पिछला भाग पढ़े:- मम्मी ने मजा दिया जंगल में-1
सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरे मन में मम्मी के लिए वासना थी। फिर एक दिन हम जंगल में गए, जहां मम्मी ने पहले मुझे उनको पेशाब करते हुए, और फिर उनकी चूचियां देखते हुए देख लिया। फिर उन्होंने मेरा कान पकड़ लिया तो मैंने बोला-
मैं: वो मम्मी पड़ोस के भैया लोग बोलते है कि तेरी मम्मी बहुत खूबसूरत है और उनके अंदर और ज्यादा खूबसूरत चीज छुपी हुई है, जो पेशाब करते वक्त दिखेगी।
मम्मी हैरानी से आँखे चौड़ी कर ली और बोली: हये दइया, ये गाव के लड़के कितने बिगड़ गये है। और तू भी उनके साथ बिगड़ता जा रहा है। ऐसा क्या है मेरी उसमें जो तू देखने को बेचैन था?
मैं थोड़ा मुंह बनाते हुए बोला: वो तो ऐसे ही देख ली मम्मी। आप इतना नाराज मत हो ना। आप कहो तो मैं भी अपना दिखा देता हूं।
और मैंने अपने पैंट को नीचे कर दिया। मेरा तना हुआ लंड मम्मी के सामने सलामी देने लगा।
मम्मी चौकते हुए अपने मुंह हाथ से ढक लिए और बोली: हे भगवान, कोई देख ना ले। कितना बिगड़ गया है तू। जरा भी गाव समाज की परवाह नहीं है इसे।
मम्मी झट से नीचे झुकी और मेरी पैंट को ऊपर चढ़ा दी और मेरा हाथ पकड़ के पास के गन्ने के खेत में ले गयी।
मम्मी: तेरा इतना बड़ा कब हो गया रे? मुझे पता ही नहीं चला कि तू इतना सयाना हो गया है।
मैं: मम्मी भैया लोग आपकी बातें करते हुए मेरे इसको (लंड के तरफ इशारा करते हुए) पकड़ के हिलाते है, और बोलते है कि आपकी पेशाब की जगह में डालने में मजा आ जायेगा। लेकिन मेरा इतना बड़ा आपके उसमे भला कैसे जायेगा?
मम्मी मेरी बात पे हसने लगी और बोली: अच्छा बेटा, इतना भी बड़ा नहीं हुआ है तू।
फिर मम्मी नीचे बैठ गयी और मेरे पैंट को नीचे सरका दी। मेरा तना हुआ लंड मम्मी के मुंह के सामने था। मम्मी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में हलके से पकड़ लिया।
मम्मी: उफ्फ्फ तेरा तो सच में बड़ा हो गया है। लेकिन तू चिंता मत कर, चाहे कितना बड़ा क्यू ना हो, वो अंदर फिट हो जाता है।
मैं हस्ते हुए: क्या कुछ भी बोलती हो मम्मी। इतनी सी छोटी में कैसे जाएगी?
मेरी बात पे मम्मी खड़ी हो गयी और बोली: तू उसी से निकला है और ये तेरी लुल्ली नहीं जाएगी, कैसे?
मम्मी ने अपनी साड़ी उठाई और पैंटी निकाल दी। उफ्फ्फ उनकी हलकी झांटो वाली गोरी चूत की दरार से झांकती गुलाबी पंखुड़ी बहुत मादक लग रही थी। मम्मी मुझे अपने चूत दिखाते हुए मुस्कुरा रही थी। अभी भी मेरा लंड तन कर मम्मी को सलाम कर रहा था।
मैंने अपने ऊँगली से मम्मी की चूत की दरार को छुआ। मम्मी ने आँखे बंद कर ली और जब मेने ऊँगली थोड़ी अंदर डाली, तो मम्मी ने हलकी सी आह की। मैं अपनी ऊँगली को थोड़ा और अंदर किया तो मुझे चिपचिपा सा लगा। मम्मी मेरी ऊँगली को बाहर निकाल दी और अपनी साड़ी नीचे कर ली।
मम्मी मुझे बोली: चल अब नीचे लेट जा। फिर मैं बताती हूं कि कैसे पूरी तेरा लुल्ली मेरी इसमें समा जायेगी।
मैं गन्ने के खेत में लेट गया। मेरा लंड 90° पर खड़ा था। मम्मी मेरे शरीर के दोनों तरफ पैर की, और अपनी साड़ी उठा कर मेरे लंड पर बैठने लगी। उन्होंने मेरे लंड को पकड़ के अपने चूत पे लगाया और दबाव देकर बैठने लगी। मम्मी की आँखे बंद और भौहे सिकुड़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि उन्हें तेज दर्द हो रहा हो।
मैं: मम्मी अभी तो आधा बाहर ही है।
मम्मी: चुप कर शैतान, तेरा सच में बड़ा है उफ्फफ्फ्फ़ मेरी चूत में दर्द होने लगी।लेकिन फिर भी इसे पूरा ले लूंगी मैं।
मम्मी उसी आधे लंड से चुदने लगी। मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। फिर मम्मी थोड़ा जोर लगाई और इस बार पूरा लंड अपने चूत में लेते हुए, मेरे जांघो पे बैठ गयी। उनके मुंह से अजीब कराह निकली,”हाये मर गयी रे उफ्फ्फफ्फ।”
फिर मम्मी अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख दी और ऊपर-नीचे होने लगी। मैं मम्मी के फेस एक्सप्रेशन को देख रहा था। मम्मी अपनी होंठों को दबाते हुए मेरे लंड पर उछल रही थी। कभी आँखों को बंद करती तो कभी मुझे देख कर मुस्काती।
मम्मी की एक्साइटमेंट बढ़ रही थी। वो अपने ब्लाउज़ को ऊपर करके दोनों चूचियों को बाहर कर दी। फिर मेरे हाथ को पकड़ कर दोनों चूचियों पर रख दी। मैं उनकी मुलायम चूचियों को मसलने लगा। उफ्फ्फ बड़ा मजा आ रहा था। नीचे से खेतों की ढेला गढ़ रहे थे, लेकिन चुदाई की सुध में बुद्ध खो बैठा था मैं।
मम्मी की चूत चिप-चिप हो गयी थी। मेरा लंड उनके चूत से सफ़ेद हो कर निकल रहा था। मम्मी मेरे लंड को गुप-गुप अंदर-बाहर ले रही थी। और मैं उनकी मुलायम चूचियों को मसल रहा था।
तभी गन्ने में सुरसुराहट हुई और हम दोनों की फट गयी । मम्मी झट से खड़ी हो गयी और अपनी साड़ी नीचे कर ली। मेरा लंड सफ़ेद हो चुका था लेकिन अभी भी पूरा तना हुआ था।
मम्मी अपनी साड़ी ब्लाउज़ ठीक करके देखने लगी कि कोई लोग हमे देख तो नहीं लिया। तब तक मैं भी अपना पैंट पहन लिया था। तभी गन्ने से एक सियार दूसरी तरफ भागा। हम दोनों डर गये, लेकिन तसल्ली हुई कि किसी ने देखा नहीं।
मम्मी मेरे हाथ पकड़ के बाहर ले आई और बोली: यहां करना ठीक नहीं रहेगा। चल घर चलते है।
फिर हम दोनों जलावन लेकर घर आ गये। फिर मम्मी अपने घर के कामों में बीज़ी हो गयी और मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया। जब शाम को वापस आया तब मम्मी ने मुझे खिलाया और फिर खुद खा कर बिस्तर पर चली आई। मम्मी मुझे देख कर बहुत ही सेक्सी स्माइल की। मैं झट से बिस्तर पर लेट गया।
मम्मी: अरे वाह, बड़ी जल्दी है तुम्हें।
मैं: हां मम्मी, काम अधूरा हो तो हड़बड़ी तो होगी ना।
मम्मी मुस्कुराते हुए मेरे पास बैठ जाती है और मेरी पैंट को खोल देती है। फिर लंड को हाथ में लेके हिलाने लगती है। मुझे बहुत मजा आ रहा था। तभी मम्मी बोली-
मम्मी: अब मैं लेटूंगी और तू मेरे ऊपर करोगे।
मैं: लेकिन मम्मी मैं आपके ऊपर कैसे बैठूँगा?
मम्मी हसने लगी और बोली: अरे महाराज, पहले मुझे लेटने तो दो।
फिर मैं हट गया और मम्मी अपनी सारे कपड़े निकाल के नंगी होके बिस्तर पर लेट गई। उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी।मम्मी ने मुझे उनके ऊपर लेटने का इशारा किया और मैं वैसा ही किया।
मम्मी ने अपना हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड हो अपनी चूत पर लगाया। और मैं अनाड़ी इतनी जोर से उनकी चूत में लंड पेला कि मम्मी चीख पड़ी।
मम्मी: आअह्ह्ह कमीने, कितनी जोर से डाला रे… हाये… उउउफ्फ्फ्फ़…
मैं थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा। फिर मम्मी ने मुझे चोदने को कहा, तब मैं धीरे-धीरे अपना लंड उनके चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मम्मी के चूचियों को मुंह में भर लिया और उन्हें चोदने लगा। मम्मी मेरे बालों को सहला रही थी। उनकी चूत गीली होने के कारण चप-चप की आवाज़ के साथ मम्मी की सिसकारी गूंज रही थी।
मैं अपनी मम्मी को चोदते हुए इतना खो गया कि पता ही नहीं चला कि कब स्पीड बढ़ गयी। बहुत तेजी से उनकी चूत में लंड अंदर-बाहर हो रहा था। मम्मी की आकर्षक चेहरे को देख कर उनपे खूब प्यार आ रहा था। मैं मजे से खूब चोदने लगा।
धीरे-धीरे रफ़्तार बढ़ती गयी और मैं अपनी आँखे बंद करके मम्मी में खो गया और एक तेज बिजली मेरे शरीर में दौड़ गयी। ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर से प्राण निकल गये। मैं बिल्कुल शांत हो गया। मम्मी मुझे हल्की-हल्की सहलाती रही और मैं मम्मी को बाहो में लिए उनपे लेटा रहा। मेरा लंड अभी भी मम्मी की चूत में था और पता भी नहीं चला कि कब मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि एक चादर ओढ़े नंगे बिस्तर पर सोया हूं। तभी चूल्हे पर मम्मी की खनकती कंगन की आवाज आई, और रात की सारी सीन एक बार मेरे आँखों के सामने तैरने लगे। मैं उठ कर बैठा ही था कि मम्मी आ कर मेरे पास बैठी और मेरे माथे को चूम कर बोली-
मम्मी: उठ गया मेरा लाडला बेटा? चलो अब नाश्ता तैयार है, हाथ मुंह धो कर तैयार हो जाओ। नहीं तो कॉलेज के लिए लेट हो जाओगे।
मैं मम्मी के गोद में सर रख दिया। मम्मी बड़े प्यार से मेरे बालो को सहलाने लगी। और मेरे गाल को चूमते हुए बोली-
मम्मी: अब से तुम कॉलेज जाओगे और उसके बाद ट्यूशन जाओगे। अब किसी लड़के के गलत संगत में नहीं रहना है और जो भी बात हो मुझसे कहना। अब से मैं तुम्हारी मम्मी भी हूं और एक बहुत अच्छी दोस्त भी।
मम्मी हस्ते हुए मुझे एक और किस्स की और बोली: वैसे रात को तुमने बहुत अच्छा मेहनत किया था। मेरा सरा बदन तूने तोड़ दिया। चल अब कॉलेज के लिए तैयार हो जा, मैं नाश्ता लगाती हूं।
फिर मम्मी अपने काम में लग गयी और मैं अपने कॉलेज चला गया।