संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-21 (Sanskari vidhwa maa ka randipana-21)

पिछला भाग पढ़े:- संस्कारी विधवा मां का रंडीपना-20

हिंदी सेक्स कहानी अब आगे-

सुबह आँख खुलते ही मैं नहाने चला जाता हूँ। फिर मैं जल्दी से तैयार होकर बाहर आया तो देखा, जुनैद मम्मी के कमरे से बाहर निकल रहा था। जुनैद अपनी सीधी नज़रें किए हुए बगीचे की तरफ जा रहा था। मैंने भी उसे रोकना सही नहीं समझा और उसके पीछे ही चल दिया।

आरिफ़ बगीचे में नाश्ते की टेबल के पास खड़ा, जुनैद को आता हुआ देख कर मुस्कुरा रहा था। जुनैद उसके करीब जाकर हँसते हुए हाथ मिलाता है।

आरिफ़ उसे सीधा हग करते हुए बोला, “यार, तुम्हारी मुस्कान बता रही है कि रात काफी अच्छी गुजरी है?”

जुनैद उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला, “भाईजान, सब आपकी मेहरबानी से हो रहा है। वैसे, कविता के साथ आपकी रात कैसी कटी?”

आरिफ़ मुस्कराते हुए बोला, “यार, कैसे बताऊँ… कविता तो रात की वो चाँदनी है जो अँधेरे में बिखर जाए तो पूरी रात जगमगा दे!”

जुनैद बोला, “मतलब भाईजान, कविता आपका कुछ ज़्यादा ही ख्याल रख रही हैं!”

फिर दोनों हँसते हुए टेबल के पास लगी चेयर पर बैठ जाते हैं। मैं उनके नज़दीक जाकर ‘गुड मॉर्निंग’ कहते हुए उनके साथ बैठ गया। खुले आसमान के नीचे ठंडी वादियों की सुबह में, गार्डन में मैं, जुनैद और आरिफ़ टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे।

तभी हम सबकी नज़र मम्मी पर जाती है, जो अपने बालों को लहराते हुए होंठों पर हल्की मुस्कान लिए हमारी तरफ ही आ रही थी।

उन्होंने गुलाबी रंग की पतली स्ट्रैप वाली शॉर्ट ड्रेस पहन रखी थी। डीप नेक से उनके भारी-बड़े बूब्स आधे से ज़्यादा झाँक रहे थे। हर कदम पर उनके गोल-मटोल उभार ड्रेस के कपड़े को खींच रहे थे। कमर पर टाइट फिटिंग उनकी S-कट बॉडी को और निखार रही थी। नीचे, छोटी स्कर्ट के किनारों से उनकी चिकनी जाँघें चमक रही थी।

मम्मी जैसे ही मुस्कराती हुई हमारी तरफ बढ़ीं, उनकी हिलती हुई गांड और हर कदम पर उछलते-बुलबुलाते बूब्स ने पूरा माहौल ही गर्म कर दिया। हल्की हवा उनके खुले बालों और ड्रेस को हिला रही थी, जिससे उनके सीने की गहराई और भी साफ़ नज़र आ रही थी।

जुनैद और आरिफ़ – दोनों की नज़रें एक-दम जमी रह गई। उनके होंठों पर चाय का कप तो था, लेकिन आँखें सिर्फ मम्मी के जिस्म पर टिकी हुई थी।

मम्मी मेरी चेयर के पीछे आती हैं, और झुक कर मेरे गालों को चूमते हुए मुझे ‘गुड मॉर्निंग’ कहती हैं। मैं मम्मी की चूचियों का स्पर्श और उनका भार अपने कंधों पर साफ़ महसूस कर रहा था। मेरे सामने बैठे आरिफ़ और जुनैद मम्मी की चूचियों की दादर झाँक रहे थे।

मम्मी जान-बूझ कर अपने झुके हुए उभार दिखाते हुए बोली, “क्या हुआ? सब ऐसे क्यों देख रहे हो… नाश्ता कर रहे हो या मुझे निगल रहे हो?”

आरिफ़ अपने होंठों से चाय का कप हटाते हुए बोला, “सविता जी, आपको इस रूप में देख कर कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता कि आप एक जवान बेटे की माँ हैं!”

मम्मी मुस्कराते हुए बोली, “आरिफ़ जी, आप भी ना, अच्छा मज़ाक करते हैं।”

मम्मी, जुनैद और मेरे बीच में लगी चेयर पर बैठ जाती हैं। जुनैद मम्मी की तरफ देख कर उनका नाश्ता बढ़ाता है। थोड़ी देर में मौसी अपनी कमर बलखाते हुए होंठों पर हल्की मुस्कान लिए आती हैं।

मौसी भी मम्मी की तरह ही ड्रेस पहने हुई थी, बस ड्रेस का रंग लाल था और लंबाई उनके घुटनों तक थी। मौसी की चाल में साफ़ फर्क नज़र आ रहा था कि वो रात अपनी जमा की हुई गांड चुदवाई थी। उनके खिलते हुए चेहरे के नूर ने उनके दर्द को छुपाया हुआ था, जो रात भर मोटे मूसल से बेरहमी से चुदाने के बाद अपने अंदर एक मीठा सा दर्द लिए हुए था।

आरिफ़, जो अभी तक अपनी निगाहें मम्मी पर टिकाए हुए था, अब मुस्कराते हुए मौसी को देख बोला, “हम सब आपका ही इंतज़ार कर रहे थे।”

मौसी आरिफ़ के साथ उससे चिपक कर बैठती हैं, फिर चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए बोली, “अच्छा जी, इंतज़ार करने वाले नाश्ता शुरू तो नहीं करते हैं?”

मौसी की बात सुनते ही मम्मी और जुनैद के हाथ थम जाते हैं, जो चाय का कप होंठों पर लगने ही वाले थे। मम्मी अपनी हँसी को काबू करते हुए बस मौसी की तरफ मुस्करा देती हैं।

जुनैद, आरिफ़ की तरफ देखते हुए मुस्करा कर बोला, “कविता, हमें लगा आप देर तक आराम करेंगी, इसलिए हम नाश्ता करने लगे। वैसे, हमने आपको आते हुए देखा – आप ठीक से चल नहीं पा रही थी!”

मौसी तिरछी नज़र से आरिफ़ की तरफ मुस्कराते हुए बोली, “रात आरिफ़ जी का घोड़ा…”

मम्मी उन्हें रोकते हुए बोली, “ओहो, आप लोग बस भी करो। दीदी, आप भी ना! जुनैद जी, प्लीज़ आप नाश्ता करो।”

फिर सभी चुप-चाप अपना नाश्ता खत्म करके थोड़ी बहुत बातें करते हैं। मैंने अपनी तिरछी नज़रों से जुनैद की तरफ देखा, जिसका एक हाथ काफ़ी देर से टेबल के नीचे था।

मैंने बिना किसी शक के फ़ोन का कैमरा चालू किया, फिर टेबल के नीचे चलते हुए फ़ोन की स्क्रीन में देखा। जुनैद का हाथ मम्मी की नंगी जाँघों को सहला रहा था। वो मम्मी की नंगी जाँघों को सहलाता हुआ अपना हाथ उनकी चूत वाले हिस्से तक ले जा रहा था। मम्मी बातें करते हुए जुनैद की तरफ देख कर कामुक नज़रों से उसे रोकने की कोशिश कर रही थी। मम्मी अपने आप को इस तरह काबू किए हुए थी कि उनके संत-संवार रूप को देख कर किसी को भी नीचे होने वाली हरकतों का अंदाज़ा ना हो।

मैंने उन्हें बातों में उलझाने के लिए आरिफ से कहा, “तो हम आज कहीं जाने वाले हैं, या फिर होटल पर ही दिन बिताने वाले हैं?”

आरिफ, जो अपने फोन में लगा हुआ था, एक-दम से अपनी साँसों को थाम कर बोला, “नहीं-नहीं… मैं तो यहाँ बोर नहीं होना चाहूँगा! सबकी मर्ज़ी हो तो मैं एक सुंदर जगह ले जाने के लिए तैयार हूँ।”

मौसी ने आरिफ के हाथों पर अपने हाथ रखते हुए कहा, “आरिफ जी, जगह हॉट और रोमांच से भरी होनी चाहिए, जहाँ हम अपने इस पल को यादगार बना सकें। क्यों सविता बहन?”

मम्मी अपनी साँसों को रोकते हुए, एक गहरी साँस लेती हुई हड़बड़ी में बोली, “हाँ-हाँ, आप सही कह रही हैं!”

मौसी के साथ-साथ आरिफ की भी नज़र एक-दम मम्मी के चेहरे पर गई, जिनके हाव-भाव पूरे हवा में उड़ते हुए लग रहे थे।

मैंने फिर एक नज़र नीचे डाली और फोन में देखा, मम्मी अपनी टाँगें पूरी फैलाए बैठी थी, जुनैद का हाथ आराम से मम्मी की चूत सहला रहा था।

आरिफ मौसी की तरफ आँख मारते हुए बोला, “लगता है सविता जी तो किसी और ही दुनिया में खोई हुई हैं?”

मम्मी अपने आप को सँभालते हुए शर्माते हुए बोली, “ऐसा कुछ नहीं है आरिफ जी, राहुल की इच्छा घूमने की है तो मैं ज़रूर जाऊँगी। बस दीदी ने जैसा कहा वैसी ही जगह हो।”

आरिफ बोला, “हाँ-हाँ, बिल्कुल रोमांच लायक जगह है! लगता है, जुनैद भाई, तुम कुछ बोल नहीं रहे हो, शायद तुम्हारा मन होटल में ही रहने का है?”

जुनैद मम्मी की तरफ देख कर बोला, “भाईजान, ज़्यादा तो नहीं, पर अभी थोड़ी देर रुकने का मन है।”

मम्मी एक हाथ से अपने बालों को साइड करती हैं, फिर जुनैद की तरफ देख कर थोड़ी शर्मीली मुस्कराहट के साथ बोली, “आप लोग बात करें, मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।”

मम्मी चेयर से उठते समय अपने कपड़ों को ठीक करती हैं, फिर एक नज़र जुनैद की तरफ देख कर कमरे की ओर जाने लगती हैं। आरिफ अपनी हवस भरी आँखों से उन्हें जाते हुए उनकी बलखाती गांड देख रहा था।

कुछ देर बैठे रहने के बाद जुनैद बोला, “मुझे रूम में कुछ काम है भाईजान, मैं आपको बाद में मिलता हूँ।”

इतना कह कर जुनैद चला जाता है। उसकी बातों से साफ़ लग रहा था कि जुनैद किसी काम से नहीं, बल्कि मेरी माँ की आग शांत करने गया था।

मौसी मुस्कराते हुए आरिफ की आँखों में इशारे से बोली, “अब हम यहाँ बैठ कर क्या करें, हम भी चलते हैं।”

मौसी आरिफ़ के साथ अपने कमरे में चली जाती हैं।

मैं मन ही मन सोचने लगा — दोनों औरतें आज ज़्यादा ही गर्म हो रही हैं। मैं अपने कमरे में गया। बगल से आती माँ की तेज़ सिसकारियाँ सुन कर मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया था। मैं फ़ौरन उस विंडो के पास गया जहाँ से माँ की सुहागरात देखी थी।

अंदर मैंने देखा मम्मी बेड के किनारों को पकड़े झुकी हुई थी, मेरी माँ सुबह वाली सेक्सी ड्रेस उतार कर बस ब्रा में थी।

पीछे जुनैद पूरा नंगा खड़ा होकर माँ की चूत में लंड डाल कर तेज़ धक्के मार रहा था, मेरी माँ तेज़ साँसों के साथ हाँफते हुए बड़ी कामुक सिसकारियाँ भर रही थी।

दोनों की तबातोड़ चुदाई देख कर लग रहा था जैसे कमरे में आते ही जुनैद ने माँ की चुदाई शुरू कर दी थी। ब्रा से बाहर निकली हुई माँ की गोल चूचियाँ जुनैद के हर धक्कों पर तेज़ी से हिल रही थी, साथ में उनके बड़े और मोटे कुल्हे थरथरा रहे थे।

माँ अपनी गर्दन घुमा कर जुनैद की तरफ़ दर्द में मुस्कराते हुए बोली: “आह आह आह आह ह ह ह ह ह… जुनैद जी, और तेज़, और तेज़ चोदो मुझे… उफ्फ्फ्फ उफ्फ्फ्फ, आईईईई सीईईईई आह ह… जालिम, तूने मुझे सबके बीच में इतना गर्म कर दिया था… उफ्फ, मेरा बेटा उधर ना होता तो तेरा मूसल चूत में घुसा लेती… आह आह हहहह… अब बुझा दे मेरी प्यास…”

जुनैद माँ के कूल्हों पर थप्पड़ मारते हुए कहा: “जान, सब के बीच तेरा बेटा भी बैठा हुआ है। ये पता होने के बाद भी मेरा हाथ तूने ही अपनी चूत पर रखा था। उफ्फ्फ्फ जान, अब तुम्हें राहुल को दिखाना चाहिए कि उसके बाप के जाने के बाद जुनैद ने उसे कितना बेहतर माँ को चरमसुख दिया है!”

माँ हाँफते हुए बोली: “आह आह… हाँ हाँ जुनैद जी, ज़रूर दिखाऊँगी राहुल को कि मैं आपके मूसल से कितना खुश और तृप्त हुई हूँ! उफ्फ्फ्फ आईईईई सीईईईई… जुनैद जी, और तेज़ ठोको मुझे… सातवें आसमान का आनंद लेना है, जो राहुल का बाप कभी नहीं दे सकता था।”

माँ अपनी टाँगों को पूरी फैला लेती हैं ताकि जुनैद का मूसल आराम से उनकी बच्चेदानी तक ठोकर मार सके। कुछ और ताबड़तोड़ धक्कों के बाद जुनैद अपना मूसल माँ की चूत से बाहर निकालता है, तो माँ उसे चूत की जगह गांड में डालने के लिए कहती हैं। जुनैद माँ की गांड पर ढेर सारा थूक लगा कर अपने चूत के रस से चिकना लंड छेद पर रखते ही गांड में आधा धकेल देता है। माँ गांड में आधा लंड जाते ही चीख उठती हैं, तीखे दर्द को अपने अंदर संभालने की कोशिश करती हैं।

जुनैद माँ के कूल्हों को फैला कर हल्के-हल्के धक्कों से गांड चोद रहा था, जुनैद का पूरा मूसल गांड में जाते ही मेरी माँ, जो बेड को पकड़े झुकी हुई थी, वो सीधी खड़ी हो गई थी। माँ अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाकर जुनैद की कमर पकड़े हुई थी। जुनैद माँ को खड़ी हुई पर ही अपना मूसल उसकी गांड में ठोक रहा था। माँ के चेहरे पर दर्द से मिलता सुकून उनकी कामुक सिसकारियों में बदल रहा था। धीरे-धीरे माँ भी अपनी गांड को आगे-पीछे करते हुए मूसल से गांड चुदाई का मज़ा ले रही थी।

जब माँ को दर्द से पूरी राहत मिलती है, तो फिर से पहले की तरह बेड को पकड़े झुक जाती हैं। जुनैद अपने हाथों को आगे लाकर माँ के लटकते बूब्स को पकड़ कर तेज़ धक्कों से उसकी चुदाई कर रहा था। माँ हाँफते हुए झड़ रही थी, उनकी चूत से रस टपक कर ज़मीन पर गिर रहा था।
थोड़ी देर बाद जुनैद भी हाँफते हुए माँ की गांड में झड़ जाता है।

जुनैद झड़ने के बाद जब अपना मोटा मूसल लंड माँ की गांड से निकालता है, तो एक पाक की आवाज़ गूंज उठती थी।
मेरी माँ जब सीधी खड़ी हुई तो उनकी गांड से जुनैद का गाढ़ा वीर्य रिसते हुए उनकी जाँघों तक आ गया।

माँ जुनैद की तरफ मुस्कान भरी आँखों से देखती हैं, फिर उसके सीने से लिपट कर उसके होंठों को चूमते हुए बोली,‌
“जुनैद जी, सुबह की ताज़ी चुदाई से तो मेरा जिस्म और भी तरो-ताज़ा लग रहा है, उफ्फ… अब मुझे फिर से तैयार होना पड़ेगा!”

जुनैद माँ के एक बूब्स को हल्के हाथों से दबाते हुए बोला,‌ “जान, तैयार होने की क्या ज़रूरत? वैसे भी हमें दो घंटे बाद जाना है। जब तक मैं इस फूल जैसे खिलते जिस्म के साथ जी भर के खेल लेता हूँ।”

मम्मी मुस्कराते हुए बोली, “जुनैद जी, आपकी ताकत का जवाब नहीं है। मेरे दोनों हॉल चोदने के बाद भी आपका मेरे जिस्म से खेलने का मन है।”

मम्मी जुनैद का हाथ पकड़े हुए बेड पर आती हैं, फिर जुनैद के लेटने के बाद मम्मी को अपने ऊपर खींच लेता है।

मम्मी उसके होंठों को चूसते हुए बोली, “जुनैद जी, अभी सुबह का समय ही चल रहा है, कहीं राहुल मुझे ढूँढते हुए कमरे में न आ जाए… हमें रुक जाना चाहिए।”

जुनैद मम्मी की गांड को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला, “जान, राहुल अब समझदार है, वो अपनी मम्मी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहेगा।”

मम्मी जुनैद के ऊपर नंगी लेटी हुई मुस्कराते हुए उसे किस्स करने लगती हैं।
मैं मन ही मन बोला, “जुनैद, तू कितना भी मम्मी को अपने मूसल से बेहला ले, तुझे तो तेरी औकात जल्द ही पता चल जाएगी।”

फिर अपने कमरे में मुझे आराम करते हुए समय का पता ही नहीं चला, कब दो घंटे गुजर जाते हैं। जब कमरे के गेट पर किसी ने नॉक किया तो मुझे होश आया कि हमें तो घूमने जाना था।

मैं जल्दी से बाहर आया और देखा मौसी आँखों पर काला चश्मा लगाए, आरिफ़ की बाहों में अपना हाथ डाले, उससे चिपक कर खड़ी हुई थी। मैं उनके साथ खड़े होकर मम्मी का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर में ही मम्मी कमरे से बाहर आती हैं, हाथ में छोटा हैंडबैग लिए, आँखों पर चश्मा, सुबह वाली सेक्सी ड्रेस… उफ्फ, क्या क़यामत लग रही थी।

मम्मी के पीछे से जुनैद कमरे से बाहर आता है, जो शायद मम्मी का ही बैग लिए हुए था। उसे देखते ही मेरा मूड खराब हो जाता है, लेकिन खुद पर काबू रखते हुए मैं बस मम्मी की तीखी मुस्कान को ही देखता रह गया।

उसके बाद हम लोग एक टूर पर निकल जाते हैं, जिसका पता बस आरिफ़ को ही था।

तो दोस्तों, आगे टूर पर क्या हुआ — वो मैं आपको अगले भाग में बताऊँगा। उम्मीद करता हूँ आपको मेरी कहानी पसंद आ रही होगी। मेरी अब तक की कहानी कैसी लगी, अपने फ़ीडबैक मेरे ईमेल पर ज़रूर बताइए। धन्यवाद।

[email protected]