने का अच्छा इंतजाम था। सब रात को एन्जॉय करके सोने चले गये। रश्मी भी टीचर वाले कमरे में जा रही थी, तभी किसी ने उसका हाथ खींचा और वो किसी की बाहों में गिरी। वह नीलेश था, इससे पहले की रश्मी चीखती, नीलेश ने उसका मुंह दबा दिया।

“मैम मैं हूं नीलेश, आप डरो मत, बस मेरे साथ चलो।”

रश्मी की धड़कने तेज हो गयी थी। उसकी आँखें चौड़ी होकर एक टक नीलेश की आँखों में देख रही थी। और यही सोच रही थी कि इतनी रात को अकेले ये लड़का उसे कहा ले जाना चाहता था। लेकिन रश्मी तो जैसे नीलेश से इतनी आकर्षित थी कि बिना कुछ सोचे उसके साथ चल दी।

वे दोनों होटल से थोड़ी दूर जंगल में आ गये, जहां पूर्णिमा की चाँद की रौशनी में रश्मी का गोरा चेहरा साफ देखा जा सकता था। रश्मी अभी भी नीलेश को देख रही थी मानो पूछ रही हो, “इतनी रात को अकेले इस जगह क्या करना चाहता है ये लड़का?”

तभी नीलेश एक गुलाब का फूल निकाल के, रश्मी के सामने एक घुटना मोड़ के बैठ गया। रश्मी, नीलेश का प्रपोजल समझ गयी और बहुत खुश हुई। रश्मी का एक मन कह रहा था कि ये सब ठीक नहीं, लेकिन वहीं दूसरी ओर वह खुद का कंट्रोल खो बैठी थी।

रश्मी ने नीलेश के फूलों को लेते हुए एक कोमल मुस्कान के साथ उसे स्वीकार किया। नीलेश बहुत प्रभावित हुआ। उसने रश्मी का हाथ अपने हाथ में थामे उसकी आँखों मे देखते हुए बोला, “मैम मैं कई महीनों से आपसे अपने दिल की बात कहना चाहता था। आज वो सही समय है, जब मैं अपने दिल की बात आप से कह सकता हूं।”

रश्मि ने भी एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उसे कहने को इजाजत दे दी। मानो वो पहले से ही‌ जानती हो कि नीलेश क्या कहेगा।

नीलेश, रश्मि की इजाजत पाते ही बोला, “मैम मैं जानता हूं कि हमारे बीच का ये रिश्ता समाज स्वीकार नहीं करेगा, और आप तो वैसे भी शादी-शुदा हो। लेकिन मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। मैं तो अपनी फीलिंग्स बताना चाहता हूं कि जब से आपको देखा है, ना जाने क्यूं आपके प्रति मुझे एक अजीब आकर्षण हो रहा है जैसे हम पुराना….”।

रश्मी अधीरता से पूछ बैठी, “हां-हां आगे कहो नीलेश, हम पुराने क्या?” रश्मी खुद ही अपनी अधीरता पर शर्मा गयी।

नीलेश आगे बोला, “आप जानती हो मैम हम दोनों टीचर स्टूडेंट है। फिर भी मुझे ऐसा फील होता है जैसे हम कई जन्मों से एक-दूसरे को जानते है।”

रश्मी को भी ऐसा ही महसूस हुआ था, इसलिए वह कुछ बोल ना पाई।

नीलेश आगे बोला, “क्या आप मेरे प्यार को स्वीकार करोगी मैम? क्या आप मेरे लिए अपने पति से धोखा करोगी? इस समाज से आगे आकर मेरे साथ प्यार को एन्जॉय करोगी?”

रश्मी, नीलेश की बातों से थोड़ा घबरा गयी। वो नहीं चाहती थी कि अपने पति को धोखा दे। नीलेश अब तक रश्मी के बिल्कुल करीब आ चुका था, और धीरे से बोला, “बोलो रश्मी, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगा। तुम जब तक चाहो मेरे साथ अपने प्यार के हसीन पल का मजा ले सकती हो। मैं जानता हूं कि एक शादी-शुदा स्त्री के लिए ये सब मुश्किल होता है। फिर भी हम अपने प्यार को बिना किसी को बताये अंजाम दे सकते है।”

रश्मी की आँखों मे चमक आ गयी और बोली, “क्या ऐसा हो सकता है नीलेश?”

नीलेश और करीब जाते हुए कामुक आवाज़ में बोला, “हां रश्मी, देखो यहां हम समाज के बंधनों से दूर है।”

अब तक नीलेश और रश्मी के होंठ करीब आ चुके थे, और रश्मी भी लगभग सब कुछ भूल कर नीलेश में खो चुकी थी। तभी नीलेश अपने होंठ रश्मी की कोमल होंठ पर रखा और रश्मी ने अपना आँखे बंद कर ली। दोनों अपने प्यार को इस चाँद की रौशनी मे अंजाम देने लगे। नीलेश अपनी बाहें रश्मी की कमर मे लपेटे हुए उसके नंगे हिस्सों को सहला रहा था। वहीं रश्मी उसके बाल सहलाते हुए उसके होंठ चूस रही थी।

दोनों भूल गये थे कि दोनों के बीच टीचर स्टूडेंट का रिश्ता था। दोनों के बीच लगातार किस्स चल रहे थे। यहां उन्हे कोई रोकने वाला भी नहीं था।

To be countinued…