भाभी के बेटे ने नदी में चोदा-2 (Bhabhi Ke Bete Ne Nadi Mein Choda-2)

पिछला भाग पढ़े:- भाभी के बेटे ने नदी में चोदा

हैलो दोस्तों, मेरा नाम सुनीता है। मैं अभी 28 साल की हूं। मेरा रंग गोरा, बदन छरहरा है। किसी का भी मन डोल जाता है मेरे बदन को देख कर। काफी कमसिन कमर है। चूचियों और गांड का उभार काफी ज्यादा बढ़ गया है। मेरे दो बच्चे हैं। एक लड़का जो अभी 6 साल का है, और लड़की अभी 3 साल की है।

इस कहानी के पिछले भाग में अब तक पढ़ चुके हैं कि किस तरह मैं गर्मियों में अपने मायके घूमने गई थी, और वहां पर मेरे भैया का बड़े लड़के ने मुझे मेला घुमाया, और उसके बाद सुनसान नदी के बीच में नाव पर ले जाकर मुझे चोद कर संतुष्ट किया।

रात को जब मैं भाभी के साथ सो रही थी, तब राहुल मेरे कमरे में आया। वो मेरे बगल में आकर मेरे साथ लेट गया। वहीं पर भाभी भी यानी कि उसकी मां भी सोई हुई थी। मैं उसे मना कर रही थी कि-

मैं: तुम्हारी मां यहीं पर है, जग जाएगी तो शामत आ जाएगी, इसलिए तुम चले जाओ।

पर राहुल मेरी एक ना सुनी और मेरी साड़ी उठा कर वहीं पर मुझे चोद दिया। जब भाभी ने हलचल की तब राहुल झट से मेरे ऊपर से उठा और पलंग के नीचे घुस गया। मैं अपनी साड़ी ठीक की और सोने लगी। तभी भाभी मुझे जगा कर बोली-

भाभी: सुनीता उठो, यह कैसी आवाज थी? तुमने कुछ सुनी क्या?

मैं (अंजान बनते हुए): नहीं तो भाभी, कहां कुछ आवाज थी? मैं तो सो रही थी। आपने शायद कुछ सपना देखा होगा, चुप-चाप सो जाइए?

फिर भाभी मेरे कहने पर सो गई और मैं भी उनके साथ सो गई। तभी राहुल नीचे से निकला और मेरे गालों पर किस्स करने लगा।

मैं (दबी हुई आवाज में): राहुल क्या कर रहे हो? तुम्हारी मां यहीं सोई हुई है। अभी-अभी जगी थी। फिर से जाग गई तो बहुत शामत होगी। तुम प्लीज चले जाओ।

फिर राहुल मेरे सर को पकड़ कर मेरे होंठों पर एक जबरदस्त किस्स किया, और फिर मेरे कहने से चला गया। दूसरे दिन जब सुबह हुई तब मेरे बदन में थोड़ा दर्द सा हो रहा था। शायद रात की चुदाई का असर था। राहुल मुझे दर्द में देख कर हल्का-हल्का मुस्कुरा रहा था। जब मैं अकेले उसे पाई, तब उसे पकड़ कर एक मुक्का उसके सीने में मजाक में मारते हुए बोली-

मैं: पागल है क्या? कल रात को क्या कर रहा था मेरे साथ? और तुम्हारे करने के कारण आज मेरे पूरे बदन में दर्द हो रही है।

राहुल: चिंता क्यों करती हो बुआ? अभी तुम्हारे दर्द की दवा ले देता हूं। और तैयार रहना, आज फिर से तुम्हारी जम के लूंगा। बहुत मजेदार हो तुम। तुम्हारे जैसी यदि मेरी बीवी मिल जाए, मैं तो कभी घर छोड़ कर बाहर निकलूंगा ही नहीं।

इस बात पर हम दोनों हंसने लगे। फिर मैं भाभी के साथ किचन में उनका हाथ बटाने लगी, और वह मेरे लिए दवा लाने चला गया। आज भी गांव में मेला लगने वाला था, और आज भी मुझे राहुल मेला दिखाने के लिए ले जाने वाला था। हम सभी जल्दी से खाना-वाना खा कर तैयार हो गए। राहुल बाजार से आया और वह भी तैयार होकर बोला-

राहुल: चलिए आज आप सभी लोगों को मेला घुमा देता हूं।

आज हम पूरे परिवार के साथ मेला देखने जा रहे थे। राहुल मेरे साथ ही हमेशा रह रहा था। भैया भाभी और मां पिता जी के साथ मेला घूम रहे थे। जैसे ही हम लोग मेला में एंट्री किये, भीड़ बहुत ज्यादा थी। भैया मां, पिता जी, और भाभी के साथ आगे आगे चल रहे थे। राहुल मुझे मेरे हाथ को पकड़ खींच कर जान-बूझ कर मुझे पीछे चलने पर मजबूर कर रहा था।

मैं राहुल को गुस्से भरी नज़रों से देखी, और उसे डांटी। पर वह मेरी एक ना सुनता, और मेरे हाथों को अपने हाथों में दबा कर मुझे अपने से चिपका लेता। आज मेले का आखिरी दिन था, इसलिए भीड़ बहुत ज्यादा थी। भीड़ में चलना मुश्किल हो रहा था। भैया भाभी और मां पिता जी के साथ बहुत आगे निकल रहे थे।

तभी राहुल इसी बात का फायदा उठाते हुए मुझे दूसरी तरफ खींच कर ले जाने लगा भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हम दोनों एक-दूसरे से सटे हुए चल रहे थे। वह कभी मेरे नितम्बों को दबाता है, तो कभी मेरे गांड में उंगली कर देता है। मैं उसे गुस्से मे कोहनी से मार देती, तो कभी उसके गालों को खींच देती।

भैया भाभी और मां पिता जी आगे दूसरे छोर पर चले गए थे और राहुल मुझे लेकर दूसरी तरफ आ गया था। वहां भीड़ इतनी ज्यादा थी कि राहुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और अपने लंड को मेरे गांड पर रगड़ने लगा। हम दोनों लाइन में लगे हुए थे नाव पर झूला झूलने के लिए।

तभी हमारी बारी आई और हम दोनों नाव पर चढ़ गए। नाव चलाना शुरू हुआ। मैं तो पहले खूब आराम से बैठी हुई थी उसके साथ में, और जैसे ही नाव थोड़ी रफ्तार में आई मैं डरने लगी, और कस के राहुल को पकड़ ली। राहुल इसी बात का फायदा उठाते हुए अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों पर हल्का-हल्का सहलाने लगा। मैं डरी हुई उसे कस के पड़ी हुई थी और वह अपने एक हाथ से मेरी चूचियों को सहला रहा था, और दूसरी हाथ से मेरे पेट को।

मैं: आआआह्ह्ह्ह राहुल, डर लग रहा है।उउउउफ्फ्फ्फ़ आआह्ह्ह मत करो ये सब।

राहुल: नाव मे झूला का मजा लो बुआ उउउउउफ्फफ्फ्फ़ क्या मुलायम चूचियां है आपकी।

मैं: मुझे डर लग रहा है और तुम्हें मजाक सूझ रहा‌ है। छोड़ो अभी कोई देख लेगा। हम झूले पर हैं तुम्हें समझ नहीं आ रहा है।

पर राहुल ने मेरी एक ना सुनी। वह मेरी चूचियों को सहलाता रहा, और मैं डर कर उससे चिपकी रही। नाव धीरे-धीरे करके रुक गई। पर मैं राहुल से चिपकी रही, और उसमें खो गई थी। तभी राहुल ने मुझे झकझोरते हुए बोला-

राहुल: बुआ चलो ना, रुक गई। अब हमें निकालना है यहां से।

फिर मैं उसके साथ बाहर निकली। बाहर बहुत भीड़ थी। वह मुझसे चिपका हुआ चल रहा था। फिर हम दोनों वहां से निकल कर मेले से बाहर आए, जिधर बहुत सारी गाड़ियां लगी हुई थी, और कई सारे इधर प्रेमी जोड़े बैठे हुए थे। वह मुझे एक पेड़ के नीचे बिठा कर मेरी चूचियों को फिर से सहलाना शुरू कर दिया।

मुझे डर लग रहा था कि वहां पर लोग आ जा रहे थे, कहीं उनकी नज़र मेरे कपड़े के भीतर गई जहां राहुल अपने हाथ घुसा कर मेरी चूचियों को सहला रहा था, तब क्या होगा? मैं राहुल को मना कर रही थी। पर वह कहां मानने वाला था। वह मेरी चूचियों को सहला रहा था। मैं उसके हाथों के जादू में खोई जा रही थी?

मैं: राहुल यहां मत करो। प्लीज कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा? चलो घर चलते हैं। अभी वैसे भी भैया और मां पिता जी मेला घूम रहे हैं?

राहुल: सच्ची में बुआ आपका भी मन हो रहा है क्या? (और हसने लगा)

मैं उसे हल्के सी कोहनी से मार दी। फिर हम दोनों मुस्कुराते हुए घर पर आ गए। जैसे ही मैं घर में आई, राहुल दरवाजे को बंद कर दिया, और मुझे पकड़ कर किस्स करना शुरू कर दिया। राहुल मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके मेरे होठों को लगातार चूस रहा था, और मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से बंद कर दिया था। मैं अपनी आंखों को बंद करके उसके एक-एक होंठ का रस लेकर चूस रही थी। मेरी सांस अब रुक रही थी। मैंने झट से उसे अलग किया, और हांफने लगी।

मैं: सांस तो ले लेने दे राहुल, क्या कर रहा है। जान लेगा क्या? मैं तुझसे बड़ी हूं, इतना भी तुझे नहीं पता? तुम्हें मेरी आज्ञा को मानना चाहिए?

राहुल हंसता हुआ बोला: अच्छा मेरी जान, मेरी बुआ, मैं आपकी आज्ञा क्या आपकी तो हर बात मानूंगा।

और उसने मेरी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया। फिर मेरे ऊपर नीचे होती चूचियों को दोनों हाथों से मसलते हुए मेरे गाल को चूमना शुरू कर दिया। राहुल मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे गाल को चूम रहा था। वह मेरे गाल को चूमते हुए गर्दन के पास गया, और मेरे ऊपर से देख रही चूचियों को जीप लगा कर चाटने लगा।

मैं: उउउउउउउफ्फ्फ्फ़ राहुल!

मैं उसकी ऐसी हरकत से मदहोश हो गई, और उसके बालों को सहलाने लगी। वह मेरी चूचियों को मसलते हुए नीचे की ओर बढ़ा, और मेरे पल्लू को नीचे गिरा कर मेरी गोरी-गोरी नाभि में अपना जीभ डाल कर चूसने लगा।

थोड़ी देर मे नाभि को चूसने के बाद मेरी साड़ी को पूरी तरह से खोल कर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और पूरी तरह से नंगी कर दिया। मैं अब सिर्फ ब्लाउज और पेंटी में उसके सामने खड़ी थी। मेरी गोरी जांघो और गोरे-गोरे बदन को देख कर उससे रहा ना गया। वह मुझे अपनी गोद में उठाया और ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया। फिर मेरे गोरे-गोरे पैरों को चूमना शुरू कर दिया।

मेरी गोरी जांघो को अपनी जीभ से चाटने लगा और फिर मेरी पेंटी की तरफ आगे बढ़ा, और पेंटी के ऊपर से ही मेरी बुर को अपने दांतों से दबाने लगा। मैं तो जैसे पागल ही होने लगी उसकी इस हरकत से। उफ्फ्फफ्फ्फ़ग्ग राहुल अब मेरे पेन्टी को सरका कर मेरी टांगों से निकाल दिया, और मेरी टांगों को फैला कर मेरी बुर में अपना जीभ डालना शुरू कर दिया।

उसकी जीभ मेरी बुर में लगते ही मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई। उसकी गर्म जीभ ने मेरी बुर से पानी निकलना शुरू कर दिया और वह उसे बैठ कर आराम से पी रहा था, और मेरी बुर को चाट कर साफ कर रहा था।

मैं आंखें बंद करके उसके बालों को सहला कर अपनी बुर चटवा रही थी: उउउउफ्ग आआअह्ह्ह राहुल चूस ले अपनी बुआ की बुर। तेरे फूफा की अमानत अब तेरे हवाले उउउ हहाएी राहुल।

फिर राहुल मेरे ऊपर आया और मेरी ब्रा को खींच कर निकाल कर मेरी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया। फिर अपने लंड पर थूक लगा गीला किया, और मेरी बुर के छेद पर रखा, और धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू कर दिया।

मेरी तो सांसे अटक गई थी। मैं अपनी आंखें बंद करके दोनों हाथों से उसके सर को सहला रही थी, और वह मेरी बुर में धीरे-धीरे करके पूरा लंड उतार दिया। फिर वह धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया। मैं आहे भरने लगी। राहुल मेरी दोनों चूचियों को अपने जीभ से रगड़ के चाट रहा था, और मेरे निपल्स को चूस रहा था, और मेरे नीचे अपने लंड से बुर में धक्कों की बरसात कर रहा था।

मैं: आआआह्ह्ह्हह राहुल उफ्फ्फफ्फ्फ़ यररररर चोद मुझे आआआह्ह्ह्हह।

राहुल: आआहह्ह्ह्ह बुआ आप यहीं रह जाओ। मुझसे चुदो। आप भूल जाओ फूफा को आआआह्ह्ह्ह, बहुत रसीली बुर है आपकी।

इस तरह हम दोनों सातवें आसमान पर थे। वह लगातार मेरी बुर में धक्का लगा रहा था, और मैं उसके बाल और पीठ को सहला रही थी। अपनी आंखें बंद करके उसके होंठों को चूस रही थी। वह धक्के पर धक्के लगा रहा था, और फिर अपनी रफ्तार को इतना तेज कर दिया, कि हम दोनों पूरा हाफने लगे। फिर हम दोनों एक साथ झड़ कर एक-दूसरे में लिपट गए।

हम दोनों कि सांसे बहुत तेज चल रही थी, कि तभी दरवाजे पर किसी के दस्तक हुई, और तेज-तेज करके दरवाजा पीटने लगा। शायद सभी लोग मेला घूम कर वापस आ गए थे। हम दोनों जल्दी से उठे। मैं अपने कपड़े को जल्दी-जल्दी समेट कर अपने कमरे में जा कर चुप-चाप लेट कर सो गई। राहुल जाकर दरवाजा खोला और तब
भाभी ने राहुल से पूछा कि तेरी बुआ कहां है?

राहुल: मां वह बुआ को थोड़ा चक्कर आ गया था उन्हें झूला झुलाया तो। वह कमरे मे जाकर थोड़ा आराम कर रही है।

फिर भाभी बोली: चलो ठीक है, तुम लोग थोड़ा बैठो। मैं खाना-वाना तुम लोगों के लिए लाती हूं।

तभी भैया की आवाज आई। वह राहुल से बोल रहे थे।

भैया: बेटा आज ज़रा तुम अपने मौसी के यहां चले जाओ। उनकी थोड़ी तबीयत खराब है। देख आओ कैसी है, कल सुबह तक लौट आना?

यह सुन कर मुझे थोड़ी उदासी सी आई, कि राहुल मौसी के यहां जा रहा था। तो अब आज तो वह नहीं आएगा। यही सोचते हुए मुझे नींद लग गई, और पता नहीं मैं कब सो गई अपने कमरे में? अभी यहीं तक। मिलते है अगले पार्ट में।