हेलो दोस्तों, मेरा नाम रिंकी है। मैं अभी कॉलेज में पढ़ती हूं। मैं दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर और क्यूट हूं। मेरे ट्यूशन वाले सर मुझसे हमेशा इंप्रेस रहते हैं।
सर का नाम महेश है। उनकी उम्र 40 साल होगी। वह बहुत ही अच्छे टीचर हैं। हम दोनों के बीच पिछले साल से ही कुछ-कुछ चल रहा था। सर मुझे क्लास का मॉनिटर बना दिए थे, और जब सभी क्लास के बच्चे छुट्टी में निकल जाते, तब वह मुझे बोर्ड क्लीन करने के लिए रोक लेते, और जब तक मैं बोर्ड क्लीन करती, वह मुझसे हंसी-मजाक करते रहते।
उनकी हंसी मजाक मुझे बहुत अच्छी लगती थी। मैं भी उनके साथ मस्ती किया करती थी। वह मुझे इधर-उधर टच भी कर देते, कभी मेरे गालों को सहला देते। मैं उनकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानती थी।
इसी बीच एक दिन बारिश हो रही थी, और पढ़ने के लिए मैं और दो लड़के और आए हुए थे। सर लगभग आधा घंटा ही पढ़ाये होंगे, कि बारिश थोड़ा कम हुई। तभी दोनों लड़के छुट्टी की जिद करने लगे, तो सर ने उन दोनों को छुट्टी दे दी और मुझे बोले कि, “रिंकी तुम तभी जाना जब बारिश पूरी तरीके से छूट जाए।”
मैं बारिश छूटने का वेट करने लगी, कि तभी सर थोड़ा देर में बाहर से आए, और बोले कि, “बारिश तो फिर से तेज हो गयी। अभी तुम्हें यही रुकना होगा।” मैं बेंच पर बैठी बारिश रुकने का वेट करने लगी। सर मेरे पास आकर बैठ गए। हम दोनों के बीच मस्तियां शुरू हो गई। वह मुझे इधर-उधर गुदगुदाने लगते, और मैं उन्हें बड़े प्यार से डांटती।
उस दिन हम लोग काफी देर तक बातें किये, और इसी बीच उन्होंने मुझे अपने दिल की बात बता दी। मेरे दिल में भी उनके लिए वहीं प्यार था। उस दिन उन्होंने पहली बार मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे बाल और पीठ को सहलाने लगे। हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे की बाहों में रहे।
उस दिन पहली बार उन्होंने मेरे गाल को चूमा, और होंठों को चूमने को किया तो मैं शर्म से उनके पास से भाग गई। सर मुझे शर्माते हुए देख कर बोले, “आज तो शर्मा रही हो, लेकिन एक दिन तुम्हें सब कुछ मेरे लिए करना होगा,” और हंसने लगे। मैं भी मुंह छुपा कर हंस रही थी। तभी बारिश छूट चुकी थी। मैं सर की ओर देखी, तो वो मुझे जाने की इजाज़त दे दिए।
उस दिन मैं घर चली गई, और उस दिन के बाद हम दोनों क्लास में इशारों-इशारों में बहुत कुछ बातें कर लेते थे। फिर आया टीचर्स डे। उस दिन सर ने केक कटिंग का बहुत ही अच्छा प्रोग्राम रखा था। हम सभी स्टूडेंट्स उस दिन गए थे। मैं उस दिन बहुत ही सुंदर वाइट रंग की फ्रॉक पहन कर गई थी। सर मुझे देख कर पागल हुए जा रहे थे।
सब कुछ बहुत ही अच्छा रहा। सर ने मुझे चुपके से पास बुलाया और बोले कि, “जब सभी लोग चले जाएंगे, तो किसी बहाने से तुम रुक जाना।” मैं उनकी चालाकी को समझ रही थी, और मुस्कुरा रही थी। हम सभी घर जाने लगे। तभी मैंने अपनी सहेलियों से बोला कि, “मेरा मोबाइल क्लास में ही छूट गया है। मैं थोड़ी देर में लेकर चली आऊंगी, तुम लोग चले जाओ।” वे लोग चली गई, और मैं फिर से क्लास में चली आई।
मेरे क्लास में आते ही सर ने दरवाजा बंद किया, और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। वो मेरे गाल और होंठों पर किस्स करते हुए बोले, “रिंकी आज मुझे टीचर्स डे पर तुमसे स्पेशल गिफ्ट चाहिए।”
मैं समझ गई कि सर क्या चाह रहे थे। मैं अपनी बाहों को उनके गले में डाली, और उनके होंठों पर अपने कोमल लाल होंठों को लगा दी। मेरी सहमति को वह समझ गए और मुझे बेंच पर बिठा कर खुद खड़े होकर मेरे होंठों को चूसने लगे। सर बड़े प्यार से मेरे होंठों को चूस रहे थे, और मैं अपनी आंखें बंद की हुई उनके बालों को सहला रही थी।
सर का हाथ मेरे फ्रॉक के भीतर नन्हीं-नन्हीं चूचियों पर पहुंच चुका था, आआआहहहहह… सर…। सर लगातार मेरी चूचियों को सहला रहे थे, और मेरे होंठों को चूस रहे थे। सर ने मेरे फ्रॉक के ऊपर से चूचियों को निकाला, और मुंह में लेकर चूसने लगी आआआआहहहहहह… ऊऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह…।
सर ने मुझे बेंच पर लिटा दिया, और मेरी फ्रॉक को उठा दिया। मेरी गोरी-गोरी जांघें सर के सामने थी। वो मेरी जांघों को चूमते हुए मेरे पेंटी तक पहुंच गए, और मेरी पेंटी को खींच कर निकाल दिए। मेरी टांगों को फैला कर मेरी कोमल छोटी सी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगे आआआआहहहहहहह… सर… ऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह…।
फिर सर अपनी पैंट से अपने लंड को निकाल कर मेरी चूत में डालने लगे। आआहहहहहह… सर ने बहुत कोशिश की अपने लंड को मेरी चूत में डालने की, पर मेरी चूत अभी बहुत टाइट थी, और लंड नहीं जा पा रहा था अंदर।
सर ने चूत पर वैसलीन लगायी, और उंगली से चूत को ढीला किया। उसके बाद लंड को चूत में घुसा दिया तो टोपी बहुत तेज़ी से अंदर घुस गई। मेरी आंखें बंद हो गई, और आंसू निकलने लगे। आआहहहहह मररर गयी… ऊऊह्ह्ह्हह्ह…।
सर बहुत आराम से मेरे चूचियों को सहलाए और धीरे-धीरे आधे लंड से चुदाई करना शुरू कर दिए। जब मैं शांत हो गई, तब उन्होंने एक बार फिर से धक्का दिया, और पूरा लंड अंदर घुसा दिया। मेरी तो जान ही निकल गई आआहहहहहह… उउउउह्ह्हह्ह्ह्ह…।
थोड़ी देर तक सर मेरी चूचियों को सहलाते रहे। उसके बाद धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिए। सर 40 साल के गबरू जवान थे, और मैं उनके सामने 19 साल की नाजुक कली थी। आज पहली बार मैं किसी का लंड देख रही थी, और अपनी चूत में ले रही थी, आआहहहह…
मैं बेंच पर लेटी हुई थी, और सर मेरी चूत में धक्के मार कर मेरी चुदाई कर रहे थे। सर ने काफी देर तक मेरी चुदाई की, और उसके बाद हम दोनों झड़ गए। सर मेरे पेट के ऊपर अपना सारा माल निकाल दिये। उसके बाद सर ने मुझे साफ किया और मेरी चूत फूल गई थी। सर ने मुझे वैसे ही लेट कर आराम करने को कहा, और बाहर से दवा लेने चले गए।
थोड़ी देर बाद वो दवा लेकर आए, और मुझे दी, और मैं दवा खा कर वहीं आराम करने लगी। दोपहर को जब मेरी चूत में दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैं घर वापस चली गई। मैं टीचर्स डे के दिन सर को गिफ्ट में अपनी चूत दे दी थी। फिर वो स्टूडेंट डे के दिन रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मुझे घूमाने के लिए ले गए, और होटल में बहुत ही जबरदस्त तरीके से मुझे पूरी नंगी करके मेरी चुदाई की।
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