जेठ जी के बड़े लड़के ने चोदा (Jeth Ji Ke Bade Ladke Ne Choda)

मेरा नाम सुनीता है, और मेरी उम्र अभी 28 साल है। मैं गोरे-चिट्टे शरीर की मालकिन हूं। बाजार जाती हूं तो हर किसी का नज़र मेरे ही ऊपर होती है। मेरे दो बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं। मेरे पति काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते हैं। घर पर मैं, सास-ससुर, जेठ-जेठानी, और उनके दो बच्चे रहते हैं। जेठ जी के बच्चों का उम्र 18 और 20 साल है।

यह कहानी मेरे और जेठ जी के बड़े लड़के जय की है। जय जब से जवान हुआ है, तब से उसकी नज़र मेरे ऊपर खराब है। वह हमेशा मुझे घूरता रहता है। कभी मैं बाथरूम में नहाने जाती, तब ऐसा लगता कि कोई मुझे देख रहा है। परंतु मैं उसे बच्चा समझ कर इन सब बातों को इग्नोर कर देती हूं।

जय को मैंने कई बार हस्तमैथुन करते हुए देखा है। उसके इन्हीं कर्मों से वह बहुत दुबला-पतला हो गया है। मैं कई बार जय को मजाक में ही बोल देती थी-

मैं: क्या बात है जय, तुम तो हर दिन दुबले ही होते जा रहे हो?( और मैं हंस देती थी।)

फिर बेचारा जय भी शर्मा कर हंसते हुए वहां से भाग जाता था। पिछले साल की ही बात है। नवंबर में मुझे मेरे गांव में एक सहेली की शादी के लिए जाना था। यह बात अपने पति को बताई, तब उन्होंने कहा कि उनके पास टाइम नहीं था, और मैं घर के किसी सदस्य के साथ चली जाऊं।

यह बात मैंने अपने सास-ससुर को बताई। तब उन्होंने कहा कि मैं जेठ जी के साथ चली जाऊं। परंतु दीदी ने मना करते हुए यह कहा कि खेतों में काम था, तो जेठ जी नहीं जा सकते थे। तब उन्होंने सुझाव दिया कि मैं जय के साथ चली जाऊं।

यह सुझाव मुझे अच्छा लगा। फिर मैं जाने की तैयारी करने लगी। मेरे दोनों बच्चों का स्कूल था, इसलिए सास-ससुर ने उन्हें अपने पास रख लिया। मैं जय के साथ अपने गांव निकलने के लिए तैयार हो गयी। हम दोनों एक बस पकड़ कर गांव के लिए निकल गए। जय मेरे साथ ही बैठा हुआ था और वह बहुत खुश लग रहा था।

मैंने जय से मजाक मे कही: और बताओ जय, शादी करने का मन करता है कि नहीं?

बेचारा जय शरमाते हुए बोला-

जय: क्या चाची आप भी हमेशा मजाक करती रहती हो?

मैं उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ ली और धीरे से बोली: जय देखो, शर्माओ नहीं। तुम मुझसे कुछ भी खुल कर बोल सकते हो।

जय (हकलाते हुए): नहीं चाची, ऐसी बात नहीं है। मुझे अभी शादी नहीं करनी।

मैं: अच्छा जी पसंद तो कोई होगा ही? तुम्हारा मन तो झटपटाता ही होगा उसके लिए।

जय: क्या चाची आप भी।

और हम दोनों मुस्कुराने लगे। बस अपनी रफ्तार में चल रही थी। सभी लोग अपनी-अपनी सीट पर शान्त बैठे हुए थे। हम दोनों भी चुप-चाप बैठ कर बात कर रहे थे। हमारे शरीर आपस में रगड़ खा रहे थे, जिससे हम दोनों को आनंद आ रहा था।

मैं: अच्छा जय, यह तो बताओ कि कैसी लड़की तुम्हें पसंद है?

जय मेरी तरफ देखा, और शर्मा कर मुस्कुराने लगा। मैं समझ गई कि उसके मन में क्या चल रहा था? फिर हम ऐसे ही बातें करते हुए गांव पहुंच गए। हम दोनों मेरे घर गए, जहां पर मेरे भैया-भाभी और मां-पिता जी थे।

मां-पिता जी बुजुर्ग हो गए थे। भैया मुझसे लगभग 4 साल बड़े थे। भाभी भी मुझसे तीन-चार साल बड़ी थी। मैंने जय से सब का परिचय कराया, और फिर हम दोनों सहेली के यहां चले गए जिसकी शादी थी। मैं अपनी सहेली से मिल कर बहुत खुश थी।

मैं गांव में पली बड़ी थी, इसलिए मेरी शादी 20 साल की उम्र में ही हो गई थी, और मेरी सहेली शहर में पढ़ी-लिखने चाली गयी थी, इसलिए उसकी शादी 28 की उम्र में हो रही थी।

हम दोनों सहेलियां गांव में ही 12वीं तक पढ़ी थी। 12वीं के बाद मेरी शादी हो गई, और यह अपने शहर में पढ़ने के लिए चली गई थी। मेरी सहेली की जिससे शादी हो रही थी, वह कई साल से दोनों रिलेशनशिप में थे, और अब जाकर दोनों ने शादी का फैसला लिया था। मैंने जीजू को देखा वह काफी लंबे,‌ चौड़े, और सुंदर थे। हमने शादी में खूब इंजॉय किया। जीजू बहुत ही मजाकिया किस्म के आदमी थे।

उन्होंने मुझे छेड़ते हुए कहा: साली जी यदि आप अभी कुंवारी होती, तो मैं शादी तो आपसे ही करता।

और उन्होंने मेरी कमर में चिकोटी काट ली, जिससे मैं चौंक गई। जय भी वहीं खड़ा था सभी यह देख कर हंस रहे थे, पर जय का चेहरा उतर चुका था। मैं भी इस बात को हंसी में डालते हुए वहां से भाग गयी। कुछ देर बाद जय मुझे कहीं दिख नहीं रहा था, तो मैं किसी से पूछी। तब पता चला कि जय खेतों की ओर गया था। तब मैं उसे ढूंढते हुए खेतों की ओर जाने लगी।

घर के पीछे ही बड़े-बड़े गन्ने के खेत थे। मुझे डर भी लग रहा था, पर मुझे जय को भी ढूंढना था। खेतों में जैसे ही थोड़ी पीछे की ओर गई, तब वहां कोई मुझे खड़ा दिखाई दिया। मैंने उसे धीरे से आवाज दी, “जय क्या यह तुम हो?” जब वह पलटा तब मैं देखी कि वह जय ही था। मैं उसके पास गई तब जय मेरे सीने से लिपट गया।

जय: चाची मेरा यहां बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है।

मैं धीरे से बोली: इतनी रात को खेतों में क्या कर रहे हो?

जय शरमाते हुए बोला: वो मैं मूतने आया था।

हम दोनों इस बात पर हंस पड़े।

फिर मैं बोली: चलो अब यहां से चलते हैं। नहीं तो कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?

जय मुझसे लिपटे हुए ही बोला: कोई भला क्यों कुछ सोचेगा? और इतनी रात को कोई यहां भला क्यों ही आएगा?

इसकी बात सुन मैं मुस्कुरा पड़ी।

मैं: अच्छा जी यदि कोई हमें देख लेगा तो वह क्या सोचेगा हम दोनों का रिश्ता मां-बेटे जैसा है?

जय अपनी बाहों में मुझे और जोर से जकड़ लेता है। मैं उसकी बाहों में खोने लगी थी।

जय: चाची जाने क्यों आज मुझे आपको छोड़ने का मन नहीं कर रहा है?

मैं: परंतु बेटा हमें यदि कोई इस हालत में देख लिया तो गजब हो जाएगा।

जय: कोई नहीं देखेगा बस मुझे आपके साथ ऐसे ही कुछ देर रहना है। मेरा बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा आपको छोड़ने का।

मन तो मेरा भी यही कर रहा था,‌ कि मैं उसके बाहों में खड़ी रहूं। पता नहीं क्या हो गया था। मैं उसके पतले दुबले शरीर के आकर्षण के जाल में फसती चली जा रही थी। मन कर रहा था उसके पतले-पतले होंठ को अपने होंठों से दबा कर चूस लूं। उसकी गर्म सांसे मेरी सांसों से टकरा रही थी। हम दोनों की इच्छा शक्तियां बढ़ रही थी?

मैं: परंतु बेटा कोई यदि यहां हमें ढूंढते हुए आ गया तो बहुत गजब हो जाएगा। हमें यहां से चलना चाहिए। मुझे बहुत डर लग रहा है। चलो यहां से जय।

जय: ऐसी बात है तो फिर और भीतर चलते हैं। चाची आज मेरा बिल्कुल भी मन नहीं हो रहा है आपको छोड़ने का।

फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ, और वह मुझे जैसा बोल रहा था मैं वैसा करती चली गई। वह मुझे अंदर खेतों के बीचों-बीच लेकर चला गया। खेत के बीच में थोड़ी सी जगह खाली थी, जहां पर हम दोनों खड़े थे। वह मुझे अपनी बाहों में कस के भर लिया, और मेरे गाल को धीरे से चूम कर मेरे सीने पर सर रख कर मुझे जकड़ लिया।

खेत में बिल्कुल अंधेरा था। हम दोनों एक दूसरे की सांसों को सुन सकते थे इतना सन्नाटा था। चांद की हल्की रोशनी में हम दोनों की हल्की-हल्की चेहरे की झलक नज़र आ रही थी। वह मुझे वहीं खेतों में नीचे लिटा दिया, और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिया।

मैं अपनी आंख बंद करके अपने भतीजे के होंठों को चूसने लगी। उसके बालों को सहला रही थी, तो कभी उसकी पीठ को सहला रही थी। जय मेरी होंठों को चूसते हुए अपने एक हाथ से मेरी चूचियों को दबोचने लगा। हम दोनों एक-दूसरे के प्यार के खुमार में मशगूल हो गए थे।

जय ने झट से मेरे ब्लाउज के बटन खोले, और मेरी दोनों चूचियों को निकाल कर उन्हें चूसने लगा। जय बारी-बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूस रहा था, और मैं उसके बालों को प्यार से सहला रही थी। मैं इतना मदहोश हो गई थी कि ऐसा लग रहा था कि मुंह से शिष्कार कर जोर-जोर से फूट पड़ेगी।

मैं अपने होंठों को दांतों से काट रही थी, और जय से अपनी चूचियों को चुसवा रही थी। फिर जय मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरे दोनों टांगों के बीच में आकर बैठ गया, और मेरे साड़ी को कमर तक उठा कर, मेरी पैंटी को निकाल कर, अपने हाथ में लेकर सूंघने लगा।

मैं उसकी इस हरकत से एक-दम मदहोश हो गई। जय अपनी जीभ को मेरी चूत के पास लाया, और धीरे से सहलाने लगा। उसके जीभ के स्पर्श से ही मेरा रोम-रोम सिहार उठा। कुछ देर के चूत चटाई के बाद मैं अपनी आंखें खोली। तब देखी कि जय अपने लंड को मेरे चूत पर रख कर रगड़ रहा था।

मैंने मदहोशी में अपनी आंखें बंद कर ली। जय धीरे से रगड़ते हुए अपने लंड का प्रहार मेरी चूत पर किया, और कुछ ही पल मे पूरा लंड अंदर डाल दिया। उफ्फ आह मर गई जय आह! जय अपने होठों से मेरे होठों को बंद कर दिया, और धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। मेरे पैर हवा में लटके हुए थे, और वह धीरे-धीरे मेरी चूत में धक्का मार रहा था।

मैं अपनी आंखों को बंद करके उसके होंठ चुसाई और अपनी चूत चुदाई का आनंद ले रही थी। थोड़ी ही देर बाद जय तेज धक्के लगाने शुरू किए, और कुछ ही देर बाद वह एक जोर के धक्के के साथ मेरी चूत में ही झड़ गया।

जय जोर-जोर से हांफने लगा। मैं उसकी पीठ और बाल को सहलाने लगी। उसका लंड अभी भी मेरे चूत में रस छोड़ रहा था। मैं उसके कान को कभी चूमती, और उसके बालों को सहलाती। फिर मैं उठी और उसके होंठों को चूमते हुए उससे बोली कि, “कोई बात नहीं, अगली बार हम घर पर करेंगे, और खूब मजे के साथ ज्यादा देर तक करेंगे। यह पहली बार था, इसलिए ऐसा हुआ। पर तुम चिंता मत करो, अगली बार हम पूरा मजा लेंगे, और फिर मैं उसके होठों को चूमी, और हम दोनों वहां से निकल आए।

फिर मैं वहां से आकर के ड्रेसिंग रूम में गई और अपने आप को पूरी तरह से ठीक की। उसके बाद अपनी सहेली के पास गई। वहां उसकी शादी हो चुकी थी। उसने मुझे देखते ही पूछा कि, “तुम इतनी देर कहां चली गई थी? मैंने तुम्हें कई बार ढूंढने की कोशिश की?”

मैं उसके कान में जाकर बोली कि, “मुझे बाथरूम आई थी तो मैं वहीं चली गई थी।” यह सुनकर मेरी सहेली मुस्कुराने लगी। फिर जीजू ने मेरे कमर में चिकोटी काटते हुए और मजा लेते हुए बोले कि, “वाह साली जी, एक बार मुझे बोल दिया होता, तो मैं आपके साथ चला जाता,” और फिर वह हंसने लगे। शायद उन्होंने भी मेरी बातों को सुन लिया था।

शादी जब खत्म हुई तब मैं वहां से जय के साथ अपने घर लौट कर आ गयी।