संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-16 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-16)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-15

मैं अपने सभी पाठकों से माफ़ी चाहता हूँ, कि यह कहानी आप तक देर से पहुँची। कुछ निजी कामों की वजह से मैं समय नहीं निकाल पाया। जिन पाठकों ने मुझे ई-मेल किए, उनसे कहना है कि अब अपना लंड कस कर थाम लो, क्योंकि मेरी यह कहानी तुम्हारा पानी ज़रूर निकाल देगी। अब आगे–

कई घंटों के लंबे सफ़र के बाद आख़िरकार रात के 8 बजे हम लोग रिसॉर्ट पहुँच गए। रिसॉर्ट पर आरिफ का एक आदमी हमारा गर्मजोशी से स्वागत करता है। उसने सभी को उनके-अपने कमरे दिखाए और हमारे लिए खाने का इंतज़ाम करवाया।

पहाड़ों की ठंडी हवाओं से सब का बदन काँप रहा था। चारों तरफ़ हरियाली और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ थे। रात में इनकी ऊँचाई ठीक से देख पाना मुश्किल था। थकान भरे सफ़र के बाद हम सब ने गर्म पानी से नहाया, फिर गर्म कपड़े पहन कर डिनर किया।

डिनर के बाद थोड़ी देर होटल के बग़ीचे में बैठ कर बातें की, और फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। मेरा कमरा मम्मी के कमरे के बिल्कुल बगल में था।

सुबह जब मैं सोकर उठा और तैयार होकर मम्मी के कमरे में गया, तो देखा कि मुझसे पहले ही मौसी और जुनैद वहाँ बैठे थे।

मेरी नज़र जैसे ही मम्मी पर पड़ी, दिल थम-सा गया। उन्होंने पीले रंग की मिडी-लेंथ स्लिप ड्रेस पहन रखी थी, जो घुटनों से ज़रा नीचे तक आ रही थी। पतली स्ट्रैप्स वाली उस ड्रेस में मम्मी का फिगर और भी ज़्यादा सेक्सी लग रहा था। ड्रेस कमर से टाइट होकर उनकी बॉडी को उभार रही थी और नीचे से फ्रॉक-स्टाइल फैल रही थी।

मैं मम्मी को देखते ही बोला: हैप्पी बर्थडे, मेरी प्यारी सविता मम्मा।

मम्मी मुस्करा कर अपनी दोनों बाहें फैलाते हुए मुझे गले से लगाई और बोली: थैंक्यू, मेरे बेटे।

फिर मेरे होंठों पर एक छोटा सा किस्स रख कर बोली: इतना लेट क्यों कर दिया विश करने में?

मैंने मुस्करा कर कहा: अच्छा! तो सबसे पहले किसने बोला?

मम्मी ने हँसते हुए जुनैद की तरफ़ देखा और बोली: जुनैद जी ने सबसे पहले विश किया… वो हमेशा फास्ट रहते हैं।

मौसी खिलखिला कर बोली: हाँ, जुनैद को फास्ट तो होना ही पड़ेगा, आखिर वो मेरी छोटी बहन का इतना ख़ास जो हो गया है।

जुनैद तुरंत बात काटते हुए बोला: अब हमें नाश्ते के लिए चलना चाहिए। आरिफ भी आने ही वाला होगा।

हम सब बाहर बग़ीचे में गए, जहाँ से पूरा खुला आसमान नज़र आ रहा था। पहाड़ों के बीच बना वह होटल वाक़ई शानदार था। चारों तरफ़ घना जंगल और ऊँचे-ऊँचे पहाड़। यह नज़ारा देखने लायक था। काफ़ी देर बाद आरिफ आया, सफ़ेद पठानी कुर्ता-पजामा पहने, सर पर सफ़ेद टोपी लगाए, और गले में चमचमाती चाँदी की तसब्बुह लटकाए। वह शान से हमारी ओर बढ़ा।

मैंने नोटिस किया कि आरिफ को देखते ही मौसी और मम्मी के चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई थी। दोनों उसे इस तरह घूर रही थी जैसे कोई स्टार सामने आ गया हो। आरिफ सीधे मम्मी के करीब आया और हल्की मुस्कान के साथ उन्हें बर्थडे विश किया।

मम्मी उसकी आँखों में देखते हुए बोली: थैंक्यू आरिफ जी। आपने मुझे इस रिसॉर्ट पर बुला कर मेरा बर्थडे और भी स्पेशल बना दिया।

आरिफ ने नज़रों में वही शरारत भर कर जवाब दिया: ओह सविता जी, थैंक्स तो मुझे कहना चाहिए कि आप मेरे कहने पर यहाँ आईं।

मम्मी हल्की कातिल मुस्कान देते हुए बोली: आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं, आपको थैंक्स नहीं बोलना चाहिए।

तभी आरिफ ने अपनी बाहें फैलाते हुए कहा: तो क्यों ना दोनों का शुक्रिया एक प्यारे से हग में बदल जाए?

मम्मी उसकी आँखों में झिझक के साथ देखती हैं। थोड़ी नर्वस होकर, हम सब की तरफ़ नज़र दौड़ाने के बाद, आखिरकार वो धीरे-धीरे उसके गले लग जाती हैं। बस एक छोटा-सा हग फिर तुरंत दूर हो जाती हैं।

आरिफ मुस्कराते हुए बोला: आज की रात आपके लिए बहुत हसीन होने वाली है।

मम्मी हल्की-सी शर्माते हुए अलग हो गईं। फिर आरिफ ने मौसी से भी गले मिलना चाहा। लेकिन मौसी तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी। उनकी बाहें ऐसे फैल गईं, जैसे किसी पुराने प्रेमी को अपनी बाहों में भर रही हों।

उसके बाद हम सबने नाश्ता किया और बर्फ़ीली वादियों में घूमने निकल पड़े। उधर मौसी, आरिफ के साथ हाथों में हाथ डाले बाक़ियों से दूर घूम रही थी। मैंने गौर किया कि दोनों में एक अलग ही नज़दीक़ी नज़र आ रही थी।

वहीं, दूसरी तरफ जुनैद मम्मी के साथ अकेले घूम रहा था। मैंने साफ़ देखा कि जुनैद मम्मी को कोई गिफ़्ट दे रहा था। दूर से मुझे गिफ़्ट समझ नहीं आया, लेकिन मम्मी के चेहरे की खुशी देख कर साफ़ लग रहा था कि वो चीज़ उनके दिल को छू गई थी।

आधा दिन यूँ ही बीत गया। होटल लौट कर सबने थोड़ा आराम किया। शाम ढली तो देखा कि आरिफ बगीचे में बर्थडे की सजावट करवा रहा था। मैं मम्मी को ढूँढने उनके कमरे की ओर गया, तो वहाँ भी कुछ लोग फूल और गुब्बारे लगा रहे थे। मैं बेचैन-सा उन्हें ढूँढ रहा था कि तभी मौसी मिली।

मौसी मुस्कराकर बोली: क्या हुआ राहुल? ऐसे इधर-उधर क्यों भटक रहे हो?

मैंने कहा: कुछ नहीं मौसी, बस मम्मी कहीं नज़र नहीं आ रहीं आप जानती हैं वो कहाँ हैं?

मौसी हल्की मज़ाकिया हँसी हँसते हुए बोली: राहुल, वो अब तुम्हें रात में ही दिखेंगी। अभी तो सविता अपने बर्थडे के लिए ख़ास तैयार हो रही हैं। घबराओ मत, वो यहीं होटल में हैं। आज रात पार्लर वाली उन्हें एक-दम ख़ास अंदाज़ में तैयार कर रही है।

मैं थोड़ा चौंक कर बोला: बर्थडे के लिए इतना ख़ास तैयार होना?

मौसी ने आँख दबा कर कहा: राहुल, अभी तुम नहीं समझोगे। आज रात सविता अपनी जवानी को फिर से ताज़ा करना चाहती हैं। तुम खुद देख लेना। अब तुम भी जाकर तैयारी करो… रात में मिलते हैं।

ये कह कर मौसी अपने कमरे की ओर बढ़ गईं। मैं अपने कमरे में बैठा ही था कि अचानक मेरे फोन पर मैसेज आया।
स्क्रीन खोली तो मैसेज मम्मी का था-

मम्मी: राहुल, आज वो खूबसूरत गिफ़्ट देने का समय आ गया है, जो तुम अपनी सविता को खास देना चाहते थे। बीस मिनट बाद मेरे ऊपर वाले कमरे में आ जाना… मैं तुम्हारा इंतज़ार बेसब्री से कर रही हूँ।

मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। मैसेज पढ़ते ही मैं तड़प उठा। किसी तरह बीस मिनट गुज़ारे फिर हाथों में वो डायमंड वाला गिफ़्ट लेकर मम्मी के कमरे की ओर निकल पड़ा। ऊपर मुझे कोई भी नहीं दिख रहा था। शायद यह रूम ख़ास सजाने के लिए ही बनाया गया था।

मैंने दरवाज़े पर हल्की-सी नॉक की तो अंदर से मम्मी की आवाज़ आई: गेट खुला है, आ जाओ।

मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला और हल्के क़दमों से अंदर चला गया। सामने देखा तो मम्मी बड़े से मिरर के सामने खड़ी होकर खुद को निहार रही थी। मेरे आने की आहट पाकर वो पीछे मुड़ी, और हमारी नज़रें टकराईं। मैं वहीं ठहर गया बस उन्हें देखता रह गया।

मम्मी ने लाल रंग का भारी घेरदार लहंगा पहन रखा था, जो ज़मीन तक लिपटा हुआ था। उस पर की गई बारीक कढ़ाई और मोतियों का काम उन्हें और भी रॉयल बना रहा था।

ऊपर लाल रंग की कॉर्सेट-स्टाइल चोली, जो बस बूब्स के नीचे तक थी। चोली एक-दम टाइट, डीप वी-नेकलाइन वाली, जिससे उनकी कसी हुई, भरे-भरे बूब्स की क्लीवेज साफ़ झलक रही थी। नंगा कमर-पेट और नाभि पर चमकती चांदी की करधनी उनके जलवे को और भी खतरनाक बना रही थी। हाथों में मैचिंग चूड़ियों की खनक पूरे कमरे में गूंज रही थी।

उनके खुले रेशमी सुनहरे बाल कंधों पर बिखरे थे, चेहरे पर ब्राइडल मेकअप और नाक की नथ उनकी खूबसूरती को दुल्हन-सा बना रही थी।

वो हल्की मुस्कान के साथ बोली: राहुल, ऐसे ही देखते रहोगे या कुछ कहोगे भी?

मैं उनके क़रीब जाकर धीरे से बोला: मैं मम्मी को नहीं, सविता को देख रहा हूँ… जो आज बिल्कुल दुल्हन लग रही है। पर ये लुक बर्थडे पर क्यों?

मम्मी ने गहरी साँस लेकर कहा: उन पुराने बंधनों से आज़ाद होने के लिए… जो मुझे औरत का असली सुख नहीं दे पाए। आज मैंने खुद को फिर से दुल्हन की तरह सजाया है… ताकि एक नई औरत की ज़िंदगी जी सकूँ। वैसे, सबसे पहले तो तुमने ही मुझे देखा है… बताओ कैसी लग रही हूँ? बाहर सबको अच्छी लगूँगी ना?

मैंने उनका हाथ थाम लिया और धीरे से कहा: कसम से मम्मी, आप तो बिल्कुल 20 साल की हॉट दुल्हन लग रही हैं। काश अपना रिश्ता माँ-बेटे का ना होता तो मैं…

मम्मी: क्या, चुप क्यों हो गए बेटा? बोलो, (मम्मी ने ज़िद की)।

मैंने मुस्करा कर कहा: कुछ नहीं मम्मी बस ऐसे ही खयाल आ गया। आप सच में बहुत हॉट लग रही हैं। अब चलो, मैं आपको अपना सबसे कीमती तोहफ़ा देता हूँ।

मैंने जेब से छोटा-सा डिब्बा निकाला और हार उनके हाथों पर रख दिया। मम्मी की आँखें चमक उठी।

मम्मी धीमे स्वर में बोली: वाव… ये तो बहुत ही खूबसूरत है। (फिर अचानक मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर बोली) थैंक्यू राहुल, तुम्हारा गिफ्ट बहुत सुंदर है।

मैंने शरारत से कहा: तो अब जल्दी पहन कर दिखाइए!

मम्मी हँस कर बोली: ये तुमने दिया है तो तुम ही पहनाओगे।

वो मिरर की तरफ़ मुड़ कर खड़ी हो गईं। मैं उनके पीछे जाकर हार उनके गले में पहनाने लगा। उन्होंने हल्के हाथों से हार को सही जगह सेट किया-

मम्मी मिरर में मेरी तरफ़ देख मुस्कराईं बोली: राहुल, तुम्हारा ये तोहफ़ा मेरे बदन को और भी खूबसूरत बना रहा है। इतना कीमती तोहफ़ा मुझे कभी नहीं मिला। अपना रिश्ता माँ-बेटे का ना होता तो प्लीज़ सच-सच बताओ, राहुल… तुम मेरे लिए क्या करते? तुम्हें मेरी क़सम।

मैंने हार की डोरी कसते हुए उनकी आँखों में सीधे देखते हुए धीमे स्वर में कहा: मैं वो कमी भी पूरी कर सकता था जो पापा कभी नहीं कर पाए।

इतना सुन कर मम्मी का चेहरा जैसे सकपका गया, उनकी आँखों में हल्की-सी चमक और डर दोनों झलक रहे थे। हम कुछ देर तक एक-दूसरे को मिरर में ही घूरते रहे।

मम्मी ने गहरी साँस लेकर खुद को सँभालते हुए कहा: राहुल मैं समझ सकती हूँ, तू मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है। लेकिन हम माँ-बेटे हैं, तुझे ऐसे खयाल नहीं लाने चाहिए।

मैंने हँस कर उनकी बात काट दी: ओहो मम्मी, मैंने तो बस मजाक किया था। वैसे भी सामने इतनी हॉट अप्सरा खड़ी हो तो किसका दिल ना पिघलेगा?

ये सुन कर मम्मी झेंप गईं। उन्होंने झट से मेरे गालों पर एक चुम्मी दी और फिर मुझे अपनी बाँहों में भींच लिया।

मम्मी:‌ नॉटी, अपनी मम्मी से मजाक करता है! तू मेरे लिए अपने पापा से भी ज़्यादा खास है।

मैंने उनकी आँखों में देखते हुए कहा: मम्मी, आप मुझे आज कोई सरप्राइज़ देने वाली थी ना?

मम्मी थोड़ी घबराई-सी, धीमी आवाज़ में बोली: राहुल, मुझे डर है कहीं तू नाराज़ ना हो जाए प्रॉमिस कर, तू मुझे गलत नहीं समझेगा।

मैंने मुस्करा कर उनका हाथ थामा: ऐसी क्या बात है मम्मी, जिससे मैं नाराज़ हो जाऊँगा? आपकी हर खुशी में ही मेरी खुशी है। प्रॉमिस, अब बताओ।

मम्मी ने अपना सिर मेरे सीने पर रख दिया, उनकी साँसें तेज़ हो रही थी। धीरे से बोली: मैं… जुनैद जी को अपने रिश्ते में एक खास जगह दे रही हूँ।

मैं चौंक गया: मतलब? वो जुनैद किस रिश्ते में?

मम्मी डरते-डरते बोली: जुनैद को अपना…

इतना ही कहा था कि तभी अचानक कमरे का दरवाज़ा खुला।

मौसी अन्दर आ गईं और हँसते हुए बोली: अरे छोटी बहन! हम लोग कब से इंतज़ार कर रहे हैं। बाहर केक काटने का समय हो गया है।

उनके पीछे आरिफ भी अन्दर आ गया और बोला: भाभी जी, अब चलिए भी।

मम्मी उनके पास जाने से पहले झटपट मेरे कान में फुसफुसाईं: राहुल, इस बारे में हम बाद में बात करेंगे।

मैंने नज़र उठा कर मौसी और आरिफ को देखा। दोनों ही सफ़ेद कपड़ों में खड़े थे। आरिफ ने पठानी कुर्ता-पायजामा पहन रखा था। मगर मेरी नज़र अटक गई मौसी पर।‌ वो नेट की साड़ी में थी, जो उनके बदन से ऐसे चिपकी थी जैसे पानी में भीगा कपड़ा। उनका ब्लाउज़ पूरी तरह बैकलेस था, बस पतली डोरी से बँधा हुआ। सामने से गला इतना गहरा था कि उनकी चूचियों के बीच की मोटी दरार साफ़ नज़र आ रही थी। मैं एक पल को ठिठक गया सीन मेरे सामने और भी गर्म होता जा रहा था।

मौसी हमारे पास आकर बोली: राहुल, अब सविता से तुम्हारी मुलाक़ात हो गई है तो बाहर चलो। वहाँ कोई और भी है, जो सविता का ख़ास इंतज़ार कर रहा है।

मम्मी शर्माते हुए बोली: दीदी, मुझे ऐसे सबके सामने बाहर जाने में अजीब-सा लग रहा है।

मौसी मुस्करा कर बोली: ओहो सविता, अभी दुल्हन की तरह मत शरमाओ। शर्माने के लिए तुम्हारे पास पूरी रात पड़ी है। चलो।

फिर मौसी ने मम्मी का हाथ पकड़ा और हमें बग़ीचे में लेकर आईं। वहाँ आरिफ ने बहुत ही शानदार सजावट कर रखी थी। होटल के बग़ीचे के बीचों-बीच एक बड़ा सा केक रखा हुआ था। जुनैद उधर खड़ा, बस मम्मी को आते हुए देख रहा था।

जुनैद ने हल्के महरून रंग का पठानी कुर्ता-पायजामा पहना हुआ था, और उस वक्त काफ़ी हैंडसम लग रहा था। होटल में खड़े और लोग भी मम्मी को ही देख रहे थे।

पास आने पर जुनैद और मम्मी की नज़रें टकराईं और दोनों के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। सब के सामने भी मम्मी उसकी आंखों में देख हौले से मुस्करा रही थी।
फिर सबने मिल कर मम्मी को केक काटने के लिए कहा। मम्मी आगे बढ़ी और मुझे व जुनैद को पास बुलाया। मैं मम्मी के एक तरफ खड़ा होकर उनका हाथ पकड़े था, जबकि जुनैद मम्मी के पीछे आकर उनके हाथ पर अपनी पकड़ बनाए था। मौसी दूसरी ओर खड़ी हुईं।

फिर हम सब ने मिल कर केक काटा। तालियों की गूंज के बीच सबने मम्मी को हैप्पी बर्थडे कहा और जश्न शुरू हुआ। मम्मी ने पहले मुझे केक खिलाया, फिर जुनैद और मौसी को।

इतने में मौसी मुझे अचानक साइड में ले जाकर बोली: राहुल, मेरा फ़ोन कमरे में रह गया है। ज़रा प्लीज़ मेरे लिए ले आओ।

मैंने हामी भर दी और उनके कमरे की ओर निकल गया। कुछ देर ढूंढने के बाद मुझे उनका फ़ोन मिल गया और मैं तुरंत बग़ीचे की तरफ लौट आया।

लेकिन जैसे ही मैंने वहाँ का माहौल देखा, मेरी आंखें चौंधिया गईं। सब लोग गोल घेरे में खड़े थे और बीच में मम्मी और जुनैद वे दोनों ऐसा क्या कर रहे थे, ये मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा।

तब तक दोस्तों, अलविदा। बहुत से लोग मुझे मेल करते हैं कि मैं अगला पार्ट जल्दी पब्लिश करूं, तो मैं कोशिश करूँगा कि इस बार कहानी जल्दी लाऊँ। फीडबैक ज़रूर दीजिए मेरे ईमेल पर: [email protected]
धन्यवाद।