टीचर ने प्यार है बोल के चोद डाला-2 (Teacher Ne Pyar Hai Bol Ke Chod Dala-2)

पिछला भाग पढ़े:- टीचर ने प्यार है बोल के चोद डाला-1

मैं सौम्य अपनी चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेके आई हूं। अगर आपने पिछला पार्ट अभी तक नहीं पढ़ा है, तो उसको पहले जरूर पढ़ ले।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे मैं अपने गणित के अध्यापक रोहन सर से प्यार कर बैठी। फिर ट्यूशन पर मैंने उन्हें कार्ड दे कर अपने प्यार का इजहार किया। उन्होंने भी अपने प्यार का इजहार किया, और हमारे बीच उसी वक्त सेक्स शुरू हो गया। रोहन सर ने मुझे खूब चूसा, और नंगी कर दिया। फिर उन्होंने मेरी चूत चूस कर उसका पानी भी पिया। उसके बाद वो अपने कपड़े खोलने लगे। अब आगे बढ़ते है-

रोहन सर अपने कपड़े खोल रहे थे, और मैं उनकी तरफ बड़े ध्यान से देख रही थी। ये जिंदगी में पहली बार था जब मैं किसी मर्द को अपने सामने नंगा होता देख रही थी। उनके कपड़े जैसे-जैसे उतर रहे थे, मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी।

अब रोहन सर के शरीर पर सिर्फ उनका अंडरवियर बाकी रह गया था। उनके अंडरवियर के अंदर उनके खड़े हुए लंड का उभार साफ दिख रहा था। मेरी चूत पानी छोड़े जा रही थी। मैंने छोटे लड़कों की लुल्ली तो बहुत बार देखी थी, लेकिन एक मर्द का लंड पहली बार देखने जा रही थी।

फिर सर ने अपना अंडरवियर नीचे किया, और अपना काला भुजंग बाहर निकाल लिया। उनके लंड को देख कर ही मेरी उफ्फ निकल गई। मेरे मन में एक डर सा भी उठा, कि इतना बड़ा लंड मेरे अंदर कैसे जायेगा। सर ने अपने लंड को अपने हाथ से हिलाया, और मुझे बोले-

सर: सौम्या चूसोगी नहीं इसको?

मैंने पोर्न वीडियो में बहुत बार लड़की को लड़के का लंड चूसते हुए देखा था। लेकिन मुझे लगता था कि असली ज़िंदगी में ऐसा नहीं होता होगा। मैंने अपनी सहेलियों से भी इस बारे में जब कभी बात की थी, तो उन्होंने भी यहीं कहा था कि असल जिंदगी में लंड नहीं चूसती लड़कियां। लेकिन जब सर ने मुझे लंड चूसने की बात बोली, तो मुझे लगा शायद मैं गलत थी, और लंड चूसते होंगे असल जिंदगी में भी।

ये सोच कर मैं उठी, और बिस्तर पर अपने घुटनों के बल बैठ गई। सर बिस्तर के पास आए, और उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह के सामने कर दिया। जब मैंने उनका लंड पकड़ा, तो मेरे जिस्म में एक कंपन सा होने लगा। उनका लंड लकड़ी की छड़ी की तरह सख्त था। मैंने उसको पहले ऊपर-नीचे किया, क्योंकि मैं देखना चाहती थी कि लंड ऊपर-नीचे कैसे होता है। इसमें मुझे बहुत मजा आया।

फिर मैंने लंड पर अपनी जीभ फिराई। मुझे ये देखना था कि इसका स्वाद कहीं बुरा ना हो। लेकिन जीभ फिरा कर जो स्वाद मुझे आया वो कुछ नए प्रकार का था, और नमकीन सा था। फिर मैंने लंड मुंह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया। पहले-पहले तो मुझे ऐसा लगा कि मुझे उल्टी आ जाएगी, लेकिन फिर मजा आने लगा।

कुछ देर में सर ने मेरे बाल पकड़े, और जोर-जोर से मेरे मुंह में धक्के देने लगे। इससे मेरे मुंह में दर्द होने लगा, और मेरी आंखों से आंसू आने लगे। लेकिन मैं सर के प्यार में इतनी पागल थी, कि वो जो कर रहे थे मेरे साथ, मैं करने दे रही थी। लगभग 5 मिनट उन्होंने मेरे मुंह की जबरदस्त चुदाई की।

फिर उन्होंने मुझे वापस लिटाया, और मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया, जिससे मेरे जिस्म में खलबली मच गई। फिर उन्होंने लंड का टोपा चूत के मुंह पर सेट किया, और जोर का धक्का मार कर आधा लंड अंदर घुसा दिया। मुझे बहुत दर्द हुआ। ऐसा लग जैसे किसी ने छुरा घोंप दिया हो। मैं उनको पीछे धक्का देने लगी, लेकिन वो धक्के मारते गए, और पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी तो जान निकल गई।

मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे, लेकिन मेरा प्यार मुझे रौंदे जा रहा था। पूरा लंड घुसा कर वो वैसे ही रुके रहे, और मेरे होंठ और चूचे चूसते रहे। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे अब चुदाई की तलब लगने लगी। तो मैंने नीचे से कमर हिलानी शुरू की। मेरा इशारा वो समझ गए, और मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगे। पहले-पहले तो मुझे जलन हो रही थी,‌ लेकिन फिर बहुत मजा आने लगा। अब मैं भी सर के होंठ चूस रही थी, जब वो मेरी चुदाई कर रहे थे।

धीरे-धीरे उन्होंने स्पीड बहुत तेज कर दी। मैं आहें भर कर मजा ले रही थी। कुछ देर में मैं अपने चरम पर पहुंच गई, और मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया। लेकिन सर अभी भी धक्के मारे जा रहे थे।

फिर उन्होंने मेरी चूत से लंड निकाला, और मुझे घोड़ी बना लिया। मैं थक चुकी थी, फिर भी उनके कहने पर घोड़ी बन गई। फिर उन्होंने लंड पीछे से मेरी चूत में डाला, और धपा-धप मेरी चुदाई करने लगे। मुझे दर्द हो रहा था तो मैंने सर को बताया। वो बोले कि उनका बस होने वाला था।

फिर 15 मिनट और उन्होंने मुझे चोदा, और फिर लंड बाहर निकाल कर मेरे मुंह के सामने आ गए। फिर उनके लंड से निकली पिचकारी सीधे मेरे मुंह पर आ गिरी। ये मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई बाजारू रंडी थी। पर मेरे अंधे प्यार में मुझे ये भी मंजूर था।

उसके बाद मैंने अपनी सफाई की, और लंगड़ाते हुए घर चली गई। उसके बाद अक्सर ट्यूशन के बाद सर मुझे चोदने लगे। मुझे भी उनसे चुदने की आदत लग गई थी, तो मैं जब वो कहते उनके सामने टांगें खोल देती थी।

फिर एक दिन मैं कॉलेज गई तो मुझे मेरी सहेली ने बताया कि सर की शादी किसी विदेशी लड़की के साथ फिक्स हो चुकी थी, और उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। ये सुन कर मेरे पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। उन दोनों मैं ट्यूशन नहीं जा रही थी, तो मैंने सर को फोन करके कहा-

मैं: सर आपकी शादी तय हो चुकी है?

सर: हां, क्यों?

मैं: और मेरे साथ जो आप कर रहे थे, वो क्या था?

सर: वो तो दोस्ती थी हमारी। मैंने कभी बिना तुम्हारी मर्जी के कुछ नहीं किया। आज के बाद फोन मत करना मुझे। हमारी दोस्ती इतनी ही थी।

मैं समझ गई थी कि मैं उनके लिए क्या थी। मेरी चूत का भोंसड़ा बना कर उन्होंने मुझे छोड़ दिया था।

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