जेठ जी के बड़े लड़के ने चोदा-2 (Jeth Ji Ke Bade Ladke Ne Choda-2)

पिछला भाग पढ़े:- जेठ जी के बड़े लड़के ने चोदा

मेरा नाम सुनीता है, और मेरी उम्र अभी 28 साल है। मैं गोरे-चिट्टे शरीर की मालकिन हूं। बाजार जाती हूं तो हर किसी का नज़र मेरे ही ऊपर होती है। मेरे दो बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं। मेरे पति काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते हैं। घर पर मैं, सास-ससुर, जेठ-जेठानी, और उनके दो बच्चे रहते हैं। जेठ जी के बच्चों का उम्र 18 और 20 साल है।

यह कहानी मेरे और जेठ जी के बड़े लड़के जय की है। यह जेठ जी के लड़के से चुदाई के अगले भाग की कहानी है। इसके पिछले भाग में मैं अब तक बताई कि किस तरह शादी में जाने के बाद वहां पर खेतों में जेठ जी के बड़े लड़के ने मुझे पहली बार चोदा। परंतु वह संतुष्ट नहीं हो पाया था। क्योंकि उसका बहुत जल्दी ही मेरे अंदर निकल गया था।

शादी के अगले दिन ही हम दोनों घर वापस लौट आए थे। घर वापस जब मैं लौट कर आई, तब हम दोनों को कोई मौका ही नहीं मिल रहा था कि एक-दूसरे के पास आ पाए।

इसी बीच शहर से मेरे पति भी लौट कर वापस आ गए थे, और मैं अपने पति के साथ ही बिज़ी रहने लगी। मैं जय पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी, परंतु जय का मन तो करता ही था कि वह कभी भी मुझे पकड़ ले। मैं जब भी बाथरुम में नहाती थी, तो वह मुझे नंगी देखता था। जब भी मैं घर पर अकेली होती थी, तब वह आकर मुझे पकड़ लेता था। परंतु उसकी बुरी किस्मत थी कि कोई ना कोई उसे वक्त घर पर चला आता था।

मेरी और जय का मिलन घर पर तो संभव नहीं था, क्योंकि घर पर कोई ना कोई रहता ही था? जय बेचारा मन मसोस कर रह जाता था। इसी तरह लगभग 6 महीने बीत गए। मेरे पति भी बाहर चले गए, परंतु घर में सास-ससुर, जेठ-जेठानी और मेरे बच्चे के रहते हुए मैं जय के साथ कुछ भी गलत नहीं करना चाहती थी।

मैंने जय को कई बार हस्तमैथुन करते हुए देखी थी। वह बाथरूम में जाता और मेरी पैंटी ब्रा के साथ हस्तमैथुन करके बाहर निकल आता था। वह बेचारा लाचार था। कर भी क्या सकता था? और मैं भी कुछ नहीं कर पा रही थी। मैं तो उसके साथ करना चाहती थी, परंतु घर में घर वालों से डर था?

एक दिन इतवार का दिन था। उस दिन सभी बच्चे घर पर ही थे। जेठ-जेठानी उस दिन खेतों पर गए हुए थे। मेरे सास-ससुर भी खेतों पर गए हुए थे। मैं, जय और उसका भाई और मेरे दोनों बच्चे दोनों घर पर थे।

जय आज मेरी और ललचायी नज़रों से देख रहा था, परंतु मैं उसे कोई चांस नहीं देना चाहती थी, क्योंकि मेरा बच्चे भी यहीं थे, और उसका छोटा भाई भी वहीं था? फिर जय ने अपना दिमाग चलाया, और लुका-छुपी खेलने का उपाय सोचा।

मैं उसकी सूझ-बूझ पर थोड़ा मुस्कुराई। सभी बच्चे लुका-छिपी खेल के लिए बड़े उत्साहित थे। सबसे पहले उसने मेरे बच्चे को चोर बनाया, और उसे बाहर भेज दिया, और फिर हम सभी छुप गए। सभी बच्चे अलग-अलग जगह पर छिपे थे। मैं ऊपर छत के एक अंधेरे कोने में जाकर छिप गई‌। वहीं पर जय भी मेरे पास आकर मेरे से सट कर छुप गया? उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे गर्दन को चूमना शुरू कर दिया।

जय:आआआह्ह चाची आज कितने दिनों बाद आप मुझे मिली हो। मेरा तो मन ही नहीं कर रहा आपको छोड़ने का। मन कर रहा है बस आपकी इन मुलायम गालों को चूमता रहूं।

मैं: उउउफ्फ्फ्फ़ जय थोड़ा आराम से करो। मैं कहीं भाग नहीं जा रही हूं। मैं तुम्हारे लिए ही तो हूं।

जय: चाची बस आज मत मना करना। आज मुझे काम को पूरा कर लेने दो। आज मैं आपके साथ वह सब करूंगा जो उस दिन ठीक से नहीं कर पाया था।

यह कहते हुए जय ने मेरी चूचियों पर धावा बोल दिया, और कपड़े के ऊपर से ही उसे दबाने लगा, और चूचियों को दबाते हुए वह मेरी गर्दन को चूमने लगा। कभी पीठ को चूमता, कभी मेरे मुलायम गालों को चूमता।

मैं जय के प्यार में पागल हुए जा रही थी। उसका लंड खड़ा हो गया था, और मेरी गांड में घुसे जा रहा था। कपड़े के ऊपर से ही जय लगातार मेरी चूचियों को मसल रहा था, और मैं उसके बालों को सलाह रही थी। उसे बस अपना कर लेना चाहती थी, कि तभी बाहर बच्चे शोर मचाने लगे। मैं समझ गई कि कोई ना कोई नया चोर बन गया था। तभी मैं हम दोनों भी निकल कर बाहर आ गए।

इस बार जय का छोटा भाई चोर बना था, और वह बाहर चला गया। फिर मेरे दोनों बच्चे अलग-अलग जगह पर छिप गये, और मैं भी इस अंधेरी कोठरी में चली गई, और जय भी मेरे पीछे आकर मुझे पकड़ लिया, और मुझे किस्स करना फिर से शुरू कर दिया।

इस बार मैं उसके बालों को सहलाते हुए उसके मुलायम होठों को चूसने लगी। उसके गालों को चूमने लगी। वह भी मेरे गालों को चूम रहा था। मैं उसके होठों को चूमती, और फिर गर्दन पर किस्स करती। वह अपनी आंखें बंद कर लेता, और मुझे अपनी बाहों में पकड़ने की पूरी कोशिश करता।

इसी बीच फिर से शोर होने लगती है, और हम दोनों को फिर से बाहर निकालना पड़ता। इसी तरह खेल चलता रहा। परंतु हम दोनों किस्स और एक-दूसरे को दबाने के अलावा आगे नहीं बढ़ पाए उस दिन।

फिर शाम हो गई, और सभी घर आ गए। फिर से हमें वैसा मौका कभी मिल ही नहीं पा रहा था, कि हम दोनों एक-दूसरे से लिपट जाए। प्यास और बढ़ती जा रही थी।

ऐसे ही एक महीना और बीत गया, और फिर समय आया दिवाली का। दिवाली के दिन मेरा पूरा परिवार बहुत खुश था। हम सभी एक साथ थे, परंतु मेरे पति काम से बाहर थे। उस दिन में अकेली ही थी। मेरे सभी बच्चे पटाखे जला रहे थे। मैं ऊपर दिया जला रही थी।

जय भी दिया लेकर मेरे पास आया, और बोला: मैं भी आपके साथ ही दिया जलाऊंगा।

ऊपर छत पर काफी अंधेरा था। मैं अभी दिए में तेल बना रही थी, कि तभी जय ने मेरे हाथों को खींच कर अपने सीने से सटा लिया।

मै: जय कोई आ जाएगा। छोड़ो मुझे, इस तरह यहां हम नहीं कर सकते कुछ भी, और वैसे भी आज दीपावली है। यदि आज कुछ हुआ तो बहुत बुरा होगा।

इसके आगे इस कहानी में क्या हुआ, हमारा मिलन हुआ, या हम दोनों वासना की आगे में तड़पते रहे, ये सब आपको आने वाले पार्ट्स में पता चलेगा। यहां तक कि कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट करके बताएं।

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